◆ 'झारखण्ड' का शाब्दिक अर्थ है:― वन प्रदेश
◆ झारखण्ड क्षेत्र का सर्वप्रथम उल्लेख― ऐतरेय ब्राह्मण में
◆ ऐतरेय ब्राह्मण में झारखण्ड क्षेत्र का नाम― पुण्ड या पुण्ड्र
◆ वायु पुराण में झारखण्ड क्षेत्र का नाम― मुरण्ड
◆ विष्णु पुराण में झारखण्ड क्षेत्र का नाम― मुंड
◆ महाभारत के 'दिग्विजय पर्व' में झारखण्ड का नाम― पुंडरीक देश' एवं 'पशु-भूमि
◆ टॉलमी ने झारखण्ड को उल्लेखित किया― मुंडल नाम से
◆ फाह्यान ने छोटानागपुर क्षेत्र को कहा है।― कुक्कुट-लाड
◆ ह्वेनसांग द्वारा छोटानागपुर को कहा गया है― की-लो-ना-सु-फा-ला-ना तथा कर्ण-सुवर्ण
◆ ह्वेनसांग ने राजमहल क्षेत्र को कहा है।― कि-चिंग-काइ-लॉ
◆ समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में झारखण्ड को कहा गया है― मुरुंड
◆ भागवत पुराण में झारखण्ड को कहा गया है― किक्कट प्रदेश
◆ पूर्व मध्यकालीन संस्कृत साहित्य में छोटानागपुर को कहा गया है :― कलिन्द देश
◆ संथाल परगना का क्षेत्र प्राचीन काल में किस नाम से जाना जाता था।― 'नरीखंड' तथा बाद में "कांकजोल'
◆ पहली बार एक ताम्रपत्र में झारखण्ड शब्द का उल्लेख मिलता है :― 13वीं शताब्दी में
◆ मुगल काल में झारखंड क्षेत्र का नाम― खुखरा या कुकरा
◆ आइने अकबरी में झारखण्ड प्रदेश को कहा गया है― कोकरा तथा खंकारह
◆ जहांगीर ने अपनी आत्मकथा 'तुजुक-ए- जहांगीरी' में झारखण्ड क्षेत्र के लिए शब्द प्रयुक्त किया― खोखरा
◆ अबुल फजल कृत 'अकबरनामा' में छोटानागपुर क्षेत्र को कहा गया है :― झारखण्ड