झारखंड की इस तपोभूमि जहां हुआ था भगवान हनुमान का जन्म
भगवान राम और कृष्ण की जन्मस्थली के बारे में तो आप जानते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि रूद्र के अवतार हनुमान का जन्मस्थली कहां है. आपका जवाब शायद हरियाणा का कैथल हो या गुजरात का डांग जिला या फिर कर्नाटक का हंपी लेकिन दावा है कि आपको नहीं पता होगा कि भगवान हनुमान का जन्म झारखंड में हुआ था और इसके कई पौराणिक प्रमाण भी वहां मौजूद हैं.
भगवान शिव ने लिए 12 अवतार, उसमें से एक थे हनुमान
देवों के देव महादेव के 12 अवतारों की कहानी आपने सुनी होगी. इसी में से शिव के 11वें अवतार हैं हनुमान. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार झारखंड के गुमला जिले के आंजन गांव में हनुमान जी का जन्म एक गुफा में हुआ था. आज भी इसके साक्ष्य मौजूद हैं. इस जगह को आज भी आंजन धाम के नाम से ख्याति प्राप्त है. यहां माता अंजनी (हनुमान की मां) का निवास स्थान कहा जाता है. इसलिए इसे आंजनेय के नाम से भी लोग जानते हैं. इस जगह का संबंध सीधे-सीधे रामायण काल के साथ जोड़ा जाता है. यहां 360 से ज्यादा शिवलिंग भी मौजूद थे. हालांकि इसके साथ यह भी कहा जाता है कि यहां इतने ही तालाब थे जहां माता अंजनी स्नान करती और फिर शिव की पूजा करती थी. पौराणिक कथाओं की मानें तो मां अंजनी शिव की बड़ी भक्त थी. इस इलाके में अभी भी 100 से ज्यादा शिवलिंग और तालाब तो अभी भी साक्षात इस बात की गवाही देते हैं. यहां अंजना पहाड़ी पर एक चक्रधारी मंदिर भी है जिसमें आठ शिवलिंग हैं और इनके ऊपर एक चक्र है. इन्हे अष्टशंभू के नाम से ख्याति प्राप्त है और यह बड़ा चक्र बड़े पत्थर का बना हुआ है.
गुमला जिला मुख्यालय से 21 किलोमीटर दूर है गुफा
झारखंड के गुमला जिला मुख्यालय से करीब 21 किलोमीटर दूर यह गुफा स्थित है जहां हनुमान के जन्म होने का दावा किया जाता है. जहां यह गुफा स्थित है उसे आंजन गांव के नाम से जाना जाता है. कहते हैं कि यहां पहाड़ की चोटी पर जो गुफा मौजूद है उसी में मां अंजनी ने हनुमान को जन्म दिया था. भारत का यह इकलौता मंदिर है जहां आप बाल रूप में हनुमान को मां अंजनी की गोद में बैठे देख सकते हैं.
रामायण में भी है इस गुफा का जिक्र
आप रामायण में पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि किष्किंधा कांड में इस आंजन पर्वत का जिक्र है. जहां भगवान हनुमान का जन्म हुआ था. इस गांव से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर पालकोट है, जहां पंपा सरोवर है जिसका उल्लेख रामायण में है. इसमें कहा गया है कि इसके बगल में ऋषिमुख पर्वत है जहां कपिराज सुग्रीव के मंत्री के तौर पर हनुमान विराजते थे, कथा में यह भी जिक्र है कि प्रभु श्रीराम और सुग्रीव की मुलाकात भी यहीं हुई थी. इसके साथ ही एक कथा यह भी है कि यहां प्रभु श्रीराम को शबरी ने अपने जूठे बेर भी खिलाए थे और इसी पंपा सररोवर में प्रभु श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ स्नान किया था.
आदिवासियों से गुस्सा होकर मां अंजना ने कर लिया गुफा का मुंह बंद
कथा के अनुसार जिस गुफा में हनुमान का जन्म हुआ वहां मां अंजनी को प्रसन्न करने के लिए एक बार आदिवासियों ने बकरे की बली दे दी. इससे मां अंजनी को गुस्सा आ गया और उन्होंने गुस्से में गुफा का मुंह सदा के लिए बंद कर दिया. कहते हैं कि तब से यह बंद पड़ा हुआ था जिसे कुछ दिन पहले खोला गया है.