झारखण्ड का संक्षिप्त इतिहास। (तिथि अनुकम)
ई.पू.
6000― संभवतः असूरों का झारखण्ड 4000 में प्रवेश।
4000― ताम्बे का आविष्कार झारखण्ड में
3000 यह 4000 ई. पू. से 3000 ई. पू. के बीच संभवतः सिंहभूम क्षेत्र में हुआ।
3000― झारखण्ड में कांस्य-युग।
2000 असुर, बिरहोर एवं बिरजिया ताम्बा युग से होते कांस्य-युग और लौह-युग तक आये।
2000― झारखण्ड का लौह-युग
1000
1500― नवपाषाणकालीन संस्कृति झारखण्ड में आयी।
717― जैन धर्म के 23वें तीर्थकर पार्श्वनाथ का गिरिडीह जिले में निर्वाण।
600― एस.सी. राय के अनुसार झारखण्ड में मुंडाओं का प्रवेश/बौद्ध एवं जैन धर्म का
झारखण्ड में प्रसार / असुरों से मुंडाओं का संघर्ष।
250― मौर्य सम्राट अशोक द्वारा अपने सीमावर्ती राज्य आटविक (जिसमें झारखण्ड भी शामिल था) के लिए
रक्षित के नेतृत्व में धर्म प्रचारक दल भेजा गया।
ई. सन्
335-540― समुद्रगुप्त के आटविक विजय के फलस्वरूप झारखण्ड क्षेत्र उसके नियंत्रणाधीन।
602-25― झारखण्ड गौड़ शासक शशांक के नियंत्रणाधीन।
606-47― हर्षवर्द्धन के विस्तृत राज्य में काजांगल (राजमहल) का छोटा राज्य भी शामिल था।
हर्षवर्द्धन का चीनी यात्री हवेगसांग से प्रथम भेंट कांजांगल में।
8वीं सदी―सिंह वंश की पहली शाखा की स्थापना काशीनाथ सिंह के नेतृत्व में।
1122―छोटानागपुर खास के नागवंशी शासक भीमकर्ण द्वारा चुटिया के स्थान पर
खुखरा को राजधानी बनाया गया।
1204-05― कुतबुद्दीन ऐबक के सेनापति बख्तियार खलजी का बिहार अभियान के बाद
झारखण्ड के रास्ते बंगाल का अभियान।
1205― सिंहभूम के सिंह वंश की दूसरी शाखा की स्थापना दर्पनारायण सिंह के नेतृत्व में।
1262-71― दर्पनारायण सिंह के उत्तराधिकारी युधिष्ठिर का शासन काल।
1310―दिल्ली के खलजी वंशी सुल्तान अलाउद्दीन खलजी के सेनापति छज्जू मलिक द्वारा छोटानागपुर
खास के नागवंशी शासक से कर वसूलना।
1340― दिल्ली के तुगलक वंशी सुल्तान मुहम्मद-बिन-तुगलक के सेनापति
मलिक बया (संथाली स्रोत के अनुसार-इग्राहिम अली) का हजारीबाग के चाई-चप्पा क्षेत्र पर
आक्रमण।
1360― झारखण्ड क्षेत्र तुर्को द्वारा पदाक्रांत, फिरोज का बिहार अभियान।
1575― झारखण्ड क्षेत्र मुगलों द्वारा पदाक्रांत।
1765― संथाल परगना को ब्रिटिश शासन के अंतर्गत लाने हेतु सफल सैन्य अभियान।
1771― झारखण्ड क्षेत्र ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन आया।
1772-82― पहाड़िया विद्रोह।
1781― सर्वेश्वरी देवी का विद्रोह।
1784― बाबा तिलका मांझी का विद्रोह।
1785―भागलपुर में तिलका मांझी को फांसी दी गयी।
1795― तमाड़ विद्रोह।
1810
1797― बूंदी में मुण्डा विद्रोह, नेता- विष्णु मानकी।
1798― बीरभूम-बांकुड़ा में चुआड़ विद्रोह।
1798-99― मानभूम का भूमिज विद्रोह।
1800― पलामू में चेरो का विद्रोह नेता-भूखन सिंह।
1800-02― तमाड़ में दुखन मानकी के नेतृत्व में मुण्डा विद्रोह।
1809― जमींदारी पुलिस बल का गठन।
1820― तमाड़ में मुण्डा (कोल) विद्रोह, नेता-रूगु देव एवं कोनता मुंडा।
1820-21― हो विद्रोह।
1824― दामिन-ए-कोह का गठन।
1831-32― कोल विद्रोह, नेता-सिंदराय मानकी एवं बिंदराय मानकी।
1832-33― भूमिज विद्रोह, नेता- गंगा नारायण सिंह।
1832-33― भागीरथ, दुबइ गोसाई और पटेल सिंह के नेतृत्व में खरवार विद्रोह।
1833― साउथ-वेस्ट फ्रंटियर एजेंसी की स्थापना।
1845― झारखण्ड क्षेत्र में क्रिश्चियन सम्प्रदाय का प्रवेश।
1855-56― संथाल विद्रोह, नेता- सिदो-कान्हू मुर्मू।
1856― पुलिस बल की स्थापना।
1857― झारखण्ड क्षेत्र में सिपाही विद्रोह-नेता विश्वनाथ शाही, गणपत राय,
शेख भिखारी टिकैत उमरांव सिंह, नीलाम्बर-पीताम्बर, जयमंगल पाण्डेय,
नादिर अली आदि।
1859― छोटानागपुर प्रमंडल में खरीद-बिक्री कानून और छोटानागपुर काश्तकारी
अधिनियम लागू।
1872― संथाल परगना बंदोबस्ती नियम लागू।
1874― भागीरथी मांझी के नेतृत्व में खरवार आंदोलन।
1878― छोटानागपुर में सरदारी आंदोलन एवं भारतीय वन कानून।
1895― मुंडा आंदोलन, नेता-बिरसा मुंडा।
1900
1903― जयपाल सिंह का जन्म।
1907― जमशेदजी टाटा द्वारा जमशेदपुर में इस्पात कारखाने की स्थापना।
1908― छोटानागपुर काश्तकारी संशोधन कानून लागू, जमीन के हस्तांतरण
पर रोक।
1911― टिस्को में उत्पादन प्रारंभ।
1912― बंगाल से बिहार और उड़ीसा अलग।
― जे. बार्थोलमन द्वारा स्टुडेंट्स । ऑर्गेनाइजेशन की स्थापना।
1914― ताना भगत आंदोलन नेता- जतरा भगत।
1915― छोटानागपुर उन्नति समाज का गठन।
― आदिवासी शीर्षक पत्रिक का प्रकाशन प्रारंभ।
1916― मौलाना अबुल कलाम आजाद रांची में नजरबंद।
(31 मार्च, 1916 से 31 दिसम्बर, 1919)
1917― गांधीजी का रांची आगमन।
1925― महात्मा गांधी द्वारा झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा।
― गांधीजी का हजारीबाग में पहली बार आगमन।
― गांधीजी का देवघर में पहली बार आगमन। इस दौरान उन्होंने
मधुपुर में एक नगर भवन का उद्घाटन किया।
1928― साइमन कमीशन का रांची आगमन। जुएल लकड़ा के नेतृत्व में छोटानागपुर
उन्नति समाज द्वारा ज्ञापन।
― सुभाष चन्द्र बोस ने जमशेदपुर
मजदूर हड़ताल को समाप्त कराने
में और मजदूरों एवं प्रबंधन के बीच
समझौता कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
1929― झरिया में AITUC का अधिवेशन, जिसमें जवाहर लाल नेहरू को
अध्यक्ष चुना गया।
1930― नमक सत्याग्रह आंदोलन; नेता-सहदेव महतो, मोहन महतो, गोकुल
महतो, गणेश महतो आदि।
― किसान सभा की स्थापना। अध्यक्ष-ठेबेल उरांव, और सचिव-पाल दयाल।
1931― रांची में राजभवन का निर्माण।
1933― इग्नेस बेक के नेतृत्व में छोटानागपुर कैथोलिक सभा का गठन।
1936― बिहार से उड़ीसा अलग।
1937― कामख्या नारायण सिंह रामगढ़ रियासत पर सतारूढ़ हुए।
1938― आदिवासी महासभा का गठन।
― स्वामी सहजानंद सरस्वती की संथाल परगना की यात्रा।
1940― कांग्रेस का 53वां अधिवेशन रामगढ़ में सम्पन्न।
1941― पंडित रघुनाथ मूर्मू द्वारा संथाल लिपि ओलचिकी का सृजन।
1942― भारत छोड़ो आंदोलन; नेता- चूनाराम महतो, गोविन्द महतो आदि।
― रामगढ़ छावनी की स्थापना।
― जयप्रकाश नारायण अपने पांच साथियों के साथ हजारीबाग केन्द्रीय कारा से फरार।
1948― दामोदर घाटी निगम की स्थापना।
― खरसवा आंदोलन, (झारखण्ड आंदोलन)।
1950― जयपाल सिंह के नेतृत्व में झारखण्ड पार्टी का गठन।
― रामगढ़ के राजा कामख्या नारायण सिंह द्वारा छोटानागपुर संथाल
परगना जनता पार्टी की स्थापना।
1952― बिहार विधानसभा में झारखण्ड पार्टी को 33 सीटें मिली और मुख्य विपक्षी
दल बना।
― आचार्य विनोबा भावे की झारखण्ड यात्रा भू-दान आन्दोलन के संबंध में।
1955― अलग झारखण्ड राज्य के गठन के लिए राज्य पुनर्गठन आयोग के समक्ष
प्रदर्शन, नेता- जयपाल सिंह।
1956― मानभूम जिला को छोटानागपुर से अलग कर पश्चिम बंगाल में मिलाया गया।
1957― रांची आकाशवाणी केन्द्र की स्थापना।
1958― प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू का टिस्को की स्वर्ण जयंती के अवसर
पर जमशेदपुर आगमन।
1959― छोटानागपुर संथाल परगना जनता पार्टी का स्वतंत्र पार्टी में विलय।
1960― रांची विश्वविद्यालय की स्थापना।
1961― सीताराम जगतराम ने पहली बार बिहार विधान परिषद में पृथक
झारखण्ड राज्य के गठन के लिए
भारत सरकार से आग्रह करने हेतु सदन में प्रस्ताव रखा।