Jharkhand Board Class 9TH Science Notes | खाद्य संसाधनों में सुधार
JAC Board Solution For Class 9TH Science Chapter 15
1. अनाज, दाल, फल तथा सब्जियों से हमें क्या प्राप्त है?
उत्तर: अनाज―कार्बोहाइड्रेट प्रदान करते हैं। यह ऊर्जा प्रदान करते है।
दालें―प्रोटीन प्रदान करते हैं।
फल व सब्जियों ―विटामिन तथा खनिज प्रदान करते हैं।
2. जैविक व अजैविक कारक किस प्रकार फसल उत्पादन को प्रभावित करते
हैं?
उत्तर : जैविक कारक जैसे रोग, कीट तथा निमेटोड तथा अजैविक कारक
जैसे सूखा, क्षारता, जलाक्रांति, गर्मी, ठंड या पाला के कारण फसल उत्पादन का
हो सकता है। कभी पूरी की पूरी फसल ही नष्ट हो जाती है।
3. वृहत् पोषक क्या हैं और इन्हें वृहत् पोषक क्यों कहते हैं?
उत्तर : वे तत्व जो पौधों की वृद्धि के लिए अत्यन्त आवश्यक होते हैं उन्हें
वृहत् तत्व कहते हैं। ये पोषक तत्व बहुत अधिक मात्रा में आवश्यक होते है अत:
इन्हें वृहत् पोषक तत्व कहते है।
4. पौधे अपना पोषक कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर : पौधे पोषक तत्वों को खाद तथा उर्वरकों से प्राप्त करते हैं।
5. भंडारण की प्रक्रिया में कौन-से कारक अनाज की हानि के लिए उत्तरदायी
हैं?
उत्तर : हानि पहुँचाने वाले कारक―
(i) जैविक कारक ― कीट,कृन्तक, फफूंदी तथा जीवाणु आदि।
(ii) अजैविक कारक― नमी तथा तापक्रम आदि।
6. मछलियाँ कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर : मछलियों पानी से प्राप्त की जाती हैं। ये दोनों प्रकार के पानी अर्थात्
समुद्र तथा अलवण जल दोनों में पायी जाती हैं।
7. मिश्रित मछली संवर्धन से क्या लाभ हैं?
उत्तर : (i) इन मछलियां
8. खेतों में खाद तथा उर्वरक का उपयोग क्यों करते हैं?
उत्तर : खाद तथा उर्वरकों का उपयोग मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के
लिए किया जाता है जिससे अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके।
9. पशु पालन के क्या लाभ हैं?
उत्तर : गाय व भैंस दोनों डेयरी पशु हैं। इनके नर बोझा ढोने तथा कृषि में
काम आते हैं। कृषक पशुपालन, दूध, खेती के काम तथा दूसरी लाभदायक वस्तुएँ
प्राप्त करने के लिए करते हैं।
10. उत्पादन बढ़ाने के लिए कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन तथा मधुमक्खी पालन
में क्या समानताएँ हैं?
उत्तर : विकसित नस्ल का चुनाव तीनों में एक समान है।
11. हमारे भोजन के विभिन्न स्रोतों के नाम बताएँ।
उत्तर―पौधे और पशु।
12. पौधों के पोषक तत्त्वों के विभिन्न स्रोतों की व्याख्या करें।
उत्तर―पादप-पोषक तत्त्व के तीन विभिन्न स्रोत है-वायु, जल और मिट्टी।
13. पौधों के लिए पोषक तत्त्वों के विभिन्न स्रोतों के नाम बताइए।
उत्तर―पादप-पोषक तत्त्व के विभिन्न स्रोत है–वायु, जल एवं मिट्टी।
14. फसलों पर रोग किस प्रकार फैलते हैं?
उत्तर―फसलों पर रोग संक्रमण निम्न माध्यम से होता है―(i) बीज एवं
विट्ठी, (ii) जल, (iii) वायु।
15. दलहन फसलों के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर―चना, सोयाबीन, बरसीम, अरहर आदि।
16. मृदा का क्षारपन बढ़ने के लिए कौन-सा उर्वरक प्रयोग में लाते हैं ?
उत्तर―सोडियम नाइट्रेट।
17. कुछ दानेदार उर्वरकों के नाम बताइए।
उत्तर―पोटाश एवं फॉस्फेटयुक्त उर्वरक।
18. मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने का प्राकृतिक उपाय क्या है?
उत्तर― फसल-चक्र।
19. पानी के ठहराव को सहन करने वाली एक फसल का नाम लिखिए।
उत्तर―धान (चावल)।
20. धान व गेहूँ की फसल में दो खरतपवारों का नाम लिखें।
उत्तर―(i) चौलाई, (ii) जावी, (iii) बथुआ।
21. दो पीड़कनाशियों के नाम लिखें।
उत्तर―(1) D.D.T.,(2) B.H.C.(3) मैलाथिआन।
22. कुछ पीड़कों के नाम दें।
उत्तर―(1) कीट, (2) चूहा, (3) जीवाणु, (4) दीमक।
23. कीटों को समाप्त करने वाले पदार्थ का नाम लिखें।
उत्तर ― कीटनाशी।
24. NPK का पूरा नाम बताइए।
उत्तर― नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम। यह एक उर्वरक है।
25. गेहूँ के दो कवक रोगों के नाम बताइए।
उत्तर―(1) रस्ट, (2) स्मट।
26. धान की एक सामान्य बीमारी का नाम बताइए।
उत्तर― ब्लास्ट।
27. धान के पीड़क का नाम बताएँ।
उत्तर―गन्धी बग।
28. पीड़कनाशी क्या है?
उत्तर―पीड़कों की संख्या को नियंत्रित करने वाली रासायनिक विषैले पदार्थों
के पीड़कनाशी कहते हैं।
29. एक नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु का नाम लिखें।
उत्तर―राइजोबिया।
30. निम में से कौन-सी फसल मिट्टी को नाइट्रोजनयुक्त बताती है-
गेहूँ, चना, मक्का, आलू?
उत्तर―चना।
31. निम में से कौन-सी फसल मिट्टी को नाइट्रोजनयुक्त बनाती है-
(a) सेब, (b) मटर, (c) धान, (d) आलू?
उत्तर―मटर।
32. गेहूँ की दो उच्च उपजी किस्मों के नाम दें।
उत्तर―(1) सोनालिका, (2) कल्याण सोना, (3) हीरामोती।
33. फसलों की कुछ उच्च उपजी किस्में हैं―
गंगा-101, सोनारा-64, पूसा-205, जया, अर्जुन।
(a) इनमें से कौन-सी गेहूँ की फसल है?
(b) इनमें से कौन-सी चावल (धान) की फसल है।
(c) इनमें से कौन-सी मक्का की फसल है?
उत्तर―(a) गेहूँ―सोनारा-64, अर्जुन।
(b) चावल (धान)―पूसा-205, जया
(c) मक्का―गंगा-101
34. दो विदेशज कुक्कुट नस्लों के नाम लिखिए।
उत्तर―(i) हाइट लेगहान, (ii) रोडे आइलैंड रेड।
35. लेइंग पीरियड क्या होता है?
उत्तर―लेगिक परिपक्वता से लेकर अण्डे देते रहने तक की अवधि को लेइंग
पीरियड कहते हैं।
36. VHS का विस्तृत नाम लिखिए।
उत्तर― Viral Haemorrhagic Speticemia (वायलर हीमोररोजिक
सेप्टीसेमिया)।
37. किन्हीं तीन देशज नस्ल की बकरियों के नाम लिखिए।
उत्तर―बकरी की तीन स्वदेशी नस्ल-(i) जमुना परी नस्ल, (ii) हिमालयन
नस्ल, (iii) काठियावाड़ी नस्ल।
38. चार ऐसे जंतुओं के नाम लिखिए जिनसे हमें खाद्य पदार्थ प्राप्त होते हैं।
उत्तर―(i) गाय, (ii) बकरी, (iii) भैस, (iv) भेड़।
39. जांतव स्रोत से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थों के नाम लिखिए।
उत्तर―(i) दूध, (ii) अण्डे, (ii) माँस।
40. किन्हीं दो भारतीय नस्लों के नाम लिखिए-(i) गाय तथा (ii) भैंस।
उत्तर―गाय की नस्ल―(i) लाल सिन्धी (ii) साहीवाल
भैंस की नस्ल―(i) मुर्रा, (ii) मेहसाना।
41. विदेशज नस्ल की दो गायों के नाम लिखिए।
उत्तर―(i) जरसी तथा (ii) बाउन स्वीस।
42. गाय की उन्नत संकर नस्लों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर―(i) करन स्वीस, (ii) करन फ्राइस (iii) फ्राइसवाल।
43. पशुपालन की परिभाषा लिखिए।
उत्तर―कृषि की वह शाखा, जिसमें पशुओं का भोजन, पालन तथा निषेचन
सम्मिलित है, पशुपालन कहलाती है।
44. NDRI का विस्तृत नाम लिखिए।
उत्तर―National Diary Research Institute (राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान
संस्थान)
45. गाय, मुर्गी तथा मछलियों के दो-दो संक्रामक रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर―(i) गाय–काउ पॉक्स, एन्थ्रेक्स। (i) मुर्गी–फाउल पोक्स, चूजों
का अतिसार (iii) मछली–IPN,VHS
46. पशुओं में संकरण किस प्रकार उपयोगी है?
उत्तर―पशुओं में संकरण वांछित गुण रखनेवाले दो विभिन्न नस्ल वाले नर
एवं मादा पशुओं के परस्पर निषेचन से किया जा सकता है।
47. कृत्रिम वीर्यसेचन की परिभाषा लिखिए।
उत्तर―किसी वांछनीय गुणवाले नर पशु का वीर्य एक सीरिज में भरकर अन्य
वांछनीय गुणों वाली मादा पशुओं के गर्भाशय में डाल देने के प्रक्रम को कृत्रिम वीर्य
सेवन कहते हैं।
48. दो प्रकार की भारतीय मछलियों के नाम लिखिए।
उत्तर―(i) कतला, (ii) मृगल।
49. मछलियों के अतिरिक्त अन्य समुद्री खाद्य के नाम लिखिए।
उत्तर―(i) ओइस्टर, (ii) मजेल, (iii) स्त्रीम्पस, (iv) लोबस्टर।
50. भेड़ तथा बकरियाँ हमारे लिए कैसे उपयोगी हैं?
उत्तर―बकरी तथा भेंड हमारे लिए लाभदायक हैं क्योंकि ये हमें―(i) दूध,
(ii) ऊन तथा (iii) माँस देती हैं।
51. दूध, अंडे तथा मछलियों में पाई जाने वाली प्रतिशत बताइए।
उत्तर―अंडा 13%, दूध 4%, मछली 18%
52. जानवरों में होने वाले रोगों की रोकथाम हेतु कुछ उपाय बताइए।
उत्तर―जानवरों में होनेवाले रोगों की रोकथाम हेतु (i) पोषक आहार, (ii)
स्वच्छ आवास, (iii) उचित देखरेख तथा (iv) टीकाकरण के महत्व को समझना
चाहिए।
53. गाय का औसत आहार क्या है?
उत्तर―गाय को प्रत्येक दिन 15-20 किग्रा हरा चारा तथा सूखी घास, चारा
मिश्रण तथा 30-35 लिटर पानी की जरूरत पड़ती है।
लघु उतरीय प्रश्न
1. जैविक व अजैविक कारक किस प्रकार फसल उत्पादन को प्रभावित करते
हैं?
उत्तर : जैविक कारक जैसे रोग, कीट तथा निमेटोड तथा अजैविक कारक
जैसे सूखा, क्षारता, जलाक्रांति, गरमी, ठंड या पाला के कारण फसल उत्पादन कम
हो सकता है। कभी पूरी की पूरी फसल ही नष्ट हो जाती है।
2 फसल सुधार के लिए ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण क्या हैं?
उत्तर : ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण वाली किस्में अधिक उत्पादन प्राप्त करने
में सहायक होती है। उदाहरण के लिए चारे वाली फसलों के लिए सघन शाखाएँ
ऐच्छिक गुण। अनाज के लिए बोने पौधे उपयुक्त है जिससे फसलों के लिए कम
पोषकों की आवश्यकता हो।
3. वहत् पोषक क्या हैं और इन्हें वृहत् पोषक क्यों कहते हैं?
उत्तर : वे तत्व जो पौधों की वृद्धि के लिए अत्यन्त आवश्यक होते हैं उन्हें
वृहत् पोषक तत्व कहते हैं। ये पोषक तत्व बहुत अधिक मात्रा में आवश्यक होते
हैं अत: इन्हें वृहत् पोषक तत्व कहते हैं।
4. मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए खाद तथा उर्वरक के उपयोग
की तुलना कीजिए।
उत्तर : यदि हम खेत में केवल खाद डालते हैं तो खेत को उर्वरा शक्ति
धीरे-धीरे बढ़ती है लेकिन तुरन्त असर नहीं होता। लेकिन उर्वरा शक्ति लम्बे समय
तक बनी रहती है।
यदि केवल उर्वरकों का ही प्रयोग किया जाता है तो फसल का उत्पादन अधिक
होगा क्योंकि उर्वरक तुरन्त ही पोषक तत्व प्रदान कर देते हैं। लेकिन उर्वरा शक्ति
लम्बे समय तक नहीं बनी रहती है।
5. निम्नलिखित में से कौन-सी परिस्थिति में सबसे अधिक लाभ होगा? क्यों?
(a) किसान उच्च कोटी के बीज का उपयोग करें, सिंचाई ना करें अथवा
उर्वरक का उपयोग ना करें।
(b) किसान सामान्य बीजों का उपयोग करें, सिंचाई करें तथा उर्वरक का
उपयोग करें।
(c) किसान अच्छी किस्म के बीज का प्रयोग करें, सिंचाई करें, उर्वरक का
उपयोग करें तथा फसल सुरक्षा की विधियाँ अपनाएँ।
उत्तर : उपरोक्त शर्तों में से कृषक सर्वाधिक लाभ की स्थिति में रहेगा जब
वह शर्त (c) अर्थात अच्छे बीजों का, सिंचाई का, उर्वरकों का तथा सुरक्षा मानकों
का उपयोग करता है क्योकि अच्छे बीज अच्छी पैदावार वाले होते हैं। सिंचाई व
उर्वरक भी उत्पादन को बढ़ाते हैं तथा पीड़कों से सुरक्षा करने पर अच्छा उत्पादन
प्राप्त होता है।
6. फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियों तथा जैव नियंत्रण क्यों अच्छा
समझा जाता है?
उत्तर : फसलों की सुरक्षा के लिए बचाव की विधियों तथा जैविक विधियों का
प्रयोग किया जाता है क्योकि ये न तो फसलों को न ही वातावरण को हानि पहुँचाती
हैं। पीडकनाशी व अन्य रसायनिक पदार्थ फसलों को हानि पहुँचाने हैं तथा वातावरण
को प्रदूषित करते है।
7. भंडारण की प्रक्रिया में कौन-से कारक अनाज की हानि के लिए उत्तरदायी
उत्तर : हानि पहुँचाने वाले कारक―(i) जैविक कारक― कीट, कृन्तक,
फफूंदी तथा जीवाणु आदि, (ii) अजैविक कारक―नमी तथा तापक्रम आदि।
8. पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्रायः कौन-सी विधि का उपयोग किया
जाता है और क्यों?
उत्तर : पशुओं की नस्ल सुधारने के लिए कृत्रिम वीर्यसेचन अच्छी विधि मानी
जाती है। क्योंकि यह उत्तम है, सस्ती है, तथा एक बार के वीर्य से 3000 मादाओं
को निषेचित कर सकते हैं। यह विधि अधिक विश्वसनीय है।
9. निमलिखित कथन की विवेचना कीजिए―
"यह रुचिकर है कि भारत में कुक्कुट, अल्प रेशे के खाद्य पदार्थों को उच्च
पोषकता वाले पशु प्रोटीन आहार में परिवर्तन करने के लिए सबसे अधिक
सक्षम है। अल्प रेशे के खाद्य पदार्थ मनुष्यों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।"
उत्तर : इस स्टेटमेंट का अर्थ है कि भारत में पाये जाने वाले भोजन को जो
अच्छे किस्म का नहीं है तथा जिसे मनुष्य नहीं खा सकता लेकिन वह मुर्गियों के
लिए अच्छा भोजन है, उसे मुर्गियाँ खाती है तथा अंडों का निर्माण करती है जो
अधिक पोषक तत्वों व प्रोटीन वाले होते है। अतः कम पोषक तत्व वाले भोजन
की मुर्गियों द्वारा अधिक पोषक तत्व वाले भोजन में बदला जाता है।
10. पशुपालन तथा कुक्कुट पालन के प्रबंधन प्रणाली में क्यों समानता है?
उत्तर : दोनों के पालन के लिए निम्न बाते आवश्यक है―(i) उचित आवास
व्यवस्था (ii) उचित प्रकाश की व्यवस्था (iii) उचित पोषण व्यवस्था (iv) समय
पर टीकाकरण (v) विकसित नस्लों का उपयोग (vi) सफाई तथा स्वच्छता का प्रबन्ध।
11. बौलर तथा अंडे देने वाली लेबर में क्या अंतर है। इनके प्रबंधन के अंतर
को भी स्पष्ट करें।
उत्तर : लेयर को अधिक स्थान की जरूरत है जबकि ब्रोइलर को कम स्थान
चाहिए।
लेयर का भोजन विटामिन तथा खनिजों से भरपूर होना चाहिए जबकि ब्रोइलर
का भोजन प्रोटीन तथा वसा से भरपूर होना चाहिए।
12. मिश्रित मछली संवर्धन से क्या लाभ हैं?
उत्तर : (i) इन मछलियों की खाद्य आदत अलग-अलग होती है। (ii) ये
मछलियाँ एक-दूसरे से किसी भी रूप में स्पर्धा नहीं करती। (iii) स्रोत के समस्त
भागों का भोजन मछलियों द्वारा उपयोग में आ जाता है। (iv) विभिन्न प्रकार की
मछलियाँ एक ही स्रोत में पाली जा सकती है।
13. मधु उत्पादन के लिए प्रयुक्त मधुमक्खी में कौन-से ऐच्छिक गुण होने
चाहिए?
उत्तर : (i) शहद एकत्र करने की अच्छी क्षमता, (ii) शत्रुओं से बचाव की
क्षमता, (iii) रानी की अच्छी अंडे उत्पादन की क्षमता, (iv) प्रकृति में सज्जनता।
14. चरागाह क्या है और ये मधु उत्पादन से कैसे संबंधित है?
उत्तर : पाश्चुरेज या फ्लोरा उस फसल या पौधे को कहते है जिसके मधु व
पराग से मधु मक्खी शहद इकट्ठा करती है।
यह शहद के गुण तथा मात्रा को प्रभावित करता है क्योंकि अलग-अलग
फ्लोरा अलग-अलग प्रकार का शहद उत्पन्न करते हैं। जैसे कश्मीर के बादाम का
शहद स्वादिष्ट होता है।
15. फसल उत्पदान की एक विधि का वर्णन करो जिससे अधिक पैदावार प्राप्त
हो सके।
उत्तर : पैदावार लेने के लिए फसल उगाना फसल उत्पादन कहलाता है।
संकरण का अर्थ है दो आनुवांशिक दृष्टि से भिन्न पौधों में क्रासिंग अर्थात परागण
कराना जिससे उच्च उपजी किस्म प्राप्त हो सके।
16. अंतराफसलीकरण तथा फसल चक्र के क्या लाभ हैं?
उत्तर : अंतराफसलीकरण के लाभ― जब दो या उससे अधिक फिसले एक
ही खेत में निश्चित पक्तियों में उगाई जाती है तो एक तो फसल नष्ट होने का
खतरा कम होता है तथा ये फसलें अलग-अलग तत्व उपयोग में लाते हैं जिससे
उत्पादन बढ़ता है।
फसलचक्र से लाभ― (i) मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है। (ii) उर्वरको
की कम आवश्यकता पड़ती है। (iii) उत्पादन बढ़ता है। (iv) फसल में पीड़क व
खरपतवार नियन्त्रण में सहायता मिलती है।
17. आनुवंशिक फेरबदल क्या है? कृषि प्रणालियों में ये कैसे उपयोगी है?
उत्तर : आनुवंशिक परिवर्तन का अर्थ है वांछित गुणों की संकरण, DNA
पुनः मिलन तथा पौलीप्लोइडी द्वारा वृद्धि।
इसके द्वारा कृषि में वांछित गुणों वाली किस्में उत्पन्न करना, उगाना तथा
उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।
18. भंडार गृहों (गोदामों) में अनाज की हानि कैसे होती है?
उत्तर : भंडारित अनाज को जैविक तथा अजैविक कारक जैसे तापक्रम व नमी
निम्न प्रकार से खराब करते हैं―(i) गुणों को कम करना, (ii) वजन में कमी, (iii)
अंकुरण क्षमता कम होना, (iv) बाजार में कम माँग आदि।
19. किसानों के लिए पशु पालन प्रणालियाँ कैसे लाभदायक है?
उत्तर : अच्छी पशुपालन निम्न प्रकार लाभदायक है―(i) खर्चा कम करता
है। (ii) उत्पादन क्षमता बढ़ाता है। (iii) अच्छी प्रजनन क्षमता का विकास होता है।
20. पशुपालन के क्या लाभ है?
उत्तर : गाय व भैस दोनो डेयरी पशु हैं। इनके नर बोझा दोने तथा कृषि में
काम आते है। कृषक पशुपालन, दूध, खेती के काम तथा दूसरी लाभदायक वस्तुएँ
प्राप्त करने के लिए करते हैं।
21. प्रग्रहण मत्स्यन, मेरीकल्चर तथा जल संवर्धन में क्या अंतर है?
उत्तर:
प्रग्रहण मत्स्यन मेरीकल्चर जल संवर्धन
प्राकृतिक स्रोतों से समुद्री जीवों जैसे पंखयुक्त मछली तथा जलीय
मछलियों के पकड़ने को मछलियाँ (जैसे मुलेट), भोजन का उत्पादन किसी
कैप्चर फिशरी कहते हैं। प्रॉन, मस्सल, ओएस्टर और स्रोत जैसे लैगून में
जैसे―नदी या समुद्र समुद्री खर-पतवार का समुद्री करना एक्वाकल्चर
से। जल में संवर्धन को मेरीकल्चर कहलाता है।
कहते हैं।
22. खाद एवं उर्वरक में अन्तर बताएँ।
उत्तर―खाद एवं उर्वरक में अन्तर―
उर्वरक खाद
(i) अकार्बनिक पदार्थ है। (i) कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थों
का मिश्रण है।
(ii) रासायनिक पदार्थों से निर्मित। (ii) सब्जियों तथा जन्तुओं के अवशेषों
के अपरदन से निर्मित।
(iii) ज्यादा मात्रा में पोषक तत्त्व होते (iii) कम मात्रा में पोषण तत्त्व होते है।
है।
(iv) उर्वरक पोषक विशेष होते हैं। (iv) इनमें कोई विशिष्ट पोषक तत्त्व
नहीं होता।
(v) इनकी भंडारण तथा स्थानान्तरण (v) भंडारण तथा स्थानान्तरण
विधि सरल है। असुविधाजनक है।
23. भंडारण में अनाज की क्षति किन कारणों से होती है?
उत्तर―भंडारण के दौरान अनाज को क्षति हेतु जवाबदेह कारक निम्नलिखित
है―(i) कीट एवं हानिकारक जन्तुओं द्वारा क्षतिग्रस्त होना। (ii) गुणवत्ता में कमी
आना। (iii) खाद्य-पदार्थों के भार में कमी आना। (iv) इनकी अंकुरण या जनन-क्षमता
में कमी आना। (v) भोज्य पदार्थों के रंग में परिवर्तन आना। (vi) इनके बाजार
विपणन में कमी आना।
24. हरी खाद क्या होती है? हरी खाद के लिए उपयुक्त फसलों के नाम बताइए।
उत्तर― हरित खाद-मिट्टी की उर्वरा शक्ति और भौतिक संरचना सुधारने के
लिए खेत में पलटना या जुताई करना 'हरी खाद' कहलाता है। उपयुक्त फैसलों के
नाम―सनहेम्प (क्रोटोलेरिया जूंसिया) अर्थात् सनई ढ़ैचा (सिसबेनिया एक्यूलिएट)
एवं ग्वार (स्यामोपिसस ट्रेटागोनोलोबा) से प्राप्त कार्बनिक पदार्थों के पूर्ण अपघटन
से प्राप्त खाद हरित खाद कहलाती है।
25. उर्वरक क्या होते हैं? उर्वरकों को उपयुक्त उदाहरण देकर वर्गीकृत करिए।
उत्तर―उर्वरक वह पोषक तत्व है जो मिट्टी को आवश्यक पोषक तत्त्व उपलब्ध
कराता है।
वर्गीकरण ―(i) नाइट्रोजन उर्वरक―यूरिया
(ii) फॉस्फेट उर्वरक―ट्रिपल सुपर फॉस्फेट
(ii) पोटाश उर्वरक―पोटाश म्यूरियट
(iv) जटिल उर्वरक―NPK (अमोनियम फॉस्फेट)
26. गेहैं, धान और गन्ने में प्रत्येक के एक रोग का नाम और उनकी रोकथाम
के उपाय बताइए।
उत्तर―
फसल रोग का नाम नियंत्रण के उपाय
सरसों हाइट रस्ट डाइथेन 2.78 या डाइथेन MAS 2 ग्राम/
लीटर का छिड़काव
चावल ब्लास्ट थीरम 25 ग्राम/किलो बीज का प्रयोग
बेविस्टीन प्राम/लीटर पानी का 10 दिन के
अंतराल पर छिड़काव
गन्ने रेड रॉट बोने से पहले 5 मिनट के लिए उसे 0.25%
गालॉल घोल में डुबाए रखें।
27. अनाज भंडारण के उन्नत भंडारों के नाम बताइए। इनमें अनाज कैसे सुरक्षित
रहता है।
उत्तर―भंडारण हेतु कुछ विकसित उपकरण एवं संरचना इस प्रकार हैं―(i)
पूसा घानी, (ii) पूसा कोठार, (iii) पंत कुठला।
इसमें हमलोग खूरपे एवं स्वच्छ अनाजों के बोरे या किसी अन्य उपयुक्त थैलों
आदि में रखते है। अनाज से भरे बोरों को एक पंक्ति में दीवार से हटाकर तथा
जमीन से लगभग 6 इंच ऊपर लकड़ी के तख्ते पर रखना चाहिए। बोरों के बीच
पर्याप्त जगह का होना जरूरी है ताकि समय-समय पर कीटनाशक दवाओं का
छिड़काव एवं धूमन कार्य को आसानी से पूरा किया जा सकेगा।
23. परपोषी क्या है?
उत्तर―जो जीव मूल पोषक तत्वों (जैसे―CO₂, H₂O तथा सूर्य की
रोशनी) से अपना भोजन नहीं बना सकता, उपभोक्ता कहलाता है। सभी जन्तु तथा
मानव उपभोक्ता है। उपभोक्ता अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर आश्रित रहते
है। इन्हें परपोषी कहते हैं।
29. पशुपालन किसे कहते हैं?
उत्तर―पशुओं के भरण, पालन-पोषण उनके आश्रय स्थलों की देखभाल,
रोगों की रोकथाम एवं प्रजनन का प्रबन्ध और उनकी देखभाल पशुपालन कहलाता है।
30. कार्योपयोगी पशु किसे कहते हैं? किन्हीं दो के नाम बताइए।
उत्तर―कुछ जानवरों का उपयोग संवहन तथा परिश्रम के कार्यों में किया जाता
है। ऐसे जन्तु को कार्योपयोगी पशु कहते हैं।
उदाहरण―बैल-बैलगाड़ी तथा हल (to plough) चलाने में तथा घोड़ा
सवारी के रूप में।
31. धूमन तथा छिड़काव में क्या अन्तर है?
उत्तर―घूमन तथा छिड़काव में परस्पर अन्तर―
घूमन छिड़काव
(i) सभी धूमन वाष्पशील होते है। (i) छिड़काव किए जाने वाले
पीड़कनाशक वाष्पशील नहीं होते।
(ii) धूमन विधि में अनाज प्रभावित (ii) छिड़काव किए हुए अनाज को
नहीं होता। धोकर ही प्रयोग में लाना पड़ता है।
(iii) घूमन की विधि बहुत सरल है। इस (iii) छिड़काव विधि कठिन होती है।
विधि में धूमन को गोदाम में रखकर इस विधि में पीड़कनाशक का घोल
इसे बन्द कर देते है। बनाकर छिड़काव किया जाता है।
(iv) इस विधि का मानक जीवन पर (iv) इस विधि का मनुष्य के शरीर एवं
कोई प्रभाव नहीं पड़ता। श्वसन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
32. खरपतवार फसलों को कैसे क्षति पहुँचाते हैं?
उत्तर―खरपतवार निम्न प्रकार से फसल को नुकसान पहुंचाते है―
(i) खरपतवार भूमि में उपलब्ध उर्वरक तथा अन्य आवश्यक तत्त्वों को बाँट लेते
है। (ii) ये समस्त खेत में फैल जाते हैं तथा फसल के लिए रुकावट बनते है।
(iii) ये पीड़क तथा रोगों को फैलाने का कारण होते है।
33. खरपतवार नियंत्रण के विभिन्न उपायों की सूची बनाएँ?
उत्तर―खरपतवार को निम्नलिखित विधियों से नियंत्रित किया जाता
है―यांत्रिक विधि―इसमें खरपतवार को खूपी से, हाथ से, जोत से जलाकर
तथा बाढ़ से निकाला जाता है। कर्षण विधि―बीज तैयार करना, समय पर फसल
बोना और फसल चक्र। रासायनिक विधि―खरपतवार नाशक रसायनों,
जैसे―इट्टाजीन, 214-डी, फ्लूक्लोरैलीन, आइसो-प्रोट्यूरान इत्यादि का छिड़काव
करके।
जैविक विधि―काँटेदार खरपतवार (नागफनी) को कोकीनीयल कीड़ों द्वारा
तथा जलीय खरपतवार को फिश पास कार्य द्वारा।
34. भंडारित अनाज को हानिकारक जन्तुओं द्वारा क्षति पहुँचाए जाने से रोकने
हेतु रासायनिक उपायों की व्याख्या करें।
उत्तर―संरक्षित अनाज को हानिकारक जन्तुओं द्वारा क्षति पहुँचाए जाने से
बचाने हेतु गोदाम की सतहों पर हम तीसरे सप्ताह पर निम्नलिखित तरीके से BHC
पाइरेन्थ्रम एवं मालाथियोन का छिड़काव किया जाना चाहिए।
BHC (WP) (50%) 3 लीटर प्रति 100 वर्गमीटर घोल अनुपात 1:25
पाइरेन्थ्रम (2.5 EC)3 लीटर प्रति 100 मीटर² घोल अनुपात 1:300
मालाथियोन (50 EC)3 लीटर/100 मीटर² घोल अनुपात 1:300
35. अच्छी पुश आवास व्यवस्था की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर : पशुपालन में आवास व्यवस्था एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। एक
अच्छी पशु आवास ज्यवस्था की निम्न विशेषताएँ है―(i) पशुओं का आवास स्थान
खुला, हवादार तथा स्वच्छ होना चाहिए। इसके लिए पर्याप्त खिड़कियाँ होनी चाहिए।
(ii) इसमें प्रकाश की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए। (iii) आवास स्थान प्रतिकूल
परिस्थितियों जैसे सर्दी, गर्मी, वर्षा तथा शत्रुओं से सुरक्षित होना चाहिए। (iv) यह
जंतु के माप, स्वभाव तथा आवश्यकता के अनुरूप होना चाहिए। (v) इसमें स्वच्छ
जल की आपूर्ति की व्यवस्था होनी चाहिए। (vi) मल-मूत्र विसर्जित करने, वहाँ से
हटाने तथा सफाई करने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए फर्श को ढलवाँ
बनाया जा सकता है। (vii) आवास स्थान गंदगी, पानी के गड्ढों तथा कारखानों से
दूर होने चाहिए।
36. कुक्कुट पालन में किन्हीं तीन प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए। कुक्कुट के
जीवन की दो मुख्य अवस्थाएँ क्या हैं?
उत्तर : कुक्कुट पालन में आवश्यक तीन प्रमुख कार्य हैं―(i) आवास
व्यवस्था, (ii) आहार तथा (iii) रोग नियंत्रण।
कुक्कुट (मुर्गियों) के जीवन की दो मुख्य अवस्थाएँ है―
(a) वर्धन काल―मुर्गियों के जीवन के प्रथम चरण को वर्धन काल कहते है।
यह अवस्था चूजे की लैगिक परिपक्वता तक की अवस्था है। चूजों की इस अवस्था
को प्रोउर्स कहते हैं। इस अवस्था में इनको हरने के लिए पर्याप्त स्थान की आवश्यकता
होती है। कम स्थान उपलब्ध होने पर इनकी वृद्धि कम हो जाती है। इन्हें आकलित
तथा सीमित आहार दिया जाना चाहिए।
(b) लेइंग पीरियड―लैगिक परिपक्वता से लेकर अंडे देते रहने तक की
अवधि को लेइंग पीरियड कहते हैं। इस अवस्था में मुर्गियों को लेयर्स कहते हैं। इन्हें
पर्याप्त स्थान तथा उचित प्रकाश की आवश्यकता होती है। प्रकाश की तीव्रता एवं
प्रकाश उपलब्धता की अवधि का मुर्गी के अंडा देने की क्षमता पर अनुकूल प्रभाव
पड़ता है।
37. फसलों पर कीट और रोगों की रोकथाम के उपाय बताएँ।
उत्तर : फसलों पर कीट और रोगों की रोकथाम के निम्नलिखित उपाय हैं―
(i) फसल की जड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों एवं जन्तुओं पर नियंत्रण हेतु
क्लोरोफाइरीफॉस जैसे कीटनाशकों को मिट्टी के साथ मिला देना चाहिए। (ii)
मालाथियॉन, सिंडेन एवं थियोडेन जैसे कीटनाशकों के छिड़काव द्वारा तना एवं पत्तों
को काट एवं छेदकर नुकसान पहुंचाने वाले कीटों एवं जंतुओं को नियंत्रित किया जा
सकता है। (iii) डाइमेथोएट एवं मेटासिस्टॉक्स जैसी कीटनाशकों के छिड़काव द्वारा
कोशारस चूसने वाले कीटों एवं जंतुओं को नियंत्रित किया जा सकता है। (iv) बीज
एवं मिट्टी के माध्यम से उत्पन्न होने वाले सभी रोगों पर नियंत्रण हेतु बीज एवं मिट्टी
में उपयुक्त कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. खाद की परिभाषा लिखिए। विभिन्न खाद कौन-कौन सी होती हैं और ये
मिट्टी को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
उत्तर―खाद कार्बनिक पदार्थों पादप पोषक तत्त्वों का ऐसा स्रोत है जो सूक्ष्म
जीवाणुओं द्वारा पादप एवं जंतु के अवशिष्ट के विखंडन से प्राप्त होता है। खाद
के निम्नलिखित चार प्रकार होते हैं―(i) कृषि-फार्मों से प्रापा होने वाला खाद
(FYM) (ii) वनस्पति से प्राप्त खाद (कम्पोस्ट) (iii) हरित खाद, (iv) जन्तुओं
से प्राप्त खाद।
खाद मिट्टी को निम्नलिखित तीन तरीकों से प्रभावित करता है―(i) खाद,
मिट्टी को कार्बनिक पदार्थ प्राप्त होता है। यह कार्बनिक पदार्थ, बलुई मिट्टी के
जल-संचय क्षमता तथा चिकनी मिट्टी के जल-अपवहन क्षमता को बढ़ाता है।
(iii) कार्बनिक खाद द्वारा मिट्टी में उपस्थित जीवों को भोजन प्राप्त होता है। मिट्टी
में उपस्थित ये जीव पौधों को पोषण तत्त्व प्राप्त करने में मदद करते हैं।
2. उर्वरक क्या है? यह खाद्य से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर―उर्वरक वे रासायनिक पदार्थ हैं जिनमें पौधों के लिए आवश्यक पोषक
तत्त्व पाए जाते हैं अर्थात् जो मृदा की उर्वरा शक्ति को बनाए रखते हैं तथा उसमें
वृद्धि करते हैं। खाद एक प्राकृतिक पदार्थ है जो मृदा की उर्वरा शक्ति को बनाए
रखने तथा उसमें वृद्धि करने में उपयोगी है। यह मुख्यतः कार्बनिक पदार्थ है।
उर्वरक तथा खाद में अन्तर (भिन्नता) ―
उर्वरक खाद
(i) ये कृत्रिक रूप से बनाए गए (i) ये प्राकृतिक पदार्थों से प्राप्त होने
मुख्यतः अकार्बनिक पदार्थ हैं। वाला कार्बनिक पदार्थ हैं।
(ii) ये मृदा में किसी विशेष तत्त्व की (ii) ये मृदा में सभी तत्त्वों की
आपूर्ति करते हैं। आपूर्ति करते हैं।
(iii) ये सान्द्रित रूप में होते हैं। (iii) ये सान्द्रित रूप में नहीं होते हैं।
(iv) इसका अधिक प्रयोग हानिकारक (iv) इसका अधिक प्रयोग हानिकारक
होता है। नहीं होता है।
(v) इसका स्थानान्तरण आसान होता (v) इसका स्थानान्तरण कठिन होता
है। है।
3. शुष्क भंडारण क्या है? ऐसे चार खाद्य पदार्थों के नाम बताइए जिनको इस
प्रकार भेडारित किया जाता है। भंडारित अनाज में कीटों तथा सूक्ष्मजीवों
की संख्या को किस प्रकार नियंत्रित किया जाता है?
उत्तर-शुष्क भंडारण में निर्विकारी (unperishable) खाद्य पदार्थों (नहीं
सड़ने वाले) का भण्डारण कक्षताप या सामान्य ताप पर किया जाता है। इसके लिए
घरेलू स्तर पर किसी विशेष प्रबन्ध करने की आवश्यकता नहीं होती है। उन्हें कक्षताप
पर ही ऐसे साफ बर्तनों या डिब्यों में रखा जाता है जिनका ढक्कन कसकर बंद किया
जा सके ताकि वे धूल, तथा कीटों से सुरक्षित रहें।
शुष्क खाद्य पदार्थों के भंडारण की प्रमुख आवश्यकताएँ है कि भण्डारण का
स्थान स्वच्छ तथा शुष्क हो, ठंडा तथा अंधेरा, पर्याप्त वाति तथा कीटों से मुक्त
हो। निर्विकारी खाद्य पदार्थों का भण्डारण प्रायः बोरों या थैलों में रखकर किया जाता
है जिससे इनके परिवहन तथा वितरण में सुविधा हो। इसके लिए नए बोरों का उपयोग
करना अधिक अच्छा है। साफ, कीटरहित ठढा तथा सूखा अन्य बोरों में भरने के
बाद उनका मूंह कसकर ठीक प्रकार से सील कर दिया जाता है। गोदामों में बोरों का
ढेर रखते समय यह ध्यान रखा जाता है कि बोरों और दीवारों के बीच में 60 cm
से 70cm की दूरी हो जिससे दीवार की नमी से उनकी । सुरक्षा हो सके। बोरों के ढ़ेरों
के बीच में जालियाँ होनी चाहिए। ऐसा प्रबन्ध करने से उचित संवातन (ventilation)
बना रहता है। ऐसा करने से भण्डारित पदार्थों को निरीक्षण करने, पीड़कनाशियों के
छिड़काव करने तथा धूमन (fumigation) के लिए आसानी होती है।
किन्हीं चार निर्विकारी (unperishable) खाद्य पदार्थों के नाम है―(i) अनाज
(गेहँ, चावल, मक्का), (ii) मसाले। इन खाद्य पदार्थों को शुष्क भण्डारण विधि से
भण्डारित किया जाता है।
भण्डारित अनाज में हम निम्नांकित तरीके से कीटो तथा सूक्ष्मजीवों की संख्या
को नियंत्रित कर सकते है―(i) अनाज के भण्डारण के पहले ही भण्डारघर को
कीटरहित तथा संक्रमणरहित बनाने के लिए उसमें पीड़कनाशियों के छिड़काव या
धूमन (fumigation) करना चाहिए। (ii) गोदाम में अनाज के भण्डारण के पहले
यह सुनिश्चित कर लेना चाजिए कि वह कीटो अथवा सूक्ष्मजीवों से मुक्त है और
उसमें 14% से कम नमी है तथा गर्म नहीं है। (iii) भण्डारित अनाज में कीटों
की संख्या की वृद्धि को रोकने के लिए पीड़कनाशियों का छिड़काव अथवा धूमकों
का धूमन विधि द्वारा उपयोग करना बहुत ही आसान और प्रभावशाली होता है। धूमक
(fumigant) सामान्यतः वाष्पशील रसायन होते है जिनका शीघ्र ही वाष्पण हो
जाता है और वे अनाज को बिना प्रभावित किए ही कीटो को नष्ट कर देते है। (iv)
कीटों तथा सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति की जानकारी रखने के लिए भण्डारित अनाज
का पखवारे में कम-से-कम एक बार सावधानीपूर्वक निरीक्षण अवश्य करना चाहिए।
4. पीडकनाशी क्या है? पीकडनाशी फसलों पर किस प्रकार उपयोग किए
जाते हैं। पीडकनाशी के उपयोग में क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए तथा
पीड़कनाशियों के उपयोग से मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर―वे विषैले रसायन जो पीड़कों के समाप्त करने या इन पर नियंत्रण के
लिए उपयोग किए जाते है, पीड़कनाशी कहलाते है। कवकनाशी, कीटनाशी,
कृन्तकनाशी, सभी सम्मिलित रूप में पीड़कनाशी कहलाते हैं।
पीड़कनाशी (धूमक तथा कीटनाशक भी) को जल में घोलकर हाथ यंत्र से
छिड़का जाता है। यदि छिड़काव का क्षेत्र विस्तृत हो तो विमानों द्वारा छिड़काव किया
जाता है। (i) किसी पीड़कनाशी का उपयोग करते समय नाक और मुँह बन्द करने
चाहिए तथा हाथों में दस्ताने पहनने चाहिए। (ii) छिड़काव करते समय इन अवस्था
में खड़े हो कि हवा आपसे दूर जाती हो (आपके पीछे से आती हो)। (iii) छिड़काव
करने के पश्चात अपने हाथ, मुँह अच्छी तरह साफ पानी से धाने चाहिए।
पीड़कनाशियों विषैले, अजैविक रासायनिक पदार्थ है। ये हमारी शरीर पर निम्न
प्रभाव डालते हैं―(i) त्वचा तथा श्वसन तंत्र में बेचैनी उत्पन्न करते हैं। (ii) हमारे
शरीर में या तो सीधे या फसल या जल द्वारा प्रवेश कर जाते है तथा हानि पहुँचाते
हैं।
इसलिए पीड़कनाशियों का उपयोग सावधानी से करना चाहिए।
5. किस्मों के सुधार की क्या आवश्यकता है?
उत्तर―किस्मों में सुधार की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से पड़ती
है-(i) खाद्य तथा चारा फसलों की जरूरत बढ़ती जा रही है, क्योंकि जनसंख्या
में लगातार वृद्धि हो रही है। (ii) मनुष्य की बदलती आवश्यकता के साथ उसके
रहने के ढंग में सुधार हुआ है तथा मनुष्य में अच्छे पदार्थों की माँग की है। (iii)
जैविक और अजैविक घटकों में बदलाव के कारण अच्छी बल्कि विरुद्ध परिस्थितियाँ
जिनकी जरूरत है, पैदा हो सकती है।
अतः किस्मों के सुधार की आवश्यकता के प्रमुख कारण को इस प्रकार वर्गीकृत
किया जा सकता है―(a) अधिक उपज, (b) उत्तम गुणवत्ता, (c) जैविक और
अजैविक रोधिता तथा (d) अगेनी और समान परिपक्वता।
6. अंतर्फसली क्या है? यह मिश्रित फसली से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर ― दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ एक ही खेत में क्रमबद्ध
तरीके से उगना अंतर्फसली कहलाता है। यह मिश्रित खेती के निम्न प्रकार से भिन्न
है―
लक्षण मिश्रित फसलें अंतर्फसली
1. मुख्य आधार फसलों की असफलता को प्रति वर्ग भूमि पर
कम करना। उत्पादकता बढ़ना।
2. बीज के बोने का दो (या अधिक) फसलों के प्रत्येक फसल के बीज को
तरीका बीजों को मिलाकर बाद में अलग-अलग पंक्ति में
बोया जाता है। बोया जाता है।
3. खाद का उपयोग कठिन, क्योंकि पौधा स्वतंत्र प्रत्येक पंक्ति को भिन्न-
रूप से वृद्धि करता है। भिन्न मात्रा में खाद्य की
आवश्यकता होती है।
4. पीड़कों पर पीड़कों को नष्ट करने के प्रत्येक फसल पर
नियंत्रण लिए प्रत्येक फसल पर स्प्रे पीड़कनाशी स्प्रे करना
किया जाता है। आसान होता है।
5. बेचना तथा भरण केवल मिश्रित पैदा हुई प्रत्येक पैदा हुई फसल बेची
करण फसलें ही बेची तथा खाई तथा खाई जा सकती है।
जा सकती है।
6. काटना तथा हर फसल को अलग- इसमें यह संभव है।
फटकाना। अलग काटना व फटकाना
नहीं।
7. फसल चक्र से आप क्या समझते हैं? इसके क्या लाभ हैं?
उत्तर―फसल चक्र ―Legume (लेग्यूम) या फलीदार पौधों, जैसे―दालें
और बिना लेग्यूम वाले पौधों, जैसे―अनाजों को एक के बाद एक बोना फसल
चक्र कहलाता है। अनाज की दो फसलों के बीच एक दाल की फसल उगाते हैं।
फसल-चक्र के लाभ―अनाज की फसल से मिट्टी तत्त्वों की कमी हो जाती
है। इसके लिए अगली फसल, दाल की उगानी चाहिए क्योंकि दाल की जड़ों में
ग्रन्थियाँ या गांठ Nodules पाई जाती है। इन गाठों में राइजोबियम नामक जीवाणु
पाए जाते हैं, जो वायुमंडल की नाइट्रोजन को स्थिर करते हैं, अर्थात् नाइट्रोजन को
नाइट्रोजन के यौगिकों में परिवर्तित करते हैं। इस प्रकार मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा
बढ़ जाती है, जो कि पौधों की वृद्धि के लिए एक आवश्यक वृहद (Maero) पोषक
है।
8. खाद्य संसाधन का क्या अर्थ है? यह कितने प्रकार के होते हैं? खाद्य सम्पदा
के प्रबंधन तंत्र में नियोजन अत्यधिक महत्वपूर्ण क्यों है। इसके विभिन्न चरण
क्या हैं?
उत्तर―जिन स्रोतों मे हमें भोजन (खाद्य पदार्थ) प्राप्त होते हैं, उन्हें खाद्य
संसाधन कहते हैं। खाद्य संसाधन मुख्यत दो प्रकार के होते हैं―
(i) वनस्पति स्रोत ―अनाज दालें सब्जियाँ, फल, खाद्य, तेल मासले आदि
वनस्पति स्रोतों से प्राप्त खाद्य पदार्थ हैं।
(ii) जन्तु स्रोत–दूध, माँस, अंडे, मछली आदि जन्तु स्रोतों से प्राप्त खाद्य
पदार्थ हैं।
नियोजन प्रबन्धन तंत्र का आधार है क्योंकि नियोजन में हम सभी चरणों की
एक काल्पनिक रूप रेखा तैयार करते हैं। यदि नियोजन विश्वसनीय आँकड़ों तथा
वास्तविक स्रोतों के आधार पर नहीं किया जाएगा तो सम्पूर्ण प्रबन्धन तंत्र व्यर्थ हो
सकता है। खाद्य सम्पदा के प्रबन्ध तंत्र में नियोजन के विभिन्न चरण निम्न प्रकार
है―
(i) प्रमुख कृषि फसलों के वार्षिक उत्पादन लक्ष्य निर्धारित करना।
(ii) निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए भविष्य में अतिरिक्त सुविधाएँ प्रदान
करना।
(iii) खाद्य उत्पादनों के संग्रहण, लक्ष्यों तथा तंत्र की रूपरेखा बनाना।
(iv) समुचित विवरण व्यवस्था सुनिश्चित करना।
9. पशुपालन क्या है? इसके महत्त्व को लिखें। डेरी पशुओं के लिए किस तरह
की खाद्य की जरूरत है। पशुओं के भोजन के दो मुख्य वर्ग लिखिए।
उत्तर―कृषि की वह शाखा जिसमें पशुओं का भोजन, पालन तथा निषेचन
सम्मिलित है, पशुपालन कहलाती है।
पशुपालन के मुख्य महत्त्व निम्नलिखित हैं―(i) पालतू पशुओं की नस्लों में
सुधार, (ii) खाद्य सामग्री, जैसे―दूध, अंडे तथा मांस के उत्पादन में वृद्धि।
डेरी पशुओं को दो प्रकार के भोजन की जरूरत है―
(क) सुधार के लिए खाद्य―पशुओं को दिए जानेवाला खाद्य उसके जीवन
के आधारभूत कार्यों में सहायक होना चाहिए।
(ख) दूध उत्पादन के लिए खाद्य ― इस भोजन की पशुओं को दूध स्रावण
अविध में तथा स्वास्थकर दूध उत्पन्न करने में समय की जरूरत पड़ती है।
पशुओं के भोजन के दो मुख्य वर्ग निम्नलिखित हैं―
(क) रूक्षांश―रूक्षांश में रेशेयुक्त दानेदार तथा बहुत कम पोषण वाली घास
हाती है। चारा तथा साइलेज रुक्षांश के मुख्य स्रोत हैं।
(ख) सांद्र पदार्थ ―इनका पोषण मान अधिक होता है। बिनौले, तिलहन,
खली तथा चने व बाजरे जैसे अनाज इनके उदाहरण हैं।
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