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  Jharkhand Board Class 9TH Science Notes | कार्य तथा ऊर्जा 

   JAC Board Solution For Class 9TH  Science  Chapter 11


1. हम कब कहते हैं कि कार्य किया गया है?
उत्तर― जब किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है और वस्तु विस्थापित हो
ती है तो कहा जाता है कि कार्य किया गया है।

2. जब किसी वस्तु पर लगने वाला बल इसके विस्थापन की दिशा में हो तो
किए गए कार्य का व्यंजक लिखिए।
उत्तर― जब बल विस्थापन की दिशा में ही लगता है तो
कार्य = बल × विस्थापन

3. 1J कार्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर― जब किसी वस्तु पर एक न्यूटन का बल लगाने पर वस्तु में बल की
दिशा में 1 मीटर का विस्थापन हो जाता है तो किया गया कार्य 1J कहलाता है
                                            1J= IN × Im

4. किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा क्या होती है?
उत्तर―किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा
कहते हैं। यह ½mv² व्यंजक का उपयोग करके ज्ञात की जा सकती है।

5. किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक लिखो।
उत्तर— गतिज ऊर्जा = ½mv²

6. शक्ति क्या है?
उत्तर—कार्य करने की दर या ऊर्जा रूपान्तरण की दर को शक्ति कहते हैं।
शक्ति = कार्य/समय             या, p = w/t
शक्ति का मात्रक वाट (w) है।

7. वाट शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर—जब 1 S में 1 J कार्य किया जाता है तो कार्य करने की दर 1 वाट
कहलाती है।

8. औसत शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर—कुल उपयोग की ऊर्जा को कुल लिए गए समय से भाग देकर निकाली
गई शक्ति को औसत शक्ति कहते हैं।
औसत शक्ति = कुल उपयोग की गई ऊर्जा/कुल लिया गया समय

9. एक बैटरी बल्ब जलाती है। इस प्रक्रम में होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों का
वर्णन कीजिए।
उत्तर— पहले, बैटरी की रासायनिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती
है। पुनः विद्युत ऊर्जा, ताप एवं प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित होती है।

10. जब आप साइकिल चलाते हैं तो कौन-कौन से ऊर्जा रूपांतरण होते हैं?
उत्तर— विभिन्न ऊर्जा रूपांतरण है— स्थितिज ऊर्जा से पेशीय ऊर्जा तथा
पेशीय ऊर्जा से यांत्रिक ऊर्जा।

11. कोई मनुष्य भूसे के एक गद्गुर को अपने सिर पर 30 मिनट तक रखे रहता
है ओर थक जाता है। क्या उसने कुछ कार्य किया या नहीं? अपने उत्तर को
तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर— नहीं, व्यक्ति ने पुआल की गट्ठर पर कोई कार्य नहीं किया है, क्योंकि
गट्ठर में कोई विस्थापन नहीं होता है।

12. शक्ति का S.I. मात्रक क्या है?
उत्तर — वाट (W),1W=1J/s.

13. कार्य तथा ऊर्जा के मात्रक क्या है?
उत्तर— कार्य तथा ऊर्जा के मात्रक समान है। इन दोनों का मात्रक जूल (J) है।

14. क्या स्थितिज ऊर्जा-अदिश व सदिश राशि है?
उत्तर— स्थितिज ऊर्जा एक अदिश राशि है।

15. कार्य का S.I. मात्रक क्या है?
उत्तर— जूल (J) या न्यूटन-मीटर (N-m)।

16. कार्य को गणित रूप से कैसे प्रदर्शित करते हैं?
उत्तर― कार्य = बल × दूरी।

17. ऊर्जा की परिभाषा दीजिए। इसका मात्रक क्या है?
उत्तर― किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा करते है। इसका मात्रक
जूल (J) है।

18. एक जूल कार्य को पारिभाषित कीजिए।
उत्तर— किसी वस्तु पर एक न्यूटन बल लगाने से वस्तु बल की दिशा में एक
मीटर चले तो किया गया कार्य एक जूल होगा।

19. गतिज ऊर्जा के लिए सूत्र लिखिए।
उतर— गतिज ऊर्जा = ½mv².

20. स्थितिज ऊर्जा के लिए सूत्र लिखिए।
उत्तर— स्थितिज ऊर्जा = mgh.

21. शक्ति का परिभाषा दीजिए।
उत्तर— कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं।

22. शक्ति का मात्रक क्या है? उसकी परिभाषा दीजिए।
उत्तर — शक्ति का मात्रक 'वाट' है। जब एक जूल कार्य एक सेकेण्ड में किया
जाए तो उस शक्ति को एक वाट कहते हैं।

23. एक वस्तु को ऊपर की ओर फेंका जाता है। अधिकतम ऊँचाई तक जाने पर
उसकी गतिज ऊर्जा क्या होगी?
उत्तर— शून्य, क्योंकि अधिकतम ऊँचाई पर वेग शून्य हो जाता है।

24. दो अलग-अलग भार वाले पिण्डों का पलायन वेग क्या होगा?
उत्तर — पलायन वेग समान होगा।

                                     लघु उत्तरीय प्रश्न

1. I J कार्य को परिभापित कीजिए।
उत्तर : जब किसी वस्तु पर एक न्यूटन का बल लगाने पर वस्तु में बल की
दिशा में 1 मीटर का विस्थापन हो जाता है तो किया गया कार्य I J कहलाता है
                                     IJ = 1 N × Im

2. औसत शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर : कुल उपयोग की ऊर्जा को कुल लिए गए समय से भाग देकर निकाली
गई शक्ति को औसत शक्ति कहते हैं।
औसत शक्ति = कुल उपयोग की गई ऊर्जा/कुल लिया गया समय

3. निम्न सूचीबद्ध क्रियाकलापों को ध्यान से देखिए। अपनी कार्य शब्द की
व्याख्या के आधार पर तर्क दीजिए कि इनमें कार्य हो रहा है अथवा नहीं।
(i) सूमा एक तालाब में तैर रही है।
(ii) एक गधे ने अपनी पीठ पर बोझा उठा रखा है।
(iii) एक पवन चक्की (विंड मिल) कुएँ से पानी उठा रही है।
(iv) एक हरे पौधे में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया हो रही है।
(v) एक इंजन ट्रेन को खींच रहा है।
(vi) अनाज मे दाने सूर्य की धूप में सूख रहे हैं।
(vii) एक पाल-नाव पवन ऊर्जा के कारण गतिशील है।
उत्तर : (i) हाँ, इस स्थिति में कार्य संपादित हो रहा है, किंतु किया जा रहा
कार्य ऋणात्मक है क्योंकि बल पीछे की ओर आरोपित किया जा रहा है जबकि
विस्थापन (सुमा की गति) आगे की दिशा में हो रहा है।

(ii) इस स्थिति में कोई कार्य संपादित नहीं हो रहा है, क्योंकि बल (पीठ पर
रखा बोझ) नीचे की ओर आरोपित किया जा रहा है जबकि विस्थापन (गधे की गति)
आगे की दिशा में हो रहा है। कार्य के संपादन के लिए आरोपित बल तथा उत्पन्न
विस्थापन की दिशा समान होनी चाहिए।

(iii) हाँ, इस स्थिति में कार्य हो रहा है, क्योंकि बल ऊपर की ओर आरोपित
किया जा रहा है तथा पानी भी ऊपर की ओर उठाया जा रहा है।

(iv) इस स्थिति में कोई कार्य संपादित नहीं हो रहा है, क्योंकि न तो कोई बल
आरोपित किया जा रहा है और न ही वस्तु विस्थापित हो रही है।

(v) हाँ, इस स्थिति में कार्य हो रहा है, क्योंकि इंजन द्वारा रेलगाड़ी पर बल
आरोपित किया जा रहा है तथा रेलगाड़ी भी आरोपित बल की दिशा में विस्थापित
हो (गति कर) रही है।

(vi) नहीं, इसमें कोई कार्य संपादित नहीं हो रहा है, क्योंकि यहाँ न तो कोई
बल आरोपित होता है और न ही कोई विस्थापन उत्पन्न होता है।

(vii) हाँ, इस स्थिति में कार्य हो रहा है, क्योंकि पवन ऊर्जा द्वारा नाव पर
बल आरोपित हो रहा है तथा नाव भी आरोपित बल की दिशा में गति कर रही है।

4. एक पिंड को धरती से किसी कोण पर फेंका जाता है। यह एक वक्र पथ
पर चलता है और वापस धरती पर आ गिरता है। पिंड के पथ के प्रारंभिक
तथा अंतिम बिंदु एक ही क्षैतिज रेखा पर स्थित हैं। पिंड पर गुरूत्व बल
द्वारा कितना कार्य किया गया?
उत्तर : गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा वस्तु पर किए कार्य की मात्रा शून्य होगी,
क्योंकि गुरूत्व बल के विरुद्ध किया गया कार्य mgh | वस्तु का द्रव्यमान तथा
गुरूत्वीय त्वरण तो स्थिर रहते हैं, किंतु उसकी ऊँचाई शून्य हो जाती है। ऐसा पथ
के आरंभिक तथा अंतिम बिंदुओं के एक ही तिज तैल में स्थित होने के कारण
होता है।

5. एक बैटरी बल्ब जलाती है। इस प्रक्रम में होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों का
वर्णन कीजिए।
उत्तर : पहले, बैटरी की रासायनिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती
है। पुनः विद्युत ऊर्जा, ताप एवं प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित होती है।

6. 10g द्रव्यमान का एक पिंड मेज पर A बिंदु पर रखा है। इसे B बिंदु तक
लाया जाता है। यदि A तथा B को मिलाने वाली रेखा क्षैतिज है तो पिंड
पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? अपने उत्तर की व्याख्या
कीजिए।
उत्तर : द्रव्यमान, m=10kg; गुरुत्वीय त्वरण, g= 10 m/s²
गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा किया गया कार्य =m×g=h
इस स्थिति में, गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा वस्तु पर किए गए कार्य की मात्रा शून्य
होगी, क्योंकि बिंदु तथा B को जोड़ने वाली रेखा एक ही क्षैतिज तल में है।
अर्थात् वस्तु द्वारा प्राप्त ऊँचाई शून्य है। साथ ही, गुरूत्वाकर्षण बल का कोई भी
घटक वस्तु के विस्थापन की दिशा में कार्य नहीं करता है।

7. मुक्त रूप से गिरते एक पिंड की स्थितिज ऊर्जा लगातार कम होती जाती
है। क्या वह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन करती है। कारण बताइए।
उत्तर : यह ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत का उल्लंघन नहीं है, क्योंकि जिसे अनुपात
में वस्तु की स्थितिज ऊर्जा में कमी आती है, उसी अनुपात में उसकी गतिज ऊर्जा
में वृद्धि भी होती है। अर्थात् वस्तु की कुल ऊर्जा हमेशा संरक्षित रहती है

8. जब आप अपनी सारी शक्ति लगा कर एक बड़ी चट्टान को धकेलना चाहते
हैं और इसे हिलाने में असफल हो जाते हैं तो क्या इस अवस्था में ऊर्जा
का स्थानांतरण होता है? आपके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा कहाँ चली जाती
है?
उत्तर : नहीं, जब हम अपनी पूरी शक्ति से विशाल चट्टान को धकेलने पर
नहीं खिसका पाते हैं, तो ऊर्जा का हस्तांतरण नहीं होता है। जब हम चट्टान को
धकेलते हैं, तो हमारी पेशियाँ तन जाती है तथा इन पेशियों की ओर रक्त बहुत
तेजी से विस्थापित होता है, इन परिवर्तनों में ऊर्जा खपत होती है तथा हम थका
हुआ महसूस करते है।

9. पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा कितना
कार्य किया जाएगा? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर : पृथ्वी के गिर्द घूमते हुए उपग्रह पर किये जाने वाले कार्य की मात्रा
शून्य है।
जब उपग्रह अपनी वृत्तीय कक्षा में घूमता है, तो उसकी कक्षा की त्रिज्या के
अनुदिश केंद्र की ओर एक केंद्रभिसारी बल कार्य करता है, तथा उपग्रह की 
गति की दिशा कक्षा के लंबवत् होती है। इस तरह, बल तथा विस्थापन की 
दिशाएँ एक-दूसरे के लंबवत् होती हैं। (चित्र देखे)

अतः किया गया कार्य = F×s×cosθ
या, W=Fs cos 90° = θ
अत: एकसमान वृत्तीय गति की स्थिति में किया गया कुल कार्य शून्य होता है।

10. क्या किसी पिंड पर लगने वाले किसी भी वल की अनुपस्थिति में, इसका
विस्थापन हो सकता है? सोचिए। इस प्रश्न के बारे में अपने मित्रों तथा
अध्यापकों से विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर : जब वस्तु विरामावस्था में होती है, तो न्यूटन की गति के प्रथम नियम
के अनुसार, यह तब तक विरामावस्था में रहती है जब तक कि कोई बाह्य बल
उसकी इस अवस्था में परिवर्तन न ला दे। हालांकि, जब यस्तु गति की अवस्था में
होती है, जैसे चलती हुई बस, इसे रोकने के लिए बल की आवश्यकता होती है।
अत: इस स्थिति में किसी कार्यकारी बल की अनुपस्थिति में भी वस्तु में विस्थापन
संभव है।

11. कोई मनुष्य भूसे के एक गदुर को अपने सिर पर 30 मिनट तक रखे रहता
है ओर थक जाता है। क्या उसने कुछ कार्य किया था नहीं? अपने उत्तर को
तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर : नहीं, व्यक्ति ने पुआल की गट्ठर पर कोई कार्य नहीं किया है, क्योकि
गट्ठर में कोई विस्थापन नहीं होता है।

12. सोनी कहती है कि किसी वस्तु पर त्वरण शून्य हो सकता है चाके उस पर
कई बल कार्य कर रहे हों। क्या आप उससे सहमत है? बताइए क्यों?
उत्तर : हाँ, सोनी का कहना सही है, क्योंकि जब कोई वस्तु विराम में होती
है तथा उसकी गति शून्य होती है, तब उसमें त्वरण भी शून्य होता है। किसी वस्तु
में एक साथ कई बल लग सकते है, किंतु वे एक-दूसरे को अप्रभावी कर सकते है.
जब वस्तु एकसमान वेग से गति में होती है, उसका त्वरण शुन्य होता है। यहाँ तक
की इस स्थिति में भी वस्तु, एक साथ कई संतुलनकारी बल कार्य कर सकते है।

13. मुक्त रूप से गिरता एक पिंड अंततः धरती तक पहुँचने पर रुक जाता है।
इसकी गतिज ऊर्जा का क्या होता है?
उत्तर : मुक्त रूप से गिरते हुए पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा धीरे-धीरे गतिज
ऊर्जा में बदलने लगती है। लेकिन जैसे ही पिण्ड पृथ्वी पर पहुँचता है तो यह रूक
जाती है जिससे इसका वेग शून्य हो जाता है।
अतः सूत्र गतिज ऊर्जा = 1/2mv² के अनुसार वेग शून्य हो जाने पर गतिज
ऊर्जा भी शून्य हो जाएगी।
K.E = 1/2mv² =1/2 ×m×0² = 0.

14. कार्य क्या है? यदि एक व्यक्ति किसी क्षैतिज सड़क पर किसी सन्दूक को
हाथ में उठाए जा रहा है तो क्या वह कार्य करता है?
उत्तर―जब कोई वस्तु किसी बल के प्रभाव के अन्तर्गत विस्थापित होती है,
तब यान्त्रिक कार्य होता है। किसी बल द्वारा किया गया कार्य बल के परिमाण और
बल की दिशा में विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।
       अतः कार्य = बल × विस्थापन
      जब कोई व्यक्ति किसी क्षैतिज सड़क पर किसी सन्दूक को उठाये जाता है तो
गुरुत्व बल नीचे की ओर लगता है, परन्तु विस्थापन बल की दिशा के लम्बवत्
होता है। अतः किया गया कार्य शून्य होगा।

15. ऊर्जा से आप क्या समझते हैं? इसका मात्रक क्या है?
उत्तर―किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता, अर्थात परिवर्तन करने की क्षमता
को ऊर्जा कहते हैं। यदि किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता रहती है तो हम कहते
है कि वस्तु में ऊर्जा है। किसी वस्तु की गति, उसकी स्थिति तथा आकृति-परिवर्तन
के कारण हो सकती है।

16. कार्य और ऊर्जा में संबंध वताएँ।
उत्तर ― जब कोई वस्तु कार्य करती है तो उसकी ऊर्जा में कुछ कमी हो जाती
है। जिस वस्तु पर कार्य किया जाता उसकी ऊर्जा बढ़ जाती है।
              जैसे―जब हम किसी गेंद को ठोकर मारते हैं तो हम कार्य करते हैं। ऐसा
करने में हमारे शरीर की ऊर्जा कम हो जाती है तथा गेंद की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती
है। जब हम कार्य करते हैं तो सदैव ऐसा ही होता है। जिस वस्तु पर कार्य किया
जाता है उसकी ऊर्जा बढ़ जाती है, परन्तु जो वस्तु कार्य करता है उसकी ऊर्जा कम
हो जाती है।

17. कारण बताएँ―
(i) जब कोई चालक किसी पहाड़ पर अपना वाहन चढ़ाता है तब उसकी
चाल क्यों बढ़ा देता है?
(ii) जब कोई पिण्ड घर्षणहीन पथ पर चलता है, तब उसकी ऊर्जा अचर
रहती है।
     उत्तर―(i) पहाड़ पर चढ़ने के लिए पिण्ड को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता
होती है, क्योकि अधिकांश ऊर्जा पिण्ड में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित होती
जाती है। वेग को बढ़ाने पर पिण्ड को गतिज ऊर्जा बढ़ा जाती है। यह गतिज ऊर्जा
वाहन के इंजन द्वारा प्रदत्त ऊर्जा में योगदान देता है। वेग जितना अधिक होगा, इंजन
को उतनी ही अधिक मदद मिलेगी। अतः चालक वाहन के वेग को बढ़ा देता है।
      (ii) घर्षणहीन पथ पर विरोधी बल कार्य नहीं करता है। विरोधी बल के नहीं
कार्य करने से मंदन उत्पन्न नहीं होती है। त्वरण (मंदन) उत्पन्न नहीं होने से वेग
नहीं बदलता है। वेग नहीं बदलने के कारण गतिज ऊर्जा नहीं बदलती है। अतः,
घर्षणहीन पथ पर पिण्ड की ऊर्जा अचर रहती है।

18. किसी भारी पिण्ड पर बल लगाने से भी वह विस्थापित न हो तो कार्य
शून्य होगा। लेकिन, मनुष्य जल्दी ही थक जाता है, क्यों?
              उत्तर―वास्तव में वस्तु पर किया गया कार्य शून्य है, पिण्ड में विस्थापन
शून्य है। लेकिन, हमारे शरीर पर किया गया कार्य शून्य नहीं है। हमारी माँसपेशियाँ
खींच जाती हैं और इसमें रक्त विस्थापित हो जाता है। इन विस्थापनों की पुनः
प्राप्ति में ऊर्जा व्यय होती है। यही कारण है कि हम जल्द ही थकते हैं और हम
आराम कर खर्च ऊर्जा की प्राप्ति कर लेते हैं।

19. सरल दोलक से क्या समझते हैं?
उत्तर― एक भारी बिन्दुमात्रा (पिण्ड) को किसी भारहीन अवर्द्धनीय धागे से
दृढ़ आधार से लटकाया जाए और वह घर्षणहीन दोलन करे तो इस प्रयासी (system)
को सरल दोलक कहा जाता है।
      कथन को आदर्श स्थिति में होना असंभव है, क्योंकि बिन्दुमात्रा का भारी होना,
धागा का भारहीन होना और अवर्द्धनीय होना संभव नहीं है। इसलिए रेशम के एक
हल्के तथा मजबूत धागे से धातु की एक छोटी गोली बाँधकर लटका दी जाती है,
और यही व्यावहारिक रूप से सरल दोलक का काम करता है।

20. स्थितिज ऊर्जा को पारिभाषित कीजिए तथा उदाहरण दीजिए।
उत्तर― किसी वस्तु में उसकी स्थिति ऊर्जा अथवा आकार के कारण जो ऊर्जा
निहित होती है, उसे स्थितिज ऊर्जा कहते है।
         उदाहरण―(i) छत के ऊपर स्थित पानी की टंकी में भरे पानी में अपनी
दशा (ऊँचाई) के कारण स्थितिज ऊर्जा निहित है। (ii) घड़ी के स्प्रिंग में विन्यास
(configuration) के कारण स्थितिज ऊर्जा है। (iii) अपनी सामान्य आकृति से
अधिक खींची गई कमानी में स्थितिज ऊर्जा है।

21. ऊर्जा रूपान्तरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर―ऊर्जा का एक प्रकार से दूसरी प्रकार में परिवर्तन ऊर्जा रूपान्तरण
कहलाता है।
    उदाहरण―जब कोई वस्तु किसी निश्चित ऊँचाई से गिराई जाती है, तब
उसकी स्थितिज ऊर्जा धीरे-धीरे गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।

22. सम्बन्ध गतिज ऊर्जा =1/2mv² स्थापित करें।
उत्तर : माना कि m द्रव्यमान की वस्तु पर बल F लगाने से उसका वेग शून्य
से v हो जाता है तथा वस्तु में विस्थापन S होता हे।
किया गया कार्य = F × s      ..... (1)
परन्तु F=m×a (a = त्वरण)
हम जानते हैं कि v² = 2as
∴  कार्य = m(v²/2) = 1/2(mv²)
यह कार्य की गति के कारण हुआ है, अतः गतिज ऊर्जा = 1/2mv²

                                    दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं
तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा
करते हुए ऊर्जा संरक्षण के नियमन को स्पष्ट कीजिए। गोलक कुछ समय
पश्चात् विराम अवस्था में क्यों आ जाता है? अंतत: इसकी ऊर्जा का क्या
होता है? क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन है?
उत्तर : (i) लोलक की गोली की स्थितिज ऊर्जा उस समय सर्वाधिक होती है
जब इसे एक तरफ खींचा जाता है। जब इसे दोलन के लिए छोड़ा जाता है, तो
प्रत्येक अधिकतम विस्थापन की स्थिति में स्थितिज ऊर्जा अधिकतम तथा गतिज
ऊर्जा शून्य होती है। साथ ही, माध्य की स्थिति में गतिज ऊर्जा अधिकतम होती है
जबकि स्थितिज ऊर्जा शून्य होती है। दूसरे शब्दों में, लोलक की गोली की स्थितिज
ऊर्जा में आई कमी के अनुपात में ही गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है, किंतु कुल ऊर्जा
हमेशा संरक्षित रहती है।
          (ii) लोलक की गोली अंतत: रुक जाती है। ऐसा लोलक जिस बिंदु से बंधा
रहता है, उसके साथ घर्षण के कारण तथा दोलन करती हुई गोली का हवा के साथ
घर्षण के कारण होता है। इस घर्षण के कारण दोलन करती हुई गोली की यांत्रिक
ऊर्जा धीरे-धीरे ऊष्मा या ताप ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।
        (iii) अंतत: यह ताप ऊर्जा वातावरण में खो जाती है।
        (iv) नहीं, यह ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं है।

2. ऊर्जा के सरंक्षण का सिद्धान्त लिखें। सिद्ध करें कि स्वतंत्र रूप से गिरते
हुए पिण्ड की ऊर्जा अचर रहती है।
उत्तर―ऊर्जा के सरंक्षण का सिद्धांत―ब्रह्माण्ड में ऊर्जा न तो उत्पन्न की
जा सकती है और न नष्ट की जा सकती है, सिर्फ एक रूप से दूसरे रूप में उसका
रूपांतरण हो सकता है।

स्वतंत्र रूप से गिरते हुए पिंड की ऊर्जा―गुरूत्व के अधीन किसी ऊँचाई
से मुक्त रूप से गिरता हुआ पिंड भी इस सिद्धान्त का पालन करता है।
माना कि m द्रव्यमान का कोई पिंड पृथ्वी तल से h ऊँचाई
पर A पर स्थित है। अतः A पर पिंड का वेग शून्य होने के कारण
उसकी गतिज ऊर्जा K₁ = 0, किन्तु इसकी स्थितिज ऊर्जा
⍉ = mgh, जहाँ g गुरूत्वीय त्वरण है, इसलिए स्थिति A पर पिंड
की कुल ऊर्जा E₁ = K₁ + ⍉₁ = 0 + mgh = mgh
        यदि अब पिंड A से मुक्त रूप से गुरूत्व बल mg के कारण
नीचे गिरता है तो A से s दूरी नीचे B पर इसका वेग
v² = 0² + 2gs या v = √2gs
B पर, पृथ्वी तल से इसकी ऊँचाई = h s
अतः स्थिति B पर पिंड की गति ऊर्जा K₂ = 1/2mv² = 1/2m × 2gs = mgs
और इसकी स्थितिज ऊर्जा ⍉₂ = mg(h – s) = mgs – mgs
∴ B पर पिंड की कुल ऊर्जा E₂ = K₂ + ⍉₂ = mgs + mgh – mgs
∴ E₂ = mgh
अतः गुरूत्व के अधीन स्वतंत्र रूप से किसी ऊँचाई से गिरते हुए पिंड का
कुल ऊर्जा अचर रहती है। स्थितिज ऊर्जा की कमी गतिज ऊर्जा की वृद्धि से पूरी
हो जाती है।
         इससे स्पष्ट होता है कि स्वतंत्र रूप से गिरता हुआ पिंड ऊर्जा संरक्षण के
सिद्धान्त का पालन करता है।

3. जब पिंड एक चिकने नत समतल पर नीचे की ओर चलता है, तो किए गए
कार्य का एक सूत्र प्राप्त करें।
अथवा, जब वस्तु का विस्थापन आरोपित वल की दिशा में न हो तो किया
गया कार्य ज्ञात करें।
उत्तर―मान लिया किm द्रव्यमान का एक पिंड चिकने नत समतल पर 
नीचे की ओर A से B तक s दूरी से सरकता है। पिंड पर ऊर्ध्वाधर दिशा में
नीचे की ओर गुरूत्व-बल mg लग रहा है और विस्थापन AB नत समतल 
की दिशा में है। बल की दिशा में विस्थापन का घटक AC है।
          अब AC=ABcosθ जिसमें θ विस्थापन तथा बल के बीच कोण है। 
अतः बल की दिशा में चली गई दूरी AC = s.cos θ.
∴ गुरूत्व-बल द्वारा किया गया कार्य W = mg.s.cos θ = F.s. cos θ जिसमें
F को mg के स्थान पर लिखा गया है।

4. चन्द्रमा पर पलायन वेग का मान निकाले।
उत्तर―चन्द्रमा पर पलायन वेग
     = 2240 मीटर/सेकेण्ड = 2.240 किमी./सेकेण्ड।

5. पलायन वेग से क्या समझते हैं? पलायन वेग का सूत्र स्थापित करें। पृथ्वी.
पर पलायन वेग का मान निकाले।
उत्तर―पलायन वेग वह न्यूनतम वेग है जिस वेग से यदि किसी पिण्ड को
फेंका (प्रक्षेपित) जाए तब वह पृत्वी के गुरुत्वाकर्षण के बाहर चला जाएगा और
पुनः लौटकर पृथ्वी पर नहीं आएगा। इस वेग से अधिक वेग होने पर पिण्ड अन्तरिक्ष
में चला जाएगा।
            मान लिया कि v वेग से कोई पिण्ड पृथ्वी पर अन्तरिक्ष पलायन के लिए फेका
जाता है।
∴ पिण्ड की गतिज ऊर्जा = 1/2 mv², जहाँ m पिण्ड का द्रव्यमान है।
पिण्ड को गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत कार्य करने के लिए आवश्यक ऊर्जा
= Gmₑm/Rₑ पलायन के लिए,
           = 11.20 km/s इसका प्रमाणित मान 11.16 km/s है।

6. गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा में अन्तर बताएँ।
उत्तर―
स्थितिज ऊर्जा                                    गतिज ऊर्जा
(i) स्थिति अथवा आकार के कारण        (i) गति के कारण पिण्ड में कार्य करने
पिण्ड में जो कार्य करने की क्षमता              की जो क्षमता रहती है, उसे गतिज
उत्पन्न होती है, उसे स्थितिज                    ऊर्जा कहते हैं।
ऊर्जा कहते है।
(ii) m द्रव्यमान का पिण्ड h ऊँचाई        (ii) m द्रव्यमान का पिण्ड जब v वेग
पर हो, तब स्थितिज ऊर्जा mgh                 से गतिशील हो, तब गतिज ऊर्जा
होगी।.                                                   1/2mv² होगी।
(iii) ऊँचाई बदलने से स्थितिज ऊर्जा      (iii) वेग बदलने से गतिज ऊर्जा
बदलती है।                                               बदलती है।
(iv) ऊँचाई पर अवस्थित विरामावस्था    (iv) ऊँचाई पर अवस्थित गतिशील
के पिण्ड में केवल स्थितिज ऊर्जा                 पिण्ड में दोनों प्रकार की ऊर्जा
रहती है।                                                  रहती है।
(v) यह क्रियाशील ऊर्जा नहीं है।           (v) यह क्रियाशील ऊर्जा है।

7. सरल दोलक दोलन क्यों करता है?
उत्तर―स्थिति (1)―माना कि सरल दोलक का लोलक विरामावस्था में है।
इस स्थिति में लोलक A पर दो बल कार्य करते है―

(a) पृथ्वी का गुरुत्व बल (गुरूत्वाकर्षण बल) ठीक नीचे की ओर।

(b) डोरी का खिंचाव (तनाव) ठीक ऊपर की ओर। गुरुत्वाकर्षण बल को
डोरी का खिंचाब संतुलित किए हुए हैं। अतः लोलक (bob) विरामावस्था में है।

स्थिति (2)–लोलक को महत्तम विस्थापन की स्थिति B पर ले जाकर छोड़
देते हैं। यहाँ भी लोलक पर दो बल कार्य करते हैं–(a) भार (ठीक नीचे की ओर)

(b) डोरी का खिंचाव (ठीक ऊपर की ओर)।
       डोरी का खिंचाव बल गुरुत्व बल को संतुलित नहीं कर पाता है। अतः, वह
नीचे गिरता है। लेकिन, धागा उसे एक सीमा तक ही गिरने देती है और गिरने का
पथ वृत्त का चाप होता है।

स्थिति (3)―A पर आते-जाते गुरुत्व बल डोरी के खिंचाव को संतुलित कर
लेता है लेकिन तब तक उसमें चाल आ गया रहता है। इससे उसमें गति-जड़त्व
आ जाता है। इस गति-जड़त्व के कारण लोलक बाई ओर C की ओर चलता है।
A से आगे बढ़ते ही उसकी चाल घटने लगती है।

स्थिति (4)―C तक आते-आते उसकी चाल शून्य हो जाती है और वह पुनः
C से नीचे A की ओर गिरता है। a से हटते ही हर समय लोलक पर प्रत्यानयन
बल कार्य करता है। पर घर्षण बल तथा निलम्बन बिन्दु का घर्षण बल इस गति का
विरोध करता है। फलतः कुछ समय के बाद आयाम घटते-घटते शून्य हो जाता है।

                                               ◆◆

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