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   Jharkhand Board Class 9TH Science Notes | जीवों में विविधता  

     JAC Board Solution For Class 9TH  Science  Chapter 7


1. जीवों के वर्गीकरण के लिए सर्वाधिक मूलभूत लक्षण क्या हो सकता है?
(a) उनकी निवास स्थान। (b) उनकी कोशिका संरचना।
उत्तर : (b) कोशिकाओं के प्रकार, क्योंकि कोशिकीय संगठन दो प्रकार का
होता है―(i) असीमकेंद्रकी तथा (ii) ससीमकेंद्रकी।

2. जीवों के प्रारंभिक विभाजन के लिए किस मूल लक्षण को आधार बनाया
गया है?
उत्तर : वास स्थान के आधार पर वर्गीकरण।

3. किस आधार पर जंतुओं और वनस्पतियों को एक दूसरे से भिन्न वर्ग में
रखा जाता है?
उत्तर : (i) कोशिकीय संगठन के आधार पर। (ii) कोशिका भित्ति के आधार
पर। (iii) पोषण क्रिया के आधार पर।

4. आदिम जीव किन्हें कहते हैं? ये तथाकथित उन्नत जीवों से किस प्रकार
भिन्न हैं?
उत्तर : एक कोशिकीय जीव आदिम निम्न है। ये उच्च जीवों से कोशिकीय
संगठन तथा कार्यों में भिन्न होते है। उच्च जीवों का संगठन जटिल होता है तथा
इनमें श्रम विभाजन पाया जाता है।

5. क्या उन्नत जीव और जटिल जीव एक होते हैं?
उत्तर : हाँ, जटिलता विकास के साथ बढ़ती है।

6. मोनेरा अथवा प्रोटिस्टा जैसे जीवों के वर्गीकरण का मापदंड क्या है?
उत्तर : (i) कोशिकीय संगठन, (ii) कोशिका भित्ति, (iii) केंद्रक, (iv) पोषण
की रीति आदि।

7. प्रकाश-संश्लेषण करने वाले एककोशिक, यूकैरियोटी जीव को आप किस
जगत में रखेंगे?
उत्तर : मोनेरा में।

8. वर्गीकरण के विभिन्न पदानुक्रमों किस समूह में सर्वाधिक समान लक्षण
वाले सबसे कम जीवों को और किस समूह में सबसे ज्यादा संख्या में जीवों
को रखा जाएगा?
उत्तर : समूह जगत में सबसे अधिक जीव होते हैं तथा समूह जाति में सबसे
कम जीव होते हैं क्योंकि जगत सर्वोच्च स्तर है। जाति वर्गीकरण का निम्नतम
स्तर है।

9. सरलतम पौधों को किस वर्ग में रखा गया है?
उत्तर : थैलोफाइटा।

10. वर्गीकरण क्या है?
उत्तर : वस्तुओं को उनकी समानता व भिन्नता के आधार पर अनेक वर्गों में
बाँटना वर्गीकरण कहलाता है।

11. विज्ञान की उस शाखा का नाम लिखो जो वर्गीकरण के अध्ययन से
संबंधित है?
उत्तर : टैक्सोनॉमी (वर्गिकी)

12. समान जीवों का निम्नतम वर्ग क्या है?
उत्तर : स्पीशीज (जाति)

13. स्पीशीज की परिभाषा लिखो। इसके लक्षण लिखो।
उत्तर : समान संरचना व कार्यों वाले जीवों के समूह को स्पीशीज कहते हैं।
एक स्पीशीज के जीव आपस में प्रतिक्रिया कर सकते हैं।

14. जीवित संसार को सबसे रुचिकर पक्ष क्या है?
उत्तर : जैव विविधता जीवित संसार का सबसे रुचिकर पक्ष है। जिसका कारण
हे प्रत्येक जीव का अपने आप में अनोखा होना।

15. जैव विविधता किस प्रकार अस्तित्व में आयी?
उत्तर : जैव विविधता पिछले 350 करोड़ वर्षों में हुए जैव विकास का
परिणाम है।

16. वैज्ञानिक नाम के दो अवयव कौन से हैं?
उत्तर : (i) पहला जीनस (वंश या वर्ग) संबंधी, (ii)दूसरा जातीय नाम।

17. द्विनाम पद्धति का प्रवर्तक कौन है?
उत्तर : केरोलस लीनियस।

18. मनुष्य का वैज्ञानिक नाम बताओ।
उत्तर : होमो सेपिएन्स।

19. पाँच जगतीय वर्गीकरण प्रणाली में तीसरा जगत प्रोटिस्टा किसने जोड़ा था?
उत्तर : ई. एच. हैकल ने 1866 में एककोशिकीय जीवों को प्रोटिस्टा नाम
दिया।

20. आइशलर द्वारा वनस्पति जगत को किन दो उपजगतों में बाँटा गया है?
उत्तर : आइशलर ने वनस्पति जगत को निम्नलिखित दो उपजगतों में बाँटा
 है―(i) क्रिस्टोगेमी (बिना बीज वाले पौधे), (ii) फैनेरोगेम (बीज वाले पौधे)।

21. शैवाल तथा कवक किस समूह में आते हैं?
उत्तर : थैलोफाइटा।

22. डिविजन स्पर्मेटोफाइटा किस उपजगत में सम्मिलित है?
उत्तर : फैनेरोगेमी में।

23. प्राणी जगत के वर्गीकरण का क्या आधार है ?
उत्तर : कोशिका संगठन, सममिति और नोटोकॉर्ड व देहगुहा का होना या न
होना।

24. प्राणियों की उस फाइलम का नाम लिखिए जिसमें एककोशिकीय जीव हैं?
उत्तर : प्रोटोजोआ।

25. किस वर्ग के जंतुओं में हृदय तीन प्रकोष्ठों वाला होता है?
उत्तर : जल स्थलचर जंतुओं में।

26. किस वर्ग में मुँह का अग्र भाग चोंच में परिवर्तित होता है?
उत्तर : पक्षी वर्ग।

27. सबसे बड़ा वर्ग कौन-सा है?
उत्तर : स्तनधारी।

                            लघु उत्तरीय प्रश्न

1. हम जीवधारियों का वर्गीकरण क्यों करते हैं?
उत्तर : सजीवों का वर्गीकरण हमारी निम्न प्रकार से सहायता करता है―
(i) ये विभिन्न प्रकार के जंतुओं (जीवों) के अध्ययन को आसान करता है।
(ii) हम सभी प्रकार के जीवन को एक ही बार में जान सकते हैं।
(iii) इससे सभी जीवों के मध्य पारस्परिक सम्बन्ध का पता चलता है।
(iv) यह दूसरे जैविक विज्ञान के विकास में सहायता करता है।

2. अपने चारों ओर फैले जीव रूपों की विभिन्नता के तीन उदाहरण दें।
उत्तर (i) विभिन्नता परिसर जीवों की आयु में जैसे मच्छर कुछ ही दिन
जीवित रहता है जबकि गाय व कुत्ता लंबे दिनों तक जीवित रहते है। (i) सजीवों
के रंगों में विविधताएँ। (iii) सजीवों के आकार व आकृति में अंतर।

3. जीवों के वर्गीकरण के लिए सर्वाधिक मूलभूत लक्षण क्या हो सकता है?
(a) उनका निवास स्थान (b) उनकी कोशिका संरचना।
उत्तर : (b) कोशिकाओं के प्रकार से जिससे वे बने होते हैं।
कारण―एक ही स्थान में रहने वाले जीवों में समानताएँ हो भी सकती है
और नहीं भी हो सकती। अत: वासस्थान वर्गीकरण का आधार नहीं बन सकता।

4. आदिम जीव किन्हें कहते हैं? ये तथ.थित उन्नत जीवों से किस प्रकार
भिन्न हैं?
उत्तर : ऐसे जीवों को जिनके शरीर प्राचीन बनावट के है तथा जिनमें कोई
खास परिवर्तन नहीं आया, उन्हें प्रीमिटिर जीव कहते हैं। विकसित जीव वे जीव है
जो पहले की अपेक्षा एक प्रकार की शारिक आकृति प्राप्त करते हैं। शारीरिक बनावट
के अनुसार प्राचीन जीव सरल संरच । वाले होते थे जबकि आधुनिक जीवों के शरीर
की बनावट कुछ अधिक जटिल हो गयी है।

5. क्या उन्नत जीव और जटिल जीव एकते हैं?
उत्तर : आधुनिक जीव इसी प्रकार जटिल संघटन वाले जीव ही रहेगे क्योकि
उन्होंने एक खास शारीरिक आकृति प्राप्त कर ली है जबकि प्राचीन जीव इस प्रकार
के नहीं थे। ऐसी संभावना है कि आधुनिक विकसित जीव अपने विकास काल में
और अधिक जटिलता प्राप्त करेंगे जिससे वे आसानी से बदलते बातावरण में जीवित
रह सकें।

6. मोनेरा अथवा प्रोटिस्टा जैसे जीवों के वर्गीकरण के मापदंड क्या हैं?
उत्तर : मोनेरा―ऐसे जीव एक कोशिकीय है तथा केन्द्रक व अन्य कोशिकांग
झिल्ली से आवरणयुक्त नहीं होते।
प्रोटिस्टा―ऐसे जीवों को जो एक कोशिकीय है जिनके केन्द्रक व अन्य
कोशिकांग झिल्ली से ढके होते हैं। प्रोटिस्टा में रखा गया है।

7. टैरिडोफाइट और फैनरोगेपस में क्या अन्तर है?
उत्तर:
टेरिडोफाइट                                           फैलरोगेमस
(i) एम्बसो खुला होता है।                      (i) बीज फल के अन्दर होता है।
(ii) प्रजनन अंग छिपे होते है, अत:         (ii) प्रजनन अंग स्पष्ट तथा प्रजनन
इसे क्रिष्टोगै भी कहा जाता है                      ऊतकों में विभक्त होते हैं। इसमें
जिसका अर्थ है छिपे हुए प्रजनन                  प्रजनन के बाद फल व बीज
अंग।                                                       उत्पन्न होते हैं।

8. जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
जिम्नोस्पर्म                                                    एंजियोस्पर्म
(i) इनमें शंकु के आकार के स्पॉरोफिल।     (i) इनमें फूल होते हैं। फूलों में नर व
होते हैं जिनमें नर व मादा जननांग                 मादा जननांग होते है।
होते हैं।
(ii) बीज फलों से ढके नहीं होते।               (ii) बीज फलों से ढके होते हैं।

9. पोरीफेरा और सीलेन्ट्रेटा के जन्तुओं में क्या अन्तर है?
उत्तर:
पोरीफेरा                                                    सीलेन्ट्रेटा
(i) इनके शरीर पर छिद्र होते है जिन्हें          (i) इनके शरीर में केवल एक ही छिद्र
ऑस्टिपा कहते है।                                       होती है।
(ii) जल के स्थानान्तरण के लिए                (ii) इनमें कैनाल सिस्टम नहीं होता।
कैनाल सिस्टम होता है।
(iii) बाहा ककाल होता है।                       (iii) कंकाल नहीं होता
(iv) स्पर्शक नहीं होते।                             (iv) स्पर्शक होते हैं।

10. एनीलिडा के जंतु आर्थोपोडा के जन्तुओं से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
एनीलिडा                                            आर्थोपोडा
(i) इनके शरीर में वास्तविक केविटी        (i) सोलोमिक गुहा होती है।
होती है।
(ii) सीलोमिक गुहा में रुधिर नहीं होता।  (ii) सोलोमिक गुहा में रुधिर नहीं होता।
(iii) गति के लिए पार्श्व एपेडेजिज होते   (iii) इनके जुड़े हुए पैर होते हैं। जो गति
हैं।                                                          के लिए होते हैं।

11. जल-स्थलचर और सरीसृप में क्या अन्दर है?
उत्तर:
एम्फीविया                                             सरीसृप
(i) ये जीव स्थल व जल दोनों में रहते        (i) जीव या तो जल में या स्थल पर
है।                                                          रहते है।
(ii) शरीर पर स्केल होते है।                    (ii) इनके शरीर पर भी स्केल होते हैं।
(iii) इनके अंडों के चारों तरफ कठोर       (iii) अंडों के चारो तरफ आवरण होता
आवरण नहीं होता।                                     है।
(iv) ये जल में अंडे देते हैं।                    (iv) अंडों के लिए जल आवश्यक नहीं
                                                                होता
(v) प्रजनन के लिए जल आवश्यक है।     (v) इनके प्रजनन के लिए जल
                                                                आवश्यक नहीं है।

12. पक्षी वर्ग और स्तनधारी वर्ग के जंतुओं में क्या अन्तर है?
उत्तर:
एवीज                                                      स्तनधारी
(i) इनकी चोंच होती है।                       (i) इनके चौच नहीं होती।
(ii) इनके शरीर पर पंख होते हैं।           (ii) इनका शरीर बालों से ढका होता है।
(iii) अग्रपाद पखों में बदल जाते है।      (iii) पंखों में नहीं बदलते हैं।
(iv) ये अंडे देते हैं।                             (iv) अधिकतर जीव बच्चे देते है।
(v) स्तनों में मैमेरी ग्रन्थि नहीं होती जो   (v) दूध उत्पादन के लिए मैमेरी
बच्चों को दूध पिलाने का काम नहीं              ग्रन्थियाँ होती है।
करती है।

13. जीवों के वर्गीकरण से क्या लाभ है?
उत्तर : सजीवों का वर्गीकरण हमारी निम्न प्रकार से सहायता करता है-
(i) ये विभिन्न प्रकार के जन्तुओं (जीवो) के अध्ययन को आसान करता है।
(ii) हम सभी प्रकार के जीवन को एक ही बार में जान सकते हैं।
(iii) इससे सभी जीवों के मध्य पारस्परिक सम्बन्ध का पता चलता है।
(iv) यह दूसरे जैविक विज्ञान के विकास में सहायता करता है।

14. वर्गीकरण में पदानुक्रम निर्धारण के लिए दो लक्षणों में से आप किस लक्षण
का चयन करेंगे?
उत्तर : ऐसा गुण जो पहले गुणों पर निर्भर है जो अगली वैराइटी को निर्धारित
अते हैं, ऐसे गुणों का चुनाव करते हैं।

15. जीवों का पाँच जगत में वर्गीकरण के आधार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर : (i) जीव प्रोकैरियोटिक है या यूकैरियोटिक है।
(ii) जीव एककोशिकीय या बहुकोशिकीय है या नहीं।
(iii) कोशिका में कोशिका भित्ति है या नहीं।
(iv) वे अपना भोजन स्वयं बनाते है या नहीं।

16. पादप जगत के प्रमुख वर्ग कौन हैं? इस वर्गीकरण का क्या आधार है?
उत्तर : पाँच प्रमुख समूह है―(i) थैलोफाइटा, (ii) ब्रायोफाइटा, (iii)
टैरीडोफाइट, (iv) जिम्नोस्पर्म, (v) एन्जियोस्पर्म
वर्गीकरण का आधार—
(i) क्या पौधे में स्पष्ट अवयव है या नहीं?
(ii) क्या पौधे में स्पष्ट व अलग ऊतक है जो जल व भोजन का स्थानान्तरण
करते हैं?
(iii) क्या पौधे में बीज है?
(iv) क्या बीज फल से ढके होते है?

17. जन्तुओं और पौधों के वर्गीकरण के आधारों में मूल अन्तर क्या है?
उत्तर : पौधों के वर्गीकरण के आधार— (i) स्पष्ट अवयवों की उपस्थिति,
(i) स्पष्ट स्थानान्तरण ऊतक, (ii) बीज उत्पन्न करने की क्षमता, (iv) बीज फलों
से ढ़के है या नहीं।
        जन्तुओं को इन बिन्दुओं के आधार पर समूहों में नहीं विभाजित किया जा
सकता। जीव शारीरिक बनावट के आधार पर विभाजित होते हैं।

18. वर्टीबेटा (कशेरुका पक्षी) को विभिन्न वर्गों में बाँटने के आधार की व्याख्या
कीजिए।
उत्तर : वर्टीबेटा को उपसमूहों में फिर से विभाजित किया जा सकता है। इनका
आधार है सरल से जटिल की तरफ, तथा उनके कार्य। उदाहरण―मछली के हृदय
में दो कक्ष होते है, एम्फीवियनों के हृदय में 3 कक्ष जबकि पक्षी व स्तनधारी के
हृदय में 4 कक्ष होते है। इनमें ऑक्सीजन युक्त व ऑक्सीजन रहित रुधिर को अलग
रखने के लिए।

19. वर्गीकरण का क्या महत्त्व है?
उत्तर―वर्गीकरण का सजीवों में निम्नलिखित महत्त्व है―(i) यह जैविक
विज्ञान के विकास में सहायता करता है। (ii) इससे सभी जीवों के बीच पारस्परिक
संबंध का पता चलता है। (iii) इससे सभी प्रकार के जीवों के अध्ययन करने में
सहायता मिलती है। (iv) इससे सभी जीव-जन्तुओं के जीवन को एक ही बार में
जान सकते है।

20. जीवों के स्थानीय नाम क्यों पर्याप्त नहीं हैं? वैज्ञानिक नामों के क्या लाभ
है?
उत्तर—एक जीव का दूसरे जीवों में अन्तर समझने के लिए नाम की
आवश्यकता होती है। साधारण नाम केवल किसी क्षेत्र के जीवों को जानने के लिए
आवश्यक होते है। किसी एक क्षेत्र में किसी जीव को दिया जाने वाला नाम ही पर्याप्त
है दूसरे क्षेत्र में यही नाम अव्यवस्था पैदा करता है। इसीलिए दूसरे जीव
के लिए साधारण नाम ही पर्याप्त नहीं है।
                  वैज्ञानिक नामों के लाभ —वैज्ञानिक नाम पूरे विश्व में एक ही होता है। अत:
कोई गड़बड़ी पैदा नहीं होती। वैज्ञानिक नाम तुरन्त किसी जीव के बारे में पूरी जानकारी
देता है।

21. द्विपद नामपद्धति क्या है? एक उदाहरण की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर—द्विपद नामपद्धति का अर्थ होता है—दो नाम। इसलिए इसके अनुसार
प्रत्येक जीव के नाम को दो भागों में बाँटते है। पहला 'जेनेरिक' अथवा जीनस (वंश
या वर्ग) संबंधी तथा दूसरा 'जातीय नाम'। 'जेनेरिक नाम का पहला अक्षर बड़ी
वर्णमाला में और जातीय नाम का पहला अक्षर छोटी वर्णमाला में लिखा जाता है।
उदाहरण के लिए मनुष्य का वैज्ञानिक नाम 'होमो सेपियन्स' होता है जिसमे होमो
'जेनेरिक' नाम है और 'सेपियन्स' प्रजातीय नाम है।

22. पौधों और प्राणियों में भेद करने वाली विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर—पौधों और प्राणी में अन्तर—
पौधे                                                          प्राणी
 (i) पौधे स्थिर होते है।                               (i) प्राणी गति करते है।
(ii) पौधे जीवन पर्यन्त बढ़ते रहते है।          (ii) प्राणी एक निश्चित समय तक ही
                                                                  बढ़ते है।
(iii) इसमें कोशिका के बाहर कोशिका          (iii) इसमें कोशिका भित्ति नहीं पाई |
भित्ति पाई जाती है।                                        जाती है।
(iv) इसमें क्लोरोप्लास्ट होता है जो कि        (iv) इसमें क्लोरोप्लास्ट नहीं पाया
भोजन बनाने में मदद करता है।                         जाता है।
(v) पौधे अपना भोजन स्वयं बनाते हैं।          (v) प्राणी परपोषी होते हैं। वे पौधे एवं
अतः ये स्वयंपोषी होते है।                                दूसरे प्राणी पर निर्भर रहते हैं।

23. काटा की चार मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर―कशेरूकी प्राणियों की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं―(i) यह
सबसे विकसित जीवों का समूह होता है। (ii) इनमें खाली पार्श्व तंत्रिका होता है।
(iii) पीछे पूँछ होती है। (iv) इनमें नोटोकार्ड उपस्थित होता है।

24. जन्तुओं के कुछ प्रमुख गुण बताएँ।
उत्तर―जन्तुओं के कुछ प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं―(i) जन्तु बहुकोशिकीय
होते हैं। (ii) जन्तु विषमपोषी होते हैं। (iii) जन्तु स्वयं गति कर सकते हैं। (iv)
जन्तुओं में तंत्रिका तंत्र पाया जाता है।

25. लाइकेन का वर्णन कीजिए।
उत्तर―लाइकेन का पादप शरीर शैवाल कवक से मिलकर बना होता है।
इसलिए यह सहजीवी संबंध का एक उदाहरण है। इनमें शैवाल का मुख्य कार्य भोजन
बनाना तथा नाइट्रोजन स्थिर करना होता है।
         कवक लाइकेन को संपूर्ण आकार, उच्च प्रकार की तीव्रता से शैवाल की सुरक्षा
तथा सबस्ट्रेट से खनिज और पानी का अवशोषण करता है।

                                दीर्घ उतरीय प्रश्न

1. वनस्पति जगत का विस्तृत वर्णन करें।
उत्तर―इस जगत में सभी पौधों को रखा गया है जो कि अपना भोजन स्वयं
बनाते हैं। इसमें प्रजनन लैंगिग एवं अलैगिक दोनों प्रकार के पाए जाते हैं। वनस्पति
जगत को दो भागों में विभाजित किया गया है
(i) अपुष्पी पादप―इसमें फूल और बीज नहीं पाए जाते हैं। इसमें अधिकांश
पौधे अलैगिक प्रजनन करते हैं। इनके तीन वर्गों में विभाजित करते हैं।

(क) थैलोफाइटा―इसमें पौधा अविभक्त होता है। इन पौधों में संवहन तंत्र
नहीं होता है। इसमें प्रजनन तंत्र एक कोशिकीय होता है तथा निषेचन के बाद भ्रूण
नहीं बनता है। इस वर्ग के पौधे निम्नलिखित है―(i) शैवाल, (ii) फफूंदी, (iii)
लाइकेन।

(ख) ब्रायोफाइटा―इस वर्ग के पौधे साधारण होते हैं। इन पौधे में पत्तियाँ,
जड़ एवं संवहन तंत्र विकसित नहीं होते हैं। इनमें बहुकोशिकीय प्रजनन तंत्र पाया
जाता है और निषेचन के बाद भ्रूण बनता है। इस वर्ग के पौधे निम्नलिखित हैं―(i)
लीवर वर्ट, (ii) हार्नवर्ट, (iii) मास।

(ग) टैरीडोफाइटा―इस वर्ग के पौधे में सर्वहन तंत्र विकसित होता है,
इनका शरीर जड़, तना एवं पत्तियों में विभाजित होता है। इनमें प्रजनन-तंत्र
बहुकोशिकीय होता है तथा ये स्वयंपोषी होते हैं। सभी प्रकार के फर्न इसके उदाहरण

(ii) पुष्पी पादप―इस पौधे में सभी बीज वाले पौधे होते हैं। इनका शरीर
जड़, तना तथा पत्तियों में विभाजित होता है तथा संवहन तंत्र विकसित होता है।
इनमें बहुकोशिकीय जनन तंत्र पाया जाता है।
       इस प्रकार के पौधों को फलों की उपस्थिति के आधार पर दो भागों में विभाजित
किया जाता है―
(i) जिन्मोस्पर्मी―इनमें बीज अच्छी तरह फलों में बंद होता है। इनको बीज
के आधार पर दो भागों में विभाजित किया जाता है―
(क) एकबीजपत्री―इस प्रकार के पौधे के बीजों में एक बीजपत्र पाया जाता
है, जैसे―गेहूँ, चावल, मक्का इत्यादि।

(ख) द्विवीजपत्रा―इस प्रकार के पौधे में दो बीजपत्र पाए जाते है।
जैसे―चना, मटर इत्यादि।

2. जीवों के स्थानीय नाम क्यों पर्याप्त नहीं है? वैज्ञानिक नामों के क्या लाभ
हैं?
उत्तर : एक जीव का दूसरे जीवों से भेद करने के लिए नामों का होना आवश्यक
है। पौधों और प्राणियों का नाम देना मानव सभ्यता के साथ ही शुरू हो गया था। ये
नाम स्थानीय थे। स्थानीय नाम क्षेत्रीय स्तर पर अपना उद्देश्य भली-भाँति पूरा करते
है लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थानीय नाम अपना उद्देश्य पूरा
नहीं कर पाते। उदाहरण के लिए एक विशेष प्रकार के जीव का नाम हिन्दी में कुत्ता,
बंगाली में कुकुर, मराठी में कुत्र, तमिल में नाई तथा अंग्रेजी में डॉग है। इस प्रकार
एक ही प्रकार के जीव का नाम भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न है। एक स्थानीय
नाम दूसरे स्थानीय नाम से बिल्कुल भिन्न है। इसलिए जीवों के ऐसे नाम का होना
आवश्यक है जिसे पूरे विश्व में समान रूप से समझा जा सके। ऐसे नाम को वैज्ञानिक
नाम कहते हैं।
वैज्ञानिक नामों के कई लाभ हैं ―(i) वैज्ञानिक नाम अनन्य होता है जिसे
विश्वभर में समझा जाता है तथा जिसका अनुसरण विश्वभर में किया जाता है।
(ii) वैज्ञानिक नाम अंतर्राष्ट्रीय कोड में दी गई नियमावली से संचालित होते है।
(iii) वैज्ञानिक नाम क्षेत्र, या देश के साथ बदलते नहीं है। (iv) वैज्ञानिक नाम के
दो घटक होते हैं―पहला जीनस (वंश या वर्ग) संबंधी तथा दूसरा जातीय नाम।
इस प्रकार वैज्ञानिक नाम जीव का कुछ अन्य जीवों से संबंध भी प्रदर्शित करते है।

3. बर्टीब्रेटा का वर्णन करें।
उत्तर : वर्टीब्रेटा, संघ कार्डेटा का उपसंघ है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ
निम्नलिखित है―(i) सिर पूरी तरह से विकसित होता है। (ii) तंत्रिका तंत्र काफी
विकसित होता है और दिमाग काफी जटिल होता है। (iii) नोटोकार्ड भ्रूणीय अवस्था
में होती है। बाद में नोटोकार्ड जुड़े हुए कशेरूकाओं में परिवर्तित हो जाती है। (iv)
विकसित प्राणी श्वसन फेफड़ों द्वारा करते हैं। जलीय प्राणी में श्वसन गिल्स के द्वारा
होता है। (v) फिन्स उपस्थित होती हैं।
                  उपसंघ वर्टीबेटा को सात वर्गों में बाँटा गया है―
(i) साइक्लोस्टोमेटा―ये सबसे प्राचीन कशेरूकी प्राणी होते हैं तथा परकोशी
होते हैं जो कि मछलियों के रक्त को चूसते है। इनका हृदय दो चैम्बर में विभाजित
होता है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ है कि इसमें अस्थियों नहीं पाई जाती है। इसका
मुँह बिना जबड़े का होता है। उदाहरण―पेट्रोमाइजॉन (लैंपरे)।

(ii) कोड्रिचोथाइज―इनमें अधिकांश प्राणी समुद्री होते है जिनकी लम्बाई 10
मीटर से 20 मीटर तक होती है। इनकी त्वचा साल्को से ढंकी हुई होती है, ये श्वसन
गिल्स के द्वारा करते है। इनका हृदय दो चैम्बर में विभाजित होता है।
उदाहरण―टॉरपीडो (विद्युत)।

(iii) ओस्टिचोथाइज―यह सभी प्रकार के जल में पाई जाती है। इनके शरीर
का आकार 1 सेमी से 4 सेमी तक होता है। इनका शरीर स्पिंडल की तरह तथा
अस्थितंत्र मजबूत होता है। इनके शरीर पर शल्क पाए जाते है। इनका मुंह ऊपर की
तरफ पाया जाता है। उदाहरण―उड़न मीन।

(iv) एम्फिबिया―एम्फिबिया वर्ग के प्राणी मृदु जल में पाए जाते हैं। इनका
रक्त ठंडा होता है। ये गिल्स, फेफड़े तथा त्वचा के श्वसन क्रिया करते हैं। इनका
हृदय तीन चैम्बर में विभाजित होता है। उदाहरण―मेंढक तथा (टोड)।

(v) रेप्टीलिया―ये जन्तु मुख्यतः भूमि पर रहने वाले होते हैं। इनके शरीर
पर शल्क पाए जाते हैं। ये केवल फेफड़ों द्वारा ही श्वसन क्रिया करते है। इनका
हृदय चार चैम्बर में विभाजित होता है। उदाहण―गिरगिट तथा भित्ति छिपकली।

(vi) एब्ज (पक्षी)―इस वर्ग की प्रमुख विशेषत है कि शरीर नुकीला एवं
पंखों से ढँका होता है। इसकी अस्थियाँ खोखली होती है। इनकी मांसपेशियाँ उड़ने
के लिए मजबूत होती है। दिमाग अच्छी तरह विकसित होता है तथा मुँह पर चोंच
होती है। उदाहरण―कबूतर, मोर।

(vi) मैमेलिया―इस वर्ग के प्राणी जमीन पर रहने वाले होते है तथा लगभग
सभी जगह पाए जाते हैं। इनके शरीर पर बाल पाए जाते हैं तथा श्वसन क्रिया
फेफड़ों द्वारा होती है। इनका हृदय चार चैम्बर में विभाजित होता है। इनका रक्त गर्म
होता है तथा दिमाग पूरी तरह विकसित होता है। उदाहरण―मानव, हाथी।

4. वर्टिबेटा (कशेरुक प्राणी) को विभिन्न भागों में बाँटने के आधार की विवेचना
करें।
उत्तर : वर्टिब्रेटा के पाँच वर्ग है―
वर्ग 1. मत्स्य―ये जलवासी है। इनमें त्वचा पर शल्क पाये जाते हैं। ये गिल्स
द्वारा श्वसन करते हैं। असमतापी प्राणी हैं। ये अंडे देते है। इनका कंकाल उपास्थि/
अस्थि का बना होता है।

वर्ग 2. उभयचर ―जल एवं थल दोनों में वास करते हैं। शल्कहीन,
असमतापी, अंडप्रजक। श्वसन गिल्स द्वारा (लार्वा में)। व्यस्क में फेफड़े।

वर्ग 3. सरीसृप―त्वचा शल्कयुक्त, हृदय तीन वेश्मी, क्रोकोडाइल में चार
वेश्मी। अंडो देने जल के बाहर आते हैं। अंडे कवच युक्त होते हैं।

वर्ग 4. ऐविज/पक्षी वर्ग―(i) ये उड़ते हैं। (ii) ये अंडे देते है। (iii) चार
वेश्मी हृदय। (iv) पंख/पंखों द्वारा उड़ान भरते हैं। अग्रपाद पंखों में परिवर्तित।

वर्ग 5. स्तनधारी―(i) समतापी, बालयुक्त प्राणी। (ii) श्वसन हेतु फेफड़े
होते हैं। (iii) हृदय चार वेश्मी। (iv) स्तनग्रंथियाँ पायी जाती हैं। (v) ये बच्चों को
जन्म देते हैं (केवल प्रोटोथीरिया को छोड़कर)।

5. पादप जगत के प्रमुख वर्ग कौन हैं? इस वर्गीकरण का क्या आधार है?
उत्तर : पादप जगत के मुख्य डिवीजन―



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