Jharkhand Board Class 9TH Hindi Notes | सबद (पद) ― कबीर
JAC Board Solution For Class 9TH Hindi Poem Chapter 2
1. मोकों कहाँ ढूँढे बंदे, मैं तो तेरे पास में ।
ना मैं देवल ना मैं मसजिद, ना काबे कैलास में ॥
ना तो कौने क्रिया-कर्म में, नहीं योग बैराग में ।
खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं, पल भर की तलास में।
कहैं कबीर सुनो भई साधो, सब स्वाँसों की स्वाँस में ।
(क) बंदा ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ता फिरता है ?
उत्तर― बंदा अर्थात् मनुष्य ईश्वर को मंदिर, मस्जिद, काबा-कैलाश पर्वत,
क्रिया-कर्म तथा योग-वैराग्य में ढूँढता फिरता है, किंतु उसे वह वहाँ नहीं
मिलता।
(ख) ईश्वर को कहाँ पाया जा सकता है ?
उत्तर― ईश्वर को सच्चा खोजी व्यक्ति क्षण भर की तलाश में ढूँढ सकता है। यह
सभी व्यक्तियों के अंदर साँस के रूप में विद्यमान है। परमात्मा आत्मा के
रूप में सभी मनुष्य के भीतर निवास करता है।
(ग) इस पद में कबीर ने किन बातों पर जोर दिया है?
उत्तर― इस पद में कबीर ने ईश्वर को अपने अंदर ही खोजने पर बल दिया है।
ईश्वर मंदिर, मस्जिद, तीर्थ, व्रत या योग-साधना में नहीं, अपितु वह तो
प्रत्येक मानव के हृदय में विद्यमान है और उसको सच्ची भक्ति के द्वारा
ही प्राप्त किया जा सकता है।
2. संताँ भाई आई ग्याँन की आँधी रे।
भ्रम की टाटी सबै उँडानी, माया रहै न बाँधी॥
हिति चित्त की द्वै यूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
त्रिस्नाँ छाँनि परि घर, ऊपरि, कुबधिा का भाँडाँ फूटा।
जोग जुगति करि संतौं बाँधी, निरचू चुवै न पाँणि।
कूड़ कपट काया का निकस्या, हरि जन भीनों।
कहै कबीर भाँन के प्रगटे, उदित भया तम खीनाँ।
(क) कबीर किस आँधी की बात कर रहे हैं? और क्यों?
उत्तर― कबीर ज्ञान की आँधी की बात कर रहे हैं, क्योंकि जिससे समाज में व्याप्त
अँधविश्वास, अज्ञान, बाह्याचार सब तिनके की भाँति उड़ जाएगा।
(ख) गुरु की कृपा का कबीर के मन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर― गुरु की कृपा से कबीर का मन पवित्र हो गया है। उनके हृदय से
जाति-पाँति, वंश-परंपरा तथा व्यक्ति के नाम का प्रभाव समाप्त हो गया
और वह समदर्शी हो गए हैं।
(ग) ज्ञान की आँधी आने पर साधक के जीवन पर क्या प्रभाव परिलक्षित
होता है?
उत्तर― ज्ञान की आँधी आने पर साधक का जीवन शांत हो जाता है। उसके मन
से सब प्रकार का भ्रम दूर हो जाता है। वह मोह व माया के बंधन से मुक्त
हो जाता है। लोभ आदि मानसिक विकार नष्ट हो जाते हैं तथा साधक
पवित्र मन से ईश्वर का चिंतन करने लगता है। इससे ज्ञान के सूर्य का उदय
होता है और अंततः अज्ञान का अँधकार तिरोहित हो जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूढ़ता फिरता है?
उत्तर― मनुष्य ईश्वर को देवालयों, मस्जिदों, काबा, कैलाश विभिन्न क्रिया-कर्मों
और योग तथा वैराग्य में ढूँढता फिरता है।
2. कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन
किया है?
उत्तर― कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए देवालयों में जाने मस्जिदों में जाने, काबा
और काशी की यात्रा करने, विभिन्न कर्मकांड करने और योग वैराग की
साना करने के विश्वास का खंडन किया है।
3. कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वाँसों की स्वाँस में' क्यों कहा है?
उत्तर― कबीर ने ईश्वर को 'सब स्वाँसों की स्वाँस' इसलिए कहा है क्योंकि ईश्वर
सभी के अंदर साँस के रूप (आत्मा) में विद्यमान है। जब तक साँस है
तब तक ईश्वर हमारे अंदर मौजूद रहता है।
4. कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न करके आँधी
से क्यों की है?
उत्तर― कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न करके आँधी से
इसलिए की है क्योंकि सामान्य हवा से स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं
आता। आँधी जब आती है तब वह सबको उड़ा ले जाती है। आँधी जब
आती है तब सबको उड़ा ले जाती है। आँधी की रफ्तार बहुत तेज होती
है। ज्ञान की आँधी की रफ्तार भी बहुत तेज है वह अज्ञान को जड़ से
उखाड़ फेंकती है। अज्ञान की जड़ें बहुत गहरी होती हैं। उसे उखाड़ने के
लिए ज्ञान की आँधी की ही आवश्यकता होती है।
5. ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर― ज्ञान की आँधी आने पर अज्ञान का नाश होने लगता है। संदेह रूपी फूस
का छप्पड़ उड़ जाता है। दुविधा से ग्रस्त चित्त के दोनों आधार स्तंभ गिर
पड़ते हैं, मोह का खंभा भी गिर जाता है। तृष्णा रूपी छप्पड़ उड़कर धरती
पर आ गिरता है। दुर्बुद्धि का भाँडा फूट जाता है । आँधी के पश्चात् जो
जल बरसता है उससे जीवात्मा का तन भीग जाता है। ज्ञान का प्रकाश
उदित होते ही मन में प्रकाश हो जाता है और अज्ञान मिट जाता है।
6. 'हिति चित्त की द्वै यूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा' का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर― प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए विषयासक्ति
और बाह्याचार का त्याग करना होगा और सांसारिक मोह से भी विरक्त
होना पड़ेगा।
7. 'आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भीना' का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर― प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि ज्ञान प्राप्ति के बाद आनन्द और प्रेम
की अनुभूति होती है और इसे वही व्यक्ति अनुभव कर सकता है जो ईश्वर
का सच्चा भक्त है।
8. 'मोकों कहाँ ढूँढ़े बंदे' के आधार पर बताएँ कि प्रभु-प्राप्ति का उपाय
क्या है?
उत्तर― कबीर अपने पदों में कहते हैं कि प्रभु हर मनुष्य की साँस में समाया हुआ
है। उसे पाने के लिए बाहर भटकने की आवश्यकता नहीं है। उसे पाने के
लिए खोजी-दृष्टि चाहिए। तलाश करने की धुन चाहिए। उसे पाने के लिए
सतगुरु के वचनों का पालन करना चाहिए। मन से सांसारिक आकर्षणों
को दूर करना चाहिए। वैराग्य का भाव मन में लाना चाहिए। योग-साध
ना या पूजा-पाठ के बाहरी दिखावों को छोड़कर अपने अनुभवों पर ध्यान
देना चाहिए। साधक का जांगरूक मन तुरंत ही अपने हृदय में उसका
साक्षात्कार कर सकता है।
9. 'मैं तो तेरे पास में' में कवि क्या कहना चाहता है ?
उत्तर― कबीर 'मैं तो तेरे पास में' के द्वारा यह कहना चाहते हैं कि ईश्वर हर प्राणी
के हृदय में समाया हुआ है। वह हर क्षण उसके साथ लगा रहता है। बस
उसे पहचानने की आवश्यकता है।
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