Jharkhand Board Class 9TH Hindi Notes | सवैये ― रसखान
JAC Board Solution For Class 9TH Hindi Poem Chapter 4
1. मानुष हों तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन ।
जौ पसु हौं तो कहा बस मेरौ चरौं नित नंद की धेनु मँझारन ।
पाहन हौं तो वही गिरि को जो किये हरिछत्र पुरंदर धारन ।
जौ खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी कूल कदंब की डरन ।
(क) कवि ब्रजभूमि पर किस-किस रूप में जन्म लेना चाहते हैं?
उत्तर― कवि मनुष्य रूप में, पशु रूप में, पत्थर रूप में, पक्षी रूप में। क्रमश: ग्वालों
के बीच, गायों के बीच, गोवर्द्धन पर्वत पर एवं यमुना तट के कदम्ब के
पेड़ पर नीड़ बनाकर आदि रूपों में जन्म लेना चाहते हैं।
(ख) कवि मनुष्य बनने पर अपनी क्या इच्छा प्रकट करता है?
उत्तर― कवि अगले जन्म में मनुष्य बनने पर गोकुल गाँव के ग्वालों के मध्य बसन
की इच्छा प्रकट करता है।
(ग) “पाहन' से कवि का क्या तात्पर्य है? वह कहाँ का पाहन बनना चाहता
है और क्यों?
उत्तर― 'पाहन' से कवि का तात्पर्य पत्थर से है। वह गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनना
चाहता है क्योंकि इसे श्रीकृष्ण ने अपनी अंगुली पर उठाया था। इससे उसे
भगवान कृष्ण के हाथ का स्पर्श सुख मिल जाएगा।
2. या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं ।
आठहुँ सिद्धि नवो निधि के सुख नंद की गाइ चराइ बिसारौं ॥
रसखान कबौ इन आँखिन सौं, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं ।
कोटिक की कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊप वारौं ।
(क) कवि तीनों लोकों का सुख किस पर न्यौछावर करना चाहता है ?
उत्तर― कवि कृष्ण की लकड़ी और कम्बल पर तीनों लोकों का सुख न्योछावर
करने को तैयार है।
(ख) कवि नंद की गाय चराने के सुख के बदले क्या देना चाहता है?
उत्तर― कवि नंद की गाय चराने के सुख को पाने के बदले में संसार की आठा
सिद्धियाँ और नौ निधियाँ न्योछावर करने को तैयार है।
(ग) करोड़ों धवल भवनों को कवि किस पर न्योछावर करना चाहता है।
उत्तर― कवि करोड़ों धवल भवनों को ब्रज के घने करील कुंजों पर न्यौछावर कर
देना चाहता है।
3. मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरें पहिरौंगी।
ओढ़ि पितेबर लै लकुटी बन गोधन ग्वारिन संग फिरौंगी ॥
भावतो वोहि मेरो रसखानि सों तेरे कहे सब स्वाँग करौंगी।
या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी ॥
(क) कौन, किसके कहने पर क्या करने को तैयार हो गई ?
उत्तर― एक गोपी दूसरी गोपी के कहने पर श्रीकृष्ण का स्वाँग भरने को तैयार
हो गई।
(ख) गोपी क्या-क्या करने को तैयार हो गई?
उत्तर― गोपी अपनी सखी के कहने पर अपने सिर पर मोर पंख रखने तथा गले
में गुंज की माला पहनने को तैयार हो गई। वह श्रीकृष्ण द्वारा पहने जाने
वाला पीतांबर भी ओढ़ने को तैयार हो गइ। वह हाथ में लाठी लेकर अन्य
ग्वालों के साथ गाएँ लेकर वन में फिरने को भी तैयार हो गई।
(ग) गोपी क्या करने से मना कर देती है और क्यों?
उत्तर― गोपी अपने होठों पर बाँसुरी रखने से कतई मना कर देती है। वह बाँसुरी
को अपनी सौत समझती है अत: सोतिया डाहवश वह उसे कतई नहीं अपना
सकती।
4. काननि दै अँगुरी रहिबो जबहीं मुरली धुनि मंद बजैहै।
मोहनी तानन सों रसखानि अटा चढ़ि गोधन गैहै तौ गैहै।।
टेरि कहौ सिगरे ब्रजलोगनि काल्हि कोऊ कितनो समुहै।
माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै।
(क) गोपियाँ कृष्ण की विभिन्न क्रियाओं से क्यों वशीभूत हैं?
उत्तर― गोपियाँ कृष्ण की विभिन्न क्रियाओं से वशीभूत हैं, क्योंकि वे कृष्ण-प्रेम
में आसक्त हैं।
(ख) गोपियों के कान में उँगली रखकर बंद करने पर भी क्या हो रहा है ?
उत्तर― गोपियों के कान पर उँगली रखकर बंद करने पर भी उन्हें कृष्ण की मुरली
की मधुर तान लगातार सुनाई देती है।
(ग) लोगों के समझाने पर भी गोपियाँ समझ क्यों नहीं पाती हैं?
उत्तर― कहा जाता है कि प्रेम अँधा होता है। प्रेम मग्न व्यक्ति की सर्वइंद्रियाँ अपने
ईष्ट के रूप, रंग, गुण में ही सिक्त रहना चाहती हैं। प्रेम किसी बंधन, किसी
तर्क, किसी समझ को नहीं स्वीकारता है। अत: लोगों को समझाने पर भी
गोपियाँ समझ नहीं पाती हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ
है?
उत्तर― कवि का ब्रजभूमि के प्रति प्रेम प्रथम सवैये में इस प्रकार प्रकट हुआ है-
कवि ब्रजभूमि पर ही मनुष्य रूप में ग्वाला और चरवाहा बनकर, पशु के
रूप में नंद बाबा के पशुओं के मध्य गाय बनकर, पत्थर के रूप में गोवध
न पर्वत का अंग बनकर एवं पक्षी के रूप में यमुना तट पर लगे कदंब
के वृक्ष पर घाँसला बनाकर-जन्म लेना चाहता है। जिससे उनका ब्रजभूमि
से स्नेह-संबंध दिखाई देता रहे।
2. कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे
कारण है?
उत्तर― कवि रसखान ब्रजभूमि पर अवस्थित वन, बाग-बगीचे और तालाब आदि
को बार-बार इसलिए निहारना चाहता है, क्योंकि ये सभी (प्रकृति के अंग)
उस भूमि पर बने हैं, जहाँ कवि के आराध्य और स्नेहपात्र श्रीकृष्ण का
जन्म हुआ है।
3. एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को को
तैयार है?
उत्तर― एक लकुटी (लाठी) और कम्बल (छोटा कंबल) पर कवि रसखान जी
तीनों लोकों का राज्य वैभव भी न्यौछावर करने को तैयार है, क्योंकि वह
लाठी ग्वाले और चरवाहें के रूप में सदैव ही कृष्ण के कर-कमलों में
रहती है, दूसरी ओर कम्बल भी कृष्ण के कंधों पर ही दिखाई देता है।
श्रीकृष्ण द्वारा प्रयुक्त दोनों ही वस्तुओं से कवि का विशेष लगाव है।
4. सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया?
अपने शब्दों में वर्णन करें।
उत्तर― सखी ने गोपी से सिर के ऊपर मोर पंख और गले में गुंजा की माला
धारण किए शरीर पर पीतांबर ओढ़े और हाथ में गायों को चराने की लकुटी
लिए ग्वाल-बालों के साथ वन में विचरण करते हुए कृष्ण का रूप धारण करने
का आग्रह किया था।
5. आपके विचार में कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप में कृष्णा का
सानिध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है?
उत्तर― कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम एवं आसक्ति के कारण उनकी अधिकाधिक
कृपा का पात्र बनने के लिए कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप में भी
कृष्ण का सानिध्य प्राप्त करना चाहता है।
6. गोपियाँ अपने आपको क्यों विवश पाती हैं?
उत्तर― गोपियाँ स्वयं को कृष्ण की मुरली की मंद-मंद धुन को सुनकर अपने
आपको विवश पाती हैं वे मुरली की धुन और कृष्ण की मुस्कान को
संभाल नहीं पाती हैं। वे इनके आगे विवश हो जाती हैं।
7. 'कालिंदी कूल कदंब की डारन' में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर― 'कालिंदी कूल कदंब की डारन' में अनुप्रास अलंकार है।
8. "कोटि ए कलघौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारी" का भाव
स्पष्ट करें।
उत्तर― इस काव्य पंक्ति का भाव यह है कि करील के वृक्षों वाले कुंज वन करोड़ों
महलों से भी बढ़कर है। अर्थात् जहाँ कृष्ण रास रचाया करते थे वे करील
की काँटेदार झाड़ियों का सुख करोड़ों महलों से अधिक है। इन महलों को
उन पर न्यौछावर किया जा सकता है।
9. 'माई री वा सुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, दान जैहै, न जैहै' का
भाव स्पष्ट करें।
उत्तर― इस काव्य-पक्ति का भव यह है कि कृष्ण के मुख पर जो मनोहारी मुस्कान
है, वह अनोखी हैं गोपियाँ उस मुस्कान पर न्यौछावर हो रही हैं। उनसे यह
मुस्कान संभाली नहीं जा रही है।
10. रसखान के पठित सवैयों के आधार पर बताएँ कि सच्चे प्रेम के क्या
लक्षण होते हैं?
उत्तर― सच्चे प्रेम में गहरी तल्लनीनता होती है। प्रेमी प्रिय के जीवन में समा जाना
चाहता है। उसे प्रिय की हर वस्तु, उसका पहनावा, उसका रहन-सहन
उसका काम, उसकी कला प्रिय प्रतीत होती हैं वह किसी न किसी बहाने
प्रिय के संग बना रहना चाहता है। यहाँ तक कि वह प्रिय का गुलाम भी
बनने को तैयार हो जाता है। वह उसके लिए अपना सब कुछ त्यागने को
तत्पर हो जाता है। प्रेम में एकांतता का भाव होता हैं प्रेमी प्रिय के संग
अकेला जीना चाहता है। किसी अन्य का संग उसे अप्रिय जान पड़ता है।
11. सखी के कहने पर गोपी क्या-क्या स्वाँग करने को तैयार हैं?
उत्तर―सखी के कहने पर गोपी कृष्ण का पीतांबर धारण करने को तैयार हैं वह
कृष्ण के समान सिर पर मोरमुकूट धारण करने तथा गले में गुंजों की माला
धारण करने को तैयार है। वह कृष्ण के समान हाथों में लाठी लेकर गायों
और ग्वालों के संग वन-वन घूमने को तैयार है।
12. गोपी कृष्ण की मुरली को अपने अधरों से क्यों नहीं लगाना चाहती?
उत्तर― गोपी कृष्ण की मुरली से ईर्ष्या करती है। कारण यह है कि कृष्ण सदा
मुरली बजाने में खोए रहते हैं। वे गोपी की ओर ध्यान नहीं देते। इस कारण
गोपी को मुरली पर गुस्सा आता है। अतः वह मुरली को अपने अधरों से
नहीं लगाना चाहती।
13. सारे ब्रजवासी किस पर न्योछावर हो गए?
उत्तर― सारे ब्रजवासी कृष्ण के ग्वाल-रूप और सुमधुर वंशी-वादन पर न्योछावर
हो गए। जब से कृष्ण ने नंद की गाएँ चराई और उनके बीच बैठकर मधर
वंशी बजाई, तब से सब ब्रजवासी उन पर मोहित हो गए।
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