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    Jharkhand Board Class 9TH Hindi Notes | मेरे संग की औरतें  

 JAC Board Solution For Class 9TH Hindi Kritika Chapter 


1. आप अपनी कल्पना से लिखिए की परदादी ने पतोहू के लिए पहले
बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी?
उत्तर- पाठ को पढ़कर लगता है कि लेखिका की परदादी ने भी अपने समय
में लड़की के साथ होने वाले अपमान और तिरस्कार को जाना-समझा
होगा। उसे मन-ही-मन लगता होगा कि देवी का रूप होने पर भी लड़की
का इतना तिरस्कार क्यों होता है? कब उसका सम्मान होना शुरू होगा?
शायद इसीलिए उसने अपने इस भावना को घर में ही फलते-फूलते देखना
चाहा होगा। उसने समाज में यह भाव भरना चाहा होगा कि यहाँ लड़कियों
का सम्मान होता हैं अतः तुम भी उन्हें सम्मान दो। परदादी ने यह भी सोचा
होगा कि अगर लड़कियों का सम्मान होगा तो वे आत्मविश्वास, सम्मान
और साहस से भरकर शक्तिशाली बन सकेंगी।

2. डराने-धमकाने, उपदेश देने का दबाव डालने की जगह सहजता से
किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है-पाठ के आधार पर तर्क
सहित उत्तर दें।
उत्तर― इस पाठ से स्पष्ट है कि मनुष्य के पास सबसे प्रभावी अस्त्र है-अपना दृढ़
विश्वास और सहज व्यवहार। यदि कोई सगा-संबंधी गलत राह पर हो तो
उसे डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव देने की बजाय सहजता से
व्यवहार करना चाहिए। लेखिका की नानी ने भी यही किया। उन्होंने अपने
पति की अंग्रेज-भक्ति का न तो मुखर विरोध किया, न समर्थन किया। वे
जीवन-भर अपने आदर्शों पर टिकी रहीं। परिणामस्वरूप अवसर आने पर
वह मनवांछित कार्य कर सकीं।
लेखिका की माता ने चोर के साथ जो व्यवहार किया, वह तो सहजता का
अनोखा उदाहरण है। उसने न तो चोर को पकड़ा, न पिटवाया, बल्कि
उससे सेवा ली और अपना पुत्र बना लिया। उसके पकड़े जाने पर उसने
उसे उपदेश भी नहीं दिया, न ही चोरी छोड़ने के लिए दबाव डाला । उसने
इतना ही कहा-अब तुम्हारी मर्जी-चाहे चोरी करो या खेती। उसकी इस
सहज भावना से चोर का हृदय परिवर्तितत हो गया। उसने सदा के लिए
चोरी छोड़ दी और खेती को अपना लिया।

3. पाठ के आधार पर लिखें कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा
भाव से देखा जाता है?
उत्तर― पाठ में बताया गया है कि निम्नांकित प्रकार के इंसानों को अधिक श्रद्धा
भाव से देखा जाता है।
(क) जो सदा सच बोलते हैं।
(ख) जो किसी की गोपनीय बातों को दूसरों पर प्रकट न करते हों।
(ग) जो अपने इरादों में मजबूत हों।
(घ) जो हीन-भावना के शिकार न हों।
(ङ) जो दूसरों के साथ सहज व्यवहार करते हों।

4. 'सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है'-इस कथन के आधार पर
लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार
व्यक्त करें।
उत्तर― लेखिका की बहन रेणु अपनी इच्छा की स्वामिनी थी। वह जो कुछ ठान
लेती थी उसे करके रहती थी। एक बार बहुत तेज वर्षा हुई। कोई वाहन
सड़क पर नहीं निकला। रेणु की स्कूल-बस उसे लेने नहीं आई तो वह
पैदल चली गई। स्कूल बंद था, पर उसे इसका मलाल नहीं था। वह वापस
दो मील चलकर घर पहुंच गई। लेखिका इस घटना को सुनकर रोमांचित
हो उठी। उसे भी लगा कि अकेलेपन का मजा ही कुछ और है। अपनी
धुन में मजिल की ओर चलते चले जाना।

5. लेखिका ने अपनी माँ को कैसा पाया ?
उत्तर― लेखिका ने अपनी माँ को कभी भारतीय माँ जैसा नहीं पाया। न उन्होंने कभी
उन्हें लाड़ किया, न उनके लिए खाना पकाया और न अच्छी पत्नी-बहू
होने की सीख दी। कुछ अपनी बीमारी के चलते भी, वे घर बार नहीं संभाल
पाती थीं पर उसमें ज्यादा हाथ उनकी अरुचि का था। उनका ज्यदा वक्त
किताबें पढ़ने में बीतता था, बाकी वक्त साहित्य चर्चा में या संगीत सुनने
में और वे ये सब बिस्तर पर लेटे-लेटे किया करती थी फिर भी, जैसा
लेखिका ने पहले कहा था, हमारे परंपरागत दादा-दादी या उनकी ससुराल
के अन्य सदस्य उन्हें नाम धरते थे, न उनसे आम औरत की तरह होने की
अपेक्षा रखते थे। उनमें सबकी इतनी श्रद्धा क्यों थी, जबकि वह पत्नी, माँ
और बहू के किसी प्रचारित कर्तव्य का पालन नहीं करती थीं? साहबी
खानदान के रोब के अलावा लेखिका की समझ में दो कारण आए
हैं-(क) वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं और (ख) वे एक की गोपनीय
बात को दूसरे पर जाहिर नहीं होने देती थीं।
पहले के कारण उन्हें घरवालों का आदर मिला हुआ था; दूसरे के कारण
बाहरवालों की दोस्ती।

6. लेखिका की परदादी के व्यक्तित्व की विशेषताओं पर प्रकाश डालें।
उत्तर― लेखिका की एक परदादी भी थीं, कतार से बाहर चलने का शौक था।
उन्होंने व्रत ले रखा कि अगर खुदा के फजल से उनके पास दो से ज्यादा
धौतियाँ हो तो वे तीसरी दान कर देंगी। जैन समाज में अपरिग्रह की सनक,
बिरादरी बाहर हरकत नहीं मानी जाती, इसलिए वहाँ तक तो ठीक था। पर
उनका असली जलवा तब देखने को मिला, जब लेखिका की माँ पहली
बार गर्भवती हुई। परदादी ने मंदिर में जाकर मन्न माँगी कि उनकी पतोहू
का पहला बच्चा लड़की हो। यह गैर-रवायती मन्नत माँगकर ही उन्हें चैन
नहीं पड़ा। उसे भगवान और अपने बीच पोशीदा रखने के बजाय, सरेआम
एसका ऐलान कर दिया। लोगों के मुँह खुले-के-खुले रह गए। उनके
फितूर की कोई वाजिव वजह ढूँढे न मिली।

                                      लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

1. लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके
व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थी?
उत्तर― लेखिका की नानी भारतीय संस्कृति और रहन-सहन के परिवेश में ढली
हुई थी। विलायी रीति-रिवाजों में रह रहे पति का भी (नाना जी) उन पर
कोई असर नहीं पड़ा था। देश की आजादी में जुड़े देश-प्रेमी सिपाहियों
के प्रति लेखिका की नानी का विशेष लगाव भी उनके गहन प्रभाव का
सूचक है।

2. लेखिका की नानी का आजादी के आंदोलन में किस प्रकार की
भागीदारी रही?
उत्तर― लेखिका की नानी का आजादी से जुड़े सिपाहियों से विशेष लगाव था, यही
कारण है कि पर्दानशीं, शर्मीली, संकोची एवं घरेलू नारी होकर भी नानी
ने अचनाक ही मरते समय अपनी बेटी के लिए आजादी का सिपाही ढूँढकर
उसके हाथ पीले करने की बात कहकर अपने देशप्रेम का परिचय दिया।
उनकी अंतिम इच्छानुसार ही लेखिका की माँ की शादी एक होनहार,
पढ़े-लिखे, गाँधीवादी देश प्रेमी से हुई थी। इसीलिए कह सकते हैं क नानी
की भागीदारी आजादी के आंदोलन में रही है।

3. 'शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है'-इस दिशा में लेखिका के
प्रयासों का उल्लेख करें।
उत्तर― लेखिका मानती थी कि शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है। लेखिका
जब कर्नाटक के एक छोटे कस्बे बागलकोट में थी वहाँ कोई ढंग का
स्कूल न था। उसने कैथोलिक बिशप से स्कूल खोलने की प्रर्थना की, पर
वे इसलिए स्कूल नहीं खोलना चाहते थे क्योंकि वहाँ क्रिश्चियन बच्चों को
संख्या कम थी। लेखिका सभी की शिखा की पक्षपाती थी। उसने अपने
प्रयासों से एक ऐसा स्कूल खोलकर दिख दिया जिसमें बच्चों को अंग्रेजी
हिंदी और कन्नड़ तीनों भाषाएँ पढ़ाई जाती थीं। इससे कर्नाटक सरकार से
मान्यता भी दिला दी।

4. लेखिका की माँ ने चोर के साथ कैसा व्यवहार किया?
उत्तर― लेखिका की माँ ने चोर के साथ जैसा आत्मीय व्यवहार किया, वह
अनुकरणीय है। इसे अनोखा उदार व्यवहार कह सकते हैं। यह महान
आत्माओं के योग व्यवहार हैं, वास्तविक दुनिया में न तो ऐसे कोमल हृदय
वाले चोर मिलते हैं, न उदार हृदय वाली मालकिन। अतः इसे हम एक
विशेष घटना कह सकते हैं।

5. स्वतंत्रता की दीवानी होती हुई भी लेखिका 15 अगस्त, 1947 का
स्वतंत्रता-समारोह देखने क्यों न जा सकी?
उत्तर― लेखिका बचपन से ही स्वतंत्रता की दीवानी थी। परंतु जिस दिन स्वतंत्रता-समारोह
होना था, उस दिन वह बीमार थी। उसे टाइफाइड हो गया था। उन दिनों
इसे जानलेवा रोग माना जाता था। अतः ड्यूक्टर ने उसे समारोह पर जाने
से कठोरतापूर्वक मना कर दिया।

6. चित्रा के व्यक्तित्व की विशेषता बताएँ।
उत्तर― चित्रा मुँहफट, दबंग और समाजसेवी स्वभाव की लड़की थी। वह पढ़ाई
के दौरान भी स्वयं पढ़ने की बजाय औरों को पढ़ाने में लगी रहती थी।
इस कारण उसके अंक कम आते थे। वह जो भी सोचती थी, उसे पूरा
करके दम लेती थी। उसने जिस लड़कों को पसंद किया, उसी से विवाह
किया। उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति के सामने लड़का भी शीघ्र झुक गया।

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