Jharkhand Board Class 9TH Hindi Notes | बच्चे काम पर जा रहे हैं ― राजेश जोशी
JAC Board Solution For Class 9TH Hindi Poem Chapter 10
1. कोहरे से ढंकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं
सुबह सुबह
बच्चे काम पर जा रहे हैं
हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह
भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना
लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह
काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?
(क) 'बच्चे काम पर जा रहे हैं' इस पंक्ति को कवि ने अपने समय की
सबसे भयानक पंक्ति क्यों कहा है?
उत्तर― 'बच्चे काम पर जा रहे हैं। इस पंक्ति को कवि ने अपने समय की सबसे
भयानक पंक्ति इसलिए कहा है, क्योंकि इस पंक्ति में जो दृश्य प्रस्तुत किया
गया है. वह हमारे समाज की विषमता की पीड़ा को दर्शा रहा है।
(ख) काम पर जाते बच्चों का वर्णन अपने शब्दों में करें?
उत्तर― बच्चे जिनका बचपन काम के लिए ही बना दिया गया है वे कड़कती सर्दी
में अपनी मजदूरी का सामान उठाए काम पर जा रहे हैं। जिन्हें न भूख का
पता हैन सर्दी के अहसास का।
(ग) 'काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?' वाक्य को प्रश्नात्मक रूप में क्यों
प्रस्तुत किया गया?
उत्तर― 'काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?' वाक्य के प्रश्नात्मक रूप में इसलिए प्रस्तुत
किया गया है, क्योंकि वाक्य में जो समस्या पूछी गई है वह मानव-भविष्य
की गंभीर समस्या से जुड़ी हुई है और आज उस समस्या का कारण नहीं
ढूँढा गया तो फिर हमें अपनी गलती सुधारने का भी मौका नहीं मिलेगा।
2. क्या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदे
क्या दीमकों ने खा लिया है
सारी रंग बिरंगी किताबों को
क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने
क्या किसी भूकंप में ढह गई है
सारे मदरसों की इमारतें
क्या सारे मैदान, सारे बगीचे और घरों के आँगन
खत्म हो गए हैं एकाएक
(क) गेंदों, किताबों, खिलौनों आवि के अभाव के माध्यम से कवि क्या
कहना चाहता है?
उत्तर― गेंदों, किताबें खिलौनों आदि के अभाव से कवि यह बताना चाहता है कि
क्या बच्चों के मनोरंजन के, शिक्षा के, खेल-कूद आदि के साधन समाप्त
हो गए हैं, जो कि वे कड़ी सर्दी में काम करने जा रहे हैं।
(ख) कवि ने इस पंक्तियों में इतने प्रश्न क्यों छिपाए हुए हैं?
उत्तर― कवि ने बच्चों को काम पर जाते देखा, उनकी विवशता का कारण जानने
के लिए इतने प्रश्न छिपाए हैं।
(ग) कवि गेंदों के खत्म होने का प्रश्न उठाकर क्या कहना चाहता है?
उत्तर― कवि गेंदों के खत्म होने का प्रश्न उठाकर यह कहना चाहता है कि
बाल-मजदूरों की अभी खेलने की आयु है। इन्हें अभी से काम-काज में
नहीं डालना चाहिए। वह समाज को इस चिंता से परिचित कराना चाहता
है कि बच्चों को उनका सहज बचपन लौटाया जाना चाहिए।
3. तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में ?
कितना भयानक होता अगर ऐसा होता
भयानक है लेकिन इससे भी ज्यादा यह
कि हैं सारी चीजें हस्बमामूल
पर दुनिया की हजारों सड़कों से गुजरते हुए,
बच्चे, बहुत छोटे छोटे बच्चे
काम पर जा रहे हैं।
(क) भयानक स्थिति क्या है ?
उत्तर― बच्चों का काम पर जाना तो भयानक स्थिति है ही, पर इससे भी अधिक
भयानक यह है कि संसार में सभी वस्तुएँ मौजूद होते हुए भी इन बच्चों
के लिए नहीं है। वे इनसे वंचित हैं।
(ख) कवि की पीड़ा क्या है ?
उत्तर― कवि की पीड़ा यह है कि इन बच्चों का बचपन जबरदस्ती छीना जा रहा
है। इन्हें खेलने और पढ़ने का अवसर नहीं दिया जा रहा है और काम पर
जाने को विवश किया जा रहा है।
(ग) 'हस्बमामूल' कहकर कवि क्या कहना चाह रहा है?
उत्तर― 'हस्बामामूल' अर्थात् सारी वस्तुएँ वैसी हैं, जैसी होनी चाहए। संसार में
चीजों का अभाव नहीं हैं, पर ये चीजें इन बच्चों को नहीं दी जातीं। इन्हें
इनसे वंचित किया जाता है। यह एक भयानक एवं विडंबनापूर्ण स्थिति है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं?
उत्तर― सामाजिक-आर्थिक विडंबना के कारण बच्चे सुविधा और मनोरंजन से
वचित हैं। क्योंकि इसी विडंबना ने उनके हाथों में कलम की जगह काम
पकड़ा दिया है।
2. आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-कहाँ काम करते
हुए देखा है?
उत्तर― हमने दिल्ली जैसे शहर में कारखानों, घरों में चलाए जाने वाले छोटे-मोटे
घरेलू उद्योगों में जैसे-पटाखे, फुलझड़ियाँ बनाना, चमड़े का काम, डाई
का काम, होटलों में वर्तन धोने, सफाई, भोजन बनाने और परोसने, झाडू
लगाने के अतिरिक्त विवशतावश भीख माँगने जैसे काम भी बाल
श्रमिकों को करते हुए देखा है। कभी-कभी पुटपाथ पर भी छोटे-छोटे
बच्चे बूट पालिस करते हुए, ठेलों पर पानी बेचत, खाने पीने के सामान
बेचते, खिलौने आदि बेचते दिख जाते हैं। रेड लाइट और चौराहों पर भी
छोटे बच्चे अखबार एवं पत्रिकाएँ बेचते हुए मिल जाते हैं।
3. बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के सामन क्यों है?
उत्तर― बच्चे काम पर क्यों जा रहे हैं? यह एक भयानक तथा ज्वलंत प्रश्न इसलिए
भी है, क्योंकि बालकों का उज्ज्वल भविष्य कायम रखने के लिए उनके
बचपन से खिलवाड़ करना अनुचित व अपराध है। बच्चों को उनके मौलिक
अधिकार (खेलने, कूदने, पढ़ने एवं खुली हवा में साँस लेने) न देकर हम
उन्हें बेगार और मजदूरी के शोषण चक्र में फंसने हेतु मजबूर कर रहे हैं।
यह बात सर्वथा अनुचित पूर्ण है। अतः कह सकते हैं कि प्रश्न भयानक
होता जा रहा है।
4. दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रही
है/देख रहा है, फिर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता। इस
उदासीनता के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर― दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर किसी को काम पर जाते बच्चों को देखकर
अटपटा नहीं लगता। इस उदासीनता का कारण यह हो सकता है कि आज
आवश्यकताएँ बढ़ती जा रही हैं और आय के साधन कम होते जा रहे हैं
साथ ही निम्न वर्ग निरन्तर आर्थिक तंगी का सामना करता आ रहा है।
5. आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए?
उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिए?
उत्तर― मेरे विचार से बच्चों को काम पर बिल्कुल नहीं भेजा जाना चाहिए। कारण
यह है कि बच्चों की उम्र कच्ची होती है। मन भावुक होता है। यह उनके
खेलने-खाने और सीखने की उम्र होती है। उन्हें पर्याप्त कोमलता और
संरक्षण की आवश्यकता होती है। बच्चों को पढ़ने-लिखने, खेलने-कूदने,
घूमने-फिरने और मनोरंजन करने के भरपूर अवसर मिलने चाहिए।
6. 'बच्चे काम पर जा रहे हैं' कविता में कवि ने समाज को किस प्रकार
जगाने का प्रयत्न किया है?
उत्तर― इस कविता में कवि ने समाज को जगाने के लिए दो प्रकार के प्रयत्न किए
हैं। पहले उन्होंने सुबह-सुबह कोहरे में काम पर जाते बच्चों का चित्र प्रस्तुत
किया है। इससे पाठकों के हृदय में करुणा उपजाने का प्रयास किया है।
दूसरे, उन्होंने संवेदनाशून्य समाज पर व्यंग्य किया है। समाज के लोग
बाल-मजदूरी को देखकर चिंतित नहीं होते। वे इसे सामान्य बात कहकर
टाल देते हैं। कवि ने इस भावनाशून्यता को 'भयानक' कहा है। इस प्रकार
उन्होंने सफलतापूर्वक समाज को जगाने का प्रयास किया है।
7. 'बच्चे काम पर जा रहे हैं। यह एक भयानक प्रश्न क्यों बनता है?
उत्तर― बच्चों का रोजी-रोटी के लिए काम करना निश्चित रूप से भयानक बात
है। इस कारण उनका बचपन मारा जाता है। खुशियाँ नष्ट होती हैं। यहाँ
तक पूरा जीवन कुम्हला जाता है। इसलिए उनका काम पर जाना एक
भयानक प्रश्न है।
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