Jharkhand Board Class 9TH Hindi Notes | साखियाँ ― कबीर
JAC Board Solution For Class 9TH Hindi Poem Chapter 1
1. मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं।
मुक्ताफल मुकता चुगै, अब उड़ि अनत न जाहिं ।।
(क) मुक्ताफल कौन चुगता है ?
उत्तर― मुकताफल अर्थात् मुक्ति का फल केवल साधक ही चुगता है।
(ख) कबीर कहाँ 'अनत' न जाने की बात कर रहे हैं ?
उत्तर― कबीर के अनुसार मन द्वारा ही मुक्ति मिलती है। अत: जंगल, तीर्थ स्थलों
आदि सांसारिक जगह जाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
(ग) उद्धृत काव्यांश का आशय (भावार्थ) स्पष्ट करें।
उत्तर― कबीर बताते हैं कि हृदयरूपी तालाब (अमृतकुंड) आत्मानंद रूपी जल से
अच्छी प्रकार भरा हुआ है। इस जल में साधक क्रीड़ा करता रहता है। उसे
इसी में आनंद की प्राप्ति होती है। वह साधक इसी साधना के बलबूते पर
अपनी मुक्ति रूपी मोती प्राप्त करता है। अब वह पक्षी (साधक) उड़कर
अन्यत्र कहीं नहीं जा सकता।
2. प्रेमी ढूँढ़त मैं फिरौं, प्रेमी मिले न कोइ।
प्रेमी को प्रेमी मिलें, सब विष अमृत होइ।।
(क) परमात्मा कहाँ मिलता है?
उत्तर― परमात्मा का निवास हमारे अंदर ही है। वह वहीं मिलता है, उसे अन्यत्र
ढूँढने की आवश्यकता नहीं है।
(ख) किससे, कौन-सा प्रेमी मिलता है और उसके मिलते ही क्या हो जाता
है?
उत्तर― सच्चे ईश्वर प्रेमी को उसका परमात्मा मिलता है और उसके मिलते ही सभी
बुराइयाँ समाप्त हो जाती है। सारा विष अमृत बन जाता है।
(ग) विष के अमृत होने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर― विष के अमृत होने का अर्थ दोष का गुणों और उजाले में बदल जाना है।
3. हस्ती चढ़िए ज्ञान को, सहज दुलीचा डारि ।
स्वान रूप संसार है, मूंकन दे क्षख मारि ।।
(क) ज्ञान के अभाव में व्यक्ति क्या करता है?
उत्तर― ज्ञान के अभाव में व्यक्ति व्यर्थ में अपने जीवन का अमूल्य समय बर्बाद
करता है।
(ख) अज्ञानी संसार को किसका प्रतीक कहा है और क्यों?
उत्तर― अज्ञानी संसार को कुत्ते का प्रतीक कहा है, क्योंकि कुत्ता, अज्ञानी बना
व्यर्थ में अपना मुंह इधर-उधर मार कर पछताता है।
(ग) कबीर ने क्या प्रेरणा दी है?
उत्तर― कबीर ने लोकनिंदा की परवाह किए बिना प्रभु-भक्ति करने की प्रेरणा दी
है।
4. पखापखी के कारनै सब जग रहा भुलान ।
निरपख होइ के हरि भजै, सोई संत सुजान ।।
(क) सारा संसार भ्रम में क्यों है ?
उत्तर― पक्ष-विपक्ष, तर्क-वितर्क के कारण संसार भ्रम में पड़ा हुआ है और
वास्तविकता से दूर है।
(ख) संत का क्या गुण बताया है ?
उत्तर― संत व्यक्ति सदैव पक्ष-विपक्ष से परे निष्पक्ष रहता है अर्थात् वह भेद-भाव
रहित सहज, सात्त्विक होता है।
(ग) सारा संसार किस कारण किसे भुला हुआ है ?
उत्तर― सारा संसार आपसी तर्क-वितर्क और समर्थन-विरोध के कारण ईश्वर को
भूला हुआ है।
5. हिंदू मूआ राम कहि, मुसलमान खुदाइ।
कहै कबीर सो जीवता, जो दुहुँ के निकटि न जाइ।
(क) हिंदू और मुसलमानों की कट्टरता किसमें प्रकट होती है ?
उत्तर― हिंदू कंवल राम को भगवान बताते हैं और मुसलमान केवल खुदा को मानते
है। इस प्रवृत्ति से उनकी कट्टरता प्रकट होती है।
(ख) इस दोहे के माध्यम से कबीर ने क्या समझाना चाहा है?
उत्तर― इस दोहे के माध्यम से कबीर ने यह समझाना चाहा है कि राम और खुदा
एक ही हैं। उनके नाम पर किसी प्रकार का भेदभाव उत्पन्न करना ठीक
नहीं है।
(ग) कौन-सा व्यक्ति 'जीवता' है और क्यों?
उत्तर― कबीर के अनुसार वह व्यक्ति 'जीवता' है जो हिंदू या कट्टर मुसलमान
की बातों में नहीं आता है। वह इनसे दूर रहकर ईश्वर का भजन करता
है।
6. काबा फिरि कासी भया, रामहिं भया रहीम ।
मोट चून मैदा भया, बैठि कबीरा जीम ॥
(क) 'कबीरा' का क्या अर्थ है?
उत्तर― 'कबीरा' का अर्थ है-ज्ञानी।
(ख) काबा और काशी क्या है? उनका क्या महत्व है ?
उत्तर― काबा मुसलमानों की तथा काशी हिंदुओं का धारणानुसार धार्मिक-स्थल
है, जहाँ पहुँचकर व्यक्ति को मुक्ति मिलती है।
(ग) कबीर की दृष्टि में काबा और काशी में कैसे संबंध है ?
उत्तर― कबीर की दृष्टि में काबा और काशी में आटे और मैदा का संबंध है।
7. ऊँचे कुल का जनमिया, जे करनी ऊँच न होइ ।
सुबरन कलस सुरा भरा, साधू निंदा सोइ ।
(क) 'ऊँचे कुल में जन्म लेने से कर्म ऊँचे नहीं होते' यह व्यंग्य किस प्रकार
किया गया है?
उत्तर― 'ऊँचे कुल में जन्म लेने से कर्म ऊँचे नहीं होते हैं में कबीर ने साधुपन
का दिखावा करने वाले ढोंगियों पर व्यंग्य किया है।
(ख) कबीर की दृष्टि में कुल बड़ा है या कर्म ?
उत्तर― कबीर की दृष्टि में कर्म बड़ा है, क्योंकि निम्न-कुल में उत्पन्न व्यक्ति भी
अपने सु-कर्मों, उच्च-कर्मों से सज्जन कहलाता है।
(ग) प्रस्तुत दोहे में किस बात पर बल दिया गया है?
उत्तर― प्रस्तुत दोहे में कहा गया है कि हमें अच्छे कर्म करने चाहिए, जिससे हम
सम्मान पा सकते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. 'मानसरोवर' से कवि का क्या आशय है?
उत्तर― मानसरोवर से कवि का आशय मन-रूपी सरोवर से है। भाव यह है कि
जिस प्रकार हँस मानसरोवर में निवास कर मोती चुगता है, उसी प्रकार
जीवात्मा मन-रूपी सरोवर से मुक्ति-रूपी मुक्ता चुगती है।
2. कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है?
उत्तर― कवि ने सच्चे प्रेमी की कसौटी बताते हुए कहा है कि जब सच्चा प्रेमी अपने
प्रियतम से मिलता है तो उसके मन का वियोग रूपी विष मिलन-सुख से
उत्पन्न अमृत के रूप में बदल जाता है।
3. इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?
उत्तर― जो निष्पक्ष भाव से ईश्वर को भजता है वही सच्चा संत है।
4. किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कर्मों
से तर्क सहित उत्तर दें।
उत्तर― कबीरदास ने बताया कि मनुष्य की पहचान उसके कुल की श्रेष्ठता से होती
है। लेकिन ऊँचे श्रेष्ठ कुल में जन्म लेने मात्र से वह श्रेष्ठ नहीं हो सकता
है। उसके कर्म भी श्रेष्ठ होने चाहिए। यदि सोने के पात्र में शराब रखी
हो तो सज्जन उसकी निंदा ही करेंगे। अतः कुल और कर्म की श्रेष्ठता के
बल पर ही मनुष्य श्रेष्ठ बन सकता है।
5. काबा और काशी में कबीर की दृष्टि में कैसा संबंध है?
उत्तर― कबीर का कहना है कि एक ही अनाज से मोटा चून और फिर मैदा पीसा
जाता है। इसी प्रकार हिंदओं के तीर्थ और मुसलमानों के तीर्थ में कोई अंतर
नहीं है। हिंदू और मुसलमान एक ही परम-पिता परमात्मा की संतान है।
6. संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और
सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालें।
उत्तर― कबीर अपनी साखियों में कहते हैं कि मनुष्य को पक्ष-विपक्ष अर्थात्
जातिगत भेदभाव से दूर रहना चाहिए। सबको हिंदू-मुसलमान आदि के
झगड़ों से दूर रहना चाहिए। उनकी स्पष्ट धारणा थी कि जो निष्पक्ष होकर
हरि का ध्यान करता है, वही ज्ञानी संत कहलाता है। वे हिंदू और मुसलमान
दोनों की कट्टरता को पुटकारते हुए कहते हैं-
हिंदू मुआ राम कहि, मुसलमान खुदाइ
कहै कबीर जो जीवता, जो दुहुँ के निकटि न जाइ।
7. कबीर हिंदू-मुस्लिम भेदभाव से ऊपर थे। सिद्ध करें।
उत्तर― कबीर ने हिंदू और मुसलमान दोनों को फटकार लगाई है
हिंदु मूआ राम कहि. मुसलमान खुदाइ।
इसी भाँति वे काबा और काशी को तथा राम रहीम को एक समान कहते
हैं। उनके अनुसार, सच्चा संत हिंदू-मुसलमान और राम-रहीम के भेदभाव
से ऊपर होता है।
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