Jharkhand Board Class 9TH Hindi Notes | मेघ आए ― सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
JAC Board Solution For Class 9TH Hindi Poem Chapter 8
1. मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
(क) गाँव में मेघों का किस प्रकार स्वागत किया जाता है और क्यों ?
उत्तर― गाँव में मेघों का मेहमान की तरह स्वागत किया जाता है। जिस प्रकार
गाँव में मेहमान के आने से हर्ष उत्पन्न हो जाता है, उसी प्रकार बादल
भी हर्ष का कारण है, क्योंकि किसान के लिए बादलों एवं वर्षा का
महत्व सर्वविदित है।
(ख) हवा बादलों का स्वागत किस प्रकार करती है?
उत्तर― हवा चलने से बादल आगे ही आगे उड़ते चले जाते हैं, ऐसा आभास होता
है, जैसे हवा बादलों के आगे नृत्य करती हुई चल रही हो।
(ग) इस काव्यांश में किस-किस का मानवीकरण किया गया है?
उत्तर― इस काव्यांश में बादलों और हवा का मानवीकरण किया गया है। हवा
नाच-गाकर बादलों का स्वागत कर रही है तथा बादल दामाद की तरह
सज-धन कर आए हैं।
2. पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, चूँघट सरके,
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
(क) पेड़ झुककर क्यों झाँकने लगे?
उत्तर― पेड़ तेज हवा के कारण गर्दन आगे कर झाँकते प्रतीत होते हैं। ऐसा लगता
है कि वे मेघ रूपी मेहमान का झुककर स्वागत कर रहे हों।
(ख) आँधी और नदी पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर―आँधी का मानवीकरण करके उसे घाघरा उठाकर भागती दर्शाया गया है
जबकि नदी की धारा तेज हवा के कारण तिरछी हुई प्रतीत होती है। ऐसा
लगता है कि वह ठिठक गई है और उसका लहर रूपी घूँघट थोड़ा सरक
गया है।
(ग) इस काव्यांश में कवि ने किस-किस का मानवीकरण किया है?
उत्तर― इस काव्यांश में कवि ने पेड़, धूल, नदी और मेघ का मानवीकरण किया
है।
3. बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
'बरस बाद सुधि लीन्हीं'-
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
(क) तालाब ने किस प्रकार मेघों का स्वागत किया?
उत्तर― तालाब बादलों का स्वागत इस प्रकार करता है जैसे कोई घर का सदस्य
मेहमान के हाथ-पैर धुलवाने के लिए परात में पानी लाया हो। कहने का
भाव यह है कि अब तक तालाब सूखे पड़े थे। बादलों के बरसने से तालाबों
में भी पानी भर गया। पानी से भरे तालाब प्रसन्नतापूर्वक बादलों का स्वागत
कर रहे हैं।
(ख) इस काव्यांश में पीपल को किसके प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया है?
उत्तर― इस काव्यांश में पीपल को घर के बुजुर्ग सदस्य के रूप में प्रस्तुत किया
है। जिस प्रकार घर का बड़ा सदस्य आगे बढ़कर स्वागत करके अपने बड़े
होने का परिचय देता है, इसी प्रकार पीपल को भी सभी वृक्षों में बड़ा माना
गया है।
(ग) लता किस लिए व्याकुल थी?
उत्तर― लता इसलिए व्याकुल थी, क्योंकि काफी दिनों से मेघ नहीं बरसे थे। मेघ
के वियोग में लता इतनी दुःखी हुई कि उसके पत्ते मुरझाकर पीले पड़ने
लगे थे। इतने दिन बाद बादलों को देखकर वह उनको उलाहना देती है।
4. क्षितिज अटारी गहराई दामिनि दमकी,
'क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की,
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
(क) कौन-सी गाँठ खुल गई?
उत्तर―अब तक यह भ्रम था कि मेघ (बादल) आएँगे अथवा नहीं। इसी प्रकार
नायिका को यह भ्रम था कि उसका प्रिय आएगा या नहीं। मेघ रूपी प्रिय
के आगमन के साथ ये सारे भ्रम स्वयं समाप्त हो गए और गाँठ खुल गई
अर्थात् स्थिति स्पष्ट हो गई।
(ख) मिलन का दृश्य कैसा था?
उत्तर― नायक-नायिका के मिलन के अवसर पर दोनों के सब्र का बाँध टूट गया
और मिलन की खुशी में आँसू बहने लगे। वर्षा की बूँदें बरसने लगीं।
(ग) बादलों के आने पर क्षितिज कैसा लगने लगा?
उत्तर― जैसे ही बादल क्षितिज पर छाए, उनमें से बिजली रह-रहकर चमकने लगी।
यह दृश्य ऐसा लगने लगा मानो बादल-रूपी मेहमान क्षितिज-रूपी अटारी
पर आकर ठहर गया और नायिका रूपी बिजली से बादल-रूपी मेहमान
का शरीर दमकने लगा।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने
चित्रित किया है, उन्हें लिखें।
उत्तर― बादलों के आने पर ठंडी वायु नाचती गाती युवती के समान बहने लगी,
पेड़ स्वागतार्थ अपनी टहनियाँ और पत्तों सहित झुककर मेघों का अभिवादन
करने लगें नदी तिरछी नजर से बहती हुई आश्चर्य से मोहित हो गई, लता
हरी-भरी सी होकर गदगद हो गई एवं तालाब जल का प्रवाह विस्तारित
करते हुए आनन्दमग्न हो गया।
2. लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?
उत्तर― लता ने बादल रूपी मेहमान को वर्ष भर इंतजार के बाद बरसने (आने)
पर उलाहना देकर अपने हल्के-फुल्के क्रोधमिश्रित अटूट प्रेम का प्रदर्शन
किया। उससे अपनी खुशी और गम दोनों ही प्रदर्शित किए।
3. मेघ-रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
उत्तर― मेघ-रूपी मेहमान के आने से वातावरण सजीव हो गया। हवा तेज गति
से चलने लगी। हवा के कारण पेड़ कभी झुकने कभी सीधे होने लगे। सूखी
नदी में भी जल की धारा प्रवाहित होने लगी। जीव-जगत तथा सम्पूर्ण
वनस्पति जगत में मानो प्राणों का संचार होने लगा। एक वर्ष का इंतजार
समाप्त हो गया।
4. मेघों के लिए बन-ठन के सँवर के आने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर― मेघों की तुलना गाँव में आए मेहमान (दामाद) से की है। दामाद जब
ससुराल जाता है तो बन ठन के जाता हैं इसी प्रकार बादल भी एक वर्ष
बाद बरसने के लिए आए हैं। इसलिए उनके लिए बन ठन के सँवर कर
आने की बात कही है।
5. कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकार के उदाहरण लिखें।
उत्तर― कविता में मेघों का, बयार का, पेड़ों का, धूलों का, नदी का, पीपल के
वृक्ष का, लता का, ताल का, बिजली का मानवीकरण किया गया है। तथा
क्षितिज अटारी में रुपक अलंकार है।
6. कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है?
उत्तर― पीपल की आयु बहुत अधिक होती है। वे लंबे समय तक बने रहते हैं। अन्य
पेड़ों की तुलना में वे बुजुर्ग ही ठहतरते हैं। कई बार सो-सौ वर्ष की आयु
वाले पीपल के पेड़ पाए जाते हैं अतः उन्हें बड़ा बुजुर्ग कहना बिल्कुल सही
है।
7. कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उनका वर्णन
करें।
उत्तर― (क) भारतीय संस्कृति के आदर्श वाक्य 'अतिथि देवो भव' के अनुसार
प्रस्तुत कविता में कवि श्री सक्सेना जी ने ग्रामीणों द्वारा शहरी मेहमान का
स्वागत करने का उत्साहयुक्त जोश दिखाकर इस परंपरा का निर्वाह कया
है।
(ख) स्वागतार्थ नमन करना (पत्ते, डालियाँ झुकना), नाचना-गाना (धल
द्वारा लहँगा संभालकर नाचना चलना) एवं सभी की प्रसन्नता का प्रदर्शन
किया है।
(ग) बुजुर्गों द्वारा भी पढ़े-लिखे मेहमान को सम्मान देना।
(घ) किसी विशेष अतिथि के आगमन पर रीति-रिवाजों के अनुसार
उसके चरण पखारना।
(ङ) संकोच, शर्म और लाज का समाहार करते हुए नायिका द्वारा हर्ष
की अभिव्यक्ति।
8. कविता में कवि ने आकाश में बादल और गाँव में मेहमान के
(दामाद) आने का जो रोचक वर्णन किया है, उसे लिखें।
उत्तर― 'मेघ आए' कविता में कवि सर्वेश्वर दयाल ने बताया है कि आकाश में
बादल अपने नये रंग-रूप के साथ इस प्रकार छा गए हैं जैसे कोई शहरी
दामाद बड़ा सज-धजकर अपनी ससुसराल जाता है। मेष रूपी मेहमान के
आने पर पूरा गाँव उल्लास से भर उठता है। ठण्डी हवा मेहमान के आगे
नाचती-गाती हुई चलती है। सभी ग्रामीणों ने पाहुन के दर्शन करने के लिए
खिड़की-दरवाजे खोल लिए हैं। पेड़ एड़ियाँ उठा-उठाकर कर उसे देख
रहे हैं नदी तिरछी नजरों से मेघ को सज-धज को देख रही है और हैरान
हो रही है। गाँव के पुराने पीपल ने मानो झुककर अभिवादन किया हो। लता
संकोच के मारे दरवाजे की ओट में सिकुड़ गई है। तालाब मेहमान के चरण
पखारने के लिए पानी लेकर आता है। ऊंचे भवनों पर लोग खड़े हैं। बिजली
भी चमकने लगी है। इस तरह सम्पूर्ण गाँव खुशी से झूम उठा है।
9. 'क्षमा करो, गाँठ खुल गई अब भरम की' का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर― प्रिया को यह संदेह था कि वर्ष भर बाद भी जाने प्रिय आएंगे भी या नहीं
किन्तु बादलों के बरसने पर लता रूपी मुरझाई व्याकुल प्रियतमा हरी-भरी
होकर प्रसन्न हो गई और उसने अपनी शंकाजनित भावना के लिए माफी
भी मांगी।
10. 'बाँकी चितवन उठा नदी ठिठकी, पूँघट सरके' का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर― नदी ने भी वियोग से व्याकुल एवं अधीर दशा को प्रदर्शित न करने का
भरसक प्रयल किया और वर्षा के मेघो के (मेहमान के) दर्शन करने के
लिए तिरछी नजर से उन्हें देखा, चूंघट सरकाया एवं आल्हादित होकर
विस्मित-सी रह गई। उसे खुशी थी कि अब वह पानी से लबालब भर
जाएगी।
11. गली-गली में दरवाजे-खिड़कियाँ क्यों खुलने लगे?
उत्तर― मेघ और वर्षा के स्वागत में, दूसरे शब्दों में वर्षा का आनंद लूटने के लिए
गली-गली में दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगे।
■■