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    Jharkhand Board Class 9TH Hindi Notes | रीढ़ की हड्डी  

   JAC Board Solution For Class 9TH Hindi Kritika Chapter 3

                                  3. रीढ़ की हड्डी

1. एकंकी के आधार पर गोपल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर― गोपाल प्रसाद की चरित्र-चित्रण-
(क) चतुराई भरा व्यक्तित्व― शंकर के पिता गोपाल प्रसाद जब
रामस्वरूप जी के घर लड़की देखने आते हैं तो उनका आगमन
होते ही उनके चेहरे से चालाकी दिखाई देती है।

(ख) खाने के शौकिन― बातों-बातों में गोपाल प्रसाद बताते हैं कि
स्कूली जीवन में वे दर्जनों कचौड़ियाँ उड़ा जाते थे।

(ग) डींगे मारने वाले शख्स― बातों-बातें में कभी तो वे अपने अंग्रेजी
ज्ञान की शेख बघारते हैं तो कभी खिलाड़ी होने की।

(घ) खूबसूरती का कायल― गोपाल जी लड़की की खूबसूरती के
कायल हैं।

(ङ) रूढ़िवादी― गोपाल जी पुराने विचारों के व्यक्ति हैं। वे लड़की
का ज्यादा पढ़ा-लिखा होना सही नहीं मानते हैं। उनके अनुसार
अनपढ़ लड़की दबी हुई-सी सभी घेरलू काम ठीक से करती है।

(च) विनोदी― वे हँसमुखी और विनोदप्रिय हैं।

(छ) नर-नारी में अंतर मानने वाले― गोपाल जी नर-नारी में भेद
मानकर नए जमाने के प्रतिकूल विचार प्रस्तुत करते हैं। वे मर्दो को
ही दुनिया में श्रेष्ठ मानते हैं।

(ज) दहेज के लोभी― गोपाल जी दहेज के लोभी बनकर ही उमा को
देखने आते हैं।

2. एकांकी के आधार पर रामस्वरूप की चारित्रिक विशेषताएँ बताए।
उत्तर― रामस्वरूप का चरित्र-चित्रण
(क) शालीन एवं गंभीर स्वभाव वाले― रामस्वरूप जी गंभीर स्वभाव
वाले साधारण से दिखने वाले शालीन स्वभाव वाले व्यक्ति हैं।

(ख) जिम्मेदार पिता― रामस्वरूप जी अपनी बेटी उमा को पढ़ा-लिखाकर
पैरों पर खड़ा करते हैं। लड़के को दिखाते समय वे बेटी के साथ
ही रहते हैं।

(ग) अंधविश्वासों के विरोधी― शंकर के पिता द्वारा बेटी की जन्मपत्री
के बारे में पूछने पर वे अनभिज्ञता दर्शाकर उसे जरूरी नहीं मानते।
(घ) मिथ्यावादी- उमा के पिता के रूप में उनके चरित्र में एक कमी
यह है कि बेटी के अनपढ़ होने की झूठी खबर देकर शंकर के
पिता को खुश करना चाहते हैं।

(ङ) डरपोक स्वभाव वाले― रामस्वरूप जी कहीं-कहीं कई प्रसंगों में
कायर स्वभाव वाले नजर आते हैं, जैसे कि-उमा द्वारा क्रोधित
होकर दहेज के लालची वरपक्ष के लोगों को भगा देने के प्रसंग
मे वे बेटी को ऐसा करने से मना करते हैं क्योंकि उनको डर है
कि कहीं बेटी कुँवारी ही न रह जाए।

3. इस एकांकी का क्या उद्देश्य है? लिखें।
उत्तर― रीढ़ की हड्डी' एकांकी के माध्यम से लेखक ने समाज में व्याप्त
मध्यम-वर्ग में बेटी की शादी की समस्या को उजागर करने के साथ उन
स्वार्थी, अवसरवादी, व्यवहारवादी लोगों पर व्यंग्य सा है, जो पैसों के बल
पर, पुरुष प्रधान समाज के बल पर सब कुछ खरीदने का झूठा भ्रम रखते
हैं। ऐसे लोगों को सबक सिखाने के उद्देश्य से ही यह एकांकी लिखी गई
है।

4. 'रीढ़ की हड्डी' एकांकी के आधार पर शंकर का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर― शंकर 'रीढ़ की हड्डी' एकांकी का वह पात्र है जिसके शरीर में रीढ़ की
हड्डी नहीं है। वह आवारा किस्म का युवक है। वह मेडिकल कॉलेज में
पढ़ते हुए पर पढ़ाई पर कम और लड़कियों के पीछे मंडराने पर अधिक
ध्यान देता है। इसलिए उसकी खूब पिटाई होती है। यहाँ तक कि उसकी
रीढ़ की हड्डी तोड़ दी जाती है। इसलिए वह हमेशा झुककर चलता है।
वह तन कर बैठ नहीं पाता।
शंकर की सबसे बड़ी कमजोरी है― उसका व्यक्तित्वहीन होना। उसके
अपने विचार नहीं हैं। न ही मन में इतनी शक्ति है कि कुछ सोच सके या
सत्य पर डटा रह सके। उसके लिए न कुछ ठीक है, न गलत। वह पिता
का पाला हुआ चूहा है, जो जब कभी चूं-धूं करता रहता है और उनकी
फूहड़ बातों पर ही-हीं करता रहता। वास्तव में वह युवक न हाकर बूढ़ा
है। उसमें किसी भी बात पर अडिग रहने की शक्ति नहीं है। यदि वह
व्यक्तित्व संपन्न होता तो एकांकी का नायक कहलाता, अब वह एक
अकिंचन अर्थात् बेचारा पात्र बनकर रह गया है।

5. सिद्ध करें कि 'रीढ़ की हड्डी' हास्य-एकांकी है?
उत्तर―'रीढ़ की हड्डी' हास्य-एकांकी है। इसमें हास्य और व्यंग्य के दोनों तत्त्व
विद्यमान हैं। एकांकी का आरंभ हल्के-फूल्के दृश्य से होता हैं मालिक और
नौकर की नोंक-झोंक विनोदपूर्ण है। नौकर की मूर्खतापूर्ण बातें और
रामस्वरूप के करारे उत्तर हँसी पैदा करते हैं। नौकर का अपनी मूर्खता पर
खुद हँसना, मालिक के आदेश का गलत अर्थ लेना, बिछाने की चादर की
बजाय मालिक की धोती माँगना ऐसे दृश्य हैं जो पाठक को हँसने के लिए
मजबूर कर देते हैं।
हँसी के तत्त्व एकांकी के मुख्य प्रसंग में भी है। गोपाल प्रसाद जानबूझकर
मनोरंजक प्रसंग उठाता है। वह दर्जनों कचौड़ियाँ उड़ाने की बात करता है।
खूबसूरती पर टैक्स लगाने का सुझाव देता है। नर-नारी की असमानता पर
फूहड़ तर्क देता है। ये सभी संवाद हँसी उत्पन्न करते हैं।
रामस्वरूप और उसकी पत्नी प्रेमा के प्रसंग भी हास्यजनक हैं। पति का
पत्नी को बार-बार मूर्ख कहना, ग्रामोफोन कहना, पत्नी का स्वयं को मूर्ख
मान लेना हास्यजनक प्रसंग है।
एकांकी का अंत व्यंग्य से होता हैं जब उमा गोपाल प्रसाद तथा शंकर को
आड़े हाथों लेती हैं तो हँसी व्यंग्य की चोट में बदल जाती है। इस प्रकार
हम इस एकांकी को हास्य एकांकी कह सकते हैं।

                                    लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

1. रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर 'एक हमारा जमाना था,
 कहकर अपने समय की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है?
उत्तर- रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद पुरानी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्हें
अपना पुराना जमाना ही अच्छा प्रतीत होता है। यही कारण है कि वे
बात-बात पर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। हमारी दृष्टि
में यह तुलना कतई भी ठीक नहीं है। समय परितर्वनशील है। अतः कभी
एक बात या स्थिति नहीं रहती। उसमें निरंतर परिवर्तन होता रहता है। हमें
इस परिवर्तन को स्वीकार करना चाहिए।

2. रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाला और विवाह के
लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर
करता है?
उत्तर― रामस्वरूप ने बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाई, पर विवाह के लिए उसे छिपाना
उसकी मजबूरी है। लड़के के पिता को लड़के और उसके पिता की इच्छा
के अनुसार चलना पड़ता है। गोपाल प्रसाद उच्च शिक्षित बहू नहीं चाहते
और रामस्वरूप उनके लड़के से अपनी बेटी का रिश्ता तय करना चाहता
है। अतः वह बेटी की उच्च शिक्षा को छिपाता है। वह विवशतावश ऐसा
करता है।

3. अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस
प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं वह उचित क्यों नहीं है।
उत्तर― अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप अपनी बेटी उमा में
इस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे थे कि वह सीधी-सादी, चुप
रहने वाली, कम पढ़ी-लिखी लगने वाली लड़की की तरह व्यवहार करें
उनका ऐसा सोचना उचित नहीं है। लड़की कोई भेड़-बकरी या मेज-कुर्सी
नहीं हैं उसका भी दिल होता हैं उसका उच्च शिक्षा पाना कोई अपराध नहीं
है। वह पढ़ी-लिखी लड़की जैसा ही व्यवहार करेगी।

4. "......आपके लाडले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं...' उमा इस
कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना
चाहती है?
उत्तर― रीढ़ की हड्डी ही शरीर का वह अंग है, जो सबसे मजबूत होता है। वास्तव
में सारे शरीर का ढाँचा इसी पर टिका होता है। यहाँ भी जब गोपाल प्रसाद
और उनका बेटा शंकर उमा को अस्वीकार करके जाते हैं, तब उमा गोपाल
प्रसाद से कहती है कि "आपके लाडले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या
नहीं" उमा यह कहकर बताना चाहती है कि शंकर में व्यक्तित्व की कमी
है। वह कमजोर है, कायर है, स्वार्थी कठपुतली है।

5. गोपाल प्रसाद विवाह को 'बिजनेस' मानते हैं और रामस्वरूप अपनी
बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही सामन
रूप से अपराधी है? अपने विचार लिखें।
उत्तर― गोपाल प्रसाद अपने बेटे का विवाह करने आए हैं, लेकिन वे इसे 'बिजनेस'
का नाम देते हैं अर्थात् यहाँ वे संबंधों, मानवीयता को एक तरफ रख देते
हैं। दूसरी ओर रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छिपाकर स्वार्थी,
लालची और समाज को विकृत करने वाली बुराइयों को बढ़ावा देते हैं। अत:
दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं।

6. 'रीढ़ की हड्डी' शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट करें।
उत्तर― पाठ का नाम 'रीढ़ की हड्डी' पूर्णतः सार्थक एवं सटीक है, क्योंकि
'रीढ़ की हड्डी' शरीर का अभिन्न और अनिवार्य हिस्सा होती है। यदि
रीढ़ी की हड्डी न हो तो व्यक्ति कमजोर कहलाता है। पाठ में भी शंकर
एक कमजोर व्यक्तित्व वाला व्यक्ति है। जो स्वयं निर्णय लेने में कमजोर
हैं वह अपने बल पर कुछ करने की क्षमता ही नहीं रखता है।

7. शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की- -समाज को कैसे व्यक्तित्व की
जरूरत है? तर्क सहित उत्तर दें।
उत्तर― शंकर के व्यक्तित्व को समझने के बाद कहा जा सकता है कि उसे ऐसी
लड़की चाहिए, जो अनपढ़ हो, गंवार हो लेकिन खूबसूरत हो। जो उसकी
दासी बनकर रह सके। जो उसकी हाँ-में-हाँ मिलाए। वहीं उमा को एक
ऐसा लड़का चाहिए, जो पढ़ा-लिखा, सभ्य, समझदार सबल व्यक्तित्व
वाला हो, जो स्त्री को पूरा सम्मान दे। जो उसे पाँव की जूती या दासी न
समझकर उसे जीवनसंगिनी माने।

8. कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं
और क्यों?
उत्तर― कथावास्तु के आधार पर हम शंकर को ही एकांकी का मुख्य पात्र मानते
हैं, क्योंकि उसके कमजोर व्यक्तित्व के आधार पर ही एकांकी का
नामकरण किया गया है। समाज में व्याप्त शंकर जैसे बिना रीढ़ की हड्डी
वालों को ही उजागर करना लेखक का उद्देश्य रहा है। ऐसे लोगों को ही
सबक सिखाने के लिए लेखक ने इस समस्या को रूप प्रदान किया है।

9. समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से
प्रयास कर सकते हैं?
उत्तर― वर्तमान समाज चाहे कितना ही शिक्षित हो जाए, लेकिन स्त्रियों के मामले
में उनके विचार अभी भी पिछड़े हुए. दकियानूसी हैं।' शिक्षा के नाम पर
उन्हें एक तरफ रख दिया जाता हैं ऐसे समाज में उन्हें गरिमा दिलाने के
लिए मैं स्त्रियों की शिक्षा, रोजगार, सम्मान के लिए कार्य करूँगा। विकास
के सभी क्रम में उनका साथ दूँगा।

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