Jharkhand Board Class 9TH Hindi Notes | किस तरह आखिरकार मैं हिन्दी में आया
JAC Board Solution For Class 9TH Hindi Kritika Chapter 5
1. लेखक ने बच्चन जी के व्यक्तित्व के किन-किन रूपों को उभारा है?
उत्तर― लेखक ने बच्चन जी के व्यक्तित्व के कई रूपों को उभारा है-
(क) बच्चन जी मित्रता का निर्वाह करना जानते थे। वे अपने मित्रों की
मदद किया करते थे। उन्होंने लेखक की एम०ए० की पढ़ाई के
खर्च का जिम्मा स्वयं ले लिया था।
(ख) बच्चन जी एक सहृदय कवि थे। उनकी कविताएँ धूम मचा रही
थी। वे कवि सम्मेलनों में भी जाया करते थे।
(ग) बच्चन जी अपना काम स्वयं करने में झिझकते नहीं थे। एक बार
भारी वर्षा के कारण कुली न मिलने पर बिस्तर अपने कंधे पर
रखकर स्टेशन तक चले गए।
(घ) बच्चन जी उभरते कवियों को प्रेरणा देते थे। उनका मार्गदर्शन भी
करते थे।
2. लेखक ने अपने जीवन में किन कठिनाइयों को झेला है, उनके बारे
में लिखें।
उत्तर― लेखक के जीवन में कुछेक कठिनाइयाँ झेलकर ही जीवन जीना सीखा।
ये कठिनाइयाँ इस प्रकार हैं―
(क) घर से दिल्ली जाकर अपरिचित जगहों पर भटकना, कनॉट प्लेस
आदि में भटकना। उकील आर्ट्स स्कूल में दाखिला लिया।
(ख) इलाहाबाद में बच्चन जी के घर पर रहकर ही एम०ए० किया।
देहरादून जाकर पेंटिंग क्लास खोली। उसके जल्दी ही बंद होने पर ससुराल
की कैमिस्ट्स की दुकान पर कंपाउंडरी सीखी। बच्चन जी के साथ
इलाहाबाद रहकर पढ़ाई की। हिंदू बोर्डिंग हाउस के कॉमन हुए में इंडियन
प्रेस के अनुवाद की नौकरी मिल गई। फिर हिन्दी काव्य रचनाएँ लिखते
हुए, साहित्यकारों की संगत में रहकर हंस, चाँद आदि में अपनी रचनाएँ
छपवाईं।
3. 'तुम यहाँ रहोगे तो मर जाओगे.....तुम इलाहाबाद जाएगा तो मर
जाएगा'......इन कथनों के संदर्भ में लेखक का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर― कवि हरिवंशराय बच्चन ने शमशेर बहादुर सिंह को कहा-"अगर तुम यहाँ
(देहरादून में) रहोगे तो मर जाओगे।" उनका आशय यह था कि देहरादून
में रहकर उन्हें अपनी मृत पत्नी की यादें आती रहेंगी। दूसरे, देहरादून में
कलाभिव्यक्ति के साधन और माध्यम नहीं है। अतः शमशेर अपनी
भावनाओं को किसी के सामने व्यक्त नहीं कर पाएंगे। न ही कला के
अभाव में जी पाएँगे। न उन्हें कला के बिना अपना जीवन सार्थक प्रतीत
होगा। अतः वे यहाँ घुट-घुट कर जिएँगे।
देहरादून के प्रसिद्ध डॉक्टर ने उन्हें कहा-'तुम इलाहाबाद जाएगा तो मर
जाएगा।' इसका आशय यह था कि वहाँ तुम्हारा अकेलापन बाँटनेवाला
कोई नहीं होगा। अतः पत्नी तथा प्रियजनों की याद में तुम्हारा जीना कठिन
हो जाएगा।
4. शमशेर बहादुर सिंह हिंदी की तरफ क्यों मुड़े?
उत्तर― शमशेर बहादुर सिंह हिंदी से पहले अंग्रेजी तथा उर्दू में निपुण थे। उन्हें हिंदी
की तरफ मोड़ने वाले थे-कवि हरिवंशराय बच्चन। बच्चन जी 1930 के
आसपास बहुत लोकप्रिय थे। एक बार उन्होंने शमशेर बहादुर सिंह के एक
सॉनेट की बहुत प्रशंसा की। इससे शमशेर बच्चन के नजदीक हो गए।
बच्चन जी शमशेर को इलाहाबाद ले गए। वहाँ हिन्दी का वातावरण बहुत
प्रेरक तथा प्रभावी था। निराला तथा पंत जी की रचनाओं ने उन्हें हिंदी में
लिखने के लिए प्रेरित किया। शमशेर पंत जी के संपर्क में आए। पंत जी
ने उनकी कुछ कविताओं में सुधार भी किय। निराला ने भी उनकी एक
कविता पर अच्छी टिप्पणी की। बच्चन जी ने तो उन्हें लिखने के लिए एक
नया छंद भी समझाया। इस प्रकार शमशेर बहादुर सिंह हिंदी की तरफ मुड़
गए।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. वह ऐसी कौन सी बात रही होगी जिसने लेखक को दिल्ली जाने के
लिए बाध्य कर दिया?
उत्तर― लेखक के घरवालों ने लेखकी कर नाकामी, निठल्लेपन, मुफ्त की रोटी
तोड़ने वाला, घरघूस्सू, कामचोर आदि के लिए ताने मारे होंगे, तभी लेखक
के दिल पर अहम् पर जो चोट लगी होगी, उसी के परिणामस्वरूप वह घर
छोड़कर दिल्ली जाने के लिए बाध्य हुआ होगा।
2. लेखक को अंग्रेजी में कविता लिखने का अफसोस क्यों रहा होगा?
उत्तर― लेखक अंग्रेजी और उर्दू में कविता लिखता था। बाद में उसे यह बात समझ
में आई कि उसे हिंदी कविता गंभीरता से लिखनी है और उससे उसका
रिश्ता लगभग छूट चुका था। उस समय तक हिंदी भाषा और उसका शिल्प
अजनबी हो चला था। लेखक घर में खलिस उर्दू के वातावरण में पला था।
गजल उसकी भावुकता थी। हिंदी उससे छूट चुकी थी। अभिव्यक्ति का
माध्यम या तो अंग्रेजी थी या उर्दू। बाद में लेखक को अंग्रेजी में कविता
लिखने के लिए अफसोस हुआ।
3. अपनी कल्पना से लिखें कि बच्चन ने लेखक के लिए-नोट' में क्या
लिखा होगा?
उत्तर― एक बार बच्चन लेखक से मिलने स्टूडियो में आए, पर तब तक क्लास
खत्म हो चुकी थी अतः यह भेंट न हो सकी । बच्चन लेखक के लिए एक
नोट लिखकर छोड़ गए। यह एक अलग किस्म का अच्छा-सा नोट था।
लेखक ने स्वयं को कृतज्ञ महसूस किया। उस नोट की विषयवस्तु की
कल्पना की जा सकती है। उन्होंने लेखक से मिलने के लिए कहा होगा।
लेखक की रचनाओं के बारे में भी पूछा होगा।
4. बच्चन जी के अतिरिक्त लेखक को अन्य किन लोगों का तथा किस
प्रकार का सहयोग मिला?
उत्तर― लेखक को बच्चन जी के अतिरिक्त कई अन्य लोगों का सहयोग मिला।
(क) सबसे पहले लेखक को उकील आर्ट स्कूल में गुरुवर शारदाचरण
जी का सहयोगी मिला। उन्होंने लेखक को फ्री में दाखिला दे दिया।
(ख) पंत जी के सहयोग से लेखक को इंडियन प्रेस में अनुवाद का काम
मिलने लगा।
(ग) पंत और निराला के प्रोत्साहन से लेखक को कविता लिखने की
प्रेरणा मिली।
5. लेखक के हिंदी लेखन में कदम रखने का क्रमानुसार वर्णन करें।
उत्तर― 1937 में देहरादून में डॉ० ब्रजमोहन गुप्त एवं बच्चन से प्रेरित होकर लेखक
ने काव्य रचनाएँ लिखी-बच्चनजी द्वारा देहरादून से लेखक को इलाहाबाद
ले जाया गया। एम०ए० भी उन्होंने ही कराया। लेखक हिंदू बोर्डिंग हाउस
में इंडियन प्रेस में अनुवादक बन गए। सरस्वती, चाँद में गंभीरता से रची
रचनाएँ छपवाई। निराला, पंत से भी लेखक ने साहित्यिक सोच ली। 'निशा
निमंत्रण' का लेखक पर गहरा प्रभाव पड़ा। रचना करने के चक्कर में
लेखक पढ़ाई पर भी कम ध्यान देने लगे थे। 'हंस' के कहानी स्तंभ में भी
लेखक लगातार लिखने लगे थे।
6. लेखक ने कवि बच्चन के पत्नी-वियोग को किस प्रकार अभिव्यक्त
किया है?
उत्तर― लेखक के अनुसार, हरिवंशराय बच्चन अपनी पत्नी के वियोग से बहुत
अधिक व्यथित थे। उनकी पत्नी उनके जीवन में उतनी महत्वपूर्ण थी जितनी
की मस्त नृत्य करते शिव के जीवन में उमा। अत: पत्नी के वियोग से जैसे
भगवान शिव अपनी पार्वती को गोदी में लिए-लिए संसार में भटके थे,
उसी प्रकार बच्चन भी पत्नी के वियोग के दुःख को लेकर पीड़ित थे।
उनकी पत्नी उनकी सच्ची संगिनी थीं। वे उनके भावुक सपनो, उत्सहों और
संघर्षों की प्रेरणा थीं। बच्चन जी मक्खन के समान हृदय से कोमल थे।
अतः वे पत्नी के प्रति बहुत समर्पित थे।
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