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   Jharkhand Board Class 9TH Hindi Notes | चंद्र गहना से लौटती वेर ― केदारनाथ अग्रवाल  

   JAC Board Solution For Class 9TH Hindi Poem Chapter 7 


1. देख आया चंद्र गहना।
देखता हूँ दृश्य अब मैं
मेड़ पर इस खेत की बैठा अकेला।
एक बीते के बराबर
यह हरा ठिगना चना,
बाँधे मुरैठा शीश पर
छोटे गुलाबी फूल का,
सज कर खड़ा है।

(क) चने के पौधे को देखकर कवि ने क्या कल्पना की है?
उत्तर― कवि जब गुलाबी फूलों से सजे धजे-चने के पौधे को देखता है तो कवि
को लगता है कि यह सज-धज कर अपनी प्रेयसी से मिलने जा रहा है।

(ख) चंद्र गहना देखकर कवि ने क्या कल्पना की है?
उत्तर― कवि चंद्र गहना देखकर लौटते हुए खेतों के बीच खेत की मेड़ पर बैठ
जाता है। ग्राम का अद्भुत सौंदर्य कवि के किसान-मन को बरबस अपनी
ओर खींच लेता है। कवि प्रकृति के सौंदर्य में खो जाता है।

(ग) चने ने किस चीज पर मुरैठा पहना हुआ है?
उत्तर― चने के पौधे पर गुलाबी फूल इस तरह सुशोभित है मानो किसी दूल्हे ने
रंगीन पगड़ी पहनी हो।

2. पास ही मिल कर उगी है
बीच में अलसी हठीली
देह की पतली, कमर की है लचीली,
नील फूले फूल को सिर पर चढ़ा कर
कह रही है, जो छुए यह
दूँ हृदय का दान उसको।

(क) अलसी का पौधा कैसा होता है?
उत्तर― अलसी का पौधा दो-तीन फिट लंबा होता है। उसकी टहनियाँ एकदम पतली
होती है। अलसी पर नीले फूल आते हैं। अलसी के बीजों से भरीह उसकी
कली छोटे से कलश जैसी नजर आती है।

(ख) अलसी को देखकर कवि ने क्या कल्पना की है?
उत्तर― अलसी को देखकर कवि ने कल्पना की है जैसे यह कोई पतली एवं
लचकदार कमर वाली कोई जिद्दी लड़की हो और इसने नीले फूलों का
दुपट्टा ओढ़ रखा हो और इसकी जिद्द है कि जो उससे आकर
प्रणय-निवेदन करेगा, उसे ही वह अपना हृदय दे देगी।

(ग) अलसी को किस रूप में प्रस्तुत किया गया है?
उत्तर― कवि ने अलसी के प्रेमातुर अल्हड़ नायिका के रूप में प्रस्तुत किया है। यह
देह से पतली, लचीली और अल्हड़ है। उसने नीले रंग के (कभर वाली)
फूल धारण किए हुए हैं और वह स्वयं को किसी प्रियतम पर न्योछावर
करने को तैयार है।

3. और सरसों की न पूछो-
हो गई सबसे सयानी,
हाथ पीले कर लिए हैं
ब्याह-मंडप में पधारी
फाग गाता मास फागुन
आ गया है आज जैसे।
देखता हूँ मैं : स्वयंवर हो रहा है
प्रकृति का अनुराग-अंचल हिल रहा है
इस विजन में,
दूर व्यापारिक नगर से
प्रेम की प्रिय भूमि उपजाऊ अधिक है।

(क) सरसों को देखकर कवि ने क्या कल्पना की है ?
उत्तर― खेतों में खिली हुई सरसों को देखकर कवि को ऐसा लगा जैसे यह अब
यौवन को प्राप्त हो गई है और यह पोले हाथ करके स्वयंवर में पधार रही
है।

(ख) इन पंक्तियों में किस माह का वर्णन है? आप यह किस आधार पर
कह सकते हैं?
उत्तर― इन पंक्तियों में फाल्गुन मास का वर्णन है। सरसों इस महीने में ही
फलती-फूलती है। फाल्गुन-मास को मधुमास भी कहते हैं।

(ग) कवि ने सरसों को सयानी क्यों कहा है?
उत्तर― सयानी का अर्थ होता है समझदार या जवान, क्योंकि सरसों पर फूल आ
गए हैं, उसको जितना बढ़ना था वह बढ़ चुकी। अब वह अपनी
यौवनावस्था में है। इसलिए कवि ने सरसों को सयानी कहा है।

4. और पैरों के तले है एक पोखर,
उठी रही इसमें लहरियाँ
नील तल में जो उगी है घास भूरी
ले रही वह भी लहरियाँ।
एक चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा
आँख को है चकमकाता।
है कई पत्थर किनारे
पी रहे चुप-चाप पानी,
प्यास जाने कब बुझेगी।

(क) काव्यांश के आधार पर पोखर के सौंदर्य का वर्णन करें?
उत्तर― पोखर का जल एकदम स्वच्छ है। पोखर में हवा के चलने से छोटी-छोटी
लहरें उठ रही हैं। पोखर के तल में भूरे रंग की घास उगी हुई है। जब पोखर
में लहरें उठती हैं तो पोखर की घास लहराती है।

(ख) कवि ने चाँदी का-सा गोल खम्भा किसे कहा है और क्यों?
उत्तर― कवि ने चाँदी का-सा गोल खम्भा जल में पड़ रहे सूर्य के प्रतिबिम्ब को
कहा है। जब सूर्य का प्रतिबिम्ब जल में पड़ता है तो वह एक खम्भे के
समान लम्बा दिखाई देता है। सूर्य की किरणों के जल में पड़ने पर उसकी
चमक के कारण आँखें भी चौंधिया जाती है।

(ग) पोखर के किनारे पड़े पत्थरों को देखकर कवि ने क्या कल्पना की है।
उत्तर― पोखर के किनारे पानी को स्पर्श करते हुए पत्थर ऐसे लग रहे हैं जैसे
चुपचाप पोखर से पानी पी रहे हों और ये निरंतर पानी पिए ही जा रहे है।
पता नहीं इनकी प्यास कब बुझेगी?

5.चुप खड़ा बगुला डुबाए टाँग जल में,
देखते ही मीन चंचल
ध्यान-निद्रा त्यागता है,
चट दबा कर चोंच में
नीचे गले के डालता है।
एक काले माथ वाली चतुर चिड़िया
श्वेत पँखों के झपाटे मार फौरन
टूट पड़ती है भरे जल के हृदय पर,
एक उजली चटुल मछली
चोंच पीली में दबा कर
दूर उड़ती है गगन में।

(क) काले माथ वाली चिड़िया की चतुराई का वर्णन करें।
उत्तर― काले माथ वाली चिड़िया बड़ी चतुर है। वह नदी की सतह पर जैसे ही
एक सुंदर मछली को देखती है, झपट पड़ती है और उसे अपनी पीली चोंच
में दबाकर उड़ जाती है। वह काम बड़ी तेजी के साथ करती है।

(ख) बगुला कैसा दिखाई देता है और हरकत क्या करता है?
उत्तर― बगुला नदी के जल में टाँग डुबोए हुए बड़ा ध्यानमग्न-सा दिखाई देता है।
वह चुपचाप खड़ा रहता है। पर जैसे ही कोई मछली उसे दिखाई देती है
वह ध्यान-नींद त्यागकर एकदम उसे अपनी चोंच में दवा लेता है और
निगल जाता है। वह मछली की ताक में ही रहता है।

(ग) बगुला क्या देखकर ध्यान-निद्रा त्याग देता है?
उत्तर― बगुला सरोवर में तैरती मछली को देखकर ध्यान-निद्रा त्याग देता है।

6. औं यहीं से-
भूमि ऊँची है जहाँ से-
रेल की पटरी गई है।
ट्रेन का टाइम नहीं है।
मैं यहाँ स्वच्छंद हूँ,
जाना नहीं है।
चित्रकूट की अनगढ़ चौड़ी
कम ऊंची-ऊँची पहाड़ियाँ
दूर दिशाओं तक फैली हैं।
बाँझ भूमि पर
इधर-उधर रीवा के पेड़
काँटेदार कुरूप खड़े हैं।

(क) रेल की पटरी के आसपास की भूमि कैसी है?
उत्तर― रेल की पटरी के आसपास की भूमि सामान्य धरती से कुछ उँची है।

(ख) कवि क्यों स्वच्छंद है?
उत्तर― कवि इसलिए स्वच्छंद है क्योंकि गाड़ी का समय नहीं हुआ है तथा उसे
अन्य कहीं जाना नहीं है।

(ग) चित्रकूट की पहाड़ियों का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर― चित्रकूट की पहाड़ियाँ ऊँची-नीची हैं। परंतु वे बहुत अधिक ऊँची नहीं हैं।
वे ऊबड़-खाबड़ हैं। दूर-दूर तक फैली उन पहाड़ियों पर काँटेदार कुरुप
पेड़ खड़े हैं।


7. सून पड़ता है
मीठा-मीठा रस टपकता
सुग्गे का स्वर
टें टें टें टें;
सुन पड़ता है
वनस्थली का हृदय चीरता,
उठता-गिरता,
सारस का स्वर
टिरटों टिरटों;

(क) वनस्थली में गूंजती ध्वनियों का वर्णन अपने शब्दों में करें?
उत्तर― कवि को वनस्थली में कहीं तोते का टें-टें-टें स्वर सुनाई पड़ता है तो कहीं
सारस का टिरटों-टिरटों स्वर सुनाई पड़ता है।

(ख) सुग्गे का स्वर कैसा है?
उत्तर― सुग्गे का स्वर मीठा है। वह टें-टें-टें-टें करता हुआ मानो रस बरसा रहा
है।

(ग) 'वनस्थली का हृदय चीरता' से क्या आशय है?
उत्तर― इसका आशय है-जंगल को पूरी तरह गुँजता हुआ।

8. मन होता है-
उड़ जाऊँ मैं
पर फैलाए सारस के संग
जहाँ जुगुल जोड़ी रहती है
हरे खेत में,
सच्ची प्रेम-कहानी सुन लूँ
चुप्पे-चुप्पे।

(क) कवि का मन होता है?
उत्तर― कवि का मन होता है कि वह उड़कर सारस के साथ वहाँ चला जाए जहाँ
उसकी युगल जोड़ी रहती है।

(ख) कवि को कौन-सा स्थान अधिक प्रिय है और क्यों?
उत्तर― कवि को व्यापारिक नगर की तुलना में ग्रामीण उन्मुक्त वातावरण अधिक
प्रिय है। यह वातावरण प्रेम को बढ़ाने वाला है। शहरी वातावरण में बनावट
अधिक है। यहाँ प्राकृतिक वातावरण है।

(ग) पक्षियों का मनमोहक स्वर सुनकर कवि के मन में क्या विचार आता
है?
उत्तर― तोते और सारसों के मनमोहक स्वर सुनकर कवि के मन में आता है कि
वह भी इन्हीं के संग आकाश में उड़ जाए और इनका प्रेम-भरा संसार
देखे। वह इनके प्रेममय संसार को देखकर धन्य होना चाहता है।

                                   लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

1. 'इस विजन में........अधिक है'-पंक्तियों में नगरीय संस्कृति के प्रति
कवि का क्या आक्रोश है और क्यों?
उत्तर― इन पक्तियों में कवि का आक्रोश नगरीय जीवन और संस्कृति के प्रति यह
है कि वहाँ प्रेम और सौंदर्य, सरलता और मानवता जैसी चीजें मर गई है
इसका कारण यह है कि आगे बढ़ने की होड़ ने मनुष्य को शहरी जीवन
में अपने तक सीमित अर्थात् आत्म केंद्रित कर दिया है, वह वास्तविक,
सुख, शांति, प्रेम और प्रकृति को भूलकर निरुद्देश्य आपा-धापी में उलझ
गया है।

2. अलसी की चंचलता का वर्णन करें।
उत्तर― कवि अलसी का चंचल चित्र खींचते हुए कहता है कि वह कह रही है।
कि जो भी मुझे छुएगा, मैं उसी को अपना हृदय दान कर दूँगी।

3. सरसों को 'सयानी' कहकर कवि क्या कहना चाहता होगा?
उत्तर― सयानी होने से तात्पर्य यह है कि सरसों के पौधे बड़े हो गए हैं और उनमें
फूलों और फलियों का विकास होने लगा है। दूसरी ओर कवि इस परंपरा
को और भी इशारा करता है कि सयानी होने पर लड़कियों के विवाह कार्य
संपन्न होते हैं। इसीलिए आगे चलकर वह सरसों के स्वयंवर की भी बात
करता है।

4. अलसी के लिए 'हठीली' विशेषण का प्रयोग क्यों किया गया है?
उत्तर― अलसी के पौधों को देखकर कवि उसे हठीली इसलिए कहता है कि
अलसी चने के पास उससे सट कर उगी है और दोनों के विकास में
प्रतिस्पर्धा का भाव है। वह चने के बीच-बीच में उगने का हठ कर रही
है।

5. 'चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा' में कवि की किस सूक्ष्म कल्पना का
आभास मिलता है?
उत्तर― सूर्य के जल में हिलते प्रतिबिंब की छाया लहरा-लहरा कर कवि को चाँदी
के बड़े गोल खंभे का आभास देती है।

6. कविता के आधार पर 'हरे चने' का सौंदर्य अपने शब्दों में चित्रित करें।
उत्तर― हरा चना, एक बीते का है, ठिगना है, सिर पर गुलाबी फूल का पगड़ी
(मुरेठा) बाँधकर सजकर खड़ा है।

7. कवि ने प्रकृति का मानवीकरण कहाँ-कहाँ किया है?
उत्तर― कवि ने चने, सरसों, अलसी, फागुन के मौसम, बगुले तथा तालाब के जल
और वनस्थली तथा सारस के वर्णन-प्रसंगों में प्रकृति का मानवीकरण
किया है।

8. इस कविता में प्रकृति के सुंदर ही नहीं कुरूप दृश्यों का भी वर्णन हुआ
है। सिद्ध करें।
उत्तर― 'चंद्र गहना से लौटती बेर' में प्रकृति के कोमल, सुंदर और रंगीन दृश्यों
का वर्णन तो हुआ ही है, उसमें कुरूप और अनगढ़ दृश्य भी चित्रित हुए
हैं। चने, अलसी और सरसों के दृश्य बहुत सुंदर और रंगीन हैं उनमें
कवि-कल्पना का विलास दिखाई देता है। परंतु जहाँ चित्रकूट की अनगढ़
पहाड़ियों और काँटेदार कुरूप पेड़ों का वर्णन हुआ है, वहाँ वर्णन यथार्थ
के स्तर पर हुआ है।

9. पोखर के सौंदर्य का वर्णन इस कविता के आधार पर करें।
उत्तर― कवि ने इस कविता में पोखर का वर्णन किया है। उसके जल में वायु के
स्पर्श से लहरें उठ रही हैं। उसके तल में भूरी घास भी उन लहरों के साथ
हिल रही है। सूर्य का प्रतिबिंब पोखर के जल में पड़कर चाँदी का बड़ा-सा
गोल खंभा-सा दिखाई देता हैं उसके किनारे पड़े हुए पत्थरों से पोखर का
पानी छूता है तो ऐसा लगता है मानो वे प्यासे पत्थर पानी पी रहे हैं। उस
पोखर के जल में चिकनी और चमकीली मछलियाँ हैं। जिन्हें अवसर मिलते
ही जल में खड़े बगुले खा रहे हैं। उसी जल के ऊपर टिटहरी नामक काले
सिर, सफेद पंख और पीली चोंच वाली चिड़ियाँ मैंडरा रही है। मछलियाँ
दिखने पर वे झपट्टा मारकर उन्हें जल से पकड़ लेती हैं और चोंच में
दबाकर ऊपर आकश में उड़ जाती हैं।

10. 'प्रेम की प्रिय भूमि उपजाऊ अधिक है' किसके लिए कहा गया है
और क्यों?
उत्तर― यह कथन गाँव की एकांत प्रेममयी धरती के लिए कहा गया है। क्योंकि
गाँव में दूर-दूर तक फैले खेत हैं। उनमें प्रकृति रंगबिरंगे फूलों से सजकर
प्रेम प्रकट कर रही हैं मानो प्रकृति श्रृंगार किए खड़ी है और स्वयंवर रचा
जा रहा है। यह धरती न केवल प्रेमपूर्ण है, बल्कि उपजाऊ भी है। इसलिए
कवि ने यह कथन कहा है।
                                                      
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