JAC Board Solutions : Jharkhand Board TextBook Solutions for Class 12th, 11th, 10th, 9th, 8th, 7th, 6th

    Jharkhand Board Class 9TH Civics Notes | संविधान निर्माण   

 JAC Board Solution For Class 9TH (Social Science) Civics Chapter 3


1. दक्षिण अफ्रीका का लोकतांत्रिक संविधान बनाने में इनमें से कौन-सा
टकराव सबसे महत्वपूर्ण था–
(क) दक्षिण और उसके पड़ोसी देशों का,
(ख) स्त्रियों और पुरुषों का
(ग) गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का,
(घ) रंगीन चमड़ी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत अल्पसंख्यकों का।
उत्तर― (घ) रंगीन चमडी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत अल्पसंख्यकों का।

2. लोकतांत्रिक संविधान में इनमें से कौन-सा प्रावधान नहीं रहता–
(क) शासन प्रमुख के अधिकार,
(ख) शासन प्रमुख के नाम,
(ग) विधायिका के अधिकार,
(घ) देश का नाम।
उत्तर―(ख) शासन प्रमुख का नाम।

3. संविधान निर्माण में इन नेताओं और उनकी मिका में मेल बैठाएँ―
(क) मोतीलाल नेहरू।         (i) संविधान सभा के अध्यक्ष,
(ख) बी० आर० अंबेडकर।  (ii) संविधान सभा के सदस्य,
(ग) राजेंद्र प्रसाद।              (iii) प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष,
(घ) सरोजिनी नायडू।          (iv)1928 में भारत का
संविधान बनाया।
उत्तर― (क)-(iv), (ख)-(iii) (ग) -(i), (घ)- (ii)।

4. हमारे संविधान को दिशा देने वाले ये कुछ मूल्य और उनके अर्थ हैं
इनमें मेल बैठाएँ―
(क) संप्रभु।         (i) सरकार किसी धर्म के निर्देशों के अनुसार काम
                           नहीं करेगी,
(ख) गणतंत्र         (ii) फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास
                           है,
(ग) बंधुत्व।          (iii) शासन प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है,
(घ) धर्मनिरपेक्ष     (iv) लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना
                                चहिए।
उत्तर― (क) - (i), (ख) - (i), (ग)-(iv), (घ) -(v)।

5. संविधान किसे कहते हैं?
उत्तर― ऐसी सभी बुनियादी नियमों का सम्मिलित रूप जिनका पालन नागरिकों और
सरकार दोनों को करना होता है, संविधान कहलाता है।

6. रंगभेद की नीति से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर― रंगभेद की नीति नस्ली भेदभाव पर आधारित उस व्यवस्था को कहते हैं
जो विशिष्ट तौरपर दक्षिणी अफ्रीका में 1948 से 1994 के बीच में चलाई
गई।

7. हमारे संविधान को देश का मूलभूत कानून क्यों कहा जाता है?
उत्तर― हमारे संविधान को देश का मूलभूत कानून कहा जाता है क्योंकि इसका
महत्व देश के साधारण कानूनों से अधिक है। संविधान के उपबंधों का
उल्लंघन करने वाला कोई भी कानून अवैध होगा। अर्थात् उसका कोई
मूल्य या महत्व नहीं होगा।

8. दक्षिणी अफ्रीका को श्वेत अल्पमत और अश्वेत बहुमत के लोग एक
संविधान तैयार करने की बात पर क्यों नहीं सहमत थे?
उत्तर― अफ्रीका के श्वेत अल्पमत के लोगों ने अश्वेत बहुमत के लोगों
पर बहुत जुल्म ढाए थे इसलिए उनका एक संयुक्त संविधान निर्माण करने
के लिए तैयार हो जाना आसान नहीं था।

9. 'निवारक विरोध' का क्या अर्थ इसके अन्तर्गत किसी व्यक्ति को
कितने दिन के लिए गिरफ्तार कया जा सकता है?
उत्तर― इसका अर्थ है कि यदि सरकार का यह संदेह हो कि अमुक व्यक्ति के
स्वतंत्र रहने से कानून तथा व्यवस्था या देश की अखण्डता और एकता
को खतरा है तो उस व्यक्ति को नजरबन्द या गिरफ्तार किया जा सकता
है। किसी व्यक्ति की इसके अन्तर्गत तीन महीने की अवधि तक गिरफ्तार
किया जा सकता है।

10. नेल्सन मंडेला कौन हैं?
उत्तर― नेल्सन मंडेली दक्षिणी अफ्रीका के एक महान राष्ट्रीय नेता हैं जिन्होंने अपने
देश की स्वतंत्रता के लिए एक लम्बा संघर्ष किया। जब दक्षिणी अफ्रीका
स्वतंत्र हुआ तो वे स्वतंत्र दक्षिणी अफ्रीका के प्रथम राष्ट्रपति बने।

11. नेल्सन मंडेला को कब जेल से छोड़ा गया? रंगभेद सरकार के पतन
के बाद क्या हुआ?
उत्तर― नेल्सन मंडेला को 26 अप्रैल, 1994 की मध्य रात्रि को जेल से छोड़ दिया
गया। रंगभेदी सरकार के अंत के बाद बहुप्रजातीय सरकार की स्थापना
काम मार्ग प्रशस्त हुआ।

12. समानता के अधिकार के अन्तर्गत किन बातों को लेकर भेदभाव नहीं
किया जा सकता?
उत्तर― इसके अंतर्गत जाति, धर्म या वर्ण, जन्मस्थान को लेकर भेदभाव नहीं
किया जा सकता।

13. राज्य किनके लिए अलग प्रावधान कर सकता है?
उत्तर― स्त्रियों, बच्चों, अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा पिछड़े वर्गों के लिए।

14. किन दो क्षेत्रों को छोड़कर अन्य उपाधियों को खत्म कर दिया गया
है ?
उत्तर― सेना तथा शिक्षा सम्बन्धी उपाधियों के अतिरिक्त अन्य सभी उपाधियों को
खत्म कर दिया गया है।

15. किसी भी बन्दी बनाए गए व्यक्ति को कितने समय के भीतर मजिस्ट्रेट
के सामने प्रस्तुत करना आवश्यक है?
उत्तर― 24 घंटे के भीतर किसी बन्दी बनाए गए व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के सामने
प्रस्तुत करना आवश्यक होता है।

16. 'बेगार' का क्या अर्थ है?
उत्तर― 'बेगार' का अर्थ है किसी व्यक्ति को मजबूर कर उससे बिना वेतन का
काम करवाना।

17. 'रिट' का क्या अर्थ है?
उत्तर― "रिट' उन आदेशों का वैधानिक नाम है जो न्यायालय द्वारा सरकार को
दिए जाते हैं।

18. आप कैसे कह सकते हैं कि संविधान की प्रस्तावना कानूनी तौर पर
संविधान का हिस्सा नहीं है?
उत्तर― क्योंकि प्रस्ताव में वर्णित उद्देश्य सरकार द्वारा क्रियान्वित या पूरे न किए
जाने पर न्यायालय में दावा प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।

19. संप्रभुता का क्या अर्थ है?
उत्तर― जनता को घरेलू और वैदेशिक दोनों तरह के मुद्दों पर निर्णय लेने का
सर्वोच्च अधिकार है। भारत सरकार किसी भी बाह्य शक्ति के आदेश को
मानने के लिए बाध्य नहीं है।

20. समाजवादी शब्द की व्याख्या करें।
उत्तर― धनोत्पादन समाज के संयुक्त प्रयास से होता है। अतः इसमें समाज की
समान हिस्सेदारी रहे। सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को कम करने
के लिए सरकार भूमि और उद्योग के स्वामित्व को विनियिमित करे।

21. धर्मनिरपेक्ष क्या है?
उत्तर― नागरिकों को किसी भी धर्म का अनुष्ठान करने की पूर्ण स्वतंत्रता ही
धर्मनिरपेक्ष स्थिति है। राज्य का अपना कोई विशेष धर्म न रहे। सरकार
सभी धार्मिक आस्थाओं और अनुष्ठानों को सम्मान दे।

22. न्याय को परिभाषित करें।
उत्तर― नागरिकों की विचारधारा, विचारों को व्यक्त कने के ढंग तथा विपचारों
को कार्यों में परिणत करने के तौर-तरीके पर किसी तरह का अंकुश
अथवा अनावश्यक प्रतिबंधों का न रहना ही स्वतंत्रता है।

23. स्वतंत्रता को परिभाषित करें।
उत्तर― नागरिकों की विचारधारा, विचारों को व्यक्त करने के ढंग तथा विचारों
को कार्यों में परिणत करने के तौर-तरीके पर किसी तरह का अंकुश
अथवा अनावश्यक प्रतिबंधों को न रहना ही स्वतंत्रता है।

24. समानता को परिभाषित करें।
उत्तर― कानून के समक्ष सभी को समान समझना, परम्परागत असमानताओं का
अन्त और समान अवसरों की गारंटी देना ही समानता है।

25. बंधुत्व को परिभाषित करें।
उत्तर― सभी को परिवार के सदस्य जैसा समझकर व्यवहार करना और किसी को
भी अपने से नीचा न मानने की भावना ही बंधुत्व है।

26. भारत और दक्षिणी अफ्रीका में यूरोपीय उपनिवेशवाद का कोई एक
अंतर बताएँ।
उत्तर― भारत में उपनिवेशवादी देशों (जैसे पुर्तगाल, हालैंड, इंग्लैंड और फ्रांस) के
निवासियों ने केवल अपना शासन किया परन्तु इस देश में स्थायी रूप से
रहना शुरू नहीं किया। परन्तु दक्षिणी अफ्रीका में बहुत से उपनिवेशी लोग
वहीं बस भी गए और वहीं उन्होंने स्थायी रूप से रहना शुरू कर दिया।

27. हमारे राष्ट्रीय नेताओं को अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई में अनेक
अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं ने प्रभावित किया। उनमें से किन्हीं तीन का नाम
लिखें।
उत्तर― (क) इंग्लैंड की 1688 की शानदार क्रान्ति,
(ख) अमेरिका का स्वतंत्रता (1776-1783)
(ग) फ्रांस की क्रांति (1789-1815)

28. उन तीन सूचियों के नाम बताओ जिनके अनुसार भारत में केन्द्र व
राज्यों के मध्य शक्तियाँ विभाजित की गयी है।
उत्तर― तीन सूचियाँ जिनके अनुसार केन्द्र व राज्यों में शक्तियाँ विभाजित की गई
हैं―
(क) संघ सूची             ― इसमें 97 विषय है।
(ख) राज्य सूची।         ― इसमें 66 विषय रखे गये हैं।
(ग) समवर्ती सूची।       ― इसमें 47 विषय हैं।

29. उन बुनियादी मूल्यों का नाम लिखें जिन पर 1946 ई० में संविधान
सभा के निर्माण से पहले ही भारतीय नेताओं में सहमति बन चुकी थी।
उत्तर―(क) सार्वभौम वयस्क मताधिकार
(ख) स्वतंत्रता और समानता का अधिकार
(ग) अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा।

                                      लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. संविधान में संशोधन की तीन प्रक्रियाओं से आप क्या समझते हैं?
उत्तर― भारतीय संविधान में संशोधन की तीन प्रक्रियाओं का उल्लेख किया गया है–
                         (क) दोनों सदनों में उपस्थित और मतदान करनेवाले सदस्यों के
साधारण बहुमत से पारित प्रस्ताव राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बन जाता है।

                (ख) दूसरी प्रक्रिया के अनुसार संसद के दोनों सदनों के उपस्थित और
मतदान करने वाले 2/3 सदस्यों के बहुमत से पारित होने पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर
के बाद कानून बन जाता है।

                           (ग) तीसरी प्रक्रिया के अनुसार संसद के दोनों सदनों में उपस्थित
औरमतदान करनेवाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से पारित हो जाने पर तथा इस प्रस्ताव
के भारतवर्ष के आधे राज्य विधायिका से अनुमोदित होने के बाद राष्ट्रपति के
हस्ताक्षर पर प्रस्ताव बन जाता है।

2. संसदात्मक शासन प्रणाली क्या है?
उत्तर― भारत में संसदात्मक शासन प्रणाली हैं। संसदात्मक शासन प्रणाली उस
शासन प्रणाली को कहते हैं जिसमें राज्य का अध्यक्ष होता है। वास्तविक शासन
प्रधानमंत्री तथा मंत्रिपरिषद् अन्य सदस्यों द्वारा चलाया जाता है। मंत्रिमंडल का
निर्माण संसद में से किया जाता है और वह संसद के प्रति उत्तरदायी होता है।
         भारत में राज्य का अध्यक्ष अर्थात् राष्ट्रपति नाममात्र का अध्यक्ष है। यद्यपि
संविधान द्वारा उसे अनेक शक्तियाँ दी गई हैं, परन्तु वह वास्तव में उनका प्रयोग
नहीं करता। उसकी शक्तियों का वास्तविक प्रयोग प्रधानमंत्री तथा अन्य मंत्रीयों द्वारा
किया जाता है। मंत्रिमंडल का निर्माण संसद में से किया जाता है और इसके सदस्य
संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं। मंत्रिमंडल के सदस्य उतने समय तक अपने पद
पर बने रहते हैं जब तक उन्हें संसद में बहुमत का समर्थन प्रापत रहता है अत: भारत
में संसदात्मक (संसदीय) शासन प्रणाली है।

3. धर्मनिरपेक्षता से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर― धर्मनिरपेक्षता एक अवधारणा तथा एक सिद्धांत है जिसके अनुसार राज्य
द्वारा सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार किया जाता है। धर्म के आधार पर किसी
नागरिक से कोई भेद-भाव नहीं किया जाता जब तक यह देश की शांति, सुरक्षा
तथा अखण्डता के लिए घातक न हो।
                       (क) लोगों को अपने विश्वास के अनुरूप अपनी पंसद के धर्म का
पालन करने की स्वतंत्रता होती है इसका अर्थ यह है कि सभ नागरिकों को धार्मिक
स्वतंत्रता होती है और राज्य का अपना कोई धर्म नहीं होता।

           (ख) सभी व्यक्ति कानून के समक्ष समान होते हैं और समान अधिकारों
का उपभोग करते हैं चाहे उनका संबंध किसी भी विश्वास, जाति, वर्ण तथा धर्म
के साथ हो। भारत इस अर्थ में एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है।

4. धर्म निरपेक्षता अथवा पंथ निरपेक्षता पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर― धर्म निरपेक्षता का अर्थ है कि धर्म लोगों का व्यक्तिगत मामला है। सरकार
इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी। भारत के संविधान में धर्म निरपेक्षता के जो प्रावधान
दिये गये हैं, उनमें से दो निम्न प्रकार है–
                प्रथम, संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन द्वारा 'धर्म निरपेक्षता' शब्द
जोड़कर हमारे संविधान में धर्म निरपेक्षता की स्पष्टता प्रदान की गयी है।
         द्वितीय, संविधान में धर्म निरपेक्ष राज्य का दूसरा आधार नागरिकों के
धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार के रूप में है। संविधान के अनुच्छेद 25 से
28 तक नागरिकों के धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का उल्लेख करते हैं।
       अनुच्छेद 25 के अनुसार सभी व्यक्तियों को अन्त:करण की स्वतंत्रता का
तथा धर्म को अबाध रूप से मानने का अधिकार है।
             अनुच्छेद 28 के अनुसार राज्य के धन से पूर्णतः संचालित विद्यालयों में
धार्मिक शिक्षा प्रदान करने का निषेध किया गया है।

5. भारतीय संविधान की प्रस्तावना से क्या तात्पर्य है? प्रस्तावना में लिखे
गये प्रमुख आदर्श कौन-कौन से हैं?
उत्तर― हमारे देश के संविधान का मूल दर्शन हमें संविधान की प्रस्तावना से मिलता
है। संविधान की प्रस्तावना में संविधान के लक्ष्यों, उद्देश्यों तथा सिद्धांतों का संक्षिप्त
और स्पष्ट वर्णन किया गया है। भारत सरकार व राज्य सरकारों के मार्गदर्शक
सिद्धांतों का वर्णन की प्रस्तावना से ही किया गया है। प्रस्तावना ही हमें यह बतलाती
है कि भारत में सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिपरेक्ष, लोकतंत्रात्मक
गणराज्य की स्थापना की गई है।
              भारतीय संविधान की प्रस्तावना के मुख्य आदर्श हैं कि भारत प्रमुख सम्पन्न
समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य है।

6. संविधान की प्रस्तावना अत्यंत महत्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर― भारत का संविधान एक प्रस्तावना से प्रारंभ होता है। यह संविधान के दर्शन
हेतु अंतदृष्टि प्रदान करती हैं यह संविधान में निहित आदर्शों तथा मूल सिद्धांतों से
युक्त है। यह वह रास्ता दिखाती है जिस पर सरकार को चलना चाहिए।
          यह अदालती मान्यता प्राप्त नहीं है और न ही किसी अदालत द्वारा लागू
की जा सकती है। परन्तु फिर भी यह संविधान के प्रकाश स्तंभ का कार्य करती
है।

7. समवर्ती सूची से क्या समझते हैं?
उत्तर―भारत में संघात्मक शासन है अतः केन्द्र तथा राज्यों शक्ति विभाजन किया
गया है। कुछ विषय केन्द्र सूची में तथा कुछ राज्य सूची में दिए गए हैं। इनके
अतिरिक्त एक तीसरी सूची समवर्ती सूची में भी दी गयी है। इसमें साधारणतः वे
विषय रखे गए हैं जो केन्द्र तथा राज्य दोनों के लिए सामान्य रूप से महत्वपूर्ण
होते हैं। संविधान में समवर्ती सूची में 47 विषय रखे गए हैं। इन पर केन्द्र तथा
राज्य सरकार दोनों को कानून बनाने का अधिकार है। परन्तु टकराव की स्थिति
में केन्द्र सरकार का बनाया हुआ कानून प्रभावी होगा।

8. अवशिष्ट शक्तियाँ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर― संघीय व्यवस्था वाले देश में संविधन केन्द्र सरकार तथा राज्य की सरकारों
के मध्य शक्तियों का विभाजन करता है। केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारें केवल
उन्हीं विषयों पर कानून बना सकती हैं जो उन्हें सविधान के द्वारा प्रदान किए जाते
हैं। "जो शक्तियाँ संविधान के द्वारा न तो केन्द्र को प्राप्त होती है न ही राज्यों को,
उन्हें अवशिष्ट शक्तियाँ कहते है।" भारत में अवशिष्ट शक्तियों पर कानून बनाने
का अधिकार केन्द्रीय संसद को प्राप्त है। संयुक्त राज्य अमेरिका में यह अधिकार
राज्य सरकारों के पास है।

9. प्रभुत्व संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर― एक प्रभुत्व संपन्न राज्य से हमारा अभिप्राय एक ऐसे राज्य से है जो पूर्ण
रूप से स्वतंत्र हो। वह राष्ट्र के हित में युद्ध कर सकता है और शांति समझौता
कर सकता है और हस्तक्षेप के बिना राज्य का प्रशासन तथा अर्थव्यवस्था चला
सकता है। ऐसे राज्य में जनता के प्रतिनिधि सरकार बनाते हैं और राज्य के मुखिया
का निर्वाचन होता है।

10. राजनीतिक समानता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर― धर्म निरपेक्ष राज्य से अभिप्राय एक ऐसे राज्य से है जिसमें राज्य का अपना
कोई राज्य-धर्म नहीं होता तथा न ही वह राज्य धर्म विरोधी होता है। भारत संविधान
द्वारा धर्म निरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है। भारत किसी धर्म विशेष का पक्ष
नहीं ले सकती। न तो वह किसी धर्म विशेष के विकास पर धन खर्च कर सकती
है और न ही वह किसी धर्म विशेष के विकास पर प्रतिबंध लगाती है। दूसरी ओर
भारत के प्रत्येक नागरिक को अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म को मानने की
स्वतंत्रता प्राप्त हैं प्रत्येक नागरिक को धार्मिक स्वतत्रता का मौलिक अधिकार प्रदान
किया गया है।

11. भारत के सन्दर्भ में धर्म निरपेक्षता से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर― धर्म निरपेक्ष शब्द की भारतीय संवधान की प्रस्तावना में 42वें संविधान द्वारा
जोड़ा गया। इससे तात्पर्य यह है कि भारत किसी धर्म या पंथ का राज्य धर्म का
विरोध करता है। प्रस्तावना के अनुसार भारतवासियों को धार्मिक विश्वास, धर्म व
उपासना को स्वतंत्रता होगी। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक में
धार्मिक स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार प्रदान किया गया है। उसके अनुसार प्रत्येक
भारतीय नागरिक किसी भी धर्म में विश्वास कर सकता है और उसका प्रसार कर
सकता है।

12. रंगभेद की नीति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर― (क) दक्षिण अफ्रीका में जाति-पार्थक्य की व्यवस्था का नाम था। यूरोप
के श्वेत लोगों ने इस व्यवस्था को दक्षिण अफ्रीका में लागू किया था। सत्रहवीं
और अठारहवीं शताब्दियों में यूरोप की व्यापारिक कंपनियों ने दक्षिण अफ्रीका में
ठीक उसी तरह बलात् अधिकार कर लिया था जैसे उन्होंने भारत को गुलाम बनाया
था। हालांकि श्वेत लोग बड़ी संख्या में दक्षिण अफ्रीका में बस गए थे और वहाँ
के स्थानीय शासक बन गए।

         (ख) रंगभेद की नीति ने चमड़ी के रंग के आधार पर वहाँ लोगों को
बाँट दिया था। दक्षिण अफ्रीका का उनका हिस्सा तीन-चौथाई था और उन्हें
"अश्वेत" कहा जाता था इन समूहों के अलावा कुछ मिश्रित वर्ण के लोग भी थे।
जिन्हें "चितकबरे" कहा जाता था। इसके अतिरिक्त भारत से दक्षिण अफ्रीका
जाकर वहाँ स्थाई रूप से बस जाने वाले लोग भी थे श्वेत शासकों ने सभी अश्वेतों
को अपमानित करना शुरू किया। उन्हें वे अपने से तुच्छ प्राणी मानते थें अश्वेतों
को मतदान का अधिकार भी नहीं दिय गया था। पार्थक्य नीति या रंगभेद नीति
अश्वेतों के लिए विशेष रूप से दमनकारी थी।

13. दक्षिण अफ्रीका के नए संविधान में वर्णित कुछ तथ्यों का उल्लेख करें।
उत्तर― (क) दो वर्ष तक वार्ता और परिचर्चा करने के उपरांत उन्होंने विश्व के
अभूतपूर्व शालीन संविधान को तैयार किया। इस संविधान ने अपने नागरिकों को
किसी देश में उपलब्ध व्यापक अधिकारों से अधिक प्रदान किए।

                 (ख) उन्होंने इसके साथ ही यह निर्णय भी लिया कि समस्याओं का
समाधान खोजने में सभी की भागीदारी रहेगी और किसी के साथ भी एक दानवी
व्यवहार नहीं किया जाएगा।

                    (ग) किसी ने अतीत में चाहे जो भी किया हो अथवा किसी भी चीज
का प्रस्तुतिकरण किया हो, उसको संविधान का एक हिस्सा बनाए जाने पर सहमति
हुई दक्षिण अफ्रीका के संविधान की उद्देशिका में ऐसा उल्लेख किया गया है।

14. दक्षिण अफ्रीका के लोगों को एक संविधान बनाने की आवश्यकता
क्यों पड़ी?
उत्तर― दक्षिण अफ्रीका का उदाहरण संविधान की आवश्यकता और
उसकी सामर्थ्य प्रकट करता है। इस नए लोकतंत्र में शोषणकर्ता और शोषित
अथवा दमनकर्ता और दमित आपस में मिल-जुलकर रहने की योजना बना रहे थे।
एक-दूसरे पर विश्वास करना उनके लिए आसान नहीं था। उन्हें परस्पर भय और
आशंका ने घेर रखा था।
              (ख) वे अपने-अपने हितों की सुरक्षा चाहते थे। अश्वेत अधिसंख्य यह
गारंटी कराना चाहते थे कि अधिसंख्यक शासन के लोकतांत्रिक सिद्धांत के साथ
किसी तरह का समझौता नहीं किया जाए।
          (ग) वे पर्याप्त एवं प्रामाणिक सामाजिक तथा आर्थिक अधिकार चाहते
थे। श्वेत अल्पसंख्यक अपने विशेषाधिकार और संपत्ति का परिरक्षण कराने के
लिए उत्सुक थे।

15. संविधान सभा के कार्य शैली के बारे में आप क्या समझते हैं?
उत्तर―(क) संविधान सभा ने एक व्यवस्थित, अनावरित और सहमतिजन्य
तरीके से कार्य किया। सबसे पहले कुछ प्राथमिक सिद्धांतों पर निर्णय लिए गए
और सहमति हुई। सके पश्चात् डॉ० बी० आर० अम्बेडकर की अध्यक्षता में एक
प्रारूप समिति ने परिर्चा के लिए संविधान का एक प्रारूप तैयार किया।

            (ख) प्रारूपी संविधान पर कई बार गहन परिचर्चा इसके खंडों के क्रम
में की गई। दो हजार से भ अधिक संशोधन पर विचार किया गया।

(ग) सदस्यों ने तीन वर्ष तक लगातार 114 दिन विस्तृत वार्ता की थी।
प्रत्येक दस्तावेज प्रस्तुत किया गया तथा संविधान सभा में बोले गए प्रत्येक शब्द
को अभिलेख में लिया गया व परिरक्षित किया गया।

16. धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर― धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार– स्वतत्रता के बाद भारत को एक धर्म
निरपेक्ष राज्य (देश) घोषित किया गया। सरकार धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं
करती। धर्म के मामलों में भारतीय नागरिकों को निम्नांकित अधिकार संविधान द्वारा
दिए गए हैं–
(क) प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता है।

(ख) व्यक्ति अपना धर्म परिवर्तन कर सकता है।

(ग) सरकार द्वारा उसके धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया जा
सकता।

(घ) अन्य कोई भी व्यक्ति उसके धार्मिक मामलो में हस्तक्षेप नहीं कर
सकता।

(ङ) सरकार किसी धर्म विशेष को महत्व नहीं देती।

(च) धार्मिक आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।

17. नीति निर्देश तत्वों का महत्व क्या है?
उत्तर― राज्य नीति-निर्देश तत्वों को वैधानिक शक्ति प्राप्त न होने पर भ ये
महत्वहीन नहीं है। इनके पीछे जनमत की शक्ति होती है जो प्रजातंत्र का सबसे बड़ा
न्यायालय है। नीति-निर्देश तत्वों द्वारा जनता का शासन की सफलता-असफलता को
जाँच करने का मापदण्ड भी प्रदान किया जाता है। देश अथवा नागरिकों की
सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुधारने का मार्ग निर्देशक तत्वों में बताया गया है। ये
तत्व न्यायालयों के लिए भी प्रकाश स्तम्भ हैं इन तत्वों की महत्ता का एक कारण
यह भी है कि इनमें गाँधीवादी है कि वैधानिक शक्ति प्राप्त न होने पर भी निर्देशक
तत्वों का अपना महत्त्व और उपयोगिता है। इन नीति-निर्देशक तत्वों के आधार पर
ही भारत में जमींदारी और जागिरदारी प्रथा का अंत हुआ है। पंचायत राज व्यवस्था
और स्थानीय स्वशासन को सुदृढ़ किया गया है। कमजोर वर्ग के कल्याण के
कार्यक्रम चलाए गए हैं। अस्पृश्यता का लभग अंत हो चुका है।

18. भारतीय समाज द्वारा समाजवाद के आदर्श को प्राप्त करने के लिए
किन्हीं चार उपायों का उल्लेख करें।
उत्तर― समाजवाद के आदर्श मानव को सभी प्रकार के शोषणों- राजनैतिक,
सामाजिक एवं आर्थिक शोषणों से बचाते हैं। ये आदर्श निम्नांकित चार उपायों से
प्राप्त किए जा सकते हैं–
(क) सभी वयस्क मतदाताओं को बिना किसी जात-पात, रंगभेद, धर्म
आदि के भेदभाव के वोट देने तथा स्वयं चुने जाने का अधिकार होना चाहिए।

(ख) सभी सामाजिक अन्तर समाप्त किए जाने चाहिए। समाज के उच्च
जाति और निम्न जाति, वर्ग अथवा अछूत आदि में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

(ग) आर्थिक क्षेत्र पूँजीपतियों और कारीगरों में आपसी अन्तर कम से
कम होना चाहिए और कारीगरों को कारखानों की प्रबन्ध व्यवस्था में पूरा भाग
मिलना चाहिए।

(घ) ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि वितरण को ठीक किया जाना चाहिए ताकि
फालतू भूमि खेती करनेवाले लोगों में बाँटी जा सके। वहाँ 'बेगार' आदि बुराइयों
को दूर करके किसानों को शोषण से बचाना चाहिए।

19. रंगभेद की नीति का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर― रंगभेद की नीति का प्रभाव–
(क) रंगभेद की नीति ने लोगों को बाँट दिया तथा उनकी पहचान उनके
शरीर के रंगों के आधार पर की जाने लगी।

(ख) रंगभेद की नीति खासकर काले लोगों के लिए दमनकारी थी।

(ग) काले लोगों को गोरे लोगों के इलाके में रहने से प्रतिबंधित कर
दिया गया।

(घ) केवल परिमिट होने पर ही वे गोरे लोगों के क्षेत्र में कार्य कर सकते
थे।

(ङ) काले लोगों के लिए बस, टैक्सी, होटल, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज,
पुस्तकालय, सिनमा घर, थियेटर, पर्यटन स्थल, स्वीमिंग पूल, यहाँ तक कि जन
शौचलय भी अलग कर दिए गए।

(च) वे न तो संगठन का निर्माण कर सकते थे और न ही अपने साथ
होने वाले भयानक व्यवहार का ही विरोध कर सकते थे।

20. क्या भारत एक धर्म-निरपेक्ष राज्य है, कैसे?
उत्तर― भारत भी इसी प्राकर का एक पंथ-निरपेक्ष राज्य है और इसमें धर्म या मत
के नाते किसी विशेष जन-समूह को कोई विशेष अधिकार प्राप्त नहीं सबको पूर्ण
धार्मिक स्वतंत्रता और समानता प्रदान की गई हैं कोई व्यक्ति अपनी इच्छानुसार
किसी भी समय पंथ बदलकर दूसरे पंथ में जा सकता है। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे
तथा गिरजाघर स्वतंत्रत रूप से बनाये जा सकते हैं। सरकारी नौकरियाँ योग्यता के
अनुसार दी जाती हैं और उनमें धर्म या पंथ को कोई भेद-भाव नहीं किया जाता।

21. सार्वभौम वयस्क मताधिकार पर एक टिप्पणी लिखें
उत्तर― अपने वोट या मत द्वारा अपनी इच्छा को व्यक्त करने के अधिकार को
मताधिकार कहते हैं। तब यह अधिकार देश में रहने वाले प्रत्येक वयस्क को,
जिसकी आयु 18 वर्ष या इससे अधिक हो जात है उसे वयस्क मताधिकार कहा
जाता है भारत में यह अधिकार प्रत्येक ऐसे नागरिक को दिया गया है जिसकी आयु
18 वर्ष या इससे अधिक हों। पहले यह अधिकार 21 वर्ष या इससे अधिक आयु
के नागरिकों को दिया गया था परन्तु बाद में यह आयु 18 वर्ष कर दी गई ताकि
अधिक से अधिक युवक चुनाव-प्रक्रिया में भाग ले सके ऐसा अधिकार दिये जाने
में किसी जाति, धर्म, लिंग आदि का कोई भेदभाव नहीं रखा गया ताकि देश में
एक वास्तविक लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना हो सके।

                                      दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. भारतीय संविधान की विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर― भारतीय संविधान की निम्नांकित विशेषताएँ हैं―
(क) लिखित और निर्मित संविधान– भारतीय संविधान लिखित एवं
निर्मित संविधान है। लिखित संविधान में शासन संबंधी बातें स्पष्ट रूप से लिखित
रहते हैं, किंतु अलिखित संविधान की मूलभूत बातें रीति-रिवाज और परंपराओं पर
आधारित होती है। भारतीय संवधान एक निर्मित संविधान है।

               (ख) विशालता― यह विश्व का सबसे बड़ा संविधान है। इसमें 395
धाराएँ, 22 भाग तथा 9 अनुसूचियाँ हैं। अमेरिका के संविधान में 21 अनुच्छेद हैं
और रूप के संविधान में 173 अनुच्छेद। विभिन्न संविधानिक संशोधनों के चलते
इसका आकार बढ़ता जा रहा है।

               (ग) संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य– भारतीय संविधान
 एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य की स्थापना करता है। भारत पर
अब किसी बाहरी शक्ति का नियंत्रण नहीं रहा। यहाँ शासन की शक्ति जनता के
हाथ में है, जिसका प्रयोग वह अपने प्रतिनिधियों द्वारा करती है।

            (घ) संघात्मक शासन तथा शक्तिशाली केंद्र― भारतीय संविधान ने
संघीय शासन व्यवस्था की स्थापना की है तथा केंद्र को शक्तिशाली बनाया है।
परंतु, संविधान संघात्मक होते हुए भी इसकी आत्मा एकात्मक है। कार्यपालिका
के क्षेत्र में अधिक महत्वपूर्ण अधिकार केंद्र को दिए गए हैं। संकटपूर्ण अवस्था
में संपूर्ण देश का शासन केंद्रीय सरकार के हाथों में चला जाता है।

                     (ङ) संसदीय शासन प्रणाली- भारत में संसदीय शसान प्रणाली की
सरकार की स्थापना की गई है। यहाँ कार्यपालिका तथा व्यवस्थापिका में घना संबंध
है। मंत्रिपरिषद् या कार्यपालिका लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है। राष्ट्रपति नाममात्र
का तथा संवैधानिक प्रधान है। सारी शक्ति मंत्रिपरिषद् में निहित है।

(च) मौलिक अधिकार― अमेरिका, जापान, कनाडा, फ्रांस इत्यादि के
संविधानों की तरह भारतीय संविधान में भी नागरिको के मौलिक अधिकारों का
उल्लेख है।

(छ) नीति-निदेशक तत्त्व― आयरलैंड और बार्म के संविधानों की तरह
भारतीय संविधान में भी नीति-निदेशक तत्वों का समावेश है।

(ज) न्यायपालिका की सर्वोच्चता― भारतीय संविधान की एक प्रमुख
विशेषता यह है कि इसमें इंग्लैंड की संसदीय संप्रभूता तथा अमेरिका की न्यायिक
सर्वोच्चता की बीच का रास्ता अपनाया है। भारत में एक ओर संसद की सर्वोच्चता
स्वीकार की गई है और दूसरी तरफ न्यायालय को संविधान की व्याख्या करने तथा
विधियों की संवैधानिकता की जाँच का अधिकार दिया गया है।

2. 'संविधान का क्या अर्थ है? लोकतांत्रिक सरकार में इसका अधिक
महत्व क्यों हैं?
उत्तर― संविधान का अर्थ― संविधान उन नियमों तथा सिद्धांतों के समूह को कहते
हैं जिनके अनुसार किसी देश का शासन चलाया जाता है। इसमें सर्वोच्च वे कानून
होते हैं जिनकी नागरिक व सरकार दोनों को मानना पड़ता है। इसी में ही सरकार
की शक्तियों तथा नागरिकों के अधिकारों व कर्त्तव्यों का वर्णन होता है। किसी
भी देश का शासन चलाने के लिए कुछ मौलिक कानूनों व नियमों की आवश्यकता
होती है। इन मौलिक कानूनों या नियमों को देश के संविधान में लिख दिया जाता
है।
                संविधान का महत्व : एक लोकतांत्रिक देश के लिए संविधान का
निम्नांकित महत्व है―
(क) संवधान में ऐसे कानून होते है। जिनके अनुसार किसी लोकतांत्रिक
देश की सरकार का निर्माण होता है तथा उसका कार्य चलता है।

(ख) यह सरकार तथा उसके अंगों की शक्तियों का निर्धारण करता है
और विधानपालिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका की शक्तियों
का वर्णन होता है।

(ग) यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करता है।

(घ) यह सरकार द्वारा शक्तियों के दुरुपयोग को रोकता है और नागरिकों
के कर्तव्यों पर बल देता है।

(ङ) यह लोकतांत्रिक सरकार के विभिन्न अंगों के कार्यों में उत्पन्न
संभ्रांति तथा अंतर्द्वद्व को कम करता है।

(च) यह सरकार तथा नागरिकों के बीच संबंधों की व्याख्या करता है।

3. स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत आनेवाली स्वतंत्रताएँ कौन-सी हैं?
उत्तर―(क) भाषण एवं विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता, लेख लिखने या अपने
विचार लिखित रूप से प्रकट करने की स्वतंत्रता।

(ख) सभा आयोजित करने की स्वतंत्रता-बशर्ते सभा शान्तिपूर्वक तथा
बिना हथियार आयोजित की जा रही हो।

(ग) प्रत्येक व्यक्ति को संघ बनाने, समुदाय बनाने तथा मसाज का
निर्माण करने की स्वतंत्रता है।

(घ) प्रत्येक नागरिक को अपना व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता होगी।

(ङ) भारतीय नागरिक देश के किसी भी भाग में स्वतंत्रतापूर्वक
घूम-फिर सकते हैं।

(च) जम्मू-कश्मीर को छोड़कर भारत के प्रत्येक नागरिक को किसी
भाग में बसने (रहने) की स्वतंत्रता है।
      इन स्वतंत्रताओं पर सरकार उस समय रोक लगा सकती है जब कोई व्यक्ति
या संघ ऐसा कार्य कर रहा हो। जिससे देश की एकता तथा अखंडता को खतरा
पैदा हो।
           स्वतंत्रता के अधिकार के मनमाने ढंग से प्रयोग में नहीं लाया जा सका।
इसका अधिकार के प्रयोग में शान्ति, सुरक्षा, कानून व्यवस्था, शिष्टाचार तथा
मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध आदि का ध्यान रखा जाएगा।

4. सांस्कृतिक एवं शिक्षा संबंधी अधिकारों के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर― सांस्कृतिक एवं शिक्षा संबंधी अधिकार- भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों
को दिए गए मूल अधिकारों में से एक है शिक्षा एवं संस्कृति अधिकार। इस
अधिकार के अन्तर्गत―
               (क) प्रत्येक नागरिक अथवा नागरिक समूह को अपनी संस्कृति को
बनाए रखने का अधिकार है। वह अपनी भाषा, रीति-रिवाज, रहन-सहन के ढ़ंग
को बनाए रख सकता है। सरकार या कोई व्यक्ति उसे उसकी मान्यताओं को
क्रियान्वित करने से नहीं रोक सकता।

               (ख) नागरिकों तथा नागरिकों समूहों को अपनी संस्थाएं खोलने तथा
उन्हें चलाने का अधिकार है। यदि वे संस्थाएँ सरकार से अनुदान प्राप्त होती हैं तो
उन्हें सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करना पड़ता है।

           (ग) प्रत्येक नागरिक तथा नागरिक समूहों को मनचाही भाषा पढ़ने तथा
अपने बच्चों को पढ़ाने का अधिकार है। परंतु सरकारी या सरकार द्वारा सहायता
दिए जाने वाले विद्यालय एवं विश्वविद्यालय में निर्धारित भाषा में ही पाठ्यक्रम
अपनाना होगा।

             (घ) धर्म, जाति के आधार पर शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश नहीं रोका
जा सकता।

             (ङ) सरकार द्वारा दिया जाने वाला अनुदान भेदभाव रहित होगा।

5. हमारे संविधान में दिए गए "राज्य-नीति के निर्देश सिद्धांतों के
विवेचना करें।
उत्तर― भारतीय संविधान में जिन नीति-निर्देशक सिद्धांतों का वर्णन किया
गया है वे निम्नांकित है―
(क) सामाजिक तथा शिक्षा विषयक सिद्धांत―
(i) राज्य देश के सभी नागरिकों के लिए समान अचार संहित बनाने
का प्रयत्न किया।

(ii) राज्य संविधान लागू होने के 10 वर्ष की अवधि में 14 वर्ष की
आयु के सभी बालकों को अनिवार्य तथा निःशुल्क शिक्षा दिए जाने की व्यवस्था
करेगा।

(ख) आर्थिक सिद्धांत―
(i) समान कार्य के लिए सभी स्त्री-पुरुषों को समान पारिश्रमिक मिले
इसकी भी व्यवस्था करेगा।
(ii) भारत के प्रत्येक नागरिक, स्त्री व पुरुष को समान रूप से
आजीविका कमाने के पर्याप्त अवसर प्राप्त हों, राज्य इसकी व्यवस्था करेगा।

(ग) शासन विषयक सिद्धांत-
(i) राज्य न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग करने की कोशिश
करेगा ताकि न्यायाधीश कार्यपालिका के दबाव में आये बिना न्याय कर सके।
(ii) राज्य ग्रामों में ग्राम पंचायतों का संगठन करेगा और उन्हें वे सभी
अधिकार देगा जिससे वे स्वतंत्रतापूर्वक कुशलता से अपना कार्य कर सकें।

(घ) अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा से सम्बन्धित सिद्धांत―
(i) राज्य विश्व शान्ति का समर्थन करेगा और उसे प्रोत्साहन देगा।
(ii) राज्य विभिन्न राज्यों के बीच न्याय और सम्मानपूर्ण सम्बन्धों की
स्थापना के लिए प्रयत्न करेगा।

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