Jharkhand Board Class 8 Moral Education Notes | आप भला तो जग भला
JAC Board Solution For Class 8TH (Social Science) Moral Education Chapter 4
प्रश्न 1.निम्नांकित प्रश्नों का उत्तर लिखें―
(क) हमेशा दूसरों की निंदा करते हैं, नहीं करते हैं। क्यों ?
(ख) किसी के अच्छे कार्यों के लिए प्रशंसा करते हैं । नहीं करते
हैं। क्यों?
(ग) बात-बात पर क्रोध करते हैं/नहीं करते हैं। क्यों ?
(घ) अपनी गलतियों को सुधारने की कोशिश करते हैं। नहीं करते
हैं। क्यों?
(ङ) दूसरे लोगों का सम्मान करते हैं/नहीं करते हैं। क्यों ?
उत्तर―
(क) हमेशा दूसरों की निंदा नहीं करते हैं, क्योंकि दूसरों की निंदा
करना बुरी बात है।
(ख) किसी के अच्छे कार्यों के लिए प्रशंसा करते हैं क्योंकि प्रशंसा
करने से प्रशंसा पाने वाला व्यक्ति और अधिक अच्छा कार्य
करने के लिए प्रोत्साहित होता है।
(ग) बात-बात पर क्रोध नहीं करते हैं, क्योंकि क्रोध करने से बुद्धि
भ्रष्ट हो जाती है, और हम सही-गलत का निर्णय विवेकपूर्ण
ढंग से लेने में सक्षम नहीं रह जाते हैं।
(घ) अपनी गलतियों को सुधारने की कोशिश करते हैं, क्योंकि
अपनी गलती को सुधार कर ही हम जीवन में सफलता प्राप्त
कर सकते हैं।
(ङ) दूसरे लोगों का सम्मान करते हैं क्योंकि यह शिष्टाचार है।
शिष्टाचार के नियमों का पालन करना हमारा नैतिक कर्त्तव्य
है।
प्रश्न 2. लेखक ने संसार की तुलना काँच के महल से क्यों की
है?
उत्तर: जिस प्रकार काँच वास्तविक आकृति की छाया होती है
अर्थात् जैसा चेहरा होता है, वैसा ही दिखता है, ठीक वैसे ही दुनिया वैसी
ही दिखती है, जैसा व्यक्ति होता है। वह अपने स्वभाव की ही छाया देखता
है। व्यक्ति अच्छे स्वभाव का है तो उसे अच्छी नजर आएगी और यदि
बुरे स्वभाव का है तो बुरी नजर आएगी । इसी छाया गुण के कारण लेखक
ने संसार की तुलना काँच के महल से की है है।
प्रश्न 3. अब्राहम लिंकन की सफलता का सबसे बड़ा रहस्य क्या
था?
उत्तर : संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की
सफलता का सबसे बड़ा रहस्य था-"दूसरों की अनावश्यक नुक्ताचीनी कर
उनका दिल नहीं दुखाना ।"
प्रश्न 4. इस पाठ के द्वारा लेखक हमें क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर: इस पाठ के माध्यम से लेखक हमें यह संदेश देना चाहते हैं
कि हम अपने स्वभाव के कारण ही दूसरों में अच्छाई या बुराई देखते हैं।
लोगों को उसकी कमियाँ गिनाकर अपना शत्रु बनाते हैं। यदि हम
स्नेहपूर्वक जीवन-यापन करते हैं, दुनिया भी हमें स्नेह प्रदान करेगी।
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