Jharkhand Board Class 8 History Notes | शिल्प और उद्योग
JAC Board Solution For Class 8TH (Social Science) History Chapter 5
□ आइए जानें:
प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) सूरत बंदरगाह .............. राज्य में स्थित था।
(ख) टाटा स्टील कंपनी की स्थापना ...........में हुई थी।
(ग) पुर्तगाली भारत में सबसे पहले .............पहुँचे।
(घ) जामदानी एक तरह का ...............होता था।
उत्तर―(क) गुजरात (ख) 1905 ई० (ग) कालीकट
(घ) बारीक मलमला
प्रश्न 2. निम्न प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए―
(क) बुनकरों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा
था?
उत्तर―बुनकरों को ब्रिटिश उद्योगों में बने कपड़ों से मुकाबला करना
पड़ता था जो सुन्दर टिकाऊ और सस्ते होते थे। भारत से कपड़े के निर्यात
पर भारी टैक्स लगा दिया गया जबकि इंग्लैण्ड से आयात पर छूट दी गयी।
इस प्रकार माँग घटने के कारण बुनकारों के सामने आजीविका की समस्या
पैदा हो गयी और अपना पेशा छोड़कर खेतिहर मजदूर बन गये।
(ख) अंग्रेज काश्तकारों को स्थायी रूप से क्यों बसाना चाहते
थे?
उत्तर―अंग्रेज काश्तकारों को स्थायी रूप से बसाना चाहते थे ताकि
उसपर नियंत्रण रखा जा सके। उसे अपने नियत आमदनी (राजस्व) प्राप्त
होती रहे।
(ग) 18वीं शताब्दी में भारत में बुनाई के प्रमुख केन्द्र क्या थे?
उत्तर―18वीं शताब्दी में भारत में बुनाई के प्रमुख केन्द्र बंगाल प्रांत
था। ढाका (वर्तमान बांग्लादेश) सबसे महत्वपूर्ण केन्द्र था। इसके अलावे
राजस्थान, गुजरात, मद्रास, पंजाब, आंध्रप्रदेश आदि क्षेत्रों में अनेक केन्द्र
स्थापित थे।
(घ) बुट्स स्टील बेहतर क्यों माना जाता था ?
उत्तर―बुट्स स्टील लोहे को लकड़ी के कोयले के साथ मिलाकर
मिट्टी की छोटी-छोटी हांडियों में रखकर प्रगलन द्वारा तैयार किया जाता
था। इस प्रकार बना स्टील काफी सख्त और मजबूत होता था। इससे बनी
तलवार इतनी पैनी होती थी कि लोहे के कवच को भी आसानी से चीर
देती थी। इसलिए बुट्ज स्टील बेहतर माना जाता था।
□ आइए चर्चा करें:
प्रश्न 3. औद्योगिक क्रांति का सर्वाधिक प्रभाव किन क्षेत्रों पर
पड़ा?
उत्तर―औद्योगिक क्रांति का सर्वाधिक प्रभाव सूती वस्त्र उद्योग और
लोहा-इस्पात उद्योग पर पड़ा। स्पीनिंग जेनी, स्ट्रीम इंजन, पावर लूम के
आविष्कार ने सूती वस्त्र उद्योग को पूर्णतः परिवर्तित कर दिया। सूत कातना,
बुनना आसान हो गया। मिलों की संख्या तेजी से बढ़ने लगे। सरकार ने
सहयोग दिया। उत्पादन में वृद्धि के साथ ही पौराणिक बुनकर उद्योग को
आघात लगा। हाथ से बने कपड़ों की माँग गिर गई। बुनकर बेरोजगार हो
गए। अधिकांश बुनकर खेतीहर मजदूर बन गए।
युद्ध सामग्री, रेल-इंजन, डिब्बे व पटरी सेतु निर्माण आदि में भारी
माँग के कारण लोहा-इस्पात उद्योग का विकास हुआ। पारम्परिक ग्रामीण
प्रगलन केन्द्रों पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ा। वे उजड़ गए। वन अधिनियम
के कारण लकड़ी मिलना कठिन हो गया।
प्रश्न 4. भारतीय कपड़े विश्वभर में क्यों प्रसिद्ध थे ?
उत्तर―भारतीय कपड़े लम्बे समय से अपनी गुणवत्ता और बारीक
कारीगरी के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध थे। यहाँ के मस्लिन (मलमल)
अपनी बारीक बुनाई के लिए मशहूर थे। कालीकट के निकटवर्ती क्षेत्र से
प्राप्त कैलिको कपड़े प्रसिद्ध हुए। जामदानी बुनाई, पटोला बुनाई, बंडाना
डिजाइन आदि की यूरोपीय बाजार में व्यापक माँग थी। भारतीय कपड़े
अपनी छपाई, छींट, डिजाइन के लिए भी विश्व-प्रसिद्ध थे।
प्रश्न 5. टिस्को की स्थापना क्यों की गयी थी?
उत्तर―19वीं सदी में भारत आमतौर पर ब्रिटेन में बने स्टील का
आयात कर रहा था। यहाँ लौह-अयस्क व कोयले के विशाल भण्डार थे,
लेकिन इसे निर्यात किया जाता था। भारत में रेलवे के विस्तार से इस्पात
की माँग काफी बढ़ गयी थी। इस माँग की पूर्ति और व्यापारिक लाभ को
देखते हुए टिस्को की स्थापना की गयी। प्रथम विश्वयुद्ध की बढ़ती माँग
ने इसके विकास को बल दिया। इसका 90 प्रतिशत स्टील ब्रिटिश सरकार
ही खरीद लेती थी।
प्रश्न 6. औद्योगिक क्रांति का भारतीय कुटीर उद्योग पर कैसा
प्रभाव पड़ा था?
उत्तर― औद्योगिक क्रांति ने भारतीय कुटीर उद्योग को पतन की कगार
पर पहुंचा दिया। सूती मिलों के विकास ने पारम्परिक बुनकरों की
रोजी-रोटी छीन ली। उन्हें अपना कार्य छोड़कर खेतीहर मजदूर बना दिया।
इसी प्रकार लोहा गलाने व बर्तन बनाने वाली जनजातियों का रोजगार भी
छिन गया। पारम्परिक रूप से लोहा बनाने वाले कारीगरों के समक्ष लकड़ी
लौह-अयस्क की समस्या और गिरती माँग ने बेरोजगार बना दिया।
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