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    Jharkhand Board Class 8  Hindi  Notes | बड़े भाई साहब  

      JAC Board Solution For Class 8TH Hindi Chapter 5


पाठ का सारांश : प्रस्तुत पाठ 'बड़े भाई साहब' हिन्दी कथा सम्राट
प्रेमचंद जी की जीवंत रचना है। इस कहानी में दो भाइयों के बीच सोच
का हृदयगामी वर्णन है। बड़ा भाई मेहनती है, पर असफल हो जाता है। छोटा
भाई लापरवाहीपूर्वक पढ़ता है पर कक्षा में अब्वल आता है। बड़ा भाई छोटे
को सदैव चरित्रगत बातों का भाषण पढ़ाते रहता है।
वस्तुतः यह कहानी रटत शिक्षा प्रणाली पर किया गया एक व्यंग्य है।
प्रेमचंद का मानना है कि पढ़ाई दिल से एवं आनंदपूर्वक करनी चाहिए, बोझा
समझकर नहीं। शिक्षा को रटत पद्धति में सबसे बड़ी खामी यह है कि इससे
व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता है। जीवन की समझ किताबी ज्ञान से नहीं
बल्कि जीवन अनुभव से प्राप्त होती है।
            सिर्फ पढ़ लेने से ही अपने को बड़ा समझना भी मूर्खता है। घर के
बड़े-बुजुर्गों को सम्मान देना भी पढ़ाई का ही आवश्यक अंग है। पढ़ा-लिखा
वर्ग घमंडी हो जाता है जो आज की अपूर्ण शिक्षा का भयानक दोष है। अत:
शिक्षित लोगों को अपने बड़ों का सम्मान करना चाहिए।
       लेखक परिचय : मुंशी प्रेमचंद भारत के कथा सम्राट कहलाते हैं। इनका
जन्म 1880 ई० में उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के लमही ग्राम में हुआ था।
हिन्दी एवं उर्दू के महानतम लेखकों में से एक प्रेमचंद के बचपन का नाम
धनपत राय था। इन्होंने अपने उर्दू लेखन की शुरूआत नबाव राय के नाम से
की। कुछ दिनों के बाद इन्होंने हिन्दी लेखन कार्य शुरू किया। बंगाल के
विख्यात उपन्यासकार शरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने इनकी प्रतिभा देखकर इन्हें
'उपन्यास सम्राट' के नाम से सम्बोधित किया। इन्होंने अनेक पत्रिकाओं का
सम्पादन किया। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं- उपन्यास-गोदान, कर्मभूमि, रंगभूमि,
गबन, प्रेमाश्रम, निर्मला आदि ।
            कहानी संग्रह― मानसरोवर (8 भाग), गुप्तधन (2 भाग)।
इसके अलावा नाटक एवं निबंध में इनकी कृतियाँ भरी पड़ी है। प्रेमचंद
45 वर्ष की अवस्था में ही 8 अक्टूबर 1936 को स्वर्ग सिधार गए।

                          अभ्यास प्रश्न

                            □ पाठ से:

1. लेखक के बड़े भाई अपने दिमाग को आराम देने के लिए
क्या-क्या करते थे?
उत्तर―लेखक के बड़े भाई अपने दिमाग को आराम देने के लिए कभी
कॉपी पर, कभी किताब के हाशिए पर चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों की तस्वीरें
बनाया करते थे। कभी-कभी एक ही नाम या शब्द या वाक्य दस-बीस बार
लिख डालते थे। कभी-कभी एक शेर (कविता) को बार-बार सुंदर अक्षरों
से नकल करते। कभी कोई ऐसी शब्द रचना करते जिसमें न कोई अर्थ होता
था न सामंजस्य।

2. लेखक के भाई ने लेखक के सामने पढ़ाई का कैसा चित्र खींचा?
उत्तर―लेखक के भाई ने लेखक के सामने पढ़ाई का अत्यंत गूढ़ एवं
कठिनतम रूप प्रस्तुत किया। सभी विषयों के बारे में इनका एक अलग विचार
था। जैसे―अंग्रेजी पढ़ना खेल की बात नहीं है। इतिहास में नाम और समय याद
करना बूते की बात नहीं। गणित हल करना मुश्किल है। विज्ञान की समझ
काफी कठिन है, आँखें फोड़नी पड़ती है. बैठना पड़ता है. खून जलाना पड़ता
है तब जाकर विषय कहीं पल्ले पड़ता है। कठिन मेहनत दिन-रात करनी पड़ती
है तब जाकर पढ़ाई होती है।

3. समझ. किताबें पढ़ने से नहीं आती, दुनियाँ देखने से आती
है।'-इस कथन को किसी एक उदाहरण से सिद्ध करें।
उत्तर― सच है कि समझ दुनियाँ देखने से आती है, किताब पढ़ने से नहीं।
अगर किताबें पढ़ने से समझ आती तो लेखक का बड़ा भाई फैल क्यों हो
जाता। वहीं लेखक कम रटता था पर उसे दुनियाँ की समझ थी, अतः वह
पास हो जाया करता था। वह कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर लेता था।

4. लेखक के बड़े भाई ने परीक्षा में सफलता के लिए क्या-क्या
किया? आप परीक्षा की तैयारी कैसे करते है?
उत्तर― लेखक के बड़े भाई अध्ययनशील थे। बे हरदम किताबें खोलकर
बैठे रहते थे। रटा करते रहते थे। पर परीक्षा में पूछे गये प्रश्न का उत्तर नहीं
लिख पाते थे।
मैं विषय को समझ पर जोर देता हूँ। फॉर्मूला एवं नियम रट लेता हूँ पर
अन्य को समझकर स्वयं लिखने का प्रयास करता हूँ। इससे पाठ याद भी हो
जाता है एवं परीक्षा में लिखते समय आत्मविश्वास भी बना रहता है।

5. 'बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पाएदार बनें !' इस
पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर― सच्चाई है उपर्युक्त बातों में। यदि नींव कमजोर रहेगी तो भवन
कमजोर बनेगा। वह भरभराकर गिर जाएगा। उसी तरह जिस विद्यार्थी की
पढ़ाई शुरुआत में अच्छी नहीं होगी आगे जाकर यह कमजोर रहेगा। अत:
आवश्यकता है कि पढ़ाई एवं भवन की नीव अर्थात् शुरूआत ठोस एवं मजबूत
निर्माण की जाए। तभी यह छात्र एवं भवन मजबूत रहेगा। अन्यथा हल्के
आयात में भवन गिर जाएगा एवं हल्की मुसीबत में वह व्यक्ति घबरा जाएगा।

                       □ पाठ से आगे:

1. हमेशा किताब खोलकर बैठे रहने के बावजूद लेखक के बड़े भाई
सालाना इम्तिाहान में फेल हो जाते हैं, जबकि लेखक अव्वल दर्जे से
उतीर्ण हो जाता है। आपकी समझ में ऐसा क्यों हुआ?
उत्तर―हमारी समझ में लेखक के बड़े भाई सिर्फ पाठ रटते हैं। इसलिए
परीक्षा भवन में रटा पाठ भूल जाते हैं और लिख नहीं पाते हैं। वहीं लेखक
पाठ की विषय वस्तु को समझता है। इसलिए वह हर प्रश्न के संदर्भ को
समझता है। परीक्षा में वह हर प्रश्न का सटीक उत्तर दे देता है। इसलिए वह
पास हो जाता है।
         लेखक के बड़े भाई को भी रटत प्रणाली त्याग कर विषय वस्तु की
गहराई को समझने में ध्यान देना चाहिए था।

2. लेखक और उसके भाई में से कौन आपको बेहतर लगता है।
कारण देते हुए बताइए।
उत्तर―लेखक का बड़ा भाई मेहनती, कर्त्तव्यवान एवं अपनी जिम्मेवारी
समझने वाला व्यक्ति है। उसे अपने भाई के भविष्य की चिंता है। अतः वह
भाई को डाँटता है, समझाता है।
      लेखक बाल मति है। भाई के इस निश्छल प्रेम को अभी नहीं समझ पा
रहा है। किन्तु उसके भलाई के लिए ही भैया उसकी खिंचाई करता है। हमें
लेखक का बड़ा भाई ही बेहतर लगता है।

3. किन कारणों से किसी विद्यार्थी को पढ़ाई करने से भय लग सकता
है?
उत्तर―निम्नांकित कारणों से किसी विद्यार्थी को पढ़ाई करने से भय लग
सकता है―
(i) मास्टर साहब की पिटाई का डर। (ii) पाठ न समझने से।
(iii) लापरवाही से पढ़ाई करने पर। (iv) सिर्फ खेल-कूद में मन
लगाने से।

4. 'पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नबाव, खेलोगे कूदोगे बनोगे खराय'-आप
इस उक्ति से कितना सहमत हैं ? क्या वर्तमान समय में यह सही है।
उत्तर― हम उस उक्ति से सहमत नहीं हैं। वर्तमान समय में यह उक्ति सही
नहीं है। सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट जगत में अपना नाम अमर कर लिया। साक्षी
और कई खिलाड़ी आज विश्व में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। साइना
नेहवाल, पी०वी० सिंधु, सानियाँ मिर्जा ने इस कहावत की सत्यता को पछाड़
दिया है। वर्तमान समय में खेल एवं पढ़ाई दोनों की आवश्यकता है। तभी
व्यक्तित्व का समग्र एवं पूर्ण विकास संभव है।

5. बड़े भाई की डॉट-डपट न मिलती तो क्या छोटा भाई अपनी
कक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर पाता । इस संबंध में अपने विचार लिखिए।
उत्तर―बडे भाई की डाँट-डपट से ही छोटा भाई पढ़ाई के प्रति सावधान
रहा। वर्ना वह तो खेल-खिलौने एवं पतंग के पीछे दीवाना रहता था। भाई की
उलाहना एवं डाँट ने उसके अंदर की जिजीविषा बढ़ा दी। वह अपनी कक्षा
में अब्बल आने लगा।
          अत: बड़े भाई का जागरूक रहना छोटे के लिए सही है।

6. इस कहानी में बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव को किताबी
ज्ञान से ज्यादा महत्त्वपूर्ण माना है ? क्या उनका ऐसा मानना सही है ?
कारण सहित अपने विचार लिखिए।
उत्तर― जिंदगी का अनुभव व्यक्ति को परिस्थितियों में धैर्य प्रदान करता
है। धैर्य से हम परेशानियों पर विजय प्राप्त कर पाते हैं। अत: यह सही है कि
किताबी ज्ञान विपरीत अवस्थाओं में साथ नहीं देती पर जिंदगी के अनुभव वहाँ
काम आते हैं।

                            □ अनुमान और कल्पना :

1. कल्पना कीजिए कि आप एक शिक्षक हैं। आपके विद्यार्थियों में
से कुछ पूरी तरह कितायों पर निर्भर है जबकि कुछ विद्यार्थी अपना सारा
समय खेल-कूद में लगा देते हैं। आप ऐसा कौन सा रास्ता अपनाएँगे
जिससे आप के विद्यार्थी पढ़ाई और खेल-कूद दोनों में समान रूप से
महत्व देने लगे।
उत्तर― हम पहले दोनों तरह के बच्चों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
तत्पश्चात् दोनों को पढ़ाई एवं खेल के महत्त्व के बारे में जागरूक करेंगे। इससे
पढ़ने वाले छात्र खेल में एवं खेलने वाले छात्र पढ़ाई में ध्यान केन्द्रित करने
लगेंगे। हम पाठ को सरलता पूर्वक, खेल-खेल में बच्चों के सामने प्रस्तुत कर
पढ़ाई से दूर भागने वाले छात्रों को पढ़ने के प्रति आकर्षित कर पाएँगे। तभी
ऐसा संभव हो पाएगा।

                                                    ★★★

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