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  Jharkhand Board Class 8  Hindi  Notes |  डायन : एक अंध-विश्वास  

 JAC Board Solution For Class 8TH Hindi Chapter 7


कविता का सारांश : 'डायन' शीर्षक कविता डॉ. दीनानाथ सिंह द्वारा
रचित एक अभूतपूर्व प्रयास है। इस विषय पर समाज में जितनी गलतफहमियाँ
हैं उसपर किसी ने इस प्रकार की रचना नहीं की। डॉ० साहब इस रचना के
लिए धन्यवाद के पात्र हैं।
   हमारे झारखंड राज्य में ग्रामीण समाज मे 'डायन' की प्रथा का प्रचलन
है। डायन प्रथा मात्र अंधविश्वास के कुछ नहीं है। समाज का विद्रूप चेहरा
है कि किसी गरीब, लाचार, अभागी, महिला को 'डायन' रूपी उपनाम से
प्रचारित कर दें। उसके बाद उस महिला पर समाज सिर्फ अत्याचार ही करने
लगता है। समाज में यह प्रथा न तो नैतिक है न सही है। इस कविता में एक
मजदूरनी जब विधवा हो जाती है तब अकेली. अलग-थलग पड़ जाती है।
सिवाय भीख माँगने के उसके पास कोई रास्ता न बचता है क्योंकि हमारा
अनपढ़ समाज उसे शांति से जीने नहीं देता, चैन से रहने नहीं देता। वैधव्य के
बाद वह उसी गाँव की होकर रह गई पर वाह रे समाज हमारा। हमने उसका
नाम दे दिया डायन। जो अपने पति, बच्चे को गरीबी के कारण इलाज न करा
पाई, बचा न पाई. वह अबला किसी को क्यों मारेगी। हम लाख सभ्य कहला
लें पर भूत, प्रेत, डायन आदि प्रथा को यदि मानते हैं तो इक्कीसवीं सदी में
भी हम बर्बर, आततायी का जीवन ही जी रहे हैं। हम आज भी अशिक्षित
और अज्ञानी ही हैं। एक औरत को डायन कह, अपमानित करना, प्रताड़ित
करना, जिंदा जला देना, निर्वस्त्र करना, कितनी गंदी बात ह। हम सबकी माँ,
बहने हैं। यदि उनके साथ ऐसा हो तो कितनी पीड़ा होगी। फिर एक गरीब,
लाचार बेवा के साथ इस प्रकार का क्रूर अन्याय कहाँ तक सही है।
           आज जरूरत है। हम सभी बच्चे पहले के समाज में व्याप्त इस
अंधविश्वास को, डायन प्रथा को जड़ से समाप्त कर दें। बहिष्कृत कर दें।
उस बूढ़ी महिला को हम सम्मान दें। हम अपनी सोच को परिष्कृत कर इस
सामाजिक बुराई को मिटाकर पूरे भारत में झारखंड प्रदेश का नाम ऊँचा करें।
                कवि परिचय : 'डायन : एक अंध विश्वास' शीर्षक कविता डॉ०
दीनानाथ सिंह रचित कविता हमारे समाज में फैली सामाजिक कुरीति पर
करारी चोट है। डॉ. दीनानाथ सिंह का जन्म 31 दिसम्बर, 1937 ई० में बिहार
के मुंगेर जिले में हुआ था। विद्योपार्जन के उपरांत उन्होंने वीर कुँअर सिंह
विश्वविद्यालय आरा में हिन्दी के प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की
एवं वहीं से सेवानिवृत्त भी हुए। इन्हें कई सम्मान प्राप्त हुए जिसमें- निराला
सम्मान, दिनकर सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान प्रमुख हैं। इनकी प्रमुख
रचनाएँ इस प्रकार हैं― कविता-समय अजन्मा है, गाँव से चिट्ठी आई है,
अन्याय : हिन्दी कहानी के सौ वर्ष, आधुनिक भारत के निर्माता, कामायनी
का काव्यस्त्रीय अनुशीलन।

                                    अभ्यास प्रश्न

                                     □ पाठ से:

1. किन कारणों से बच्चे बूढ़ी औरत से डरने लगे और वह भीख
माँगने लगी? लिखें।
उत्तर―बूढ़ी औरत बाँसों के झुरमुट के बीच रहती थी। वह विधवा थी।
वह निपूती थी। उसका शरीर दुर्बल और कमर झुकी हुई थी। बाल पके एवं
दाँत टूट गए थे। उसका शरीर कंकाल का ढाँचा मात्र दिखता था। उसका
ऐसा रूप देखकर बच्चे दर जाते थे।

2. गाँव के लोग अकेली औरत को डायन कहकर उसके साथ कैसा
व्यवहार करते थे?
उत्तर―गाँव के लोग अकेली औरत को डायन कहकर उसके साथ
गलत व्यवहार करते थे। उसे निर्वस्त्र कर देते थे। उसके बाल मुंडकर गाँव
में घुमाया जाता था। कभी-कभी उसे आग में जिन्दा ही जला दिया जाता था।

3. पाठ के आधार पर बताइए कि समाज से डायन कुप्रथा को कैसे
दूर किया जा सकता है?
उत्तर―समाज से डायन कुप्रथा को सख्त कानून का पालन कर दूर
किया जा सकता ह। इस प्रथा के पक्षधरों को कानून कठोरतम दंड दे ताकि कोई
इसकी पुनरावृत्ति न कर पाए। अंधविश्वासों पर न हम विश्वास करें, न माने, न
फैलाएँ। हर औरत को मान एवं सम्मान प्रदान करने से ही इस प्रथा से निजात संभव
है। समाज को भी स्त्रियों के प्रति सोच को परिष्कृत करने की जरूरत है।

                    □ पाठ से आगे:

1. आपने अपने बड़े-बूढों द्वारा कोई ऐसी कहानी जरूर सुनी होगी
जिसमें किसी महिला या बालिका ने कठिन परिस्थितियों पर विजय प्राप्त
की हो। उस कहानी को लिखकर कक्षा में सुनाइए।
उत्तर― हमारे गाँव में एक गरीब किसान था। उसकी मौत हो गई।
उसकी पत्नी ने मजदूरी कर अपने बच्चे को पढ़ाया लिखाया। उसकी एक मात्र
लड़की पढ़ लिखकर बी०डी०ओ० बन गई। आज उस लड़की की समाज में
बड़ी इज्जत है। वूह गरीबों की मदद करने को सैदव तत्पर रहती है।

2. बिना पारिश्रमिक लिए औरतें घरों एवं घर से जुड़े बाहर के अनेक
कार्य करती हैं। उनके द्वारा किए जाने वाले कार्यों के बारे में पता कीजिए
और उन कार्यों के महत्त्व के बारे में लिखिए।
उत्तर―
कार्य                                     महत्त्व

वर्तन धोने का              ―    घरेलू नौकरानी बर्तन धोती है। उसके कारण ही
                                        हमारे घर में सब काम समय पर हो जाते हैं।
कपड़ा धोने का            ―    हम कपड़ा धोने वाली महरी के आभारी हैं।
                                        उसके कारण ही विद्यालय का हमारा ड्रेस हम
                                        साफ-सुथरा रखते हैं।
सफाई कार्य                 ―    सड़कों, कल, कारखानों, कार्यालयों को सफाई
                                         कर लोग वातावरण को साफ एवं स्वच्छ रखते
                                         हैं ।
तेंदु पत्ता संग्रह              ―    तेंदु पत्ता संग्रह कर ये बेचते हैं। इससे बीड़ी
                                         बनती है। इस उद्योग में अप्रत्यक्ष एवं प्रत्यक्ष रूप
                                         से काफी जनसंख्या आय प्राप्त करती है।

3. 'कैसे हैं गाँव के लोग, पढ़े लिखे लोग ।' कवि ने ऐसा क्यों कहा
होगा? लिखें।
उत्तर―कवि ने यहाँ आश्चर्य प्रकट किया है कि अपने को ज्ञानी, विज्ञानी
कहने वाले लोग अंधविश्वासों को मानते हैं। वे डायन, भूत, प्रेत आदि में
विश्वास करते हैं। ऐसा विश्वास तो अनपढ़, जाहिल एवं गवई लोग करते हैं।
पढ़े-लिखे लोग सामाजिक कुरीतियों का बहिष्कार एवं विरोध करते हैं। वे
इसे नहीं मानते। पर अपने को ज्ञानी विज्ञानी कहना पसंद करने वाले लोग ही
ऐसी कुरीतियों के पक्षधर हैं। यह कितनी बड़ी बिडम्बना है।

                        □ अनुमान और कल्पना :

1. 'महिलाओं द्वारा बाहर का कार्य करने में कोई बुराई नहीं है।'
आपके विचार से यह सही है या गलत, क्यों ?
उत्तर― महिलाओं द्वारा बाहर कार्य करने में कोई बुराई नहीं है। यह सही
है। काम करना अच्छी बात है। काम करने से आय प्राप्त होती है। गरीबी
एवं अशिक्षा मिटती है। अतः यह सही है

2. किसी ऐसी घटना के बारे में लिखिए जिसमें किसी असहाय
व्यक्ति को किसी ने परेशान किया हो और परेशान करने वाले को डॉट
मिली हो।
उत्तर― एक बार एक बस स्टैंड पर अंधा बैठा था। वहीं एक लड़की
बैठी थी। अंधे की स्टिक गिर पड़ी। वह स्टिक उठाने के लिए टटोला तो
लड़की ने उसपर छेड़ने का आरोप लगा दिया। पब्लिक ने उसे पीट दिया। जब
पुलिस आई तब भीड़ भाग खड़ी हुई। जब पुलिस ने पूछा तो अंधे ने सही बात
बताई। पुलिस ने उस लड़की को बहुत डाँटा। लड़की को भी अपनी गलती
का एहसास हो गया था। वह दुःखी हुई एवं अंधे से माफी माँगने लगी।

3. समाज से तिरस्कृत/बहिष्कृत किसी महिला के लिए आप
क्या-क्या करना चाहेंगे?
उत्तर―समाज से तिरस्कृत/बहिस्कृत किसी महिला के लिए हम निम्नांकित
कार्य करना चाहेंगे―
(i) उसे आर्थिक मदद प्रदान करेंगे।
(ii) सामाजिक स्तर पर उसकी सुरक्षा का ध्यान रखेंगे।
(iii) सरकारी योजनाओं के बारे में पता कर उसका नामांकन कराएँगे।
(iv) उसके अच्छे जीवन स्तर के लिए व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करा
रोजगार की व्यवस्था कराएँगे।
(v) उसके बच्चों को पास के सरकारी विद्यालय या आँगनबाड़ी में
नामांकण कराकर शिक्षित बनाएँगे।

                                                ★★★

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