Jharkhand Board Class 8 Hindi Notes | बस की यात्रा
JAC Board Solution For Class 8TH Hindi Chapter 12
पाठ का सारांश : हरिशंकर परसाई कृत 'बस की यात्रा' शीर्षक पाठ
एक व्यंग्य है। इसमें 'लेखक ने जर्जर हाल बस की सफर का गुदगुदाने वाला
वर्णन किया है। बस की सीट, बॉडी सब जर्जर अवस्था में हैं। इंजन भी बंद
हो जा रहा था। खिड़की के शीशे टूटे थे। टायर भी कमजोर था। फिर भी
इस बस में मुसाफिर यात्रा कर रहे थे।
इस पाठ में लेखक ने जर्जर बस में की गई यात्रा के बहाने अपने समय
में यातायात की दुर्व्यवस्था पर करारा व्यंग्य किया है। अपनी सीधी एवं चुटीली
भाषा के कारण व्यंग्यकार का यात्रा अनुभव कभी-कभी गुदगुदाता है तो
कभी रोमांचित करता है।
लेखक परिचय: हरिशंकर परसाई का नाम साहित्य जगत में चर्चित
रहा है। इनके व्यग्य बरबस हँसी ला देते हैं। पाठक बार-बार पढ़ना चाहता
है। इनका जन्म 22 अगस्त, 1922 ई० में होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) में हुआ
था। ये प्रसिद्ध लेखक एवं व्यंग्यकार थे। नागपुर विश्वविद्यालय से एम०ए०
करने के बाद इन्होंने अध्यापन कार्य किया। बाद में स्वतंत्र लेखन करने लगे।
परसाई जी ने भारतीय समाज और राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार और शोषण
पर करारा एवं सटीक व्यंग्य किया है। इनकी विशिष्ट शैली पाठकों के मर्म
को छू जाती है। उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित किया गया। सन्
1955 में 10 अगस्त को इन्होंने स्वर्ग लाभ किया ।
रचनाएँ:
कहानी संग्रह–हँसते हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे, तय की बात ।
संस्मरण–तिरछी रेखाएँ।
व्यंग्य–भूत के पाँव पीछे, सदाचार का ताबीज, ठिठुरता हुआ गणतंत्र,
शिकायत मुझे भी है, विकलांग श्रद्धा का दौर ।
अभ्यास प्रश्न
□ पाठ से:
1. लेखक ने उस बस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ श्रद्धाभाव से
क्यों देखा?
उत्तर― जब बस पुलिया के ऊपर पहुँची तब उसका एक टायर पंचर हो
गया। तब लेखक ने हिस्सेदार की तरफ श्रद्धा भाव से देखा कि अपनी बस
की स्थिति जानते हुए भी वे बस से सफर कर रहे हैं। उन्होंने उनके साहस
और बलिदान की भावना को श्रद्धाभाव से देखा।
2. लेखक को लोगों ने शाम वाली बस से सफर न करने की सलाह
क्यों दी?
उत्तर― लेखक को लोगों ने शाम वाली बस से सफर न करने की सलाह
दी। उन्होंने कहा समझदार लोग शाम वाली बस से सफर इसलिए नहीं करते
हैं ताकि रास्ते में कहीं बस खराब न हो जाए और पूरी रात बर्बाद हो जाए
अर्थात् बस डाकिन है।
3. लेखक को ऐसा क्यों लगा कि सारी बस ही इंजन है और वह
इंजन के भीतर बैठा है?
उत्तर―जब ड्राइवर ने इंजन स्टार्ट किया तो सारी बस हड़-हड़ करने
लगी। उसे ऐसा लगा कि वह बस में नहीं इंजन के भीतर बैठा है।
4. लेखक को तब हैरानी क्यों हुई जब कंपनी के हिस्सेदार ने बताया
कि बस अभी अपने आप चलेगी?
उत्तर―लेखक ने जब बस के बारे में जानकारी ली कि क्या यह बस
चलती भी है, तब हिस्सेदार ने बताया, चलती क्यों नहीं जी, अभी चलेगी। अपने
आप चलेगी। अब लेखक को हैरानी हुई कि क्या बस अपने आप चलती है।
5. लेखक हर पेड़ को अपना दुश्मन क्यों समझ रहा था ?
उत्तर―लेखक को डर लग रहा था कि यह बस किसी पेड़ में टकरा
न जाए। इसलिए वह हर पेड़ को दुश्मन समझ रहा था जो दुर्घटना में जान
ही ले लेगा।
□ पाठ से आगे:
1. सविनय अवज्ञा के बारे में पता कीजिए। प्रस्तुत पाठ में व्यंग्यकार
ने सविनय अवज्ञा का उपयोग किस रूप में किया है?
उत्तर―गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया था। 1935 में
भारत शासन अधिनियम के विरोध में गाँधी जी ने संपूर्ण भारतीयों को शामिल
कर अंग्रेजों की बात न मानने के लिए एकजुट किया। बस के सभी हिस्से
उसका विरोध कर रहे थे। इसी को व्यंगकार ने सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू
की बात कहकर व्यंग्य किया है।
2.आपने यात्रा अवश्य की होगी। अपनी किसी यात्रा के खट्टे-मीठे
अनुभवों को लिखें।
उत्तर―स्वयं करें।
3. क्या पुराने वाहनों को सड़को पर चलाना उचित है? पुराने वाहन
वातावरण को किस प्रकार नुकसान पहुंचाते हैं ?
उत्तर―पुराने वाहनों को सड़कों पर चलाना अनुचित है। सरकार ने भी
इसपर प्रतिबंध लगा दिया है। पुराने वाहन से धुंआ निकलता है। उससे वायु
प्रदूषण होता है। पुराने वाहन आवाज करते हैं, जिससे ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।
ये वातावरण को प्रदूषित कर नुकसान पहुँचाते हैं।
□ अनुमान और कल्पना :
1. यदि बस बोल सकती तो वह अपनी बुरी हालात और भारी बोझ
के कष्ट को किन शब्दों में व्यक्त करती? लिखिए।
उत्तर― बस चीख-चीखकर कहती मेरी बॉडी बनवाओ। खिड़की में
शीशे डलवाओ। इंजन की सर्विसिंग करा दो। सवारी इतनी ठूँस-ठूँस के न
बिठाओ। टायरों को नया लगा दो। आदि ।
2. लेखक को बस की यात्रा में हमेशा अपना जीवन संकट में लगा।
मगर अंत में उसकी बेताबी और तनाव खत्म हो जाते है। बताइए कि
लेखक की चिंता क्यों खत्म हो गई जबकि उसकी परिस्थिति में कोई
परिवर्तन नहीं हुआ है?
उत्तर― लेखक को जीवन जाने का भय सदा यात्रा में लगा रहा। अंत में
उसे लगा कि अब पन्ना वह समय पर नहीं पहुंच पायेगी। अत: वह उम्मीदहीन
हो गया। उसकी बेतावी, तनाव सब खत्म हो गए।
★★★