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      Jharkhand Board Class 7TH Sanskrit Notes | "योगो भवति दुःखहा"  

    JAC Board Solution For Class 7TH Sanskrit Chapter 14


पाठ:― युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।
          युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा ।।
            स्वस्थशरीरे एव स्वस्थमनसः निवासः भवति। अतएव अस्माकं परमं
कर्तव्यम् अस्ति यत् वयं स्वस्थाः भवेम। स्वस्थजीवनस्य कृते संतुलितभोजनम्
आवश्यकम् अस्ति। अस्माकं भोजनाय नियमोऽिस्ति-हितभुक, मितभुक, ऋतभुक,
च।
            अर्थ―स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है। इसलिए
हमारा कर्तव्य है कि हम लोग स्वस्थ रहें। स्वस्थ जीवन के लिए संतुलित
भोजन आवश्यक है। हम लोगों का भोजन के लिए नियम है-लाभप्रद आहार
का सेवन, उचित मात्रा में भोजन और ऋतु के अनुसार भोजन।

पाठः― हितभुक् इत्यस्य अभिप्रायः भोजनं हितकरं भवेत्। अर्थात्
प्रतिदिनं शुद्धशाकाहारयुक्त भोजनं करणीयम्। मितभुक् इत्युक्ते यावद् बुभुक्षा
अस्ति ततः अल्पमेव भोजनीयम्। हितकरम् अपि अधिक भोजनं हानिकरमेव
भवति। यस्मिन् ऋतौ यत् फलं भोजनं वा स्वास्थ्यकरं तदेव भक्ष्यम् इति
ऋतभुक् इत्यस्य आशयः। अन्यथा हितकरम् उचितमपि भोजनम् अनिष्टकरमेव।
अनेन प्रकारेण स्पष्टम् अस्ति यद् भोजनं प्रति पूर्णत: अवधानम् आवश्यकम्।
            अर्थ―हितभुक इसका अभिप्राय है- भोजन कल्याण करने वाला हो।
अर्थात् प्रतिदिन शुद्ध शाकाहार भोजन करना चाहिए। मितभुक कहा गया है–
जब भूख है तो थोड़ा ही भोजन करना चाहिए। कल्याणकारी भी अत्यधिक
भोजन हानिकारक ही होता है। जिस ऋतु में जो फल या भोजन स्वास्थ्यकर
हो उसे ही खाना चाहिए। यह ऋतुमुक का आशय है। अन्यथा हितकर उचित
भोजन भी अनिष्ठकारी ही होता है। इस प्रकार से स्पष्ट है कि भोजन के प्रति
पूर्णरूप से सावधानी आवश्यक है।

पाठः―अस्माकम् आचरणमपि शुद्ध भवेत्। आचारहीनाः समाजे कदापि
सम्माननीयाः न भवन्ति। छात्राणां कृते तु ब्रह्मचर्यपालनम् अत्यावश्यक भवति।
ब्रह्मचर्येण स्वास्थ्यं एकाग्रता सहिष्णुता ओजः इत्यादयः सद्गुणाः वर्धन्ते। वयं
सदैव निजकर्मसु सचेष्टिताः स्यामा स्वस्थजीवनस्य कृते समुचिते समये शयनं
तथैव जागरणं च आवश्यकमस्तिा प्रातःकाले सूर्योदयात् प्राक् जागरणं स्वास्थ्यवर्धक
भवति।
         अर्थ―हमारा आचरण भी शुद्ध हो। आचरण से हीन समाज में कभी
प्रतिष्ठित नहीं होते हैं। छात्रों के लिए तो ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक
है। ब्रह्मचर्य से स्वास्थ्य, एकाग्रता, सहिष्णुता ओज आदि सद्गुण बढ़ते हैं। हमें
हमेशा अपने कामों में सावधान होना चाहिए। स्वस्थ जीवन के लिए उचित
समय पर सोना और जागना और आवश्यक है। सुबह में सूर्योदय से पहले
जागना स्वास्थ्य को बढ़ानेवाला होता है।

पाठः― योगशास्त्रस्य प्रणेता महर्षिः पतञ्जलिः अष्टाङ्गयोगस्य मार्ग
दर्शितवान्। यमः नियमः आसनं प्राणायामः प्रत्याहारः धारणा ध्यानं समाधिश्च
योगस्य अष्टाङ्गानि वर्तन्ते। एतेषु आसनैः प्राणायामेन च उत्तम स्वास्थ्य
लभ्यते। शौचादिक्रियातः निवृत्त्यनन्तरं योगः करणीयः। योगाभ्यासेन वयम् उत्तम
स्वास्थ्यं प्राप्नुमः।
अर्थ― योगशास्त्र के प्रणेता महर्षि पतञ्जलि ने अष्टांग योग का मार्ग
दिखाया। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार धारणा, ध्यान और समाधि
योग के आठ अंग है। इनमें आसनों और प्राणायाम से उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त
किया जाता है। शौच आदि क्रिया से निवृत्त होकर योग करना चाहिए।
योगाभ्यास से हमलोग उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त करते हैं।

पाठः―इन्द्रियजयपूर्वकं सावधानतया एकाग्रमनोभूत्वा यः स्वकार्य करोति
वस्तुतः स एव योगी। सः योगी द्वन्द्वरहितो भवति। अतएव सः दुःखरहितः अपि
भवति। तदैव उक्तमस्ति–
                              "योगो भवति दुःखहा।"
        अर्थ― इन्द्रिय को जीतकर सावधानी से एकाग्रमन होकर जो अपना
कार्य करता है। वास्तव में वह ही योगी है। वह योगी द्वन्द्व से रहित होता है।
इसलिए वह दुःख से रहित भी होता है। तभी कहा गया है- "योग दुःख को
हरण करने वाला होता है।"
         उचित आहार-विहार, कर्मों में उचित आचरण करने वालों का उचित
समय पर सोने और जागने वालों को ही सिद्ध होता है अर्थात् ऐसे लोगों के
द्वारा किया गया योग उनके दुःखों का हरण करनेवाला होता है।

                              अभ्यासः

प्रश्न संख्या 1 शब्बार्थ है।
एकपवेन उत्तरत―
(क) स्वस्थमनसः कुत्र निवासः भवति ?
(ख) आचारहीनाः कुत्र सम्माननीयाः न भवन्ति ?
(ग) वयं केषु सचेष्टिताः स्याम?
(घ) वयं केन उत्तमं स्वास्थ्यं प्राप्नुमः ?
उत्तर―(क) स्वस्थशरीरे
(ख) समाजे
(ग) निजकर्मसु
(घ) योगाभ्यासेन

3. 'आम्' अथवा 'न' माध्यमेन उत्तरत-
(क) स्वस्थशरीरे एव स्वरलगा निवासः भवति।
(ख) प्रतिदिनं मांसाहारयु भोजनं करणीयम्।
(ग) यावद् युभुक्षा अस्ति ततः अधिक खादितव्यम्।
(घ) अस्माकम् आचरणं शुद्ध भवेत्।
(ङ) प्रात:काले योगः करणीयः ।
उत्तर―(क) आम्
(ख) न
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) आम

4. अधोलिखिततेषु पदेषु का विभक्तिः किं वचनं च ? इति लिखत ―
बालकानाम्                   पष्ठी                बहुवचनम्
स्वस्थाः                   .................        .................
निवास:                  .................        .................
कर्मसु                    .................        .................
शरीरे                     .................        .................
छात्राणाम्               .................        .................
सूर्योदयात्               .................        .................
प्राणायामेन             .................         .................
जीवनस्य                .................         .................
योगः                     .................          .................
उत्तर―स्वस्थाः            प्रथमा                 बहुवचन
निवासः                     प्रथमा                 एकवचन
कर्मसु                       सप्तमी                बहुवचन
शरीरे                        सप्तमी                एकवचन
छात्राणाम्                  षष्ठी                    बहुवचन
सूर्योदयात्                 पंचमी                  एकवचन
प्राणायामेन                तृतीया                 एकवचन
जीवनस्य                   षष्ठी                    एकवचन
योगः                        प्रथमा                  एकवचन

5. पूर्ववाक्येन उत्तरं लिखत ―
(क) योगी कीदृशः भवति?
(ख) योगः कदा करणीयः?
(ग) स्वस्थजीवनस्य कृते किम् आवश्यकम् ?
(घ) स्वस्थशरीरे कस्य निवासः भवति?
(ङ) भोजनं प्रति किम् आवश्यकम् ?
उत्तर―(क) योगी दुःखहा भवति।
(ख) योगः प्रातः काले करणीयः
(ग) स्वस्थ जीवनस्य कृते संतुलित भोजनम्
(घ) स्वस्थ शरीर आवश्यकम् अस्ति । स्वस्थमनसः निवासः भवति।
(ङ) भोजनं प्रति अवधानम् आवश्यकम्।

6. अधोलिखितवाक्येषु रेखाडिकतपवानि ओश्रित्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत―
(क) स्वस्थशरीरे स्वस्थमनसः निवासः भवति।
(ख) स्वस्थजीवनाय भोजनम् आवश्यकम्।
(ग) अस्माकम आचरणं शुद्ध भवेत्।
(घ) योगः भवति दुःखहा।
उत्तर― (क) कुत्र स्वस्थमनसः निवासः भवति ?
(ख) स्वस्थजीवनाय किम् आवश्यकम् ?
(ग) केषां आचरण शुद्ध भवेत्।
(घ) कः भवति दुःखहा?

7. समुचितं मेलनं कुरुत ―
हितभुक्त              प्रात:काले करणीयः ।
योगः                   स्वस्थजीवनाय आवश्यकम्।
स्वस्थभोजनम्       अस्माकम् आचरणं भवेत्।
शुद्धम्                   दुःखहा भवति।
व्यायामः               यः हितकर भोजनं करोति।
उत्तर― यः हितकरं भोजनं करोति।
दुःखहा भवति।
स्वस्थजीवनाय आवश्यकम्।
अस्माकं आचरणं भवेत्
प्रातः काले करणीयः

8. मञ्जूषातः उचितपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत―
उचितमात्रायाम्  योगी  समाजे  भोजनम्  दुःखहा
(क) आचारहीनाः .................. सम्माननीयाः न भवन्ति।
(ख) ऋतोः अनुसारं ...................... कर्त्तव्यम्।
(ग) भोजनं सदा ............….....करणीयम्।
(घ) योगो....................भवति।
(ङ) .................द्वन्द्वरहितः भवति।
उत्तर―(क) समाजे
(ख) भोजनं
(ग) उचितमात्रायाम्
(घ) दु:खहा
(ङ) योगी

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