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      Jharkhand Board Class 7TH Sanskrit Notes | भगवान् बिरसामुण्डा  

   JAC Board Solution For Class 7TH Sanskrit Chapter 12


पाठ:― अस्माकं देशः वीराणां देशः अस्ति। आङ्ग्लानां शासनात् मुक्तये
अनेके जनाः भारतस्यराष्ट्रियस्वतन्त्रतान्दोलनाग्नौ स्वप्राणाहुतिम् अकुर्वन्।
तेषु जनेषु अन्यतमः आसीत् भगवान् बिरसामुण्डा। तस्य जन्म 1875
तमे खीष्टाब्दे नवम्बरमासस्य पञ्चदश तारिकायाम् अभवत्। बाल्ये
तस्य नाम दाउदमुण्डा आसीत्। तस्य पितुः नाम सुगनामुण्डा मातुः च
करमी।
     अर्थ― हमारा देश वीरों का देश है। अंग्रेजों के शासन से मुक्ति के लिए
अनेक लोगों ने भारत के राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन की अग्नि में अपने
प्राणों की आहुति दी है। उन लोगों में भगवान बिरसा मुण्डा अन्यतम
थे। उनका जन्म 1875 ई० में नवम्बर मास के 15 तारीख को हुआ
था। बचपन में उनका नाम दाउद मुण्डा था। उनके पिता का नाम
सुगना मुण्डा और माता का नाम करमी था।

पाठ:―निर्धनताकारणात् बाल्यावस्थायां सः अजाचारणम् अपि अकरोत्।
क्रीडायां वेणुवादने च तस्य अतीव रुचिः आसीत्। तस्य प्राथमिकशिक्षा
चलकदनामके स्वग्रामे एवं अभवत्। तदनन्तरं संः अग्रिमशिक्षा प्राप्तुं
चाईबासानगरम् अगच्छत्। अत्र एव आङ्ग्लानां कृते तस्य मनसि
विद्रोहभावः समुत्पन्नः। वस्तुतः तस्य विचारः आसीत् यत् वयं वनवासिनः
स्मः। वनात् एवं अस्माकं जीवनोपयोगी आवश्यकताः पूर्णाः भवन्ति।
वनोपरि परम्परागतरूपेण वनवासीजनानाम् एव अधिकारः अस्ति।
वनवासिनः एव वनं रक्षन्ति। परन्तु आङ्लशासकाः वनोपरि शासनं
कुर्वन्ति स्म। अनुमत्यभावे वनप्रवेशः पशुचारणं च निषिद्धे कृते।
एतस्मात् कारणात् एव बिरसामुण्डा आङग्लानां विरोधम् अकरोत्।
एकदा एकः आङ्ग्लसैनिक: बालक बिरसा मार्ग अवरुध्य अपृच्छत्
–"अरे कृष्णबालक ! अयं मार्गः कुत्र गच्छति ?" बिरसा अवदत्
– "माम् अस्य लघुमार्गस्य विषय मा पृष्ठ। किजिचत्कालाद् अनन्तरं
अहं युष्मान् सप्तसागरपारस्य मार्ग दर्शयिष्यामि। अनन्तरं बिरसामुण्डा
आनन्दपाण्डेयस्य सम्पर्के आगच्छत् सनातनधर्मेण प्रभावितः च अभवत्।
तदा समाजे अंधविश्वासः अत्यधिकः आसीत्। अतः बिरसा
समाजसुधारकरूपेण कार्यप्रारम्भम् अकरोत्। जनाः तं "भगवान्
बिरसामुण्डा' इति उक्त्वा सम्बोधनं अकुर्वन्।
        अर्थ― गरीबी के कारण बचपन में उन्होंने बकरी चराने का भी काम किया।
खेल और बाँसुरी बजाने में उनकी बहुत रुचि थी। उनकी प्रारंभिक
शिक्षा चलकद नामक अपने गाँव में ही हुई। उसके बाद वे आगे की
पढ़ाई के लिए चाईबासा नगर गये। यहीं अंग्रेजों के लिए उनके मन
में विद्रोह का भाव उत्पन्न हुआ। वास्तव में उनका विचार था कि
हमलोग वनवासी हैं। वन से ही हमारे जीवन की उपयोगी आवश्यकताओं
की पूर्ति होती है। वन के ऊपर परम्परागत रूप से वनवासियों का ही
अधिकार है। वनवासी ही वन की रक्षा करते हैं। परन्तु अंग्रेज शासक
वन के ऊपर शासन करते थे। अनुमति के अभाव में वन में प्रवेश
और मवेशियों को चराने की मनाही थी। इस कारण से ही बिरसामुण्डा
अंग्रेजों का विरोध किया। एक बार एक अंग्रेज सैनिक बालक बिरसा
को रास्ते में रोककर पूछा- अरे काला बालक । यह रास्ता कहाँ तक
जाता है ? विरसा मे कहा- "मुझसे इस छोटे मार्ग के विषय में मत
पूछो। कुछ समय बाद मैं तुमलोगों को सात समुन्दर पार का रास्ता
दिखाऊँगा।" उसके बाद बिरसा मुण्डा आनन्द पाण्डेय के सम्पर्क में
आये और सनातन धर्म से प्रभावित हुए। तब समाज में अंधविश्वास
अत्यधिक था। इसलिए विरसा ने समाज सुधारक के रूप में कार्य
आरम्भ किया। लोग उनको भगवान बिरसा मुण्डा कहकर संबोधन
करने लगे।

पाठः― भगवान् बिरसा 'उलगुलान' इति क्रान्तिम् आरभता आङ्ग्लानां शासनस्य
प्रतिकार अकरोत्। जनान् च आह्वयत् यत् निजपारम्परिकशस्त्रं गृहीत्वा
आङ्ग्लानां विरोध: करणीयः। एकदा तस्य ग्रामे 'मसूरी (चेचक)'
इति रोगस्य प्रकोपः अभवत्। सः ग्रामं गत्वा रुग्णानां सेवाम् अकरोत्।
रुग्णाः स्वस्थाः अभवन्। ततः परं तस्य अनुयायिनां संख्या वर्धिता।
तस्य आन्दोलनेन उद्विग्नाः आङ्ग्लशासका: भीताः अभवन्। बिरसासेना
संघर्ष तीव्रम् अकरोत्। डोंबारीपर्वते आङ्ग्लैः सह भीषणसंघर्षः अभवत्।
अनेके जनाः हताः। छलेन बिरसा गृहीतः। तेन वर्षद्वयस्य सश्रमकारावासः
प्राप्तः। कारावासात् बहिः आगत्य सः संघर्षम् इतोऽपि तीव्रम् अकरोत्।
सइलरकबपर्वते भयङ्कर युद्धम् अभवत्। अनेके जनाः हताः। पुनश्च
1900 तमे खीष्यब्दे फरवरी मासस्य 03 तारिकायां सः आङ्ग्लभटैः
गृहीतः। ततः च राँचीकारागारे प्रेषितः। राँचीकारागारे एव तस्य निधनं
जातम्। समाजस्य राष्ट्रस्य च कृते स्वप्राणत्यागं कृत्वा सः अमरः
अभवत्।

अर्थ― भगवान विरसा ने उलगुलान क्रांति आरंभ की। अंग्रेजी सरकार का
विरोध किया और लोगों से आह्वान किया कि अपने पारम्परिक शस्त्र
लेकर अंग्रेजों का विरोध करना चाहिए। एक यार उनके गाँव में
चेचक रोग का प्रकोप हो गया। उन्होंने गाँव जाकर रोगियों की सेवा
की। रोगी स्वस्थ हुए उसके बाद अनुयायियों की संख्या बढ़ गई।
उनके आंदोलन से उद्विग्न अंग्रेज शासक भयभीत हो गये। बिरसा की
सेना ने संघर्ष को तेज कर दिया। डोंबारी पहाड़ पर अंग्रेजों के साथ
भीषण संघर्ष हुआ। अनेक लोग मारे गये। छलपूर्वक बिरसा पकड़
लिये गये। उन्हें दो वर्ष का सश्रम कारावास हुआ। कारावास से बाहर
आकर उन्होंने संघर्ष को और भी तेज कर दिया। सइलरकब पहाड़
पर भयंकर युद्ध हुआ। अनेक लोग मारे गये और फिर 1900 ई० में
फरवरी महीने 3 तारीख को वे अंग्रेज सैनिकों के द्वारा पकड़े गये और
उसके बाद राँची कारागार में भेज दिया गये। राँची कारागार में ही
उनका निधन हो गया। समाज और राष्ट्र के लिए अपने प्राणों को
त्यागकर वे अमर हो गये।

                               अभ्यासः

प्रश्न संख्या 1 शब्दार्थ है।
2. एकपदेन उत्तरत―
(क) अयं देशः केषां देशः अस्ति?
(ख) बाल्यावस्थां बिरसामुण्डा किम् अकरोत् ?
(ग) बिरसामुण्डायां अग्रिमशिक्षा प्राप्तुं कुत्र अगच्छत् ?
(घ) बिरसा केषां विरोधम् अकरोत् ?
(ङ) बिरसा ग्रामं गत्वा केषां सेवाम् अकरोत् ?
उत्तर― (क) वीराणाम्
(ख) अजाचारणम्
(ग) चाईबासानगरम्
(घ) ओङग्लानाम्
(ङ) रूग्णानाम्

3. पूर्ववाक्येन उत्तरत―
(क) अनेके जनाः किमर्थ स्वप्राणाहुतिम् अकुर्वन् ?
(ख) परम्परागतरूपेण वनोपरि केषाम् अधिकारः अस्ति ?
(ग) आङ्ग्लसैनिक: बालक बिरसा मार्ग अवरुध्य किम् अपृच्छत् ?
(घ) बालकः बिरसा आङ्ग्ल सैनिक किम् प्रत्युत्तरत् ?
उत्तर― (क) अनेके जनाः आङ्ग्लाना शासनात् मुक्तये स्वप्राणहुतिम् अकुर्वन्।
(ख) परम्परागत रूपेण वनोपरि बनवासी जनानाम् अधिकार अस्ति।
(ग) आङ्ग्लसैनिकः बालक बिरसा मार्ग अवरूध्य अपृच्छत–
          "अरे कृष्णबालक! अयं मार्गः कुत्र गच्छति ?
(घ) बालकः बिरसा आङ्ग्ल सैनिक प्रत्युत्तरत-"माम अस्य
लघुमार्गस्ये विषये मा पृच्छ। किञ्चित्कालात् अनन्तरं अहं
युष्मान् सप्तसागर पारस्य मार्ग दर्शयिष्यामि।"

4. रेखाङिकतानि पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत –
(क) वासात बहिः आगत्य सः संघर्ष तीव्रम् अकरोत् ।
(ख) युद्धे अनेके जनाः हताः।
(ग) छलेन बिरसा गृहीतः।
(घ) समाजे अंधविश्वासः आसीत् ।
(ङ) सः आइालाना शासनस्य प्रतिकारम् अकरोत्।
उत्तर― (क) कृतः बहिः आगत्य स: संघर्ष तीव्रम अकरोत् ?
(ख) कुत्र/कस्मिन् अनेके जनाः हता। ?
(ग) छलेन कृ: गृहीतः?
(घ) कुत्र अंधविश्वासः आसीत् ?
(ङ) सः केषां शासनस्य प्रतिकारकम् अकरोत् ?

5. अधोलिखितानां पदानां निर्देशानुसार पवपरिचयं लिखत―
            पदानि         मूलशब्दः         विभक्तिः        वचनम्
यथा― वीराणाम्         वीर                  षष्ठी          बहुवचनम्
(क) शासनात्          .............         .............      .............
(ख) जनेषु              .............         .............      .............
(ग) पितुः                .............         .............      .............
(घ) ग्रामे                 .............         .............      .............
(ङ) आन्दोलनेन      .............          .............      .............
उत्तर― (क) शासन      पंचमी           एकवचन
(ख) जन                   सप्तमी           बहुवचन
(ग) पितृ                 पंचमी/षष्ठी       एकवचन
(घ) ग्राम                    सप्तमी          एकवचन
(ङ) आन्दोलन            तृतीया          एकवचन

6. अधोलिखितानां धातूनां लकार पुरुषं वचनञ्च लिखत―
   पदानि धातुः    लकारः    पुरुषः   वचनम्
यथा― अस्ति अस्           लट्लकारः        प्र० पुरुषः    एकवचनम्
         (क) अभवत्         .............          .............         .............
         (ख) रक्षन्ति         .............           .............         .............
          (ग) अकुर्वन्        .............           .............         .............
          (घ) गच्छति        .............           .............          .............
         (ङ) भविष्यति     .............           .............          .............
उत्तर― (क) भू              लङ्लकार         प्र० पुरुष            एकवचन
(ख) रक्ष                     लङ्लकार         प्र० पुरुष             बहुवचन
(ग) कृ                        लङ्लकार         प्र० पुरुष             बहुवचन
(घ) गम्                        लङ्लकार         प्र० पुरुष             एकवचन
(ङ) भू                          लङ्लकार        प्र० पुरुष             एकवचन

7. अधोलिखितानि वाक्यानि घटनाक्रमानुसारं लिखत―
(क) तस्य प्राथमिकशिक्षा चलकदनामके स्वनामे एव अभवत्।
(ख) क्रीडायां वेणुवादने च तस्य अतीव रुचिः आसीत्।
(ग) तेषु भगवान् बिरसामुण्डा अन्यतमः आसीत्।
(घ) अस्माकं देशः वीराणां देशः अस्ति।
(ङ) सः देशस्य कृते स्वप्राणत्यागम् अकरोत्।
(च) सः आङ्ग्लाना शासनस्य विरोधम् अकरोत्।
उत्तर―(क) अस्माकं देश वीराणां देशः अस्ति।
(ख) तेषु भगवान बिरसामुण्डा अन्यतमः असीत।
(ग) क्रीडायां वेणुवादने च तस्य अतीव रुचिः आसीत।
(घ) तस्य प्राथमिक शिक्षा चलकदनामके स्वग्रामे एव अभवत।
(ङ) सः आङ्ग्लानां शासकस्य विरोधम् अकरोत्।
(च) सः देशस्य कृते स्व प्राणत्यागम् अकरोत्।

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