Jharkhand Board Class 7TH Hindi Notes | वरदान का फेर
JAC Board Solution For Class 7TH Hindi Chapter 17
पाठ का सारांश : प्रस्तुत पाठ हास्य व्यंग्य से पाठकों को हँसाते-हँसाते
लोटपोट कर देती है। बुद्धदेव नामक एक व्यक्ति महात्मा बन बैठा। वह तपस्या
कर ब्रह्मा से तीन वर माँगता है। लेकिन तीसरा वर वह सदा बचाकर रखता
है। इसी वर के प्रभाव से ब्रह्माजी बुद्धदेव से परेशान हो जाते हैं। वे उसे बहला
फुसलाकर स्वर्ग लोक में ले जाते हैं। वहाँ जाने के बाद वे उसे वहीं रोक लेते
हैं। तत्पश्चात् नियम बनाते हैं कि अब वरदान किसी को नहीं मिलेगा। सिर्फ
वास्तविक परिश्रमी को उसके परिश्रम का पुरस्कार ही मिल पाएगा।
लेखक परिचय : राधा कृष्ण हास्य-व्यंग्यपूर्ण रचना के सफल रचयिता
हैं। इनका जन्म 1912 ई० में राँची (झारखंड) में हुआ था। इनका देहावसान
1979 ई० में हुआ। राँची से प्रकाशित सरकारी पत्रिका 'आदिवासी' का इन्होंने
संपादन किया था। आकाशवाणी पटना से भी इन्होंने अपनी सेवाएँ दी थीं।
इनकी कहानियों में वास्तविक जीवन की घटनाओं और समस्याओं का
मनोवैज्ञानिक चित्रण बड़ी सरल, सजीव भाषा और व्यंग्यात्मक शैली में हुआ
है। इनकी प्रमुख रचनाओं में- सजला, गेंद और गोल, परिवर्तन, सनसनाते
सपने आदि प्रमुख हैं।
अभ्यास प्रश्न
□ पाठ से:
1. महात्मा बुद्धदेव और महात्मा बुद्धदेव में क्या अंतर बताया गया
है?
उत्तर―महात्मा बुद्धदेव से पूर्व महात्मा बुद्धदेव हुए थे। उनका जन्म
कपिल वस्तु नगर में हुआ था। इनके पिता राजा के राज मिस्त्री थे। यही अंतर
दोनों में था।
2. माता-पिता की मृत्यु के बाद कुष्मांडसेन के दिन किस प्रकार
बीतने लगे?
उत्तर―माता-पिता की मृत्यु के बाद कुष्मांड जी खूब रोये। पागल की
तरह घूमने लगे। घर नहीं जाते थे। खाना-पीना त्याग दिया। पनही, पगड़ी से
कोई सरोकार नहीं। फटी लँगोटी पहनकर घूमते थे अर्थात् उनका दिन फटे
हाली में बीतने लगा।
3. बुद्धदेव को कब अनुभव हुआ कि वे महात्मा बन गए हैं ?
उत्तर―सभी लोग उन्हें महात्मा कहने लगे। उनकी दशा ही ऐसी थी। जब
बनिये ने उन्हें बताया कि आपको सब महात्मा कहते हैं तब उन्हें अहसास
हुआ कि वे महात्मा बन गए हैं।
4. बुद्धदेव जी ने महात्मा बनने के बाद अपने भोजन में क्या
परिवर्तन किया?
उत्तर―महात्मा बनने के बाद बुद्धदेव दोनों जून एक-एक कटोरा
साबूदाना उबाल कर पीत थे। मंडूकोपनिषद का पाठ भी किया करते थे।
यदि किसी ने खाने में अच्छी चीजें दे दिया तो कहते फौरन मेरे सामने से
हटाओ। मैं साबदाना खाता हूँ। मेरा व्रत तुम लोग नहीं जानते हो।
5. बुद्धदेव को कैसे पता चला कि वे तपस्वी हो गए ? इसके बाद
उनके मन में क्या ख्याल आया?
उत्तर― जब लोगों ने उन्हें तपस्वी कहना शुरू किया तो उन्हें ख्याल
आया कि थोड़ी तपस्या कर लें। बस जंगल निकल पड़े और बीचों-बीच जंगल
में धुआँ पीकर तपस्या करनी शुरू कर दी।
6. सात वर्ष की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी आए तय
युद्धदेव ने उनसे क्या-क्या वरदान माँगा ?
उत्तर―बुद्धदेव ने ब्रह्मा जी से तीन वरदान माँगा। पहला माँगा हजाम मुफ्त
में हजामत बना दे। दूसरा माँगा दर्जी कपड़ा सीते वक्त कपड़ा न चुराये। तीसरा
वरदान माँगा कि यदि प्रसन्न हैं तो तीसरा वरदान यह दें कि मैं जब चाहूँ तब
आपसे तीन वरदान और माँग लूँ।
7. परेशान ब्रह्माजी ने बुद्धदेव से मुक्ति के लिए क्या किया ?
उत्तर― परेशान ब्रह्मा जी बुद्धदेव को फुसलाकर स्वर्ग ले गए। वहाँ स्वर्ग
की छटा देखकर बुद्धदेव जी मस्त हो गए। उन्होंने ब्रह्माजी से कहा मैं धरती
वापस नहीं जाना चाहता। ब्रह्माजी ने उन्हें वहीं रोक लिया तथा उसी समय यह
कानून बनाया कि अब तपस्वी को वरदान नहीं उसकी मेहनत का फल मिलेगा।
□ पाठ से आगे:
1. कुष्मांडसेन को लोग, युद्धवेव कहने लगे, लेकिन वे थे बड़े
चालाक, कैसे?
उत्तर―कुष्मांड सेन थे बड़े चालाक। तभी तो ब्रह्मा जी को हर छोटे काम
कराकर तीन वरदान और माँग लेते थे। अत: बुद्धदेव मूर्ख नहीं बड़े चालाक
व्यक्ति थे। लोग उनको जिस नाम से पुकारते वही रूप बना लेते थे।
2. यदि आपको तीन वरदान माँगना हो, तो क्या-क्या माँगेंगे?
उत्तर―हमें यदि वरदान माँगना हो तो हम तीन वरदान ये मांगेगे―
(i) विद्या-बुद्धि प्रदान करें।
(ii) धन-जन प्रदान करें।
(iii) हमें किसी प्रकार की कोई कमी या कष्ट न महसूस हो।
3. 'अब किसी को भी वरदान नहीं दिया जाता है, केवल वास्तविक
परिश्रम का पुरस्कार विया जाता है।' देवलोक का यह नियम उचित है
या अनुचित ? अपने उत्तर के पक्ष में विचार दीजिए।
उत्तर―यह नियम उचित है। इस नियम का दुरूपयोग बुद्धदेव जी ने कर
दिया था। अतः परिश्रम करने वाले को इसका उचित पारिश्रमिक ही मिलना
चाहिए वरदान नहीं।
★★★