Jharkhand Board Class 7TH Hindi Notes | छुट्टी का दिन
JAC Board Solution For Class 7TH Hindi Chapter 9
पाठ का सारांश : बच्चों को छुट्टी बहुत प्यारी लगती है। वे रविवार
के दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस पाठ में कूड़ा चुनने वाले बच्चे
भोलू के इतवार की छुट्टी मनाने की घटना वर्णित है। बालमन किस प्रकार
अपने साथी क घूमने के लिए उसके हिस्से का भी जूठा बर्तन साफ करता
है।
यहाँ दो हम उम्र बाल मित्रों के हृदय में उठने वाले निश्चल प्रेम, सहयोग
की भावना और कल्पना की उड़ान की सहज अभिव्यक्ति हुई है।
अभ्यास प्रश्न
□ पाठ से:
1. भोलू के मन में रविवार को छुट्टी मनाने की बात कैसे आई ?
उत्तर― भोलू ने देखा कि रविवार के दिन स्कूल बंद रहते हैं। उस दिन
सभी बच्चों की छुट्टी रहती है। भोलू भी बच्चा था। अत: उसे भी रविवार
छुट्टी के रूप में मनाने की बाल सुलभ इच्छा जागृत हुई।
2. "क्या छुट्टी-छुट्टी की रट लगाई है। अरे हम ठहरे मजदूर ।
रोज मेहनत करते हैं। तभी रोटी मिलती है"-श्यामू ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर― श्यामू का घर रोज कमाओ रोज खाओ-तर्ज पर चलता था।
श्यामू को लगा कि यदि भोलू काम पर नहीं जाएगा तो आज कागज-रद्दी नहीं
बीन पाएगा। इस स्थिति में उसे पैसे नहीं मिलेंगे। शाम में पैसों के बिना खाना
का प्रबंध कैसे हो पाएगा। उसे भूखा रहना पड़ेगा।
3. मैं नहीं जाता आज । मैं तो खेलूँगा दूसरे बच्चों की तरह । मैं आज
कोई काम नहीं करूगा। इतवार का मतलब पढ़ाई की छुट्टी। काम की
छुट्टी। हाँ, कल दुगुना काम कर दूंगा। - किसने, कब कहा ?
उत्तर―यह भालू ने कहा । जय भोलू का बाप श्यामू को कागज चूनने
के लिए उठा रहा था तब अर्थात् रविवार को ।
4. भोलू ने रविवार की छुट्टी मनाने के लिए कौन-से उपाय किए ?
उत्तर― भोलू ने रविवार की छुट्टी मनाने के लिए छुट्टी तो ले ली किन्तु
अकेले छुट्टी मनाने में मजा नहीं आता। अतः उसने शेरू के काम में हाथ
बँटाया। उसके मालिक ने शेरू को छुट्टी दी तब दोनों छुट्टी मनाने चले।
5. भोलू ने रविवार की छुट्टी का आनंद किस तरह उठाया ?
उत्तर―भोलू ने रविवार की छुट्टी कभी तितलियों के पीछे भागकर तो
कभी कल्पना की बातें सोचकर आनंद मनाया। वह कई प्रकार की बातें करता
एवं दोनों दोस्त खिलखिलाकर हँसने लगते ।
□ पाठ से आगे:
1. बच्चे सपने देखते हैं, जो कुछ अपने पास नहीं है, उसे पाने की
कोशिश करते हैं। आप अपने जीवन का सपना विषय पर एक लेख तैयार
कीजिए।
उत्तर―हमारे जीवन में भी कई सपने हैं। किन्तु मैं सरकारी नौकरी करना
चाहता हूँ। नौकरी में पैसे मिलेंगे तो मैं एक कार खरीदूँगा। उस कार में अपने
माँ-पिताजी को बैठाकर चारों धाम की सैर कराऊँगा।
2. "चलो पंखवार पलंग नहीं, जादू की किताब मिल जाए, जिसे
खोलते ही सब कुछ अपने आप समझ में आ जाए। क्योंकि हमें काम करते
समय पढ़ने का मौका कहाँ मिलता है।" स्पष्ट है कि काम करने वाले
बच्चों के मन में भी पढ़ने की इच्छा होती है। आप ऐसे बच्चों की मवद
कैसे करेंगे? लिखिए।
उत्तर―ऐसे बच्चों की मदद के लिए हम– (i) रात्रि विद्यालय की
व्यवस्था करेंगे।
(ii) स्वयं सेवी समूह के शिक्षकों से उनकी शिक्षा की व्यवस्था करेंगे।
(iii) बच्चों की पुरानी पुस्तकें एकत्र कर उनके पढ़ने की व्यवस्था
करेंगे।
3.शेरू और भोलू किस मजबूरी के कारण पढ़ाई छोड़कर काम करते
हैं।आपके विचार से दोनों का काम करना उचित है या अनुचित? अपने
उत्तर के पक्ष में, तर्क दीजिए।
उत्तर― शेरू और भोलू का बचपन गरीबी तले दब गया है। उन्हें काम
करना जरूरी है क्योंकि यदि वे काम नहीं करेंगे तो खाना कहाँ से खाएँगे।
उनकी सारी आवश्यकताएँ अपूर्ण हो जाएँगी।
4. श्यामू और भोलू दिन निकलने से पहले खाली बोरे लेकर घस्ती
की सड़कों पर बिखरे कागज बीनने निकल पड़ते हैं। वे रैग-पिकर्स कहलाते
हैं। इन रैग-पिकर्स में बच्चे भी होते हैं। इन बच्चों के जीवन की बेहतरी
के लिए क्या किया जा सकता है।
उत्तर― इनके जीवन की बेहतरी के लिए सरकार द्वारा संचालित
सुविधाओं के बारे में इन्हें और इनके परिवार को जागरूक करेंगे। इनके
बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्वस्थ्य शिविर लगाकर जाँच कराएँगे। पीने का जल,
शौचालय एवं विद्यालय की व्यवस्था कर उनके जीवन में खुशियाँ लाने का
प्रयास करेंगे।
★★★