Jharkhand Board Class 7TH Hindi Notes | तोते की शिक्षा
JAC Board Solution For Class 7TH Hindi Chapter 18
पाठ का सारांश : रविन्द्र नाथ की सार्वकालिक कहानी 'तोते की शिक्षा'
हमारी शिक्षा प्रणाली पर करारा व्यंग्य है। इसमें बताया गया है कि हमारी शिक्षा
पद्धति अंग्रेजों के समय से अव्यवहारिक बना दी गई है। इस पद्धति से शिक्षा
में कई खर्च सिर्फ बेरोजगारी देती है। कलर्क पैदा करती है। हमारी सारी शिक्षा
प्रणाली का प्रक्रम ही व्यर्थ है। इस प्रक्रम को तभी ठीक किया जा सकता है
जब हम रटंत शिक्षा को समाप्त कर देंगे।
लेखक परिचय : 'तोते की शिक्षा' शीर्षक कहानी रवीन्द्र नाथ ठाकुर
रचित है। इनका जन्म 7 मई 1861 ई० में कोलकाता में तथा मृत्यु 7 अगस्त
1941 ई० में हुई। रविन्द्र नाथ बचपन से ही प्रतिभाशाली थे। ये महान कवि,
कहानीकार, संगीतकार, एवं चित्रकार के रूप में ख्याति प्राप्त थे। ठाकुर जी
एकमात्र ऐसे रचनाकार हैं जिनकी रचना दो देशों भारत और बांग्लादेश में
राष्ट्रगान के रूप में गाई जाती है। ये शांति निकेतन के संस्थापक थे। इन्हें लोग
प्यार से 'गुरुदेव' कहते थे।
इन्हें 1913 ई० में गीतांजलि के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्राप्त
हुआ था। गीतांजलि, गीताली, गोरा, काबुलीवाला इनकी प्रसिद्ध कालजयी
रचनाएँ हैं।
अभ्यास प्रश्न
□ पाठ से:
1. राजा ने तोते को शिक्षा देना क्यों आवश्यक समझा?
उत्तर― तोता मूर्ख था। वह गाता था पर शास्त्र नहीं पढ़ता था। उछलता
था फुदकता था, उड़ता था, पर कायदा कानून नहीं जानता था। वह राजा के
बाग का फल भी खा जाता था। अतः राजा ने उसे शिक्षित करना आवश्यक
समझा।
2. तोते को शिक्षा देने का काम किसको दिया गया और उसकी
शिक्षा के लिए क्या-क्या व्यवस्था की गई ?
उत्तर― तोते को शिक्षित करने का काम राजा के भांजे को मिला। उसकी
शिक्षा के लिए विद्वान पंडितों की व्यवस्था की गई। पंडितों ने पोथियों की
व्यवस्था की।
3. तोते को शिक्षित करने की योजना से किन-किन लोगों ने लाभ
गया और कैसे?
उत्तर― तोते को शिक्षित करने की योजना से राजपंड़ितों, सुनार, भांजे,
नकलनवीस, आदि लोगों को लाभ पहुँचा। ये सभी अपने कार्य के अनुसार
व्यवस्था बनाते गए।
4. 'पिंजरे की तो उन्नति हो रही है, पर तोते की खोज-खबर लेने
वाला कोई नहीं है। ऐसा क्यों कहा गया है ?
उत्तर― निन्दकों ने कहा पिंजरा उन्नति कर रहा पर तोते की खोज खबर
कोई नहीं ले रहा। अर्थात् योजना बन रही, खर्च हो रहा पर लाभार्थी को लाभ
प्राप्त नहीं हो रहा।
5. राजा ने तोते की शिक्षा की प्रगति किस रूप में देखी?
उत्तर― राजा ने तोते की शिक्षा की प्रगति को वृहद् रूप में देखा। पढ़ाने
का ढंग तोते की तुलना में काफी बड़ा था। उसके दीर्घ स्वरूप में छोटा तोता
कहीं खो गया था।
□ पाठ से आगे:
1. तोते की शिक्षा के नाम पर बहुत कुछ किया गया, परन्तु उससे
तोते की शिक्षा क्यों पूरी नहीं हुई?
उत्तर― हमारी शिक्षा प्रणाली आज महज मजाक की वस्तु बन गई है। तोते
की शिक्षा के लिए किया गया सारा उपक्रम व्यर्थ हो रहा है। फलतः तोते की
शिक्षा अपूर्ण रही।
2. आप कैसे कह सकते हैं कि प्रस्तुत कहानी हमें वर्तमान शिक्षा
व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन करने का संदेश देती है ?
उत्तर― वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में खर्च एवं रूपरेखा तो बड़ी वृहद् है पर
इससे बेरोजगारों की फौज पैदा हो रही है। आज जरूरत है रोजगार मूल की
शिक्षा प्रदान करने की। रटंत शिक्षा सिर्फ चपरासी निर्माण करती है।
3. क्या आप तोते को शिक्षा देने का अलग से कोई और तरीका बता
सकते हैं?
उत्तर― यहाँ तोते की शिक्षा से तात्पर्य छात्र से है जिन्हें हमारा तंत्र रटंत
पद्धति से पढ़ा रहा है। व्यवहारिक एवं रोजगार पूरक शिक्षा के द्वारा ही आज
हम शिक्षा देकर अधिकाधिक जनसंख्या को रोजगार दे सकते हैं।
4. तोते की शिक्षा के रचनाकार श्री रवीन्द्र नाथ ठाकुर हैं। वे राष्ट्रगान
के रचनाकार भी हैं। आप राष्ट्रगान को लिखिए।
उत्तर― जनगन मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिंध गुजरात मराठा
द्राविड़ उत्कल बंगा
विंध्य हिमाचल, यमुना, गंगा उछल जलधि तरंगा।
तब शुभनामे जागे तब शुभ आशीष माँगे
गाए तब जय गाथा।
जन गन मंगल दायक जय हे भारत भाग्य विधाता।
जय हे जय हे जय जय जय जय हे।
★★★