Jharkhand Board Class 7TH Hindi Notes | गिल्लू
JAC Board Solution For Class 7TH Hindi Chapter 2
पाठ परिचय : प्रस्तुत पाठ में गिल्लू एक छोटी-सी गिलहरी है । नवजात
अवस्था में ही वह कौओं के ग्रास बनने से बच गयी एवं लेखिका के हाथ
लगी। सबने उसके जिंदा रहने की संभावना न के बराबर कही। किन्तु लेखिका
ने उसकी देखभाल की। फलस्वरूप वह जिन्दा बच गयी। धीरे-धीरे उसका
लेखिका से आत्मीय संबंध स्थापित हो गया। वह उनके परिवार का हिस्सा
बन गयी। वह उनकी मेज पर आकर उनके साथ खाना खाती थी। कुछ दिनों
के बाद (लगभग दो वर्ष) गिल्लु स्वाभाविक मौत से मर गया।
प्रस्तुत कहानी में लेखिका ने प्राणिमात्र के प्रति दया, प्रेम ओर मानवीय
संवेदना का भाव मनोरम रेखाचित्र से उद्घाटित किया है।
लेखिका परिचय : महादेवी वर्मा का जन्म 1907 ई० में उत्तर प्रदेश
के फर्रुखाबाद में हुआ था। इनका परिवार वहाँ का प्रतिष्ठित परिवार था।
महादेवी वर्मा ने संस्कृत में एम०ए० की परीक्षा पास कर प्रयास महिला
विद्यापीठ में प्रिंसिपल के पद पर कार्य किया। महादेवी जी छायावाद के चार
प्रमुख कवियों के आधार स्तंभ के रूप में जानी जाती हैं।
रचनाएँ : दीप शिखा, नीरजा, यामा आदि काव्य; अतीत के चित्र, स्मृति
की रेखाएँ, मेरा परिवार आदि रेखाचित्र ।
इन्हें पद्मभूषण एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनका
देहावसान 1987 ई० में हुआ।
अभ्यास प्रश्न
□ पाठ से:
1. सोनजुही को देखकर लेखिका को अनायास किसकी याव आ
जाती है और क्यों ?
उत्तर― सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू को समाधि दी गई थी। इसलिए
जब उसपर जूही की पीताभ छोटे फूल खिलते थे तो महादेवी जी को उसके
छोटे से शरीर (काया) की याद आ जाती थी कि इस फूल में गिल्लू के शरीर
के ही तत्व हैं।
2. प्रस्तुत पाठ में लेखिका ने कौवों के बारे में जो विचार व्यक्त किए
हैं उन्हें लिखें।
उत्तर― कौआ को काक भुशुण्डि भी कहते हैं। ये कौवे विचित्र जीव
हैं- एक साथ समादरित, अनादरित, अति सम्मानित, अति अपमानित होते हैं।
3. बहुत समय बीत जाने के बाद भी लेखिका गिल्लू को क्यों नहीं
भूल पाती?
उत्तर― बहुत समय बीत जाने के बाद भी लेखिका को गिल्लू की याद
आ गई। जब सोनजुही में लगे एक पीले को देखा। इसे देखते ही अनायास
उस छोटे जीव गिल्लू का स्मरण लेखिका को हो आया। वह इसी लता की
सघन हरीतिमा में छिपकर बैठता था। जब वह मरा तो उसी सोनजुही की जड़ों
के नीचे उसे समाधि दी गई।
4. लेखिका ने गिल्लू की प्रशंसा किन शब्दों में की है?
उत्तर― लेखिका ने गिल्लू की प्रशंसा इस रूप में की है– गिल्लू सोनजूही
लता की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठता था। मेरे निकट पहुँचते ही कंधे पर
कूदकर मुझे चौंका देता था। तब मुझे कली की खोज रहती थी, पर आज उस
लघु प्राण की खोज है।
5. लेखिका ने गिल्लू के जीवन में प्रथम वसंत आने का वर्णन किन
शब्दों में किया है?
उत्तर― गिल्लू के जीवन का प्रथम वसंत आया। तब बाहर की गिलहरियाँ
उसके खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक करके न जाने क्या
कहती रहतीं। तब लेखिका ने जाली का एक कोना खोल दिया। इस मार्ग से
बाहर निकलकर गिल्लू ने सचमुच में मुक्ति की सांस ली। वह दिनभर बाहरी
गिलहरियों के झुंड के साथ रहता एवं लेखिका के कमरे में अंदर आते हीं
चार बजे संध्या में खिड़की से भीतर आकर झूले में झूलने लगता।
6. सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू को समाधि क्यों दी गई ?
उत्तर―गिल्लू को सोनजूही की लता सबसे अधिक प्रिय थी। वह इस लता
की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठता था। इसीलिए गिल्लू के मृत शरीर की
समाधि सोनजुही की लता के नीचे दी गई।
□ पाठ से आगे:
1. अपने प्रिय पशु या पक्षी पर एक आलेख लिखिए जिसमें उनकी
विशेषताओं का वर्णन हो?
उत्तर― मैंने एक कुत्ता पाला है। उसका नाम शेरू है। वह मेरे दरवाजे
पर पहुंचते ही पूँछ हिलाने लगता है। मैं जब उसे खाना देता हूँ तभी वह खाता
है। मैं जहाँ सोता हूँ, उसी पलंग के नीचे वह सोता है। रात में जब मैं जागता
हूँ वह जाग जाता है। वह मेरा काफी ख्याल रखता है। मैं भी उसकी काफी
देखभाल करता हूँ।
2. लेखिका दुर्घटनाग्रस्त होकर अस्पताल चली जाती हैं, उनकी
अनुपस्थिति में गिल्लू अपना प्रिय खाद्य पदार्थ–काजू दूसरों के द्वारा देने
पर बहुत कम खाता है। इससे ज्ञात होता है कि पशु-पक्षी भी अपने पालक
के प्रति संवेदना रखते हैं। आप अपने अनुभव के आधार पर किसी ऐसी
घटना/प्रसंग का वर्णन करें।
उत्तर― मेरा कुत्ता भी मेरे घर पर नहीं रहने पर कम खाता है। रात में
वह घर के बाहर दरवाजे पर रात भर जागकर भौंकते रहता है। मैं जब घर
पर आता हूँ मेरे पास ही वह मंडराता रहता है। अर्थात् उसे अपने पालक के
प्रति गहरी संवेदना है।
3. लेखिका गिल्लू से गहरा लगाव था, वह उसका खूब ख्याल रखती
भी, आप भी अपने पशु-पक्षियों का ख्याल रखते होंगे। आप अपने
पशु-पक्षियों का ख्याल किस प्रकार रखते हैं तथा आपके प्रति उनका
व्यवहार कैसा होता है, लिखिए।
उत्तर― हम अपने कुत्ते को नहलाते हैं। उसे समय-समय पर सूई लगवाते
हैं। उसे सुबह में टहलाते हैं। उसके गले में सुंदर पट्टा लगा दिया है। उसका
मेरे प्रति गहरी संवेदना है। मैं भी उसका काफी देखभाल करता हूँ।
★★★