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    Jharkhand Board Class 6TH History Notes | प्राचीन राजव्यवस्था  

  JAC Board Solution For Class 6TH (Social Science) History Chapter 6


1. सही कथन के आगे (✓) का एवं गलत कथन के आगे (×)
का चिन्ह लगायें—
(क) महाजनपद तीन प्रकार के होते थे।                  (    )
(ख) उत्तर वैदिक काल में पशुपालन का महत्त्व कम हो गया था।   (    )
(ग) चार आश्रमों का विवरण सर्वप्रथम "जाबोलोपनिषद्" में
मिलता है।                                          (    )
(घ) उत्तर भारत 14 बड़े महाजनपदों में विभाजित था।       (    )
उत्तर— (क) ✓ (ख) ✓ (ग) ✓ (घ) ×

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए ।
(क) राजा अश्वमेघ यज्ञ क्यों आयोजित करता था ?
उत्तर— राजा अश्वमेघ यज्ञ अपने साम्राज्य की सीमा के विस्तार के
लिए आयोजन करता था।

(ख) कुरु.जनपद में कितने जन शामिल थे, उनके नाम
लिखिए?
उत्तर— कुरु जनपद में दो जन शामिल थे जिनके नाम 'पुरु' एवं
'भरत' थे।

(ग) महाजनपद काल में राजा किन लोगों से कर वसूल करता
था?
उत्तर— अपनी शासन व्यवस्था को चलाने के लिए राज्य नियमित रूप
से कर वसूलते थे। फसलों की ऊपज का लगभग 1/6 वाँ हिस्सा कर के
रूप में वसूला जाता था। कृषि कर को भाग कहा जाता था। पशुपालक,
शिकारियों, व्यापारियों, कारीगरों से कर वसूला जाता था । लोहार, बुनकर,
बढ़ई, सुनार को उप कर के रूप में राजा के लिए एक दिन काम करना
पड़ता था।

(घ) गणों की समस्याओं में समाज का कौन-सा वर्ग भाग
नहीं ले सकता था?
उत्तर— गणों की समस्याओं में स्त्रियाँ, दास एवं कर्मकार के वर्ग
भाग नहीं ले सकते थे।

3. उत्तर-वैदिक काल में कृषि का महत्व क्यों बढ़ गया था।
उत्तर— वैदिक काल में पशुपालन का महत्व कम तथा कृषि का
महत्व अधिक हो गया था। इसका प्रमुख कारण लोहे का प्रयोग था। लोहे
का प्राचीनतम साक्ष्य एटा जिले के अतरंजीखेड़ा से मिला है जो लगभग
1000 ई. पू. का है। लोहे के प्रयोग से कृषि में व्यापक बदलाव आया।
हल के फाल अब लोहे के बनने लगे जिससे कठोर जमीन आसानी से
जोती जाने लगी। खेती रोपण विधि से शुरू हुई। इसके अलावा सिंचाई
के साधन के रूप में तालाब एवं कुंओं के साथ नहरों का उपयोग भी होने
लगा। इससे फसलों की उपज बढ़ गयी । उपजायी जानेवाली फसलों में
जौ, चावल, गन्ना, सरसों आदि प्रमुख थे।

4. आज के गणराज्य से वज्जि कैसे भिन था ?
उत्तर— गंगा के उत्तर में आज के तिरहुत प्रमंडल में वज्जि राज्य था ।
जिसकी राजधानी वैशाली (बिहार) था। यह कुलों का संघ था, जिसमें
तीन कुल विदेह, वज्जि तथा लिच्छवि प्रमुख थे।
      संघ में कई शासक होते थे, जो सभाओं में बैठकर बातचीत, बहस
और वाद-विवाद के जरिये शासन की नीति तय करते थे। शत्रुओं के
आक्रमण से निपटने के लिए वह मिलकर चर्चाएं करते थे। स्त्रियाँ, दास
एवं कर्मकार को इन सभाओं में भाग लेने का अधिकार नहीं था।
      बुद्ध तथा महावीर दोनों ही गण या संघ से संबंधित थे । अजातशत्रु
ने वाज्जि को जीतकर मगध राज्य में मिला लिया ।

5. मगध सबसे महत्वपूर्ण जनपद क्यों बन गया था ?
उत्तर— महायज्ञ करनेवाले राजा की शक्ति में वृद्धि हो गयी। अब
वह जन का राजा न होकर जनपद का राजा माना जाने लगा। जनपद में
कई छोटे-छोटे जन शामिल थे। उदाहरण के लिए पुरु एवं भरत को
मिलाकर कुरु जनपद में बदल गया। समस्त उत्तर भारत 16 बड़े महा
जनपदों में विभाजित था। यह जानकारी हमें बौद्ध ग्रंथ 'अंगुत्तर निकाय'
और जैन ग्रंथ 'भागवती सूत्र' से मिलती है।
        महाजनपद दो प्रकार के होते थे-गणराज्य और राजतंत्र, गणराज्यीय
महाजनपद में शासन समूह के द्वारा जलाया जाता था, जिसका चयन आम
लोग करते थे। कोई भी राजा नहीं होता था। निर्णय लेने में बहुमत का
आदर किया जाता था। उदाहरण के रूप में वज्जि का नाम लिया जा
सकता था।
            राजतंत्रीय महाजनपद में राजा का शासन होता था। राजा का पद
आनुवांशिक था । ऐसी व्यवस्था में राजा की मृत्यु के बाद सामान्यतः उसका
ज्येष्ठ (बड़ा) पुत्र राजा बनता था। मगध, कौशल, वत्स, अति आदि
शक्तिशाली राजतंत्रीय महाजनपद थे ।

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