Jharkhand Board Class 6TH History Notes | नये धर्मों का उदय
JAC Board Solution For Class 6TH (Social Science) History Chapter 7
1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए―
(क) महावीर जैन धर्म के.............वें तीर्थकर थे।
(ख) महावीर ने अपनी शिक्षा..............भाषा में दी।
(ग) बौद्ध धर्म के प्रवर्तक................ थे।
(घ) गौतम बुद्ध के गृह त्याग की घटना को...................कहा गया ।
(ङ) निर्वाण का अर्थ जन्म और मृत्यु के चक्र से................है।
उत्तर― (क) 24 (ख) प्राकृत (ग) गौतम बुद्ध (घ) महाभिनिष्क्रमण
(ङ) मोक्ष ।
2. सही मिलान कीजिए―
खण्ड-क खण्ड-ख
बुद्ध का जन्म घोड़ा
महावीर का जन्म समीप बैठना
बुद्ध का गृह त्याग (प्रतीक) शुद्ध, संघ व धम्म
उपनिषद् का अर्थ कपिलवस्तु
बौद्ध धर्म के त्रिरत्न कुशीनगर
इटखोरी
उत्तर― खण्ड-क खण्ड-ख
बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु
महावीर का जन्म कुशीनगर
बुद्ध का गृह त्याग (प्रतीक) घोड़ा
उपनिषद् का अर्थ समीप बैठना
बौद्ध धर्म के त्रिरत्न शुद्ध, संघ व धम्म
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए ।
(क) उपनिषद् क्या है?
उत्तर― उपनिषद् का शाब्दिक अर्थ उप (समीप) नि (निष्ठापूर्वक),
षद् (बैठना) अर्थात् गुरु के समीप निष्ठापूर्वक बैठना । आत्मा, परमात्मा,
ब्रह्म आदि के बारे में दिए गये विचार, उपनिषद् में संकलित किए गये हैं।
(ख) महावीर के जीवन पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए ।
उत्तर― महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थकर थे। उनका जन्म लगभग
599 ई. पू. में वैशाली के निकट कुण्डग्राम में हुआ था। उनके पिता का
नाम सिद्धार्थ था, जो क्षत्रिय राजा थे। उनकी माता त्रिषला लिच्छिवि कुल
की थी। एक राजकुमार के रूप में उनका लालन-पालन हुआ। बचपन
में उनका नाम वर्धमान था । युवावस्था में यशोदा नामक कन्या के साथ
उनका विवाह हुआ जिससे प्रियदर्शना नामक पुत्री हुई । वर्धमान ने 30 वर्ष
तक एक सुखी गृहस्थ का जीवन व्यतीत किया।
उन्होंने 12 वर्षों की कठोर तपस्या के पश्चात् जृम्भिक ग्राम के
समीप ऋजुपालिका नदी के तट पर एक साल वृक्ष के नीचे उन्हें कैवल्य
(ज्ञान) की प्राप्ति हुई। ज्ञान की प्राप्ति के पाश्चात् उन्हें वलिन (सर्वोच्च
ज्ञान रखनेवाला) जिन (विजेता या जितेन्द्रीय) कहा गया । अपनी साधना
में अटल रहने तथा अतुल पराक्रम दिखाने के कारण उन्हें 'महावीर' कहा
गया।
(ग) जैन धर्म में 'पिरल' से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर― जैन धर्म के त्रिरत्न निम्नलिखित है―
(i) सम्यक् श्रद्धा (ii) सम्यक् ज्ञान (iii) सम्यक् आचरण।
(घ) धर्म चक्र प्रवर्तन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर― ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध वाराणसी के निकट सारनाथ
गए । यहाँ उन्होंने अपना प्रथम उपदेश दिया जिसे धर्म चक्र प्रवर्तन कहा
गया।
(ङ) त्रिपिटक क्या है ?
उत्तर― बुद्ध के संग्रहित उपदेशों को तीन भागों में बाँटा गया था।
जिसे त्रिपिटक कहा गया है।
(1) सुत्त पिटक (2) विनय पिटक (3) अभिधम्म पिटक
4. जैन धर्म का प्रसार भारत के बाहर कम क्यों हुआ?
उत्तर― अधिकांश लोगों के लिए जैन धर्म के नियमों का पालन
करना बहुत कठिन था । मुख्यत: व्यापारियों ने जैन धर्म का समर्थन किया।
किसानों के लिए इन नियमों का पालन करना मुश्किल था। फसल की
रक्षा के लिए उन्हें कीड़े-मकोड़ों को मारना पड़ता था। बाद में जैन धर्म
उत्तर भारत के कई हिस्सों के साथ-साथ गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक
में भी फैल गया । महावीर तथा उनके अनुयायियों की शिक्षा कई सदियों
तक मौखिक रूप में हो रही। वर्तमान रूप में उपलब्ध जैन का साहित्य
लगभग 1500 वर्ष पूर्व गुजरात में वल्लभी नामक स्थान पर लिखा गया ।
बाद के दिनों में जैन धर्म श्वेतांबर एवं दिगम्बर संप्रदाय में बँट गया।
श्वेताम्बर श्वेत वस्त्र धारण करते थे दिगम्बर कोई भी वस्त्र धारण नहीं
करते थे। इसलिए जैन धर्म का प्रसार भारत के बाहर नहीं हुआ।
5. गौतम बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग कौन-कौन थे, इससे हमें क्या
शिक्षा मिलती है?
उत्तर― गौतम बुद्ध ने दुःख से छुटकारा पाने के आठ साधन बताएँ
जिसे अष्टांगिक मार्ग कहा जाता है। उनकी शिक्षा है कि न अत्यधिक
विलास करना चाहिए, न अत्यधिक संयम । वे मध्यम मार्ग को उचित
समझते थे।
यज्ञीय कर्मकांडों तथा पशुबलि जैसी कुप्रथाओं का बुद्ध ने जमकर
विरोध किया। वे मानव जाति में समानता लाना चाहते थे। उन्होंने जाति
प्रथा, छुआछूत एवं अन्य भेदभाव को गलत बताया। उन्होंने संघ का द्वार
सभी जाति के लिए खोल दिया। उनकी दृष्टि उदार थी।
महात्मा बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग―
सम्यक् दृष्टि, सम्यक् संकल्प, सम्यक् वाक्, सम्यक् कर्म, सम्यक्
आजीविका, सम्यक् व्यायाम, सम्यक् स्मृति तथा सम्यक् समाधि ।
6. गौतम बुद्ध ने गृह त्याग का निर्णय क्यों लिया।
उत्तर― गौतम बुद्ध बचपन से ही बहुत चिंतनशील स्वभाव के थे।
एकांत में बैठकर वे जीवन-मरण, सुख-दुख आदि विषयों पर गंभीरतापूर्वक
विचार किया करते थे। इस प्रकार सांसारिक जीवन से विरक्त होते देख
उनके पिता ने 16 वर्ष की अल्पायु में उनका विवाह रूपवती राजकुमारी
यशोधरा के साथ कर दिया । इनसे राहुल नामक पुत्र का जन्म हुआ। परन्तु
सिद्धार्थ सांसारिक सुख में वास्तविक संतोष नहीं पा सके।
मानव जीवन के चार दृश्यों ने सिद्धार्थ के चिंतन को बहुत प्रभावित
किया। उन्होंने वृद्ध, व्याधिग्रस्त मनुष्य, मृतक तथा संन्यासी को देखा।
उनका हृदय मानवता को दुःख में फंसा देखकर अत्यधिक खिन्न हो उठा।
गंभीर सांसारिक समस्याओं के समाधान के लिए 29 वर्ष की आयु में उन्होंने
अपनी पत्नी और पुत्र राहुल को सोते छोड़कर गृह त्याग किया। इस घटना
को महाभिनिष्क्रमण कहा गया ।
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