Jharkhand Board Class 6TH History Notes | संस्कृति एवं विज्ञान
JAC Board Solution For Class 6TH (Social Science) History Chapter 11
1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए―
(क) स्तूप का शाब्दिक अर्थ ......................... होता है।
(ख) महाभारत ...................... की रचना है।
(ग) लौह स्तंभ............ में स्थित है।
(घ) ........................... में मानवीय भावनाओं को सुंदर ढंग
से चित्रित किया गया है।
उत्तर― (क) टीला (ख) महर्षि व्यास (ग) दिल्ली (घ) प्राचीनकाल ।
2. सही मिलान कीजिए ―
'क' 'ख'
आर्यभट्ट वाल्मीकि
स्तूप कालिदास
मेघदूत आर्यभट्टीयम
रामायण टीला
उत्तर― 'क' 'ख'
आर्यभट्ट आर्यभट्टीयम
स्तूप टीला
मेघदूत कालिदास
रामायण वाल्मीकि
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए―
(क) पुराणों से हुमें क्या जानकारी प्राप्त होती है ?
उत्तर― पुराणों से हमें नंदवंश, मौर्य और कुषाण वंश तथा सातवाहन
वंश के बारे में कई जानकारियाँ मिलती हैं।
(ख) लौह स्तंभ की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर― लौह स्तंभ की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं―
(i) यह लगभग 7.2 मी. लंबा और तीन टन का है।
(ii) इससे निर्माण काल की जानकारी भी मिलती है।
(ग) स्तूपों में से मतपत का शब्दिक अर्थ कथा होता है । पाये जाने वाले
समानता का उल्लेख करें?
उत्तर― स्तूप का शाब्दिक अर्थ टीला होता है । स्तूप के आकार
भिन्न होते थे, लेकिन सभी स्तूपों के अंदर एक छोटा-सा डिब्बा रखा
जाता था। इन डिब्बों में बुद्ध या उनके शिष्यों के शरीर अवशेष था
उनके द्वारा प्रयोग में लाए जानेवाली काई वस्तु या कोई कीमती पत्थर
या सिक्के रखे जाते थे।
(घ) प्राचीन गणितज्ञों के द्वारा रचित दो पुस्तकों के नाम
लिखिए।
उत्तर― प्राचीन गणितज्ञ के द्वारा रचित पुस्तक आर्यभट्टीय है।
आइए चर्चा करें
4. प्राचीन भारत में भाषा एवं साहित्य में हुए विकास की चर्चा
कीजिए।
उत्तर― वेद प्राचीनतम साहित्यिक कृति है, जिससे हमें आर्यों के बारे
में प्रारंभिक जानकारी मिलती है। वेदों की कुल संख्या चार है– सबसे
प्राचीन वेद ऋग्वेद है। पहले वेद का ज्ञान मौखिक रूप से दिया जाता था।
यह पीढ़ियों तक मौखिक रूप से आदान-प्रदान होता रहा, बाद में इनका
संकलन ग्रंथ के रूप में हुआ । यज्ञों एवं कर्मकांडों में विधान एवं इनकी
क्रियाओं को भली-भांति समझने के लिए एक नवीन ब्राह्मण ग्रंथ की रचना
हुई। इस ग्रंथ को ब्रह्म साहित्य के नाम से भी जाना जाता है।
5. प्राचीन कालों में मंदिरों के निर्माण में राजा की भूमिका क्या
रही होगी?
उत्तर― प्राचीन कालों में मंदिरों के निर्माण के कई चरण होते थे।
सबसे पहले अच्छे किस्म के पत्थर को ढूँढना एवं खोद कर निकालना होता
था। उसके बाद पत्थरों को निर्धारित स्थान पर पहुंचाना पड़ता था। अब
बारी पत्थरों को काट-छाँट कर तराशने की होती थी । तराशने के क्रम में
पत्थरों से खंभों, दीवारों की चौखटों एवं छतों का आकार बनाया जाता था।
तैयार पर इन्हें सही जगहों पर लगाया जाता था। इस कार्य में काफी
धन की आवश्यकता होती थी। संभव है कि इन मंदिरों या इमारतों को
राजा या रानी ही बनवाते होंगे। मंदिरों में आनेवाले भक्तों के उपहार तथा
अन्य लोगों के द्वारा दिये गये भेंट से इमारत की सजावट की जाती थी।
उनके नाम खंभों, रेलिंगों और दीवारों पर खुदे मिले हैं।
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