Jharkhand Board Class 6TH Hindi Notes | ऐसे-ऐसे
JAC Board Solution For Class 6TH Hindi Chapter 5
लेखक परिचय : प्रस्तुत लघु नाटक विष्णु प्रभाकर रचित है। इनका
जन्म 1912 ई० में तथा मृत्यु 2009 ई० में हुई। ये हिन्दी के कहानी,
उपन्यास तथा नाटक के क्षेत्र में विशिष्ट प्रतिभा सम्पन्न रचनाकार थे।
इनका जन्म मुजफरनगर उत्तर प्रदेश के एक गांव में हुआ था। इन्होंने
प्रारंभिक शिक्षा हरियाणा (हिसार) में प्राप्त की और सरकारी नौकरी से
जिंदगी की शुरूआत की। नौकरी छोड़कर इन्होंने स्वतंत्र लेखन अपनाया।
इनकी प्रमुख रचनाओं में आवारा मसीहा (जीवनी), कोई तो,
निशिकांत (उपन्यास). गंधार की भिक्षुणी (नाटक).ज्योतिपुंज हिमालय
(यात्रा वृत्तांत), जन समाज और संस्कृति (निबंध संग्रह) आदि प्रमुख हैं।
पाठ सारांश : प्रस्तुत पाठ एक लघु नाटक है जिसके मुख्य पात्र
मोहन ने एक मास का ग्रीष्मावकाश खेल-कूद, मार-पीट में बिता दिया।
कल स्कूल खुलने वाला है। आज मोहन को याद आया होमवर्क नहीं बन
पाया। दो-चार दिन तो अवश्य लेगेंगे होमवर्क बनाने में, कल ही स्कूल
खुलेगा। वर्ग में पिटाई पड़ेगी। अतः वह अबूझ पहेली 'ऐसे-ऐसे' नामक
बीमारी का सहारा लेकर बेचैनी का नाटक करता है। माता-पिता ऐसे-ऐसे
अबूझ पहेली के अर्थ को न समझ पाए। पड़ोसिन आई। पहेली को और
भी असाध्य बना गई। दीनानाथ जी आए पहेली में ही उलझ गए। वैद्यजी
आये, डाक्टर साहब आये, अपने-अपने ढंग से बीमारी को पकड़ा। 15–
20 रुपये की दवाईयाँ भी आ गई। लेकिन मोहन की बीमारी को मास्टर
साहब आते ही ऐसे-ऐसे में समझा गए। दो चार दिनों की और छुट्टी मिल
गई। होमवर्क पूरा करने के लिए। दो चार दिनों की छुट्टी नामक औषधि
पाते ही मोहन चंगा हो जाता है। सभी हैरान हो जाते हैं और ठहाके लगाते
हैं। क्योंकि माता-पिता अपने पुत्र को अपने से भी चतुर मानते हैं।
अभ्यास प्रश्न
□ पाठ से:
1. मोहन की माताजी की परेशानी का क्या कारण था ?
उत्तर― माँ ऐसे-ऐसे होता है, मोहन की इस बीमारी (बहाने) को
समझ नहीं पा रही थी। दूसरी तरफ मोहन माँ को देखकर और भी अधिक
बेचैनी का श्वांग (नाटक) दिखाता था। इसलिए माँ घबरा रही थी।
2. वैद्यजी ने ऐसे-ऐसे होने का क्या कारण बताया ?
उत्तर― वैद्यजी ने मोहन के ऐसे-ऐसे का कारण बात प्रकोप बताया।
पेट में कब्ज एवं पेट साफ नहीं होना इसका कारण बताया।
3. डॉक्टर साहब ने ऐसे-ऐसे का मतलब क्या निकाला ?
उत्तर― डॉक्टर साहब ने मोहन के ऐसे-ऐसे का मतलब बदहजमी
बताया। कभी-कभी पेट में हवा रूक जाती है उसी से ऐसी ऐंठन एवं दर्द
होता है।
4. ऐसे-ऐसे लगने का वास्तविक कारण क्या था ?
उत्तर― मोहन ने स्कूल का टास्क नहीं बनाया था इसलिए ऐसे-ऐसे
का दर्द (बहाना) इसी कारण था।
5. मास्टर साहब ने मोहन को कैसे ठीक किया ?
उत्तर― उन्होंने उसे कल स्कूल न आने को कहा। दो दिन की छुट्टी
दे दी। तब वह ठीक हो गया।
□ पाठ से आगे:
1. ऐसे कौन-कौन से बहाने होते हैं, जिन्हें मास्टर जी एक ही
बार में सुनकर समझ जाते हैं ? ऐसे कुछ बहानों के बारे में लिखिए।
उत्तर― पेट दर्द करना, सिर चकराना, पतला दस्त लगना आदि।
2. बहाने बनाकर लोग दूसरों को नहीं अपने आप को ठगते हैं।
क्या आप इस विचार से सहमत हैं ? पक्ष-विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर― बहाना बनाकर हम अपना स्वयं का नुकसान करते हैं।
बहाना-बाजी से हम समय पर काम नहीं कर पाते हैं। समय बीत जाता
है। असफलता हाथ लगती है। अवसर बीत जाने के बाद हम कहीं के भी
नहीं रहते हैं।
वहीं बहाना बनाकर किसी फालतू काम या जगह पर हम नहीं जाते
हैं। इससे कीमती समय बचता है तथा हम परेशानी से बच जाते हैं।
3. क्या आपने कभी बहाना बनाया है ? उसके क्या परिणाम
हुए? लिखिए।
उत्तर― छात्र स्वयं लिखें।
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