Jharkhand Board Class 6TH Hindi Notes | झारखंड के वाद्य-यंत्र
JAC Board Solution For Class 6TH Hindi Chapter 6
पाठ सारांश : गीत-संगीत से हमारी ऊर्जा और काम करने की
क्षमता में बढ़ोतरी होती है। विभिन्न प्रकार के वाद्य-यंत्र झारखंड में विविध
त्योहारों एवं समय पर बजाए जाते हैं। इनका विस्तृत वर्णन इस पाठ में है।
गायन-वादन से सामाजिक समरसता एवं मानवीय संवेदना का विकास होता
है। झारखंड राज्य की नस-नस में गीत-संगीत और नृत्य रचा बसा है।
अभ्यास प्रश्न
□ पाठ से:
1. झारखंड के लोगों को अपनी सुरक्षा के लिए तीव्र ध्वनि वाले
वाद्य-यंत्रों की आवश्यकता क्यों पड़ती थी?
उत्तर― झारखंड जंगली इलाके का क्षेत्र है। यहाँ हिंसक पशु खलिहानों
या घरों में घुस जाते हैं। इन्हें भगाने के लिए ही तीव्र ध्वनि वाले वाद्य यंत्रों
की आवश्यकता यहाँ पड़ती है।
2. सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वाद्य यंत्रों के महत्व के बारे में
बताइए।.
उत्तर― सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वाद्ययंत्रों के बिना कार्यक्रम की
कल्पना करना संभव नहीं है। वाद्य-यंत्रों की आवाज से कार्यक्रम के बारे
में दूर से ही जानकारी मिलती है। इन वाद्य-यंत्रों के कारण ही गीत, संगीत,
आरती आदि में मनोरंजक (मनोहारी) समाँ बंध जाता है।
3. उन वाद्य-यंत्रों के नाम लिखिए जिन्हें पीटकर या थाप देकर
बजाया जाता है।
उत्तर― माँदर, ढोल, ढाँक, घमसा, नगाड़ा, कारहा, तासा, जुडी,
कागरा, ढप, चांगु, खंजरी आदि प्रमुख वाद्य-यंत्र हैं।
4. 'झारखंड में गायन, वादन नर्तन के बिना जीवन की कल्पना
ही नहीं की जा सकती है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
अपना पक्ष रखें।
उत्तर― झारखंड के हर घर में मांदर, ढोल, नगाड़ा, बाँसुरी, बनम,
केंदरा, टोहिला इत्यादि कोई-न-कोई वाद्य यंत्र अवश्य मिलते हैं। यहाँ लोगों
का दिन कठिन श्रम में और रात मधुर गायन-वादन और नर्तन में व्यतीत
होती हैं। गीत-संगीत झारखंडवासियों के प्राण हैं। बिना वाद्य-यंत्रों के
गीत-संगीत नृत्य की कल्पना नहीं की जा सकती।
5. गायन और नर्तन में वाद्य-यंत्रों की भूमिका के बारे में बताइए।
उत्तर― गायन और नर्तन में लय-सुर एवं ताल प्रमुख होते हैं। वाद्य
यंत्र जब बजाए जाते हैं तब ताल को लय एवं सुर का सहारा मिलता है,
जिससे गायन एवं नर्तन मनोहारी बन जाते हैं।
6. उदाहरण देते हुए किन्हीं चार प्रकार के वाद्य-यंत्रों के बारे
में लिखिए।
उत्तर― चार वाद्य-यंत्र इस प्रकार हैं–(i) नगाड़ा―यह प्रमुख वाद्य-यंत्र
हैं। इसकी आवाज बुलंद होती है। इसके तीन प्रकार हैं।
(ii) ढाँक― यह ढोल जाति का वाद्य यंत्र है। यह बड़ा होता है तथा
एक ओर से ही बजाया जाता है। बजाने वाला हाथ टिपनी तथा दूसरा हाथ
खाड़ी कहलाता है। इसकी आवाज बुलंद होती है।
(iii) ढोलक― यह दोनों ओर से बजाया जाता है। पूजा, शादी, छऊ
नृत्य में इसका प्रयोग किया जाता है।
(iv) मांदर― यह झारखंड का प्रिय वाद्य है। इसका दायाँ मुँह पतला
बायाँ चौड़ा होता है।
□ पाठ से आगे:
1. बिहार–ढोलक, झाल
2. उत्तर प्रदेश― ढोलक, झाल, सारंगी।
3. गुजरात― सुन्दरी, भोरिन्छो, कानी इत्यादि।
4. बाँसुरी, मोहन बाँसी, शहनाई, संखवा।
5. आजकल वाद्य यंत्रों का जगह मशीनों ने ले लिया है। एक ही
मशीन से सितार, संतूर, तबला तथा अन्य वाद्य यंत्रों की आवाज निकालना
अब संभव हो गया है।
★★★