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   Jharkhand Board Class 6TH Hindi Notes | वीर तुम बढ़े चलो  

  JAC Board Solution For Class 6TH Hindi Chapter 1


कवि परिचय : 'वीर तुम बढ़े चलो' कविता के रचनाकार द्वारिका
प्रसाद माहेश्वरी जी हैं। इनका जन्म 1 दिसंबर, 1916 ई० में रौहता गाँव
जिला आगरा, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनकी मृत्यु 29 अगस्त, 1998
ई० में हुई। इनकी प्रमुख रचनाओं में क्रौंच वध, सत्य की जीत, दीपक,
गीत गंगा आदि प्रमुख हैं। प्रस्तुत पाठ एक प्रयाण गीत है। इसमें ओज
भाव की प्रधानता है।
      पाठ का सारांश : 'वीर तुम बढ़े चलो' एक प्रयाण गीत है। इसमें
यह बताया गया है कि बिघ्न-बाधाएँ चाहे जितनी भी क्यों न आएँ, हमें
अपने लक्ष्य पर एकाग्रचित होकर डटे रहना चाहिए। देश की सुरक्षा एवं
आन-बान-शान के लिए आने वाली बाधाओं से घबराना नहीं चाहिए।
उनका डटकर मुकाबला करते हुए राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह
करना चाहिए।

                                         अभ्यास प्रश्न
□ पाठ से
1. कवि वीर कहकर किसे संबोधित करता है ?
उत्तर― इस कविता में कवि भारतीय सपूतों को वीर कहता है। ये वो
सपूत हैं जो देश की आजादी हेतु स्वतंत्रता संग्राम की बिगुल फूँकते हैं।
वे वीर स्वतंत्रता संग्रामी लोग हैं।

2. कवि कौन-सा प्रण करने के लिए कहता है ?
उत्तर― कवि स्वतंत्रता संग्रामियों को प्रण करने को कहता है। वह
प्रण है कि चाहे जान चली जाए पर देश की आन-बान-शान न जाए।
हमारा तिरंगा सदैव हमारे हाथ में लहराता रहे। तिरंगे की शान ही हमारी
मातृ एवं पितृ भूमि की प्रतिष्ठा है।

3. इस कविता से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर― इस कविता से हमें प्रेरणा मिलती है कि बाधाएँ जितनी भी
आएँ हम अपने लक्ष्य पर एकाग्रचित होकर डटे रहें। देश के सम्मान की
रक्षा के लिए हम भारतीयों को धैर्य रखना चाहिए। घबराना बिल्कुल नहीं
चाहिए

4. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट.कीजिए―
          "अन्न भूमि से भरा, वारि भूमि में भरा,
         यत्न कर निकाल लो, रल भर निकाल लो,
          वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !"
उत्तर― भारत की भूमि उर्वरा है। जमीन जल पूरित है। यह धरती
रत्नगर्भा है। परिश्रमी व्यक्ति इस रत्न को अपने परिश्रम से भरपूर मात्रा
में निकाल लेता है। अर्थात् भारत की उपजाऊ भूमि परिश्रमी के लिए
लक्ष्मी स्वरूपा है। मेहनत करो, धन प्राप्त करो। अतः भारत भूमि को
आजाद करने के लिए वीरों तुम बढ़ते चलो, धीरों तुम बढ़ते चलो।

5. इस कविता के माध्यम से कवि हमें क्या संदेश देना चाहता
है?
उत्तर― इस कविता के माध्यम से कवि हमें संदेश देना चाहता है कि
जीवन में बाधाएँ ही बाधाएँ हैं। इन बाधाओं से घबराना नहीं चाहिए। देश
के सम्मान की रक्षा के लिए अपने जीवन को न्योछावर करना ही त्याग
है। त्यागी व्यक्ति पुरुषार्थी के साथ-साथ महान होता है।

□ पाठ से आगे:
1. कविता का एक शीर्षक सुझाइए।
उत्तर― 'भारत के धीर-वीर बढ़ते रहे'

2. कविता को पढ़कर आपके मन में क्या भाव जगते हैं ?
लिखिए।
उत्तर―कविता को पढ़कर हमारे मन में देश-भक्ति के भाव जगते
हैं। मातृभूमि की रक्षा के लिए हमें सदैव तत्पर रहना चाहिए।

3. राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के कुछ नियम हैं। पता कर लिखें।
उत्तर―राष्ट्र-ध्वज संध्या में नहीं फहराना चाहिए। राष्ट्र-ध्वज मोड़
तोड़कर नहीं रखना चाहिए। राष्ट्र-ध्वज सदैव डंडे की चोटी से थोड़ा नीचे
फहराना चाहिए। संध्यापूर्व इसे उतार लेना चाहिए। ध्वज फहराते समय
राष्ट्र गान गाना चाहिए।

4. धरती हमें बहुत कुछ देती है। अन्न और जल के अलावा
धरती हमें और क्या-क्या देती है?
उत्तर―अन्न जल के अलावा धरती हमें पहचान देती है। हम गर्व से
कहते हैं कि हम भारतीय हैं।

                                             ★★★

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