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   Jharkhand Board Class 10  Physics  Notes | विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव  

   JAC Board Solution For Class 10TH (Science) Physics Chapter 4


1. विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को क्या कहते हैं? [JAC 2014(A)]
उत्तर : जनित्र।

2. विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में किस युक्ति द्वारा परिणत किया जाता है?
                                                                         [JAC 2015 (A)]
उत्तर : विद्युत मोटर।

3. विद्युत चुम्बक क्या है?                [JAC 2016 (A)]
उत्तर : विद्युत धारा के प्रवाह से बने चुम्बकीय पदार्थ विद्युत चुम्बक है।

4. विद्युत मोटर किस ऊर्जा को किस ऊर्जा में रूपान्तरित करता है।
                                                  [JAC 2009 (S),2010(S)]
उत्तर : विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में।

5. उस नियम का नाम लिखें जिसकी मदद से धारावाही चालक पर चुंबकीय
क्षेत्र में लगने वाला बल की दिशा ज्ञात करते हैं।         [JAC 2009 (A)]
उत्तर : फ्लेमिंग का वामहस्त नियम।

6. विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होनेवाले दो सुरक्षा
उपायों के नाम लिखिए।                                        [JAC 2010 (A)]
उत्तर : (i) भू-संपर्क तार (ii) विद्युत फ्यूज।

7. किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित वल
कब अधिकतम होता है?
उत्तर : लम्बवत्।

8. किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है?
उत्तर : जब विद्युतन्य एवं उदासीन तार आपस में संपर्क में आ जाते हैं।

9. एक युक्ति का नाम बताएँ जो विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की घटना पर कार्य
करती है।
उत्तर : जनित्र।

10. दिष्टधारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर : शुष्क सेल, बटन सेल, लेड बैटरियाँ आदि।

11. विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यत: उपयोग होने वाले एक
सुरक्षा उपाय का नाम लिखिए।
उत्तर : फ्यूज।

12. चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ चुंबक के किस ध्रुव से प्रकट होती है?
उत्तर : उत्तरी ध्रुव से

13. प्रत्यावर्ती जनित्र के सिद्धान्त का नाम बताएँ।
उत्तर : विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण।

14. क्या दो चुंबकीय क्षेत्र-रेखाएँ एक-दूसरे को काट सकती हैं?
उत्तर : नहीं

15. गॉस (G) एवं टेसला (T) दोनों चुंबकीय क्षेत्र के मात्रक हैं। इनमें क्या
संबंध है?
उत्तर :1T = 10⁴ G.

16. विद्युत मोटर में विभक्त वलय (split ring) की क्या भूमिका है?
उत्तर : विद्युत मोटर में विभक्त वलय का कार्य है विद्युत-धारा की दिशा
को उत्क्रमित करना।

17. विद्युत मोटर का क्या सिद्धांत है?
उत्तर : विद्युत मोटर का सिद्धांत है किसी चुंबकीय क्षेत्र में रखे किसी
धारावाही चालक पर एक बल का लगना।

18. प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न करनेवाले एक स्रोत का नाम लिखिए।
उत्तर : प्रत्यावर्ती-धारा जनित्र।

19. दक्षिण हस्त अंगुष्ट नियम में अँगुठे द्वारा किसकी दिशा संकेतित होती है?
उत्तर : धारा की दिशा।

20. घरों में प्रयोग होने वाले उपकरण मेंस से किस प्रकार जोड़ते हैं?
उत्तर : समानान्तर क्रम में।

21. फ्यूज तार को विद्युत परिपथ में किस क्रम में जोड़ा जाता है?
उत्तर : श्रेणीक्रम में।

22. लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत धारा के मान में क्या परिवर्तन होता है?
उत्तर : बहुत अधिक बढ़ जाता है।

23. उस नियम का नाम लिखिए जिससे किसी चालक में प्रेरित धारा की
दिशा ज्ञात की जाती है।
उत्तर : दक्षिणहस्त नियम।

24. फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम से धारा, बल एवं क्षेत्र में से किसकी दिशा
अंगूठे द्वारा संकेतित होती है?
उत्तर : बल की दिशा (गति की दिशा)।

25. घरेलू कार्यों के लिए व्यवहार की जानेवाली बिजली क्या है?
उत्तर : मेन लाइन पावर। इसे 220 V, 50 Hz कहते हैं।

26. क्रोड किसे कहा जाता है?
उत्तर : परिनालिका जिस पदार्थ पर लिपटी होती है, उसे क्रोड कहा जाता है।

                             3 अंक स्तरीय प्रश्न

1. किसी छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय रेखाएँ खींचिए।
उत्तर:


2. परिनालिका का स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:


3. चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के तीन गुणों को लिखिए। [JAC 2019 (A)]
उत्तर : (i) ये बल रेखाएँ बन्द वक्र होते हैं। (ii) जहाँ पर क्षेत्र रेखाएँ एक-
दूसरे के निकट रहती है वहाँ चुम्बकीय क्षेत्र अधिक प्रबल होता है। (iii) दो क्षेत्र
रेखाएँ कभी भी एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती हैं।

4. चुम्बकीय क्षेत्र रेखा किसे कहते हैं? दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे
को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं।
उत्तर : चुंबक के चारों ओर स्थित वह रेखा जिसके अन्दर आकर्षण एवं
विकर्षण बल का प्रभाव प्रदर्शित होता है उसे चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ कहते हैं।
किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र रेखा की दिशा उस बिन्दु पर खींची गई
स्पर्श रेखा द्वारा प्राप्त की जाती है। यदि दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ परस्पर किसी
एक बिन्दु पर प्रतिच्छेद करती है तो उस बिन्दु पर दो अलग दिशा प्राप्त होती है
जो संभव नहीं है।

5. फ्लेमिंग के वाम-हस्त एवं दक्षिण-हस्त नियम को लिखिए।  [JAC 2020 (A)]
उत्तर : वाम-हस्त नियम : यदि बाएँ हाथ के अंगूठा, तर्जनी एवं मध्यमा
को एक-दूसरे से परस्पर लम्बवत् फैलाया जाए और मध्यमा से धारा की दिशा
एवं तर्जनी से चुंबकीय क्षेत्र की दिशा निरूपित हो तो अंगूठा बल की दिशा को
निरूपित करता है।

दक्षिण-हस्त नियम : दाहिने हाथ की तर्जनी, मध्यमा अंगूली तथा अंगूठे
को ऐसा फैलाएँ कि तीनों एक दूसरे के लंबवत् हो तब यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र
की दिशा की ओर संकेत करती है तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा की
ओर संकेत करता है तो मध्यमा चालक में प्रेरित विद्युत धारा को दर्शाएगी।

6. विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है?
उत्तर : विद्युत मोटर में विभक्त वलय एक दिक्परिवर्तक का कार्य करता
है। कुण्डली के प्रत्येक आधे घूर्णन के बाद यह विभक्त वलय धारा की दिशा को
पुनः वापस कर देती है तथा कुण्डली को एक समान रूप में घूर्णन के लिए प्रेरित
करती है।

7. किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग―
(i) चुम्बक एवं कुण्डली के बीच आपेक्षिक गति उत्पन्न करके।
(ii) धारावाही चालक एवं कुण्डली के बीच आपेक्षिक गति उत्पन्न करके।
(iii) कुण्डली के समीप रखे चालक में धारा का मान बदलकर।

8. चुंबकीय क्षेत्र के तीन स्रोतों की सूची बनाइए।
उत्तर : चुंबकीय क्षेत्र की उत्पत्ति के तरीके इस प्रकार हैं-
(i) एक धारावाही तार में दिष्ट धारा भेजने पर इसके चारों ओर चुंबकीय
क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
(ii) एक धारावाही परिनालिका में दिष्ट धारा भेजने पर परिनालिका के
अंदर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
(iii) एक चुंबकीय छड़ के आस-पास चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।

9. दो वृत्ताकार कुंडलियाँ A तथा B एक-दूसरे के निकट रखी हैं। यदि
कुंडली में विद्युत-धारा में कोई परिवर्तन किया जाए तो क्या कुंडली B
में कोई विद्युत-धारा प्रेरित होगी? कारण दें।
उत्तर : हाँ, कुंडली B में विद्युत-धारा प्रेरित होगी।
कारण-जब कुंडली A में विद्युत-धारा के मान में परिवर्तन होगा तो
इसके कारण कुंडली A में उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र में भी परिवर्तन होगा। A के
चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन के प्रभाव से कुंडली B में विद्युत-धारा प्रेरित होगी।

10. कोई विद्युतरोधित ताँबे के तार की कुंडली किसी गैल्वेनोमीटर से जुड़ी
है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबक
(i) कुंडली में धकेला जाता है?
(ii) कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है?
(iii) कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है?
उत्तर : स्थिति (i) में गैल्वेनोमीटर में किसी एक ओर विक्षेप होगा।
स्थिति (ii) में गैल्वेनोमीटर में स्थिति (i) के विपरीत दिशा में विक्षेप होगा।
स्थिति (iii) में गैल्वेनोमीटर में कोई विक्षेप नहीं होगा।

11. लघुपथन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : यदि किसी परिपथ में भारन के समांतर धारावाही तार जुड़ जाते हैं,
तो कम प्रतिरोध का पथ मिलने के कारण उच्च धारा प्रवाहित होने लगती है।
इसके ऊष्मीय प्रभाव से आग भी लग सकती है। इस प्रकार कम प्रतिरोध के पथ
मिलने को लघुपथन कहा जाता है।

12. किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है? [JAC 2019 (A)]
उत्तर : जब जीवित तार एवं उदासीन तार आपस में सम्पर्क में आ जाते हैं
तो लघुपथन की घटना होती है। यह तभी होता है जब या तो तार का विद्युतरोधी
नष्ट हो गया हो या विद्युत उपकरण में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी आ गई हो।

13. विद्युत चुंबक क्या है? एक परिनालिका एक चुंबक की भाँति कैसे
व्यवहार करती है।                                           [JAC 2020 (A)]
उत्तर : विद्युत चुंबक एक युक्ति है जो विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव के
सिद्धांत पर कार्य करती है। धारावाही परिनालिका का एक सिरा उत्तर एवं दूसरा
सिरा दक्षिण ध्रुव की तरह व्यवहार करता है। धारावाही परिनालिका के कारण
उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ किसी छड़ चुंबक के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र
रेखाओं के समान होती हैं। परिनालिका के भीतर किसी छड़ चुंबक की तरह एक
समान चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न रहता है।

14. मैक्सवेल का दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम बताएँ।
उत्तर : यदि हम धारावाही तार को अपने दाहिनी हाथ में इस प्रकार पकड़ें
कि अँगूठा धारा की दिशा में तना रहे तो अँगुलियाँ चालक के चारों ओर चुंबकीय
क्षेत्र रेखाओं की दिशा में लिपटी होंगी।

15. एक धारावाही परिनालिका द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति किन
कारणों पर निर्भर करती है?
उत्तर : (i) परिनालिका के फेरों की संख्या, (ii) परिनालिका में प्रवाहित
धारा की शक्ति, (iii) परिनालिका के अन्दर स्थिर क्रोड की प्रकृति।

16. ऑस्टेड के प्रयोग का वर्णन कीजिए।
उत्तर : ऑस्टेड ने सबसे पहले विद्युत और चुम्बकत्व के परस्पर संबंध को
प्रमाणित किया। उन्होंने प्रमाणित किया कि विद्युत धारा से चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न
हो सकता है।
ऑस्टेड के प्रयोग के अनुसार एक लंबे कॉपर तार को एक दिक्सूचक के
उत्तर-दक्षिण दिशा के समानान्तर रखने पर जैसे ही हम तार में धारा प्रवाहित
करते हैं हम देखते हैं दिक्सूचक की सूई एक दिशा विशेष में विक्षेपित हो जाती
है। दिक्सूचक की सूई का विक्षेपण यह दर्शाता है कि जब तार में विद्युत धारा
प्रवाहित होती है तो उसके आस-पास एक चुंबकीय क्षेत्र क्रियाकारी होता है।

17. विद्युत फ्यूज क्या है? इसे विद्युत परिपथ में किस तार द्वारा और किस
क्रम में जोड़ा जाता है?
उत्तर : विद्युत फ्यूज सुरक्षा की एक युक्ति है। अतिभारण एवं लघुपथन से
परिपथ की सुरक्षा के लिए इसका उपयोग किया जाता है। ताँबे तथा टिन अथवा
शीशा एवं टिन के मिश्रधातु के तार का उपयोग किया जाता है।
फ्यूज को गर्म तार के द्वारा श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है।

18. भू-संपर्क तार का क्या कार्य है? धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों
को भू-संपर्कित करना क्यों आवश्यक है?               [JAC 2010 (A)]
उत्तर : भू-संपर्क तार का संपर्क मेन फ्यूज से रहता है। फ्यूज होकर विद्युत
उपकरणों तक पहुँचाया जाता है तथा वह वापस फ्यूज तक संपर्कित रहता है।
इसका मुख्य कार्य झटका से बचाने का होता है।
    धातु के आवरण वाले विद्युत साघित्रों को भू-संपर्कित किया जाता है। ऐसा
नहीं करने पर कभी-कभी ऐसा देखा जाता है कि जब कोई व्यक्ति इन साघित्रों
पर कार्य करता है तो तीव्र झटका का अनुभव करता है, क्योंकि किसी कारणवश
यदि विद्युतरोधी नष्ट हो जाता है तो विद्युत धारा सीधे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर
जाता है। इसलिए ऐसी दुर्घटनाओं से बचने के लिए भू-संपर्क तार से संपति
कर दिया जाता है ताकि धारा शरीर में प्रवेश न करके पृथ्वी में प्रवेश कर जाए
क्योंकि पृथ्वी नगण्य रूप में प्रतिरोध पैदा करता है।

19. शॉर्ट सर्किट किसे कहते हैं? फ्यूज तार परिपथ में क्यों लगाये जाते हैं?
उत्तर : वह सर्किट जिसमें अचानक किसी कारण से धारा का प्राबल्य बढ़
जाय और परिपथ में लगी युक्तियाँ जल जायँ, उस सर्किट (परिपथ) को शॉर्ट
सर्किट कहते हैं। फ्यूज तार सुरक्षा की एक युक्ति है। विद्युत परिपथों में अचानक
धारा का मान अतिभारण और लघुपथन के कारणों से अत्यधिक बढ़ जाने से
परिपथ में लगी युक्तियाँ जलकर नष्ट हो सकती हैं। ऐसी घटनाओं से बचाव के
लिए परिपथ में जहाँ-तहाँ फ्यूज श्रेणी में संयोजित किये जाते हैं। फ्यूज ऐसे
पदार्थ के तार का टुकड़ा होता है जिसका गलनांक बहुत कम होता है। जब कभी
धारा अत्यधिक बढ़ जाती है, तो सबसे पहले फ्यूज गर्म होकर गल जाता है और
परिपथ टूट जाता है जिससे उसमें लगी युक्तियाँ यथा बल्ब, पंखे, हीटर आदि
जलने से बच जाते हैं।

20. (a) प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न करने वाले एक स्रोत का नाम लिखिए।
(b) प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति क्या होती है?
(c) प्रत्यावर्ती धारा एवं दिष्ट धारा में एक मुख्य अंतर लिखिए। [JAC 2015 (A)]
उत्तर : (a) प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न करने वाले एक स्रोत का नाम
प्रत्यावर्ती धारा जनित्र कहा जाता है।
(b) एक पूर्ण प्रत्यावर्तन को एक चक्र कहा जाता है और एक सेकेण्ड में
होने वाले चक्रों की संख्या को प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति कहते हैं।
(c) प्रत्यावर्ती धारा एक निश्चित समयान्तराल के पश्चात् अपनी दिशा
बदलती रहती है जबकि दिष्ट धारा सदैव एक ही दिशा में प्रवाहित होती है।

21. चित्र में फ्लेमिंग का वामहस्त नियम के लिए हाथ का आरेख दर्शाया 
गया है। चित्र में [1], [2] और [3] द्वारा किन-किन भौतिक राशियों का
निरूपण होता है?                                           [JAC 2013 (A)]

उत्तर : [1] धारा के प्रवाह
[2] चुंबकीय क्षेत्र
[3] चालक की गति।

22. 2kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत तंदूर किसी घरेलू विद्युत परिपथ
(220V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विद्युत धारा अनुमतांक 5 A
है। इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
                                                                  [JAC2010 (S)]
उत्तर : 2 kW शक्ति अनुमतांक का विद्युत तंदुर किसी घरेलु परिपथ
(220 V) में प्रचालित करना गलता है। विद्युत तंदुर के लिए अत्यधिक वोल्ट
(220 से ऊपर) की आवश्यकता है। 5A अनुमतांक घरेलु कार्यों में प्रयुक्त होता
है। इस स्थिति में परिपथों में अपरिहार्य तापन, परिपथ के अवयवों के ताप में
वृद्धि कर उसके गुण में परिवर्तन कर सकता है। अर्थात् परिपथ भंग होने अथवा
सार्ट सर्किट की संभावना बढ़ जाएगी। 1kw के लिए 220V पर धारा प्रकरण में
5 A अनुमतांक का फ्यूज उपयुक्त है।

                               5 अंक स्तरीय प्रश्न (विकल्प)

1. विद्युत मोटर क्या है ? इसका सिद्धांत लिखें तथा इसकी कार्यविधि
सचित्र वर्णन करें।    [JAC 2010 (A),2015 (A),2017(A), 2020 (A)]
उत्तर : विद्युत मोटर एक ऐसा यंत्र है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में
बदलता है। विद्युत मोटर में एक शक्तिशाली चुंबक के अवतलाकार ध्रुव-खंडो
के बीच ताँबे के तार की एक कुंडली ABCD होती है जिसे आर्मेचर कहते है।
आर्मेचर के दोनों छोर पीतल के विभक्त वलयों (splitrings)R₁ तथा R₂ से जुड़े
होते हैं। इन वलयों को कार्बन ब्रश B₁ तथा B₂ छूते हैं।
एक विद्युत मोटर का नामांकित चित्र इस प्रकार है―


सिद्धांत―चुंबकीय क्षेत्र में धारावाही (तार की) कुंडली पर एक क्षेत्र द्वारा
बल-आघूर्ण लगाया जाता है। अत:, धारावाही कुंडली घूमने लगती है। इस घूर्णीं
कुंडली से जुड़ी वस्तु भी घूमने लगती है। धारावाही तार पर बल की दिशा
फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम से प्राप्त होती है।

क्रिया विधि―जब कुंडली से विद्युत-धारा प्रवाहित की जाती है तब
चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र के कारण आर्मेचर की AB तथा CD भुजाओं पर समान,
किंतु विपरीत दिशा में बल लगते हैं जिस कारण आर्मेचर घूमने लगता है।

विभक्त वलय (R₁R₂) का महत्त्व―इसकी बनावट के कारण प्रत्येक
चक्र के आधे में एक ध्रुव के पास चलते तार में धारा की दिशा समान रहती है
जिससे एक ही दिशा में बल आघूर्ण लगता रहता है। इस प्रकार एक ही दिशा में
घूर्णन विभक्त वलय के कारण संभव होता है।

2. विद्युत जनित्र (डायनेमो) क्या है? इसके क्रिया सिद्धांत और कार्यविधि
का सचित्र वर्णन करें।                          [JAC 2009 (S), 2012 (A)]
उत्तर : विद्युत जनित्र का सिद्धांत―अगर चुंबकीय क्षेत्र में एक कुंडली
को घुमाया जाए तो कुंडली में विद्युतवाहक बल प्रेरित होता है। परिपथ पूरा होने
पर कुडली में विद्युत-धारा उत्पन्न होती है।

कार्यविधि―एक आयताकार कुंडली ABCD स्थायी चुंबक के ध्रुवों N
एवं S के बीच एक मोटर की मदद से घुमाई जाती है। इस कुंडली के मुक्त सिरे दो
चालक वलयों R₁ एवं R₂ को स्पर्श करते हुए घूमते हैं। R₁ एवं R₂ बशों B₁ एवं
B₂ से जुड़े होते हैं जिनसे बाहरी परिपथ में विद्युत-धारा जाती है।

मान लें कि भुजा AB ऊपर तथा CD नीचे जा रही है। चुंबकीय क्षेत्र की
दिशा N से S की ओर है। पलेमिंग के दाएँ हाथ के नियम से भुजाओं में प्रेरित
धारा की दिशा मिलती है। आधे चक्कर के बाद CD ऊपर तथा AB नीचे जाते हैं
जिसके कारण ABCD में धारा की दिशा विपरीत हो जाती है।

प्रत्यावर्ती धारा जनित्र―पूर्ण वलयों R₁ एवं R₂ के कारण बाह्य परिपथ
में भी धारा प्रत्येक आधे चक्कर बाद उलट जाती है। अतः, बाह्य परिपथ में
प्रत्यावर्ती धारा प्राप्त होती है। इस व्यवस्था को प्रत्यावर्ती जनित्र कहा जाता है।

दिष्ट धारा जनित्र―दो वलयों R₁ एवं R₂ के बजाए एक विभक्त वलय
की मदद से बाहरी परिपथ में दिष्ट धारा प्राप्त की जा सकती है। इस व्यवस्था में
एक बश सदैव उस भुजा के सम्पर्क में रहता है जिसकी गति ऊपर होती है तथा
दुसरा ब्रश सदैव उस भुजा के संपर्क में रहता है जिसकी गति नीचे होती है।
अत:. दोनों ब्रशों की ध्रुवता अचर हो जाती है और ब्रशों से जुड़े बाहरी परिपथ
में दिष्ट धारा जाती है। इस व्यवस्था को दिष्ट धारा जनित्र या डायनेमो कहा जाता
है।

3. दिष्टधारा डायनेमो की बनावट और कार्य सिद्धान्त का सचित्र वर्णन करें।
                                                         [JAC 2010 (S), 2011 (A)]
उत्तर : ऐसा डायनेमो जिससे दिष्टधारा प्राप्त होती है डी.सी. डायनेमो
कहलाता है। दिष्टधारा डायनेमो की बनावट लगभग प्रत्यावर्ती धारा डायनेमो के
समान ही होती है लेकिन अंतर सिर्फ इतना ही होता है कि आर्मेचर के छोरों पर
एक ही वलय के आधे-आधे भाग अलग-अलग ढँके रहते हैं।

आधे घूर्णन के समय R₁ खंड धनात्मक ध्रुव होता है तब B₁ ब्रश इसके
संपर्क में रहता है। घूर्णन क्रम में जब R₁ ऋणात्मक बन जाता है तो इसका संपर्क
B₂ ब्रश से हो जाता है तथा ब्रश B₁ का संपर्क R₁ खंड से हो जाता है। इस तरह
ब्रश B₁ धनात्मक तथा ब्रश B₂ ऋणात्मक विभव पर बने रहते हैं। ऐसा रहने पर
आर्मेचर की धारा की दिशा बदलने पर भी बाह्य परिपथ में धारा की दिशा हमेशा
एक ही दिशा में रहती है जो शून्य से अधिकतम मान के बीच बदलता है। अतः
ऐसे डायनेमो से दिष्टधारा (डी०सी०) प्राप्त होती है।

4. विद्युत चुंबकीय प्रेरण किसे कहते हैं? इसे दिखाने के लिए एक प्रयोग
का वर्णन कीजिए।                             [JAC 2009 (A),2014(A)]
उत्तर : यदि किसी चुम्बक को बन्द कुण्डली के समीप लाया जाता है या उस
चुम्बक को उस कुण्डली से दूर ले जाया जाता है तो दोनों ही स्थितियों में कुण्डली
में धारा प्रवाहित होती है। यह धारा तब तक प्रवाहित होती है जब तक चुम्बक
गतिशील रहता है। इस प्रकार चालक में विद्युत वाहक बल और विद्युत धारा प्रेरित
होती है जिसे क्रमशः प्रेरित विद्युत वाहक बल तथा प्रेरित विद्युत धारा कहते हैं एवं
यह घटना विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण कहलाती है।
        इसे प्रदर्शित करने के लिए सर्वप्रथम एक काठ का खोखला बेलन लिया
जाता है। इस बेलन के ऊपर अनेक फेरोंवाली तार की एक कुण्डली AB लपेट
दी जाती है। इसके बाद एक सुग्राही गैल्वेनोमीटर को चित्रानुसार जोड़ दिया
जाता है।

अब एक छड़ चुम्बक लेकर उसे कुण्डली के समीप तेजी से लाया जाता है
तो दिखता है कि गैल्वेनोमीटर की सूई एक खास दिशा में (माना दाहिनी ओर)
विक्षेपित हो जाती है। पुनः जब छड़ चुम्बक को कुण्डली से दूर ले जाया जाता है
तो गैल्वेनोमीटर की सुई बाँयी ओर विक्षेपित हो जाती है। अर्थात् लाने के क्रम में
चुम्बकीय क्षेत्र बढ़ता है तथा दूर ले जाने के क्रम में चुम्बकीय क्षेत्र घटता है। जब
कुंडली और चुम्बक दोनों स्थिर होते हैं तो गैल्वेनोमीटर की सूई में किसी प्रकार
का कोई विक्षेप नहीं देखा जाता है। इस प्रयोग से स्पष्ट है कि कुण्डली के सापेक्ष
चुम्बक की गति से प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है फलस्वरूप परिपथ
में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न होती है। विद्युत वाहक बल के प्रेरण की यह घटना
विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण कहलाती है।

5. धारावाही चालक तार के इर्द-गिर्द चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। उसे
दिखाने के लिए ओटैंड के प्रयोग का वर्णन करें।
उत्तर : इसके प्रदर्शन हेतु ऑर्टेड का प्रयोग इस प्रकार है― ताँबा के एक
पतले विद्युतरोधित तार को इस प्रकार रखा जाता है कि तार AB खंड
उत्तर-दक्षिण दिशा में रहे, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। तार के सिरों से एक
बैटरी, एक स्विच और एक रियोस्टैट (धारा-नियंत्रक) श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता
है। तार AB के नीचे एक कीलकित चुंबकीय सूई रखी जाती है। जब स्विच खुला
रखा जाता है तो तार में धारा प्रवाहित नहीं होती है और चुंबकीय सूई उत्तर-
दक्षिण दिशा में पृथ्वी के चुंबकत्व के कारण स्थिर बनी रहती है, अर्थात सूई में
     कोई विक्षेप नहीं होता है। किंतु, जब स्विच बंद कर तार में धारा प्रवाहित की 
जाती है तब चुंबकीय सूई विक्षेपित हो जाती है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया 
है। अतः, धारावाही तार के कारण चुबंकीय सूई का विक्षेप (विचलन) यह दिखाता 
है कि विद्युत-धारा अपने चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है।
इससे स्पष्ट होता है कि गतिमान आवेश न केवल वैद्युत क्षेत्र बल्कि एक
चुंबकीय क्षेत्र भी उत्पन्न करता है। इस चुंबकीय क्षेत्र में स्थित सूई विक्षेपित
होती है।


6. प्रत्यावर्ती धारा किसे कहते हैं? प्रत्यावर्ती धारा से होनेवाले लाभ एवं
हानि का उल्लेख करें।
उत्तर : वैसी विद्युत धारा जिसकी दिशा खास समय अन्तराल में बदलती
रहती है, प्रत्यावर्ती धारा कहलाती है।
प्रत्यावर्ती धारा से लाभ―
(a) ट्रांसफॉर्मर की सहायता से इसका विद्युत वाहक बल बढ़ाया या
घटाया जा सकता है। इस क्रिया में विद्युत ऊर्जा का क्षय नगण्य है।
(b) इस धारा के विद्युत वाहक बल को कम करके 6 वोल्ट की बत्ती भी
जलायी जा सकती है।
प्रत्यावर्ती धारा से हानियाँ―
(a) प्रत्यावर्ती धारा से विद्युत लेपन तथा बैटरियों का आवेशन नहीं
किया जा सकता है।
(b) प्रत्यावर्ती धारा को संचायक सेल में संचित नहीं किया जा सकता
है।

7. घरेलू परिपथ के एक नमूना को आरेखित कर समझाएँ।
उत्तर : घरेलू वायरिंग में तीन तार- -जीवित तार अथवा गर्म तार L
(प्रायः लाल रंग का), उदासीन तार या ठंडा तार N (प्रायः काले रंग का) और
भू-तार E (प्रायः हरे रंग का) के समूह का उपयोग होता है। ये तीनों तार
प्लास्टिक के खोल के अन्दर रखे रहते हैं। प्रभावतः स्रोत से प्रत्यावर्ती धारा
जीवित तार (L) से प्रवाहित होती हुई उदासीन तार (N) से लौटती हुई मानी
जाती है। भू-तार (E) जमीन के अन्दर लगभग पाँच मीटर नीचे गड़ी धातु की

प्लेट से जुड़ा रहता है। 15A और 5A के परिपथ अलग-अलग बनाए जाते हैं।
15 A के परिपथ में हीटर, रेफ्रिजरेटर, विद्युत इस्तरी इत्यादि को जोड़ा जाता है
जबकि 5A के परिपथ में बल्ब, पंखा आदि जोड़ा जाता है। इसलिए 15 A के
लाइन को पावर लाइन तथा 5A के लाइन को घरेलू लाइन कहा जाता है।

8. निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करने वाला नियम लिखिए―
(i) किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न
चुंबकीय क्षेत्र।
(ii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत् स्थित विद्युत धारावाही
सीधे चालक पर आरोपित बल।
(iii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस
कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा।
उत्तर : (i) दाहिने हाथ का अंगुष्ठ नियम : यदि धारावाही तार को दाएँ
हाथ की मुट्ठी में इस प्रकार पकड़े कि अंगूठा धारा की दिशा की ओर संकेत करता
हो तो अन्य अंगुलियाँ चुम्बकीय क्षेत्र की बल रेखाओं की दिशा व्यक्त करती है।

(ii) फ्लेमिंग का वामहस्त नियम : अपने बामहस्त के अँगूठे, तर्जनी
और मध्यमा अंगुली को इस प्रकार फैलाओ कि वह परस्पर समकोण बनाएँ। तर्जनी
चुंबकीय क्षेत्र को निर्दिष्ट करेगी। मध्यमा अँगुली धारा के प्रवाह की दिशा को
बताएगी और अंगूठा धारावाही चालक पर लगे बल की दिशा को व्यक्त करेगा।

(iii) फ्लेमिंग का दक्षिणहस्त नियम : अपने दाहिने हाथ की तर्जनी,
मध्यमा अंगुली तथा अंगूठे को इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनों एक-दूसरे के 
परस्पर लंबवत् हों। यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा की ओर संकेत करती है
तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा की ओर संकेत करता है तो मध्यमा
चालक में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा दर्शाती है।

9. दिए गए चित्र के आधार पर निम्न प्रश्नों के उत्तर दें―

(a) चित्र का उपयुक्त नाम लिखें।
(b) (1) और (2) के नाम लिखें।
(c) किस तरह की ऊर्जा इस उपकरण द्वारा परिवर्तित की जाती है?
(d) इस उपकरण के दो उपयोग लिखें।
(e) आर्मेचर को परिभाषित करें।
उत्तर : (a) विद्युत मोटर
(b) 1 = विभक्त वलय; 2 = ब्रश
(c) एक उपकरण विद्युतीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
(d) इसका उपयोग रेफ्रीजरेटरों एवं विद्युत पंखों में किया जाता है।
(e) यह आयताकार लोहे के ढाँचे पर विद्युतरोधी ताँबे के तार को अनेक
चक्करों से लपेट कर बनायी जाती है।

10. (a) प्रत्यावर्ती धारा तथा दिष्ट धारा में एक प्रमुख अन्तर लिखें।
(b) दिष्ट धारा के दो स्रोतों के नाम लिखें।
(c) किसी धारावाही वृत्ताकार कुंडली के कारण चुंबकीय क्षेत्र
पैटर्न दिखाने के लिए एक प्रयोग का वर्णन करें।
उत्तर : (a) दिष्ट धारा सदैव एक ही दिशा में प्रवाति होती है तथा प्रत्यावर्ती
धारा एक निश्चित समयान्तराल के पश्चात् अपनी दिशा बदलती रहती है।

(b) (1) बैट्री (2) डी.सी. जनित्र।

(c) इसके लिए एक गत्ते के दोनों बगलों में खाँचे बनाकर उनसे वृत्ताकार
तार पार कराया जाता है। अब उस वृत्ताकार तार से धारा प्रवाहित की जाती है तो
उसके इर्द-गिर्द चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। गत्ते पर लौह-चूर्ण छिड़ककर
धीरे-धीरे थपथपाया जाता है तो देखा जाता है कि चूर्ण के कण चुम्बकित होकर
गत्ते पर चुम्बकीय बल रेखाओं के रूप में सज जाती है। ये चुम्बकीय बल रेखाएँ
वृत्ताकार तार के बीच में सीधा तथा तार के दोनों सिरों के नजदीक वृत्तीय रूप में
रहता है। अर्थात् वृत्त के केन्द्र पर ये बल रेखा वृत्त के समतल पर अभिलम्ब
होती है तथा चुम्बकीय क्षेत्र को बढ़ा देता है।

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