Jharkhand Board Class 10 History Notes | काम, आराम और जीवन
JAC Board Solution For Class 10TH ( Social science ) History Chapter 6
(Work, Leisure and Life)
प्रश्न 1. लंदन में अधिकाधिक लोगों के निर्धनों के लिए घरों की
आवश्यकता की क्यों पहचानना शुरू कर दिया था ?
उत्तर―(i) गरीबों का एक कमरे वाले मकानों की शोचनीय अवस्था में रहना
जनता के स्वास्थ्य के लिए खतरा समझा जाने लगा।
(ii) अग्निकांडों के खतरे महसूस किए जाते थे।
(iii) मजदूरों के कारण सामाजिक क्रांति की आशंका दिखाई देने लगी
विशेषतः रूसी क्रांति के बाद ।
प्रश्न 2. लंदन को साफ करने के लिए क्या कदम उठाए गए ?
उत्तर―(i) भीड़ भरी बस्तियों की भीड़ घटाने, खुले स्थल हरे भरे बनाने,
आबादी कम करने और शहरी भूदृश्य सुधारने की कोशिशें हुई।
(ii) अपार्टमेंट्स के विशाल ब्लॉक बनाए गए।
(iii) मकानों के अभाव के प्रभाव को कम करने के लिए किराया नियंत्रण
कानून लागू किया गया।
(iv) एकल परिवार-आवास बनाए गए।
प्रश्न 3. न्यू अर्जविक नामक बगीचों के शहर की रूपरेखा किसने
बनाई। इसकी दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर―रेमंड अनविन और बैरी पार्कर ।
(i) इसमें साझा बाग-बगीचे, सुन्दर दृश्यों के साथ-साथ प्रत्येक वस्तु पर
सूक्ष्म नजर रखी गई थी।
(ii) ऐसे मकानों के केवल संपन्न कामगार ही खरीद सकते थे।
प्रश्न 4. कुछ लोग लंदन की भूमिगत रेल सेवा के विरुद्ध क्यों थे?
उत्तर―(i) कई लोग महसूस करते थे कि इन 'लौह-दैत्यों' ने शहर की
अफरा-तफरी और अस्वास्थ्यकर माहौल को और बढ़ा दिया है।
(ii) लगभग दो मील का रेलपथ बनाने के लिए 900 घर उजाड़े गए थे।
(iii) लंदन 'सुरंग रेल सेवा' ने लंदन के निर्धनों को बड़ी संख्या में
विस्थापित किया।
प्रश्न 5. नारियों पर नगरीय जीवन का क्या प्रभाव था ?
उत्तर―(i) ब्रिटेन में उच्च और मध्य वर्गीय स्त्रियों को बढ़ता हुआ उच्चस्तरीय
अकेलापन भोगना पड़ रहा था हालांकि घरेलू नौकरियों ने मामूली वेतन पर घर
का खाना बनाकर, साफ-सफाई और बच्चों की देखभाल का जिम्मा लेकर उनका
जीवन सरल बना दिया था
(ii) वेतन पर काम करने वाली स्त्रियों का अपने जीवन पर अधिक नियंत्रण
था। विशेषतः निम्नतर सामाजिक वर्गों में। कई समाज सुधारकों का मानना था
कि एक संस्था के रूप में परिवार टूट चुका है और इसके पुनर्निर्माण व सुरक्षा के
लिए स्त्रियों को घरों में वापस धकेलना आवश्यक है।
(iii) नगरीय जीवन में पुरुषों का वर्चस्व था और स्त्रियों को घरों में लौट
जाने के लिए विवश किया जाता था।
(iv) कई परंपरावादी लोग नारी की सार्वजनिक स्थलों पर उपस्थिति के
विरुद्ध थे।
प्रश्न 6. बंबई नगर में औपनिवेशिक काल में बने घरों की चार प्रमुख
विशेषताएँ बताइए।
उत्तर―(i) अधिकतर मकान निजी जमींदारों के पास थे।
(ii) अधिकांश लोग चॉलों में रहते थे।
(iii) घर बहुत छोटे थे जिसके कारण गलियों और पड़ोस को खाना बनाने,
कपड़े धोने और सोने आदि जैसे कई उद्देश्यों से उपयोग में लाया जाता था।
(iv) संपन्न पारसी, मुस्लिम और सवर्ण व्यापारी खुले बंगलों में रहते थे।
प्रश्न 7.19वीं और 20वीं सदी के बीच लंदन में कामकाजी महिलाओं
के काम की प्रकृति में क्या अंतर आए ? इन अन्तरों के मूल में कारणों की
भी चर्चा कीजिए। [NECRT]
उत्तर―18वीं व 19वीं सदी में भारी संख्या में महिलाएँ कारखानों में काम
करती थीं क्योंकि इस काल में अधिकांश उत्पादन गतिविधियाँ परिवार की
सहायता से चलती थीं । जैसे-जैसे तकनीक में सुधार आया, कारखानों में औरतों
की नौकरियाँ छिनने लगी और वे घरेलू कामों में लौटकर सिमट गई। उन्होंने
सिलाई, धुलाई या दियासिलाइयाँ बनाकर अपने परिवार की आय बढ़ाने की
कोशिश की। परन्तु 20 वीं सदी में औरतों को युद्धकालीन उद्योगों और दफ्तरों
में काम मिलने लगा क्योंकि अधिकतर पुरुष नागरिक मोर्चे पर युद्ध कर रहे थे।
प्रश्न 8. बंबई फिल्म उद्योग कब अस्तित्व में आया ? इस उद्योग ने
राष्ट्रीय चरित्र निर्माण में कैसे योगदान दिया?
उत्तर―हरीशचंद्र सखाराम भाटवाडेकर ने 1896 में बंबई में बंबई के हैगिंग
ससगार्डन्स में हुई कुश्ती की एक प्रतियोगिता में भाग लिया और यह 1896 में
भारत की पहली फिल्म बनी। शीघ्र ही 1913 में दादा साहेब फाल्के ने 'राजा
हरिश्चंद्र' फिल्म बनाई।
फिल्म उद्योग में अधिक लोग लाहौर, कलकत्ता, मद्रास से बंबई
आए थे और इन्हीं लोगों के कारण ही फिल्म उद्योग का ऐसा राष्ट्रीय स्वरूप बना ।
प्रश्न 9. सोलहवीं सदी में दुनियाँ सिकुड़ने लगी थी। इसका क्या
मतलय है ? व्याख्या कीजिए। [JAC 2010 (A)]
उत्तर―16वीं सदी में दुनियाँ सिकुड़ने लगी क्योंकि यह काल औद्योगिक
क्रांति एवं उपनिवेशवाद प्रभावित था। लोग गाँव से पलायन कर काम धंधे की
खोज म शहरों में विस्थापित होने लगे। शहरों में उनके रहने-खाने एवं स्नान की
अत्यंत ही संकुचित व्यवस्था थी। कई शहर नियोजित ढंग से नहीं बसे थे। अत :
लोगों ने रहने के लिए चालों का सहारा लिया। लंदन जैसे नियोजित शहरों में
जनसंख्या एकाएक बदी ही, मुंबई जैसे अनियोजित शहर भी जनाधिक्य से संकुचित
होने लगे। नगर, बस्तियाँ आदि अस्तित्व में आए। गाँवों की जनसख्या नगण्य हो
गई। लोगों ने काम एवं बेहतर सुविधा के लिए शहरों की तरफ रूख किया।
प्रश्न 10. अठारहवीं सदी के मध्य से लंदन की आबादी क्यों फैलने
लगी। [NCERT, JAC 2019(A)]
उत्तर―1750 तक इंग्लैंड और वेल्स का हर 9 में से 1 आदमी लंदन में
रहता था। यह एक बहुत ही विशाल शहर था, जिसकी जनसंख 6,75,000 तक
पहुँच चुकी थी। 19वीं शताब्दी में भी लंदन की आबादी इसी प्रकार बढ़ती रही।
1810 से 1880 के बीच इस शहर की आबादी चार गुना हो गई। 18वीं शताब्दी
के मध्य से लंदन की आवदी के फैलने के मख्य कारण निम्नलिखित थे―
(i) विभिन व्यवसाय―लंदन के रोजगार की कमी नहीं थी। 19वीं शताब्दी
में यहां लगभग हर व्यवसाय के लोग रहते थे। गैरेथ स्टेडमैन के अनुसार,
'उनीसवीं शताब्दी का लंदन क्लार्कों तथा दुकानदारों, छोटे तथा बड़े
कारीगरों सिपाहियों, नौकरों, दैनिक श्रम करने वाले मजदूरों तथा फैरीवालों
का शहर था।" यहां भिखारियों की भी कमी नहीं थी। यह तथ्य लंदन में
फैलती आबादी को ही दर्शाता है।
(ii) लंदन की गोदी―रोजगार की दृष्टि से लंदन की गोदी बहुत ही
महत्वपूर्ण थी। यह बड़ी संख्या के कामगारों को रोजगार दे सकती थी।
(iii) विभिन्न उद्योग―लंदन में कई प्रकार के बड़े उद्योग विकसित थे। ये
उद्योग थे-परिधान और जूता उद्योग, लकड़ी एवं फर्नीचर उद्योग, धातु एवं
इंजीनियरिंग उद्योग, छपाई और स्टेशनरी उद्योग तथा शल्य चिकित्सा उद्योग, घड़ी
उद्योग तथा कीमती धातुओं का सामान बनाने वाले उद्योग। ये उद्योग बाहर के
लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र थे।
(iv) विशाल कारखानों की संख्या में वृद्धि-प्रथम विश्वयुद्ध (1914–18)
के दौरान लंदन में मोटरकारों तथा बिजली उपकरणों का निर्माण भी होने लगा।
धीरे-धीरे विशाल कारखानों की संख्या इतनी अधिक हो गई कि शहर तीन चौथा
नौकरियां इन्हीं कारखानों में सिमट गईं। सच तो यह है शहर की चमक-दमक,
चहल-पहल और रोजगार ने लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया। लोग गांव
को छोड़ शहरों की ओर आकर्षित होने लगे। फलस्वरूप लंदन की आबादी
फैलने लगी।
प्रश्न 11. उन्नीसवीं और बीसवीं सदी के बीच लंदन में औरतों के लिए
उपलब्ध कामों में किस तरह के बदलाव आए? ये बदलाव किन कारणों
से आए?
उत्तर―उन्नीसवीं और बीसवीं सदी के बीच लंदन में औरतों के लिए
उपलब्ध कामों में कई बदलाव आए―
(1) मशीनों के आगमन से बदलाव―(i) अठारहवीं शताब्दी के अंत में
तथा उन्नीसवीं सदी के आरंभिक दशकों में बहुत-सी औरतें फैक्ट्रियों में काम
करती थीं। परन्तु ज्यों-ज्यों तकनीक में सुधार आया और मशीनें आ गईं,
कारखानों में औरतों की नौकरियाँ छिनने लगीं। अब वे घरेलू कामों में सिमट कर
रह गईं। 1861 की जनगणना के अनुसार लंदन में लगभग अढ़ाई लाख घरेलू
नौकर थे। इनमें औरतों की संख्या बहुत अधिक थी। उनमें से अधिकांश हाल
ही में शहरों में आई थीं
(ii) बहुत-सी औरतें परिवार की आय बढ़ाने के लिए अपने मकानों का
प्रयोग करती थीं। वे अपने मकान में या तो किसी को किराये पर रख लेती थीं या
घर पर ही रहकर सिलाई-बुनाई कपड़े धोने या माचिस बनाने जैसे काम करती थी।
(2) युद्धकालीन उद्योगों में काम―बीसवीं सदी में स्थिति में एक बार फिर
बदलाव आया। अब औरतों को युद्धकालीन उद्योगों और दफ्तरों में काम मिलने
लगा। इसका कारण यह था कि प्रथम विश्वयुद्ध में बहुत से लोगों को सेना में
भर्ती कर लिया गया था जिससे श्रम का अभाव हो गया था।
इस प्रकार औरतें घरेलू काम छोड़ कर फिर बाहर आने लगी।
प्रश्न 12. विशाल शहरी आबादी के होने से निम्नलिखित पर क्या
प्रभाव पड़ता था? ऐतिहासिक उदाहरणों के साथ समझाइए I [NCERT]
(क) जमींदार (ख) कानून-व्यवस्था संभालने वाला पुलिस अधीक्षक
(ग) राजनीतिक दल का नेता।
उत्तर―(क) विशाल शहरी आबादी का जमींदार पर प्रभाव―औद्योगीकरण
के परिणामस्वरूप भारी संख्या में लोग लंदन में आ गए जिससे नगर की
जनसंख्या में कई गुणा वृद्धि हुई । इस स्थिति ने लंदन के निवासियों के लिए कई
समस्याएँ पैदा कर दी, जबकि निजी जमींदारों जैसे कुछ वर्ग इससे लाभ कमाने
में जुट गए। उन्होंने जरूरतमंद लोगों को भारी दामों पर अपनी जमीनें बेचनी शुरू
कर दी। उन्होंने अपनी जमीनों पर सस्ते फ्लैट बनाए और उन्हें निर्धन लोगों को
किराए पर लगाकर किराए के रूप में बहुत बड़ा धन कमाया।
(ख) विशाल शहरी आबादी का पुलिस अधीक्षक पर प्रभाव―लंदन की
विशाल आबादी ने पुलिस अधिक्षक को कानून-व्यवस्था बनाने की चुनौती के रूप
में कई समस्याएँ दें दीं―
(i) जब झोंपड़पट्टियों में आग लग जाती तो अनेक घर जल जाते और
असंख्य लोग मारे जाते । ऐसे में पुलिस की स्थिति पर नियंत्रण पाना कठिन हो
जाता था।
(ii) कामगारों के बेहतर वेतन, बेहतर आवासीय सुविधाओं और मताधिकार
के लिए किए जाने वाले विभिन्न आंदोलनों से पुलिस की सिरदर्दी बढ़ जाती थी।
(ग) विशाल शहरी आबादी का राजनीतिक दल के नेता पर प्रभाव―भारी
जनसंख्या के कारण लंदन में कानन-व्यवस्था बनाए रखना दुर्गम हो चुका था।
राजनीतिक दल सरकार के विरूद्ध आंदोलन के लिए सदैव भीड़ को उकसाते रहते
थे। व्यस्कों के लिए मताधिकार के लिए चालिस्ट आंदोलन तथा 10 घंटे काम
के आंदोलन जैसे कई 19वीं सदी के आंदोलन प्रत्यक्षत: लंदन की अति भीड़भाड़
का परिणाम थे।
प्रश्न 13. 19वीं सदी में धनी लंदनवासियों के निर्धनों के लिए मकान
बनाने की जरूरत का समर्थन क्यों किया? [JAC 2014(A)]
उत्तर―(i) मजदूरों का झोंपड़पट्टियों में रहना बहुत खतरनाक था। वे 29
वर्ष को औसत आयु तक जीवित रहते जबकि इसकी तुलना में उच्च तथा
मध्यमवर्गीय लोगों में औसत जीवन दर 55 थी।
(ii) ऐसी झोंपड़पट्टियाँ न केवल निवासियों के लिए हानिकारक थीं अपितु
सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी चुनौती थीं और इनसे कोई भी महामारी आसानी
से फैल सकती थी।
(iii) घटिया मकानों में अग्निकांड का खतरा रहता था और ये अग्निकांड
आसपास के क्षेत्रों को भी विनाश की चपेट में ले लेते थे।
(iv) 1917 की रूसी क्रांति के बाद विशेष रूप से यह समझा जाने लगा
कि घटिया मकान कोई भी सामाजिक विनाश कर सकते हैं और झोपड़पट्टियों के
निर्धन निवासियों को विद्रोह के लिए उसका सकते हैं।
(v) उपयुक्त आवासों की कमी के कारण जनसंख्या स्तर बढ़ने लगा था।
प्रश्न 14. बंबई की बहुत सी फिल्में शहर में बाहर से आने वालों के
जीवन पर आधारित क्यों होती थी? [JAC 2012 (A)]
उत्तर―(i) बंबई की अनेक फिल्में शहर में आने वाले अप्रवासियों और
उनके दैनिक जीवन में पेश आने वाली कठिनाइयों के बारे में ही हैं। बम्बई फिल्म
उद्योग के कई लोकप्रिय गीत शहर के अंतर्विरोधी आयामों को उजागर करते हैं।
फिल्म सी आई डी (1958) में नापक का मित्र गाता है, 'ऐ दिल है मुश्किल
जीना यहाँ, जरा हटके, जरा बचके, ये है बॉम्बे मेरी जान ।' फिल्म गेस्ट हाउस
(1959) में मोहभंग का स्वर सुनाई देता है, जिसका जूता, उसी के सर, दिल है
छोटा बड़ा शहर, अरे वाह रे वाह तेरी बंबई।'
(ii) फिल्म उद्योग में काम करने वाले भी प्रायः लाहौर, कलकत्ता, मद्रास
आदि शहरों से आए थे। इतनी सारी जगहों से आए लोगों के कारण ही फिल्म
उद्योग का ऐसा राष्ट्रीय स्वरूप बना था। लाहौर से आए लोगों ने हिन्दी फिल्म
उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण हसन मंटो जैसे अनेक प्रसिद्ध लेखक हिन्दी सिनेमा
से जुड़े थे।
प्रश्न 15. 19वीं सदी के मध्य में बंबई की आबादी में भारी वृद्धि क्यों
हुई? [JAC 2013 (A), 2015 (A)]
उत्तर―(i) 1819 में बंबई को बॉम्बे प्रेसिडेंसी की राजधानी बना दिया गया
जिससे अधिकाधिक लोग इस नगर की ओर आकर्षित हुए।
(ii) कपास और अफ्रीका के उद्योग में वृद्धि के कारण भारी संख्या में
व्यापारी तथा बैंकर विभिन कारीगरों और दुकानदारों के साथ-साथ बंबई में
निवास करने चले आए।
(iii) विभिन्न उद्योगों की स्थापना का कपड़ा उद्योग के विकास से विभिन्न
पड़ोसी क्षेत्रों, विशेषकर निकटवर्ती रत्नागिरी जिले से लोग अधिकाधिक संख्या में
अप्रवासी बनकर आने लगे।
(iv) बम्बई यूरोपीय देशों के साथ भारतीय व्यापार का केन्द्रबिन्दु बन गया था ।
(v) रेलवे की सुविधा आ जाने से शहर में उच्चतर संख्या में अप्रवासियों का
आगमन शुरू हो गया।
(vi) कच्छ के शुष्क क्षेत्रों में अकाल के कारण भारी संख्या में लोग बंबई
की ओर भागने लगे।
(vii) जब बंबई भारतीय फिल्मों का गढ़ बन गई तो कलाकार, नाटककार,
नाट्य-लेखक, कवि, गायक, कथाकार इसकी भारी भीड़भाड़ को अनदेखा कर
इस शहर की ओर आने लगे थे।
प्रश्न 16. लोगों को मनोरंजन के अवसर उपलब्ध कराने के लिए
इंग्लैंड में उन्नीसवीं सदी में मनोरंजन के कौन-कौन से साधन सामने आये?
[JAC 2010 (A); 2016 (A)]
उत्तर―इंग्लैंड में 19वीं सदी में समाज के सभी वर्गों के लिए मनोरंजन के
साधन उपलव्य थे। इनमें से मुख्य साधन निम्नलिखित थे―
मनोरंजन के परंपरागत साधन―(i) धनी ब्रिटेनवासियों के लिए बहुत पहले
से ही 'लंदन सीजन' की परंपरा चली आ रही थी। अठारहवीं शताब्दी के अतिम
दशकों में 300-400 संभ्रांत परिवारों के लिए ऑपेरा, रंगमंच और शास्त्रीय संगीत
आदि कई प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन किए जाते थे।
(ii) मेहनत-मजदूरी करने वाले लोग अपना खाली समय पब या शराबपरों
में बिताते थे। इस अवसर पर वे समाचारों का आदान-प्रदान करते थे और
कभी-कभी राजनीतिक विषयों पर भी बातचीत करते थे।
मनोरंजन के नये साधन―धीरे-धीरे आम लोगों के लिए भी मनोरंजन के
नए तरीके सामने आने लगे। इनमें से कुछ सरकारी धन से आरंभ किए गए थे।
(iii) लोगों को इतिहास का बोध कराने के लिए और ब्रिटेन की उपलब्धियों से
परिचित कराने के लिए बहुत से पुस्तकालय, कला दीर्घाएँ और संग्रहालय खोले
गए। म्यूजियम में आने वालों की वार्षिक संख्या केवल 15,000 थी। परन्तु 1810
से इस संग्राहलय में प्रवेश शुल्क समाप्त कर दिया गया जिसके जिसके दर्शकों की
संख्या तेजी से बढ़ने लगी । (2) निचले वर्ग के लोगों में संगीत सभा काफी लोकप्रिय
थी। (3) बीसवीं सदी तक विभिन्न वर्गों के लोगों के लिए सिनेमा भी मनोरंजन का
महत्वपूर्ण साधन बन गया । (4) ब्रिटेन के कारखाना मजदूर छुट्टी के दिनों में समुद्र
किनारे बैठकर खुली धूप और स्वच्छ वायु का आनंद लेते थे।
प्रश्न 17. (i) लंदन में आए उन सामाजिक परिवर्तनों की व्याख्या करें
जिनके कारण भूमिगत रेलवे की जरूरत पैदा हुई।
(ii) भूमिगत रेलवे के निर्माण की आलोचना क्यों हुई?
उत्तर―(i) आधुनिक युग में औद्योगीकरण नगरीकरण के लिए जिम्मेदार
मुख्य घटक था।
(ii) लंदन एक महान् औद्योगिक केन्द्र बन गया था जिसकी जनसंख्या
लगभग 675,000 थी। 19वीं सदी तक लंदन फैलता गया और इसकी आबादी
चार गुना बढ़ चुकी थी।
(iii) लंदन शहर ने विभिन्न व्यवसाय के लोगों के आकर्षित किया जैसे,
क्लार्क, दुकानदार, सैनिक, कर्मचारी, श्रमिक, भिखारी आदि।
(iv) लंदन में आवासीय दशा नाटकीय रूप से बदली जब ग्रामीण लोग
नौकरियाँ पाने के लिए इस ओर भागने लगे। कारखानों के मालिक इतनी संख्या
में आए मजदूरों के लिए आवास उपलब्ध नहीं करा सकते थे।
(v) मजदूरों ने निजी जमीदारों द्वारा बनाए गए सस्ते व असुरक्षित आवासों में
रखना शुरू कर दिया।
(vi) नगर में निर्धनता साक्षात् दिखाई देती थी। 1887 में चार्ल्स बूथ ने एक
सर्वेक्षण किया और निष्कर्ष दिया कि 10 लाख जमींदार अति निर्धन थे जो 29
वर्ष की औसत आयु तक जीवित रहते थे। ऐसे लोग प्रायः कार्यस्थलों, अस्पतालों
या पागलखानों में मरते थे।
(vii) इसी बीच नगर इतनी दूर तक फैल गया कि लोग चलकर काम पर
नहीं जा सकते थे। अतः योजनाकारों में परिवहन के साधनों की आवश्यकता
अनुभव को।
प्रश्न 18. पेरिस में हॉस्मानीकरण का क्या अर्थ है? इस तरह के विकास
को आप किस सीमा तक सही या गलत मानते हैं? [JAC 2009 (A)]
उत्तर―पेरिस का हॉस्मानीकरण―इसका सीधा अर्थ है कि पेरिस के नये
शहर का प्रारूप इसके मुख्य वास्तुकार द्वारा तैयार किया गया था। नेपोलियन III
(नेपोलियन बोनापार्ट का भतीजा) के आदेश पर हॉसमान ने 17 वर्ष (1852 से
1869 तक) इस नए पेरिस शहर का पुन निर्माण करवाया था। सीधी, चौड़ी
सड़कें (या बुलेबस अर्थात् छायादार सड़क) खुले मैदान बनाए गए और
बड़े-बड़े पेड़ लगाए गए। 1870 तक पेरिस की सड़कों में से 20% हॉस्मान की
योजना के अनुसार बनाई जा चुकी थी। इसके अतिरिक्त रात में गश्त शुरू की
गई, बस अड्डों व पानी के नलों की व्यवस्था की गई।
हॉस्मानीकरण का विरोध―इस प्रकार के विकास का कई लोगों ने विरोध
किया। लगभग 350,000 लोग पेरिस के मध्य से विस्थापित कर दिए गए। कुछ
लोगों का कहना था कि उनके शहर को दानवी ढंग से रूपांतरित कर दिया गया
है। कुछ ने पुरानी जीवन शैली समाप्त होने व उच्चवर्गीय संस्कृति को स्थापना
पर गहरा दुःख व्यक्त किया । अन्य का मानना था कि हॉस्मानीकरण से सड़कों
व वहाँ के जीवन की हत्या हुई है और उसकी जगह एक खाली व ऊबाऊ शहर
खड़ा कर दिया गया है।
हॉस्मानीकरण के समर्थन में तर्क―नया पेरिस नगर शीघ्र ही एक नागरिक
गर्व का प्रतीक बन गया क्योंकि नयी राजधानी समस्त यूरोप के लिए ईर्ष्या का
विषय बन चुकी थी। पैरिस बहुत से ऐसे वास्तुशिल्पीय, सामाजिक व बौद्धिक
प्रयोगों का केन्द्र पूरी दुनिया पर अपना प्रभाव डालते रहे।
प्रश्न 19. 'बंबई भारत का एक प्रमुख नगर था।' सोदाहरण सिद्ध
कीजिए।
उत्तर―(i) यह गुजरात से आने वाले कपड़े के लिए मुख्य निर्मात केन्द्र था।
(ii) यह मुख्य बंदरगाह नगर के रूप में जाना जाता था।
(iii) यह पश्चिमी भारत का महत्वपूर्ण प्रशासनिक केन्द्र था।
(iv) यह शीघ्र ही एक मुख्य औद्योगिकी केन्द्र बन गया।
(v) 1869 में स्वेज नहर के खुलने से बंबई पश्चिम के निकट हो गया।
प्रश्न 20. बंबई के विस्तार का वर्णन कीजिए।
उत्तर―(i) 1819 में बॉम्बे प्रेसिडेंसी की राजधानी बनने के बाद बंबई नगर
तेजी से फैला।
(ii) यह अफीम तथा कपास का व्यापारिक केन्द्र बन गया और यहाँ कई
कपड़ा मिलें स्थापित हो गई।
(iii) इन कारखानों में भारी संख्या में औरतें काम करती थीं परन्तु 1930
के दशक में बढ़ती मशीनों अथवा पुरुषों ने उनके हाथों में काम छीन लिया।
(iv) बंबई दो प्रमुख रेलमार्गों का मिलन-स्थल था। रेलवे ने भारी संख्या में
इस शहर में लोगों के प्रवास को बढ़ावा दिया । उदाहरणत: 1888-89 के कच्छ
में अकाल के कारण उस क्षेत्र में भारी संख्या में लोग बंबई के निवासी बन गए।
प्रश्न 21. बंबई की आवासीय समस्याओं का विवेचन कीजिए।
उत्तर―(i) बंबई एक भीड़-भाड़ वाला शहर था क्योंकि कि वहाँ एक
व्यक्ति के पास निवास के लिए केवल 9.5 वर्ग गज स्थान था।
(ii) 70% कामकाजी लोग बंबई की भीड़भाड़ वाली चॉलों में रहते थे।
चॉलें बहुमंजिला भवन होती थीं जिन्हें 1860 के दशक में नगर के 'नेटिव' हिस्सों
में बनाना शुरू किया गया ।
(iii) पर बहुत छोटे थे जिसके कारण गलियों और पड़ोस को विभिन्न प्रकार
की गतिविधियों और सामाजिक उत्सवों समारोहों के लिए प्रयुक्त करते थे।
(iv) दमित वर्ग के लोगों के लिए घर ढूंँढ पाना अति कठिन था।
प्रश्न 22. कलकत्ता की प्रदूषण-समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर―(i) कलकत्ता का वायु-प्रदूषण का पुराना इतिहास है। यहाँ के लोग
वर्ष भर धुएँ की मटमैली हवा में साँस लेते थे, विशेषत: सर्दियों में । दलदली भूमि
पर बसा होने के कारण नगर में अधिक कोहरा पैदा होता था जो धुएँ के साथ
मिलकर काली धुँध पैदा कर देता है।
(ii) ईंधन के रूप में उपलों तथा ईंधन जलाने से भारी वायु प्रदूषण रहता था।
(iii) औपनिवेशिक अधिकारियों ने शुरू-शुरू में दुर्गध पैदा करने वाले
स्थानों की सफाई का मन बनाया परन्तु 1855 में शुरू हुई रेलवे लाइन ने तो एक
और प्रदूषक तत्त्व रानीगंज से आने वाला कोयला भी सामने ला दिया। भारतीय
कोयले में राख अधिक होती है जिस कारण अधिक समस्या पैदा हो गई। गंदे
कारखानों को शहर से बाहर निकालने के लिए कई याचिकाएं दी गई परन्तु कोई
फल न निकला।
(iv) कलकत्ता पहला नगर था जहाँ 1863 में धुआँ निरोधक अधिनियम
पारित किया गया था।
(v) बंगाल धुआँ निरोधक आयोग के निरीक्षकों ने अंततः औद्योगिक धुर र
काबू पा लिया । परन्तु घरेलू धुएँ पर नियंत्रण कर पाना अभी बहुत कठिन था।
प्रश्न 23. मुम्बई में निवास कर रहे लोगों के सामाजिक जीवन पर
चर्चा करें।
उत्तर―भीड़-भाड़ वाले शहर होने के कारण मुम्बई के लोगों में परस्पर
निर्भरता बन गई थी।
(i) घर छोटे होने के कारण गोलियों और पड़ोस को विभिन्न प्रकार को
गतिविधिों व सामाजिक समारोहों के लिए प्रयुक्त किया जाता था।
(ii) कई खुले मैदानों में शरावघर तथा अखाड़े खुल गए।
(iii) गलियाँ खोलने तथा अन्य आराम की गतिविधियों के लिए प्रयुक्त होती है।
(iv) मिलों के आसपास की बस्तियों में जाति कुटुंब के मुखिया गाँव प्रधान
जैसी हैसियत रखते थे। कई बार मिल-मजदूरों का ठेकेदार ही मोहल्ले का नेता
भी होता था। वह विवादों को सुलझाता, खाने-पीने का प्रबंध करता र
आवश्यकता पड़ने पर ऋण भी उपलब्ध करवाता था। वह राजनीतिक दशके
बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियाँ लाता था।
◆◆◆