Jharkhand Board Class 10 History Notes | भूमंडलीकृत विश्व का बनना
JAC Board Solution For Class 10TH ( Social science ) History Chapter 4
(The Making of a Global World)
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.19वीं सदी में यूरोपीय लोग भागकर अमेरिका क्यों जाने लगे थे ?
उत्तर―(i) 19वीं सदी तक यूरोप में गरीबी और भूख का साम्राज्य था।
(ii) नगरों में भीड़ थी और वहाँ भयानक रोग व्यापक रूप में फैले हुए थे।
(iii) धार्मिक विवाद आम थे और धार्मिक असंतुष्टों को दौडत किया जा रहा
था। अतः लोग यूरोप छोड़कर अमेरिका में प्रवास करने लगे थे।
प्रश्न 2. अफ्रीकी मजदूरों को प्रशिक्षित करने तथा कब्जे में रखने के
लिए यूरोपीय मालिक क्या ढंग अपनाते थे?
उत्तर―(i) भारी टैक्स लगाए जाते जिन्हें चुकाने के लिए बागानों तथा खानों
में वेतन के लिए मजदूरी करनी पड़ती थी।
(ii) किसानों को उनकी जमीन से हटाने के लिए उत्तराधिकार कानून भी
बदल दिए गए । अब परिवार के केवल एक सदस्य को पैतृक संपत्ति मिलेगी और
अन्य लोगों को श्रम बाजार में धकेला जाता था।
(iii) खानकर्मियों को बाड़ों में बंद कर दिया जाता और उनके स्वतंत्र
घूमने-फिरने पर पाबंदी लगा दी गई।
प्रश्न 3. उदाहरण देकर गिरमिटिया श्रमिक (Indentured labour)
का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर―यह एक प्रकार की बंधुआ मजदूरी होती थी जिसके अनुसार मालिक
किसी मजदूर व्यक्ति को विशेष समय और धन के अनुबंध पर किसी भी देश या
घर में काम करवाने के लिए प्रयुक्त कर सकता था।
19वीं सदी में लाखों भारतीय तथा चीनी मजदूर विश्व के विभिन्न भागों के
बागानों, खानों, सड़कों तथा रेलवे निर्माण परियोजनाओं में काम करने के लिए
गए। भारत में गिरमिटिया मजदूरों को अनुबंध पर लिया जाता था और उन्हें
मालिक के बागानों में पाँच वर्ष तक काम करने के बाद वापस भारत में ले आने
की बात कही जाती थी।
प्रश्न 4. गिरमिटिश मजदूरी के लिए उत्तरदायी चार घटकों की चर्चा करें।
उत्तर―(i) भारत में कुटीर उद्योगों की अवनति ।
(ii) भू-लगान में वृद्धि।
(iii) अफ्रिका में रिंडरपेस्ट रोग के कारण पशुधन का नाश ।
(iv) बेरोजगारी तथा निर्धनता ।
प्रश्न 5. ब्रिटेन में औद्योगीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या
प्रभाव पड़ा?
उत्तर―(i) औद्योगीकरण के कारण ब्रिटेन में कपास का उत्पादन फैलने लगा
और उद्योगपतियों ने सरकार पर दबाव डाला कि वह कपास के आयात पर रोक
लगाए और स्थानीय उद्योगों की रक्षा करे। ब्रिटेन में आयातित कपड़ों पर सीमा शुल्क
थोप दिए गए। फलतः वहाँ महीन भारतीय कपास का आयात कम होने लगा।
(ii) 19वीं सदी के प्रारंभ से ही ब्रिटिश कपड़ा उत्पादक अन्य देशों में भी
अपने कपड़े के लिए नए-नए बाजार ढूँढ़ने लगे थे।
ब्रिटिश मशीनों द्वारा बने कपड़े ने भारतीय कपड़ा उद्योगों को अपने ही घर
के में भारी प्रतिस्पर्धा में डाल दिया।
अतः सूती कपड़े के निर्यात में लगातार गिरावट आने लगी। सन् 1800 के
आसपास निर्यात में सूती कपड़े का प्रतिशत 30 था, जो 1815 में घटकर 15%
रह गया था
प्रश्न 6. प्रथम विश्वयुद्ध में संकल्पित देशों के नाम बताएँ।
उत्तर―यह युद्ध युरोपीय शक्तियों के दो शक्तिशाली गुटों के बीच लड़ा
गया था अर्थात् ट्पिल एंटेट या केंद्रीय शक्तियों के बीच ।
एक ओर मित्र राष्ट्र ब्रिटेन, फ्रांस और रूस (बाद में अमेरिका भी) थे तो
दूसरी ओर केंद्रीय शक्तियाँ-जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी तथा ऑटोमन तुर्की थे।
प्रश्न 7. नयी अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली (NIEO) क्या है ?
उत्तर―यह विकासशील देशों द्वारा 1970 के दशक में प्रस्तुत किए गए
प्रस्तावों का एक समुच्चय था जिसके उद्देश्य निम्नलिखित थे-
(i) अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर विकासशील देशों के पक्ष में पुनर्विचार ।
(ii) विकासशील देश एक ऐसी व्यवस्था चाहते थे जो उन्हें उनके प्राकृतिक
संसाधनों पर नियंत्रण दिला सके।
(iii) विकासशील देश ऐसी व्यवस्था निश्चित करना चाहते थे जिससे उन्हें
कच्चे माल के सही दाम मिलें और अपने तैयार माल को विकसित देशों के
बाजारों में बेचने के लिए बेहतर पहुँच मिले ।
(iv) विकासशील देशों को बहुराष्ट्रीय निगमों की गतिविधियों को संचालित
नियंत्रित करने का अधिकार मिले।
प्रश्न 8. कृषि अर्थव्यवस्था पर प्रथम विश्व युद्ध के प्रभावों का वर्णन
करें।
उत्तर―प्रथम विश्व युद्ध का कृषि अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव को देखने के
लिए गेहूँ उत्पादकों का उदाहरण देखना होगा । युद्ध पूर्व पूर्वी यूरोप, विश्व बाजार
में गेहूँ की आपूर्ति करने वाला एक बड़ा केन्द्र था। युद्ध काल में आपूर्ति
अस्त-व्यस्त हुई तो कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रलिया गेहूँ की उपज अचानक
बढ़ने लगी। जैसे ही युद्ध खत्म हुआ, पूर्वी यूरोप में गेहूँ की उपज सुधरने लगी
और विश्व बाजार में गेहूं की उपज सुधरने लगी भी गेंहूँ की अति की स्थिति पैदा
हो गई। अनाज के दाम गिर गए, ग्रामीणों की आय कम हो गई और किसान गहरे
कर्ज में डूब गए।
प्रश्न 9. 'पहला विश्व युद्ध आधुनिक औद्योगिक युद्ध था ?' व्याख्या करें।
उत्तर―इस युद्ध में मशीनगनों टैंकों, हवाई जहाजों और रासायनिक हथियारों
का भयानक पैमाने पर इस्तेमाल किया गया। ये सभी चीजें आधुनिक विशाल
उद्योगों की देन थीं। युद्ध के लिए दुनिया भर से असंख्य सिपाहियों की भर्ती की
जानी थी और उन्हें विशाल जलपोतों व रेलगाड़ियों में भर कर युद्ध के मोर्चों पर
ले जाया जाना था। इस युद्ध ने मौत और विनाश की जैसी विभीवका रची उसकी
औद्योगिक युग से पहले और औद्योगिक शक्ति के बिना कल्पना नहीं की जा
सकती थी। युद्ध में 90 लाख से ज्यादा लोग मारे गए और 2 करोड़ घायल हुए।
प्रश्न 10. अनुबंधित मजदूर क्या है ?
उत्तर―एक अनुबंध के अन्तर्गत एक बंधुआ मजदूर एक नए देश अथवा
अपने घर तक के मार्ग का खर्चा चुकाने के लिए अपने मालिक के अधीन एक
निश्चित समय अवधि के लिए काम करता है।
प्रश्न 11. भारतीय मजदूर अन्य देशों में प्रवास क्यों कर रहे हैं ?
उत्तर―19वीं शती के मध्य में, ग्रामीण भारत में कई बदलाव आए-कुटीर
उद्योगों का पतन हुआ, जमीन का लगान बहुत बढ़ गया, उद्योगों का पतन हुआ,
भूमि को खदानों तथा कृषि के लिए साफ किया गया। इससे गरीबों का जीवन
प्रभावित हुआ, वे लगान चुकाने में असमर्थ हो गए, वे कर्ज में डूब गए तथा काम
की खोज में विदेश जाने को मजबूर हो गए।
प्रश्न 12. 19वीं सदी की विश्व अर्थव्यवस्था को आकार देने में
प्रौद्योगिकी (Technology) की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
उत्तर―(i) विश्व अर्थव्यवस्था का रूपांतरण-प्रौद्योगिकी ने सभी प्रकार
के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। रेलवे, भाप के जहाज, टेलिग्राफ आदि।
महत्त्वपूर्ण आविष्कार थे जिनके बिना 19वीं सदी की विश्व अर्थव्यवस्था को
आकार नहीं दिया जा सकता था।
(ii) बाजारों की परस्पर संबद्धता―परिवहन में नए निवेश व सुधारों से
तीव्रगामी रेलगाड़ियाँ, हल्की बोगियाँ और विशालकाय जलपोतों को कम खर्च पर
उत्पादों को खेतों से दूर-दूर के बाजारों में सुगमता से पहुँचाने में सहायता की।
(iii) मांस के व्यापार पर प्रभाव―1870 के दशक तक अमेरिका से यूरोप
को मांस का निर्यात नहीं किया जाता था अपितु जिंदा जानवर भेजे जाते जिन्हें यूरोप
ले जाकर काया जाता था। जीवित जानवर जलपोतों में अधिक जगह पैरते थे।
समुद्री यात्रा में कई पशु मर जाते, बीमार हो जाते, भार कम हो जाता या फिर अखाद्य
बन जाते। अतः मांस के दाम बहुत ऊँचे और निर्धन यूरोपीयों की पहुँच परे थे।
उच्च कीमतों के कारण माँग तथा उत्पादन बहुत कम था । परन्तु रेफ्रिजरेशन युक्त
जलपोतों ने मांस को एक क्षेत्र से दूसरे तक परिवहन करना सुगम बना दिया ।
प्रश्न 12. प्रथम विश्वयुद्ध के प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा, 'प्रथम विश्वयुद्ध यूरोप में लड़ा गया परन्तु उसके प्रभाव पूरे
विश्व में अनुभव किए गए।' सोदाहरण स्पष्ट करें।
उत्तर―(i) विश्वयुद्ध―प्रथम विश्वयुद्ध अपने पूर्ववर्ती युद्धों से पूर्णत: भिन्न
था। इस लड़ाई में विश्व के अग्रगामी औद्योगिक देश परस्पर जूझ रहे थे और
शत्रुओं को तबाह करने के लिए उनके पास असीम आधुनिक औद्योगिक शक्ति
इकट्ठा हो चुकी थी।
(ii) आधुनिक औद्योगिक युद्ध―यह पहला आधुनिक औद्योगिक युद्ध था।
इसमें मशीनगनों, टैंकों, विमानों और रासायनिक अस्त्रों का व्यापक मात्रा में उपयोग
हुआ। ये सभी चीजें आधुनिक विशाल उद्योगों की देन थीं।
(iii) कामकाजी बल में कमी―मृतकों और घायलों में अधिकतर कामकाजी
आयु के लोग थे। इस महाविनाश से यूरोप में कामकाज के लायक लोगों की
संख्या बहुत कम हो गई। परिवार के सदस्य कम हो जाने से युद्ध के बाद परिवारों
की आय भी गिर गई।
(iv) नयी सामाजिक व्यवस्था―युद्ध समस्त समाज तथा अर्थव्यवस्था के
पुनर्गठन के लिए उत्तरदायी था । युद्धकाल में उद्योगों को युद्ध-संबंधी वस्तुओं के
उत्पादन के लिए पुनर्गठित किया गया । उपभोक्ता वस्तुओं की कमी हो गई। पुरुष
मोर्चे पर जाने लगे तो उन कामों को करने के लिए घरेलू औरतों को बाहर आना
पड़ा, जिन्हें अब तक केवल पुरुषों का काम माना जाता था।
(v) अमेरिका का महाशक्ति के रूप में उदय―युद्धोपरांत अमेरिका विश्व
की महाशक्ति बन गया। ब्रिटेन को युद्ध के लिए अमेरिकी बैंकों और अमेरिकी
जनता से भारी ऋण लेना पड़ा। परिणामस्वयप उसका आर्थिक वर्चस्व पूर्णत:
स्थापित हो चुका था। अतः युद्ध ने उसे कर्जदार की बजाय अंतर्राष्ट्रीय कर्जदाता
देश बना दिया।
प्रश्न 13. महामंदी के विषय में आप क्या जानते हैं ? इसके लिए उत्तरदायी
प्रमुख घटकों (कारणों) को विवेचित करें। [JAC 2013 (A)]
अथवा, महामंदी के कारणों की व्याख्या कीजिए।
[JAC 2009 (S), 2015 (A)]
उत्तर―आर्थिक महामंदी का अर्थ किसी देश की ऐसी आर्थिक दशा से है
जब उत्पादन में भारी वृद्धि, लोगों की क्रयशक्ति में तीव्र गिरावट और मुद्रा के
वास्तविक मूल्य में कमी आ जाए। ऐसी आर्थिक महामंदी 1929 में अमेरिका में
आई थी और इसने समस्त विश्व को ग्रास बना लिया जिसके कारण इसे महामंदी
कहा जाता है।
(i) युद्ध द्वारा उत्पन्न स्थितियाँ―प्रथम युद्ध काल में सेना से संबंधित
वस्तुओं की माँग में वृद्धि के कारण भारी औद्योगिक प्रसार किए गए। युद्ध के
बाद उद्योग अपनी सामान्य स्थिति में आ गए । सैनिक व युद्ध संबंधी माल की
माँग में तीव्र कमी के कारण आर्थिक महामंदी का जन्म हुआ।
(ii) कृषि में अधिक उत्पादन―महामंदी के लिए उत्तरदायी घटकों में से
एक कृषि सम्बंधी अति-उत्पादन भी था। इससे कृषि-वस्तुओं की कीमतों में भारी
कमी आई। कीमतें घटने से कृषि संबंधी आय भी घट गई जिसके कारण किसानों
ने अपना उत्पादन बढ़ाने की कोशिश की ताकि वे अपनी समग्र आय स्तर को
बनाए रखने के लिए भारी मात्रा में उत्पादों को बाजार में ला सकें। इससे बाजा
में कृषि उत्पादों की आमद बदी, कीमतें और नीचे चली गई और खरीददारों
अभाव में उपज सड़ने लगी।
(iii) ऋणों की कमी―1920 के दशक के मध्य में बहुत से देशों ने
अमेरिका से ऋण लेकर अपनी निवेश संबंधी जरूरतों को पूरा किया था। जब
स्थिति ठीक थी तो अमेरिका से ऋण जुटाना सरल था लेकिन संकट का संकेत
मिलते ही अमेरिकी उद्यमियों में खलबली मच गई। 1928 के पूर्वाद्ध तक विदेशों
में अमेरिका का ऋण एक अरब डॉलर था। साल भर के भीतर यह ऋण घटकर
केवल चौथाई रह गया था। जो देश अमेरिकी ऋण पर सबसे ज्यादा निर्भर थे,
उनके सामने गहरा संकट आ खड़ा हुआ
(iv) अनेकविध प्रभाव (Multiple effects)―बाजार से ऋणदाताओं के
उठ जाने से अनेकविध प्रभाव सामने आए। यूरोप में कई बड़े बैंक धराशायी
गए, मुद्रा लुढ़क गई और ब्रिटिश पाउंड भी इस झटके से नहीं बच सका । लैटिया
अमेरिका और अन्य स्थानों पर कृषि व कच्चे माल की कीमतें तेजी से गित
अमेरिकी सरकार इस महामंदी से अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के
आयातित पदार्थों पर दोगुना सीमाशुल्क वसूलने लगी जिससे विश्व व्यापार की
कमर ही टूट गई।
प्रश्न 14. सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो
उदाहरण दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिका
महाद्वीपों के बारे में चुनें । एक उदाहरण एशिया तथा एक अमेरिका से
चुनिए। [NCERT]
उत्तर―(i) आहार का आदान-प्रदान―आहार विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक
आदान-प्रदान के अनेक उदाहरण प्रस्तुत करता है। ऐसा विश्वास है कि नूडल्स
चीन से पश्चिम में जाकर स्पैधेती बन गए।
(ii) कीटाणुओं का आदान-प्रदान―16वीं सदी के मध्य तक आते-आते
पुर्तगाली और स्पेनिश सेनाओं विजय का सिलसिला शुरू हो चुका था।
उन्होंने अमेरिका को उपनिवेश बनाना शुरू कर दिया था। यूरोपीय सेनाएँ केवल
अपनी सैनिक शक्ति से नहीं जीतती थीं। स्पेनिश विजेताओं के सबसे शक्तिशाली
हथियारों में परंपरागत सैनिक हथियार तो कोई था ही नहीं यह हथियार तो चेचक
जैसे कीटाणु थे जो स्पेनिश सैनिकों और अफसरों के साथ वहाँ जा पहुंचे थे।
लाखों वर्ष से दुनिया से अलग-थलग रहने के कारण अमेरिका के लोगों के शरीर
में यूरोप से आने वाली इन बीमारियों से बचने की रोग-प्रतिरोधी क्षमता नहीं थी।
फलतः नए स्थान पर चेचक घातक सिद्ध हुई। एक बार संक्रमण शुरू होने के
बाद यह पूरे महाद्वीप में फैल गई। जहाँ यूरोपीय लोग नहीं पहुंचे थे, वहाँ के लाग
भी इसके चपेट में आने लगे। इसने पूरे के पूरे समुदाय को खत्म कर डाला
जिससे घुसपैठियों की जीत का मार्ग प्रशस्त होता गया।
प्रश्न 15. खाद्य की उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दिखाने के
लिए इतिहास में से दो उदाहरण दीजिए। [NCERT; 2019 (A)]
उत्तर―(i) विभिन्न बाजारों में सस्ते भोजन की उपलब्धता―परिवहन में
सुधारों, तीव्रगामी रेलों, हल्की बोगियों और विशाल जलपोतों ने भोजन को कम
दरों पर संचालित करना शुरू कर दिया ताकि वे खेतों से सीधे अंतिम बाजार तक
तुरंत पहुँच सकें।
(ii) मांस पर प्रभाव―1870 के दशक तक अमेरिका से यूरोप के लिए
मांस जीवित पशुओं के रूप में जलपोतों द्वारा भेजा जाता था और वहाँ जाकर उन्हें
काटा जाता था। पशु समुद्री जहाज में अधिक जगह घेरते थे परन्तु रेफ्रिजरेशन
वाले जलपोतों के आविष्कार ने मांस के एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र तक परिवहन में
सहायता की।
अब पशु अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया या न्यूजीलैंड में काटे जाने लगे और तब
उनका ठंडा किया गया माँस यूरोप के लिए भेजा जाने लगा। रेफ्रिजरेशन वाले
जलपोतों की निम्नलिखित विशेषताएँ थीं―
(a) इससे जलपोतों की लागत घट गई और यूरोप में मांस की कीमतें गिर गई।
(b) यूरोप का निर्धन वर्ग अब विभिन्न पूर्ण भोजन ले सकता था।
(c) पहले की ब्रैड और आलू की इकरसता टूटी और अब माँस (मक्खन
तथा अंडे) भी उपलब्ध होने लगा था।
(d) बेहतर जीवन की अवस्थाओं ने देश में सामाजिक शांति बहाल की और
विदेश में साम्राज्यवाद को समर्थन मिलने लगा।
प्रश्न 16. अतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या
प्रवाहों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों
से संबंधित एक-एक उदाहरण दें और उनके बारे में संक्षेप में लिखें।
[JAC 2014 (A)]
उत्तर―(i) व्यापार-प्रवाह―व्यापार-प्रवाह का अध वस्तुआ का व्यापार है।
औद्योगीकरण से पूर्व भारत कपास के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक था । ब्रिटिश
निर्माताओं ने औद्योगीकरण के साथ-साथ अपना विस्तार शरू कर दिया और
उद्योगपतियों ने सरकार को आयात पर नियंत्रण लगाकर देश के स्थानीय उद्योगों
की सुरक्षा करने पर बल दिया। ब्रिटेन में कपड़े के आयात पर सीमाशल्क लगा
दिया गया। फलतः देश में भारतीय बारीक सूत का आयात कम हो गया।
(ii) श्रम-प्रवाह―इसमें रोजगार की खोज में लोगों का प्रवास शामिल है।
19 वीं सदी में लाखों भारतीय श्रमिक बागानों, खानों, सड़कों तथा रेल-निर्माण
की परियोजनाओं में काम करने के लिए विश्व के विभिन्न भागों में गए । भारत
में गिरमिटिया श्रमिकों को अनुबंध पर काम करने के लिए ले जाया जाता था
जिसकी शर्त थी कि पांच वर्ष तक काम करने के बाद बागान मालिक उन्हें वापस
भारत आने देंगे।
भारतीय गिरमिटिया अप्रवासियों के मुख्य लक्ष्य कैरिबियाई द्वीप समूह
(विशेषतः त्रिनिदाद, गुयाना और सुरीनाम) मॉरिशस और फिजी थे। तमिल
अप्रवासी अपने घर के पास श्रीलंका व मलय चले जाते थे। गिरमिटिया मजदूरों
को असम के चाय बागानों के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता था।
(iii) पूँजी-प्रवाह―में पूँजी की गतिशीलता शामिल है जिसे अल्प या दीर्घ
अवधि के लिए सुदूर क्षेत्रों में निवेश किया जाता है। शिकारीपूरी श्रॉफ और
नेट्टुकोट्टई चेट्टियार उन कई बैंकरों और व्यापारियों में से थे जो मध्य एवं दक्षिण
पूर्व एशिया में नियांतोन्मुखी खेती के लिए ऋण देते थे। इसके लिए वे या तो जेब
से पैसा लगाते थे या यूरोपीय बैंकों से ऋण लेते थे।
अफ्रीका में यूरोपीय उपनिवेशकारों के पीछे-पीछे भारतीय व्यापारी और
महाजन भी जा पहुँचे। वहाँ हैदराबादी सिंघी जैसे कुछ ऋणदाता थे जो यूरोपीय
उपनिवेश से भी आगे जा निकले।
प्रश्न 17. जी-77 देशों से आप क्या समझते हैं? जी-77 को किस
आधार पर बेटन वुड्स का जुड़वां संतानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता
है? व्याख्या करें। [JAC 2012 (A)]
उत्तर―जी-77 विकासशील देशों का संगठन है। ये मुख्यतः एशिया तथा
अफ्रीका के नवस्वतंत्र राष्ट्र हैं। इन्हें मुख्यत: 20वीं शताब्दी के अंतिम पाँच-छ:
दशों में साम्राज्यवादी देशों से मुक्ति मिली थी।
बेटेन वुड्स की जुड़वाँ संतानों की प्रतिक्रिया―ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई० एम० एफ०) तथा अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं
विकास बैंक (विश्व बैंक) की स्थापना की गई थी। इन्हीं दो संस्थाओं को ब्रेटन
वुड्स की जुड़वां संतानें कहा जाता है। इनका उद्देश्य सदस्य देशों के विदेश
व्यापार में लाभ और घाटे से निपटना तथा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पुनर्निर्माण
के लिए पैसा जुटाना था। इन संस्थाओं ने औपचारिक रूप से 1947 में काम
करना आरंभ किया।
इस अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था से पश्चिम के औद्योगिक राष्ट्रों तथा जापान के लिए
व्यापार तथा आय में वृद्धि के नये मार्ग खुल गए । 1950 से 1970 के बीच विश्व
व्यापार की वार्षिक विकास दर 8 प्रतिशत से भी अधिक रही। इस दौरान विश्व
की आय में लगभग 5 प्रतिशत की दर से वृद्धि होती रही। विकास दर में बहुत
कम उतार-चढ़ाव आए। इस अवधि में अधिकांश औद्योगिक देशों में बेरोजगारी
औसत रूप से 5 प्रतिशत से भी कम रही। इसके अतिरिक्त तकनीक और उद्यम
का विश्वव्यापी प्रसार हुआ। ये लक्षण लगभग सभी विकसित देशों में दिखाई दिए।
दूसरी ओर विकासशील देश विकसित देशों के बराबर पहुँचने का हर संभव
प्रयास करते रहे। इसीलिए उन्होंने आधुनिक तकनीक से चलने वाले संयंत्रों और
उपकरणों के आयात पर अत्यधिक पूजो व्यय की परन्तु उन्हें पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं
की तेज प्रगति से कोई लाभ नहीं हुआ। अतः उन्होंने एक नयी अंतर्राष्ट्रीय
आर्थिक प्रणाली (New International Economics Order―NIEO) के
लिए आवाज उठाई । एन०आई०ई०ओ० (NIEO) से उनका अभिप्राय एक ऐसी
व्यवस्था से था जिसमें उन्हें―
(i) औपनिवेशिक शक्तियों के शोषण से मुक्ति मिले।
(ii) अपने संसाधनों पर सच्चे अर्थों में उनका नियंत्रण स्थापित हो सके।
(iii) उन्हें विकास के लिए अधिक सहायता मिले ।
(iv) उन्हें कच्चे माल के उचित दाम मिलें और वे अपने तैयार माल को विकसित
देशों के बाजारों में बेच सकें।
अपने लक्ष्य को पाने के लिए विकासशील राष्ट्र जी-77 के रूप में संगठित
हो गए । इसी आधार पर जो-77 को ब्रेटन वुड्स को जुड़वां संतानों को प्रतिक्रिया
कहा जाता है।
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