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 Jharkhand Board Class 10 Hindi Notes | आत्मकथ्य ― जयशंकर प्रसाद  Solutions Chapter 5

         

                 पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर

प्रश्न 1. कवि आत्मकथा लिखने से क्या बचना चाहता है?
उत्तर―कवि आत्मकथा लिखने से इसलिए बचना चाहता है, क्योंकि―
● उसमें मन की दुर्बलताओं, भूलों और कमियों का उल्लेख करना होगा।
● उसके द्वारा धोखा देने वालों की पोल-पट्टी खुलेगी और फिर-से घाव
हरे होंगे।
● उससे कवि के पुराने दर्द फिर से हरे हो जाएंगे। उसकी सीवन उधड़
जाएगी।
● उसमें निजी प्रेम के अंतरंग क्षणों को भी सार्वजनिक करना पड़ेगा । जबकि
ऐसा करना उचित नहीं है। निजी प्रेम के क्षण गोपनीय होते हैं।

प्रश्न 2. आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में 'अभी समय भी नहीं' कवि ऐसा
क्यों कहता है?
उत्तर―इसके दो कारण हैं―
(1) कवि के अनुसार, अभी उसने ऐसी कोई महान उपलब्धि नहीं पाई है कि
वह उसके बारे में सबको बताए और कुछ प्रेरणा दे।
(2) अभी कवि की व्यथाएँ मन में सोई हुई हैं। वह शांतचित्त है। वह
आत्मकथा लिखकर अपनी व्यथाओं को फिर से ताजा नहीं करना चाहता ।

प्रश्न 3. स्मृति को 'पाथेय' बनाने से कवि का क्या आशय है ?      [JAC 2015 (A)]
उत्तर―स्मृति को 'पाथेय' अर्थात् रास्ते का भोजन या सहारा या संबल बनाने का
आशय यह है कि कवि अपने प्रेम की मधुर यादों के सहारे ही जीवन जी रहा है।

प्रश्न 4. 'उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की'-कथन के
माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर―इस कथन के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि निजी प्रेम के मधुर
क्षण सबके सामने प्रकट करने योग्य नहीं होते। मधुर चाँदनी रात में बिताए गए
प्रेम के उजले क्षण किसी उज्ज्वल कहानी के समान होते हैं। यह गाथा बिल्कुल
निजी संपत्ति होती है। अतः आत्मकथा में इनके बारे में कुछ लिखना अनावश्यक
है।

प्रश्न 5. 'आत्मकथ्य' कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ उदाहरण
सहित लिखिए।
उत्तर―'आत्मकथ्य' कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं―
संस्कृतनिष्ठ भाषा-इसमें संस्कृत के शब्दों का अधिक प्रयोग हुआ है।
उदाहरणतया―
इस गंभीर अनंत नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास ।
सांकेतिकता–इस कविता में संकेतों और प्रतीकों के माध्यम से भावनाएँ व्यक्त
की गई हैं। उदाहरणतया―
           तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती ।
यहाँ 'रीती गागर' असफल जीवन का प्रतीक है। कवि ने इस अस्पष्टता या
छायावादी शैली का प्रयोग आगे भी किया है। देखिए―
               उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की।
मानवीकरण शैली―छायावाद की प्रमुख विशेषता है-मानवीकरण । यहाँ
मानवेतर पदार्थों को मानव की तरह सजीव बनाकर प्रस्तुत किया गया है। जैसे―
              थकी सोई है मेरी मौन व्यथा ।
              अरी सरलते तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं।
प्राकृतिक उपमान―छायावादी कवि प्रकृति के उपमानों में माध्यम से बात
करते हैं। इस कविता में भी मधुप, पत्तियाँ, नीलिमा, चाँदनी रात आदि प्राकृतिक
उपमानों का प्रयोग किया गया है।

गेयता और छंदबद्धता―अन्य छायावादी गीतों की भाँति यह गीत भी गेय और
छंदबद्ध है। कवि ने सर्वत्र तुक, लय और मात्राओं का पूरा ध्यान रखा है। हर पंक्ति
के अंत में दीर्घ स्वर और अंत्यानुप्रास का प्रयोग है। उदाहरणतया―
           उसकी स्मृति पाथेय बनी है थके पथिक की पंथा की।
            सीवन को उधेड़ कर देखोगे क्यों मेरी कंथा की ?

प्रश्न 6. कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस रूप
में अभिव्यक्त किया है?      [JAC 2009 (A); 2010 (A); 2017 (A)]
उत्तर―कवि ने स्वप्न में अपनी प्रेमिका को आलिंगन में होने का सुख देखा
था। उसने सपना देखा था कि उसकी प्रेमिका उसकी बाहुओं में है। वे मधुर चाँदनी
रात में प्रेम की चुलबुली बातें कर रहे हैं। वे खिलखिला रहे हैं, हँस रहे हैं, मनोविनोद
कर रहे हैं। उसकी प्रेमिका के गालों की लाली उषाकालीन लालिमा को भी मात
देने वाली है।

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