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 Jharkhand Board Class 10 Hindi Notes |  यह दंतुरित मुसकान/फसल ― नागार्जुन Solutions Chapter 6


             काव्यांशों पर आधारित अर्थ-ग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

काव्यांश 1. तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान
                 मृतक में भी डाल देगी जान/धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात...
                 छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात
                 परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
                 पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण
                 छू गया तुमसे कि झरने लग पड़ शेफालिका के फूल
                 बाँस था कि बबूल?

प्रश्न- 'दतुरित मुसकान' किसे कहा गया है? मृतक में जान डालने की
शक्ति किसमें है? आशय स्पष्ट करें।
उत्तर―किसी नन्हें शिशु के नये दाँत भरे मुसकान को 'दंतुरित मुसकान' कहा
गया है। उस शिशु की मुस्कान बड़ी मनमोहक होती है। उसकी मुसकान में मृतक
में भी जान डालने की शक्ति है। कवि के कहने का आशय यह है कि उस प्रकार
के शिशु की मुस्कान में वह शक्ति छिपी है जो किसी भी प्रकार के मनुष्य को
सरस बना सकती है।

प्रश्न-कवि के अनुसार शिशु के स्पर्श से क्या-क्या परिवर्तन हुए?
अथवा, 'पाषाण' का क्या निहितार्थ है?
उत्तर―शिशु के स्पर्श से कठोर पत्थर पिघलकर पानी बन गया है। कवि के
कहने का अभिप्राय यह है कि शिशु के उस रूप को देखकर कठोर से कठोर
हृदय का व्यक्ति भी उसकी ओर आकर्षित हो जाता है। उस शिशु के स्पर्श से
मानो काँटेदार पेड़ों से भी शेफालिका के फूल की वर्षा होने लगी है।

प्रश्न-शिशु के धूल धूसरित शरीर को देखकर कवि को कैसा लगता है?
उत्तर―शिशु के धूल-धूसरित शरीर को देखकर कवि को ऐसा लगता है कि
झोपड़ी में कमल के फूल खिल उठे हैं। कवि के कहने का आशय यह है कि
झोपड़ी में भी आनन्द का माहौल छा जाता है।

प्रश्न-झोपड़ी में कमल खिलने का क्या आशय है?
उत्तर―झोपड़ी में कमल खिलने का आशय है, झोपड़ी में प्रसन्नता का
वातावरण छा जाना।

काव्यांश 2. धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य!
                 चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!
                  इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा संपर्क
                  उँगलियाँ माँ की कराती रही हैं मधुपर्क
                  देखते तुम इधर कनखी मार
                  और होती जब कि आँखें चार
                  तब तुम्हारी दंतुरित मुसकान
                  मुझे लगती बड़ी ही छविमान।

प्रश्न-कवि उस मोहक शिशु की माँ को धन्य क्यों कह रहा है? दो कारण
दें।
अथवा, कवि किसकी माँ को धन्य कह रहा है और क्यों?
उत्तर―कवि उस मोहक शिशु की माँ को धन्य मानता है, क्योंकि―
―वह उस प्यासे शिशु को जन्म देकर माँ बनी।
―वह उस प्रकार के सुन्दर शिशु का पालन-पोषण करती है और उसकी छवि
को निहारती है।

प्रश्न-कवि स्वयं को क्या कहता है और क्यों?
अथवा, कवि अपने लिए 'चिर प्रवासी', 'इतर' और 'अन्य' विशेषणों
का प्रयोग क्यों करता है?
उत्तर―कवि लगातार लम्बी यात्राओं में व्यस्त रहा है। इसलिए वह अपने लिए
'चिर प्रवासी' विशेषण का प्रयोग करता है। उन दोनों से अलग रहने के कारण
वह अपने को 'इतर' मानता है। उस शिशु की प्यार भरी दुनिया से अलग रहने के
कारण अपने को 'अन्य' मानता है।

प्रश्न-बच्चे से स्नेह पाने के लिए सम्पर्क की क्या महत्ता है?
उत्तर―बच्चे से स्नेह पाने के लिए सम्पर्क की बहुत बड़ी भूमिका है। बच्चे
को अपना बनाने के लिए उनके बीच रहना आवश्यक है।

प्रश्न- 'मधुपर्क' किसे कहते हैं? 'मधुपर्क' का सांकेतिक अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर―'मधुपर्क' दूध, दही, घी और जल से बना एक तरल पदार्थ होता है।
यहाँ 'मधुपर्क' का सांकेतिक अर्थ है, माँ की आत्मीयता और उसका वात्सल्य।

                                   फसल

काव्यांश 1. एक के नहीं,
                दो के नहीं,
                 ढेर सारी नदियों के पानी का जादू
                 एक के नहीं
                 दो के नहीं,
                 लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा :
                 एक की नहीं,
                 दो की नहीं,
                 हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म ।

प्रश्न-'पानी का जादू' से क्या तात्पर्य है?
उत्तर―'पानी का जादू' से तात्पर्य है-पानी में मिले जीवनदायी अमृत तत्त्व
जिन्हें पाकर फसलें फल-फूल कर बड़ी हुई हैं।

प्रश्न-“एक के नहीं, दो के नहीं' कवि का क्या आशय हैं?
उत्तर―कवि 'एक नहीं, दो नहीं' के द्वारा यह कहना चाहता है कि जिन फसलों
को हम खाते हैं, उन्हे उगाने और आप तक पहुचने में असंख्य लोंगों का, हजारों
खेतों का, अनगिनत नदियों का योगदान है। ये किसी एक व्यक्ति, स्थान या नदी
की महिमा का फल नहीं है।

प्रश्न-'कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर―इसका आशय है-फसलों को उगाने में देश के करोड़ों-करोड़ों किसानों
ने अपने हाथों से श्रम किया है। इनके उगने में अनगिनत किसानों के श्रम का गौरव
सम्मिलित है।

काव्यांश 2. फसल क्या है?
                 और तो कुछ नहीं है वह
                 नदियों के पानी का जादू है वह
                 हाथों के स्पर्श की महिमा है
                  भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुण धर्म है
                  रूपांतर है सूरज की किरणों का
                 सिमय हुआ संकोच है हवा को थिरकने का!

प्रश्न- -कवि के अनुसार फसल क्या है?
अधवा, इस संदर्भ में कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर―इस संदर्भ में कवि कहना चाहता है कि फसलों के उगाने में प्रकृति
के सभी तत्व, जल, मिट्टी, धूप, वायु आदि सभी का योगदान रहता है। इसमें मानव
श्रम भी सम्मिलित है। सभी के प्रभाव का प्रतिफल है, फसल।

प्रश्न-'नदियों के पानी का जादू' से क्या तात्पर्य है?
उत्तर―'नदियों के पानी का जादू' से तात्पर्य है, पानी में घुले-मिले जीवनदायी
अमृत तत्व। इन्हीं तत्वों के प्रभाव से फसलें तैयार होती हैं। फसलों के फलने-फूलने
में पानी का पूरा योगदान रहता है।

प्रश्न-'रूपांतर है सूरज की किरणों का' से कवि का क्या अभिप्राय है?
उत्तर―फसलों के तैयार होने में सूर्य की किरणों का पूरा योगदान होता है।
कवि को ऐसा प्रतीत होता है कि सूर्य की किरणें ही अपना रूप बदलकर इन फसलों
के रूप में तैयार हुई हैं।

प्रश्न-'हाथों के स्पर्श की महिमा' का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर―हाथों की महिमा का आशय है कि ये फसलें किसानों के हाथों का
स्पर्श पाकर ही तैयार हुई हैं। किसानों के श्रम के बिना इनका तैयार होना सम्भव
नहीं था। किसानों की इसी महत्ता को देखकर कवि ने उन्हें प्रणाम किया है।

प्रश्न-'भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुणधर्म' का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर―'भूरी-काली-संदली' ये तीनों मिट्टी के प्रकार है। कवि का आशय
है कि फसलों को उपजाने में विभिन्न प्रकार की मिट्टियों का गुण, धर्म, स्वभाव,
स्वाद और प्रभाव शामिल है।

                      पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर

प्रश्न 1. बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता
है?                                                                     [2016 (A)]
उत्तर―बच्चे की दंतुरित मुस्कान को देखकर कवि का मन प्रसन्न हो उठता
है। उसके गंभीर मन में जान आ जाती है। उसे ऐसे लगता है मानो उसकी झोंपड़ी
में कमल के फूल खिल उठे हो । मानो पत्थर जैसे दिल में प्यार की धारा उमड़
पड़ी हो या बबूल के पेड़ से शेफालिका के फूल झरने लगे हों।

प्रश्न 2. बच्चे की मुस्कान और एक बड़े व्यक्ति की मुस्कान में क्या अंतर
है?                                [JAC 2009 (A); 2014(A); 2017 (A)]
उत्तर―बच्चे की मुस्कान सरल, निश्छल, भोली और निष्काम होती है। उसमें
कोई स्वार्थ नहीं होता । वह सहज-स्वाभाविक होती है। बड़ों की मुसकान कुटिल,
अर्थपूर्ण, सोची-समझी, सकाम और सस्वार्थ होता है। वे तभी मुसकराते हैं, जबकि
वे सामने वाले में कोई रुचि रखते हों। वे अपनी मुसकान को माप-तोलकर, कोई
उद्देश्य पूरा करने के लिए; किसी को महत्त्व देने के लिए घटाते-बढ़ाते हैं। बड़ों
की मुसकान उनके मन की स्वाभाविक गति न होकर लोक व्यवहार का अंग होती
है।

प्रश्न 3. कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के
माध्यम से व्यक्त किया है ?
उत्तर―कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को निम्नलिखित बिंबों के माध्यम
से व्यक्त किया है―
(i) बच्चे की मुसकान से मृतक में भी जान आ जाती है।
(ii) यों लगता है मानो झोपड़ी में कमल के फूल खिल उठे हों।
(iii) यों लगता है मानो चट्टानें पिघलकर जलधारा बन गई हों।
(iv) यों लगता है मानो बबूल से शेफालिका के फूल झरने लगें हों।

                                    फसल

प्रश्न 5. कवि के अनुसार फसल क्या है?       [JAC 2009 (A)]
अथवा, कवि नागार्जुन के अनुसार फसल क्या है ?
                                            [JAC 2012 (A); 2018 (A)]
अथवा, 'फसल' कविता का प्रतिपाद्य (विषय-वस्तु) पर प्रकाश
डालिए।                                                 [JAC 2013 (A)]
उत्तर―कवि के अनुसार फसलें पानी, मिट्टी, धूप, हवा और मानव-श्रम के मेल
से बनी हैं। इनमें सभी नदियों के पानी का जादू समाया हुआ है। सभी प्रकार की
मिट्टियों का गुण-धर्म निहित है। सूरज और हवा का प्रभाव समाया हुआ है। इन
सबके साथ किसानों और मजदूरों का श्रम भी सम्मिलित है।

प्रश्न 6. कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्त्वों की बात कही
गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?              [JAC 2016 (A)]
उत्तर―फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्त्व हैं― (i) पानी, (ii) मिट्टी,
(iii) सूरज की धूप, (iv) हवा ।

प्रश्न 7. फसल को 'हाथों के स्पर्श की गरिमा, और 'महिमा' कहकर कवि
क्या व्यक्त करना चाहता है?                       [2010 (C); 2018 (A)]
उत्तर―इसमें कवि कहना चाहता है कि किसानों के हाथों का प्यार भरा स्पर्श
पाकर ही ये फसलें इतनी फलती-फूलती हैं। यह किसानों के श्रम की गरिमा और
महिमा ही है जिसके कारण फसलें इतनी अधिक बढ़ती चली जाती हैं।

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