Jharkhand Board Class 10 Geography Notes | विनिर्माण उद्योग
JAC Board Solution For Class 10TH ( Social science ) Geography Chapter 5
(Manufacturing Industries)
लघु उत्तरीय प्रश्नोतर
प्रश्न 1. लोहा तथा इस्पात उद्योग के लिए आवश्यक आधारभूत
वस्तुओं का वर्णन करें। [JAC 2009'A']
उत्तर―इस उद्योग के लिए लौह अयस्क, कोकिंग कोल तथा चूना पत्थर
अनुपात लगभग 4:2:1 का है। इस्पात को कठोर बनाने के लिए इसमें मंगनी
की कुछ मात्रा की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 2. विनिर्माण उद्योग का क्या महत्त्व है?
उत्तर―(i) ये लोगों को रोजगार देते हैं।
(ii) ये कृषि पर निर्भरता को कम करते हैं।
(iii) ये क्षेत्रीय असंतुलन को कम करते हैं ।
(iv) निर्मित वस्तुओं के निर्यात से विदेशी मुद्रा का अर्जन होता है।
प्रश्न 3. किन्हीं चार उपायों का वर्णन करें जिनके द्वारा औद्योगिक
उत्पाद अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रतिस्पर्धा का सामना कर पाएँगे।
उत्तर―(i) आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग ।
(ii) आधुनिक मशीनों का प्रयोग ।
(iii) उत्पादन की लागत कम करके।
(iv) उपर्युक्त सरकारी नीतियों का हस्तक्षेप ।
प्रश्न 4. राष्ट्रीय पटसन नीति 2005 के प्रमुख उद्देश्य क्या थे ? पटसन
के लिए घरेलू माँग में वृद्धि क्यों हुई?
उत्तर―राष्ट्रीय पटसन नीति 2005 के उद्देश्य―
(i) उत्पादकता बढ़ाना,
(ii) गुणवत्ता,
(iii) पटसन उत्पादक किसानों को अच्छा मूल्य दिलाना ।
(iv) प्रति हैक्टेयर उत्पादकता को बढ़ाना ।
पटसन के लिए घरेलू माँग में वृद्धि इसलिए हुई क्योंकि―
(i) पैकिंग की अनिवार्य प्रयोग की नीति ।
(ii) बढ़ते वैश्विक पर्यावरण अनुकूलन, जैव निम्नीकरणीय पदार्थों के लिए
विश्व की बढ़ती जागरूकता ।
प्रश्न 5. "यद्यपि भारत संसार का एक महत्त्वपूर्ण लौह इस्पात उत्पादक
देश है तथापि हम इसके पूर्ण संभाव्य का विकास नहीं कर पाए हैं।" कोई
चार कारण दें।
उत्तर―(i) उच्च लागत तथा कोकिंग कोयले की सीमित उपलब्धता।
(ii) कम श्रमिक उत्पादकता ।
(iii) ऊर्जा की अनियमित पूर्ति ।
(iv) अविकसित अवसंरचना ।
(v) अनुसंधान तथा विकास के साधनों की कमी।
प्रश्न 6. उर्वरक उद्योग के प्रमुख उत्पादों का उल्लेख करें।
उत्तर―उर्वरक उद्योग नाइट्रोजनी उर्वरक (मुख्यतः यूरिया, फास्फेरिक उर्वरक
तथा अमोनिया फास्फेट और मिश्रित उर्वरक जिसमें तीन मुख्य पोषक
उर्वरक–नाइट्रोजन, पोटाश व फास्फेट शामिल हैं, के उत्पादन क्षेत्रों के इर्द-गिर्द
केन्द्रित हैं।
प्रश्न 7. सीमेंट उद्योग का महत्त्व क्या है?
उत्तर―(i) निर्माण कार्यों जैसे-घर, कारखाने, पुल, सड़कें, हवाई अड्डे,
बाँध तथा अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों के निर्माण में सीमेंट आवश्यक है।
(ii) यह लोगों को रोजगार देता है।
(iii) भारत सीमेंट का निर्यात कर विदेशी मुद्रा अर्जित करता है।
प्रश्न 8. सीमेंट उद्योग की किन्हीं चार पूर्व आवश्यकताओं का वर्णन करें।
उत्तर―(i) इस उद्योग को भारी व स्थूल कच्चे माल जैसे-चूना पत्थर,
सिलिका, एल्यूमिना तथा जिप्सम की आवश्यकता होती है
(ii) इसे कोयले तथा विद्युत आपूर्ति की आवश्यकता होती है
(iii) इसका कच्चा माल भारी व स्थूल होता है इसलिए सस्ते परिवहन की
आवश्यकता होती है
(iv) निर्यात सुविधाएँ।
प्रश्न 9. सीमेंट उद्योग का विस्तार तेज गति से हो रहा है। इसके लिए
उत्तरदायी किन्ही चार कारकों का उल्लेख करें।
उत्तर―(i) मूल्य में नियंत्रण समाप्ति ।
(ii) वितरण में नियंत्र समाप्ति ।
(iii) सरकार द्वारा गुणवत्ता में सुधार के कारण माँग का बढ़ना ।
(iv) मध्य पूर्व अफ्रीका तथा दक्षिण एशिया के देशों में निर्यात का बढ़ना।
प्रश्न 10. 'मोटरगाड़ी उद्योग ने विकास की बहुत ऊंची प्रतिशत दिखाई
है।' इसके लिए उत्तरदायी कौन-से कारक हैं? किन्हीं चार का वर्णन करें।
उत्तर―(i) 1991 ई० में मोटरगाड़ी उद्योग पर से लाइसेंट हटा लिया गया
अर्थात् विनिर्माण के लिए किसी भी इकाई की स्थापना के लिए लाइसेंस की
आवश्यकता नहीं है।
(ii) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है।
(iii) ऋण तथा अन्य आर्थिक सुविधाओं के कारण कई गुना माँग बढ़ी है।
(iv) यह उद्योग ट्रक, कार, मोटरसाइकिल, स्कूटर आदि प्रदान करता है, जो
परिवहन के प्रमुख साधन हैं।
प्रश्न 11. भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का क्या
महत्व है ?
उत्तर―(i) इसने 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दिए हैं।
(ii) यह उद्योग विदेशी मुद्रा प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत बन गया है।
(iii) इसने सेवा क्षेत्र के विकास में मदद की है।
(iv) इसने महिलाओं को रोजगार दिए हैं।
प्रश्न 12. 'औद्योगिक अपशिष्ट का शोधन तीन चरणों में किया जा
सकता है।' विचार करें।
उत्तर―(i) प्राथमिक शोधन–यांत्रिक साधनों द्वारा।
(ii) द्वितीयक शोधन–जैविक प्रक्रियाओं द्वारा ।
(iii) वतीयक शोधन–जैविक, रासायनिक तथा भौतिक प्रक्रियाओं द्वारा ।
प्रश्न 13. देश के तेजी से बढ़ते औद्योगिकरण के लिए पर्यावरणीय
संचेतन को अपनाने के महत्त्व का उल्लेख करें।
उत्तर―(i) पर्यावरणीय संचेतना से भूमि का निम्नीकरण बचाया जा सकता
है। भूमि सबसे महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है।
(ii) यह हमारे अनवीकरण योग्य संसाधनों तथा पर्यावरण को बचाने में मदद
करती है।
प्रश्न 14. औद्योगिक प्रदूषण से स्वच्छ जल को किस प्रकार बचाया जा
सकता है?
उत्तर―(i) विभिन्न प्रक्रियाओं में जल का न्यूनतम उपयोग तथा जल का दो
या अधिक उत्तरोत्तर अवस्थाओं में पुनर्चक्रण द्वारा पुन: उपयोग ।
(ii) जल की आवश्यकता पूर्ति हेतु वर्षा जल संग्रहण ।
(iii) नदियों व तालाबों में गर्म जल तथा अपशिष्ट पदार्थों को प्रवाहित करने
से पहले उनका शोधन करना।
प्रश्न 15. किसी विशेष क्षेत्र में एक उद्योग की अवस्थिति के लिए
आवश्यक किन्हीं तीन भौतिक कारकों का वर्णन करें। [NCERT]
उत्तर―भौतिक कारक–(i) कच्चा माल–कच्चे माल की उपलब्धता
किसी उद्योग को स्थापित करने में एक महत्त्वपूर्ण कारक है। पश्चिम बंगाल की
जूट मिलें कच्चे माल के संसाधनों के निकट ही केन्द्रित हैं।
(ii) ऊर्जा–ऊर्जा की नियमित आपूर्ति उद्योग के केन्द्रीकरण के लिए
आवश्यक कारक है। अधिकतर उद्योग ऊर्जा के साधनों के निकट केन्द्रित होते हैं।
(iii) जलवायु–एक स्थान पर किसी उद्योग की स्थापना में जलवायु की
महत्त्वपूर्ण भूमिका है। सूती वस्त्र उद्योग को नमी वाली जलवायु की आवश्यकता
होती है। परिणामस्वरूप अधिकांश सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र तथा गुजरात में
अवस्थित हैं।
प्रश्न 16. किसी विशेष क्षेत्र में एक उद्योग की अवस्थिति के लिए
आवश्यक किन्हीं तीन मानवीय कारकों का उल्लेख करें। [NCERT]
उत्तर―(i) पूँजी–मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई बड़े औद्योगिक केन्द्र हैं
क्योंकि बड़े-बड़े पूंजीपति इन शहरों में रहते हैं।
(ii) सरकारी नीतियाँ–उद्योगों के भावी वितरण, क्षेत्रीय असमानताओं को
दूर करके, जल तथा वायु प्रदूषण को समाप्त करके तथा बड़े शहरों में एक स्थान पर
अधिक उद्योगों को रोकने के लिए सरकारी नीतियाँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
(iii) बाजार–विनिर्माण की सारी प्रक्रिया व्यर्थ हो जाती है यदि तैयार माल
बाजार न पहुँचे। तैयार माल को शीघ्र बाजार में बेचने के लिए बाजार का निकट
होना आवश्यक है। इससे परिवहन की लागत भी कम होती है।
प्रश्न 17. चीनी उद्योग उत्तर प्रदेश में ही क्यों स्थित हैं ?
उत्तर―भारत में उत्तर प्रदेश चीनी उत्पादन में अग्रणी है। इसके कारण हैं―
(i) उत्तर प्रदेश को गने का घर कहा जाता है क्योंकि यहाँ गन्ने के उत्पादन के
लिए सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जैसे―यहाँ की मिट्टी उपजाऊ है, गर्म तथा
आर्द्र जलवायु, 100 सेमी० से अधिक वर्षा, खिली धूप और सिंचाई की सुविधाएँ हैं।
(ii) मिलों के लिए विद्युत ऊर्जा विपुल मात्रा में उपलब्ध है।
(iii) उत्तर प्रदेश में सस्ते मजदूर स्थानीय तौर पर मिल जाते हैं।
प्रश्न 18. चीनी उद्योग अब उत्तर से दक्षिण की ओर स्थानांतरित हो
रहा है। इसके तीन कारण बताएँ।
उत्तर―उत्तर भारत को चीनी उद्योग का प्रमुख केन्द्र माना जाता है। उत्तर
प्रदेश चीनी उत्पादन में अग्रणी है।
(i) महाराष्ट्र और अन्य दक्षिणी राज्यों के गन्ने में सुक्रोस की मात्रा लगभग
10.5% है।
(ii) दक्षिण में उत्तर की अपेक्षा बेहतर निर्यात सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
(iii) गन्ने की उपज के लिए जलवायु भी अनुकूल है।
प्रश्न 19. चीनी उद्योग के विकास का वर्णन करें। कोई चार तथ्य
बताएँ।
उत्तर―(i) भारत का चीनी उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान है।
(ii) देश में 460 से अधिक चीनी मिलें हैं।
(iii) चीनी मिलों का 60% उत्तर प्रदेश तथा बिहार में है।
(iv) अधिकांश मिलें सहकारी क्षेत्र में हैं।
प्रश्न 20. उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन भौतिक
कारक बताइए और चर्चा करें कि ये कारक कैसे उद्योगों की अवस्थिति को
प्रभावित करते हैं। [JAC 2010 (A)]
उत्तर―उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करनेवाले तीन भौतिक कारक
हैं―
(i) कच्चा माल–इसकी उपलब्धता किसी उद्योग को स्थापित करने में
महत्त्वपूर्ण है।
(ii) ऊर्जा–ऊर्जा की नियमित आपूर्ति उद्योग के केन्द्रीकरण के लिए
आवश्यक है।
(iii) जलवायु–जलवायु के अनुकूल ही उद्योगों की स्थापना की जाती है।
जैसे सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र, गुजरात एवं बंगाल में ही स्थापित हैं।
प्रश्न 21. औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कोई तीन
मानवीय कारक बताइए। [JAC 2010 (A), 2015 (A)]
उत्तर―उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक
निम्नांकित हैं―
(i) पूँजी–कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई बड़े औद्योगिक केन्द्र हैं क्योंकि
बड़े-बड़े पूंजीपति इन शहरों में रहते हैं।
(ii) सरकारी नीतियाँ–उद्योगों के भावी वितरण, क्षेत्रीय असमानताओं को
दूर करके उद्योगों की स्थापना सरकारी नीतियों पर ही आधारित हैं।
(iii) बाजार–विनिर्माण की सारी प्रक्रिया व्यर्थ हो जाती है यदि तैयार माल
बाजार तक न पहुँच सके । तैयार माल को बाजार में बेचने के लिए बाजार का
निकट होना आवश्यक है। इसमें परिवहन लागत भी कम पड़ती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. "कृषि तथा उद्योग एक-दूसरे से पृथक नहीं हैं, ये एक-दूसरे
के पूरक हैं।" व्याख्या करें।
उत्तर–(i) उद्योगों को कृषि का योगदान-कृषि उद्योगों को कच्चा माल
प्रदान करती है, जैसे जूट, कपास, गन्ना आदि ।
(ii) यह पूँजी निर्माण के साधन का काम भी करती है, जिसका उपयोग
उद्योग में होता है।
(iii) यह औद्योगिक श्रमिकों को खाद्यान्न प्रदान करती है।
(iv) यह औद्योगिक उत्पादों के लिए अच्छा बाजार प्रदान करती है।
कृषि को उद्योग का योगदान―
(i) उद्योग कृषि को अनेक साधन प्रदान करता है। जैसे―उर्वरक,
कीटनाशक, ट्रैक्टर आदि।
(ii) यह अधिसंरचनात्मक सुविधाएँ प्रदान करता है।
(iii) यह कृषि के अतिरिक्त श्रमिकों को रोजगार देता है तथा कृषि पर
दबाव कम होता है।
(iv) यह कृषि उत्पादों के बाजार मूल्य में वृद्धि करता है।
प्रश्न 2. भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सूती वस्त्र उद्योग का महत्त्व
क्या है ?
उत्तर―(i) कृषि के साथ निकट का संबंध-इस उद्योग में कृषि से निकट
का संबंध है और कृषकों, कपास चुनने वालों, गाँठ बनाने वालों, कताई करने
वालों, रंगाई करने वालों, डिजाइन बनाने वालों, पैकेट बनाने वालों और सिलाई
करने वालों को यह आजीविका प्रदान करता है।
(ii) माँग में वृद्धि―सूती वस्त्र उद्योग माँग में वृद्धि करने वाला उद्योग है
अर्थात् इस उद्योग के कारण रसायन, रंजक, मिल स्टोर तथा पैकिंग सामग्री और
इंजीनियरिंग उद्योग की मांग बढ़ती है।
(iii) रोजगार―यह उद्योग बड़ी संख्या में कुशल तथा अकुशल श्रमिकों को
रोजगार देता है। हाथ से बुनी खादी कुटीर उद्योग के रूप में बुनकरों को उनके
घरों में बड़े पैमाने पर रोजगार प्रदान करता है।
(iv) विकेन्द्रीकरण―यह उद्योग औद्योगिक विकेन्द्रीकरण में मदद करता है
क्योंकि बुनाई, कटाई तथा अन्य प्रक्रमण का 90% विकेंद्रित क्षेत्र है।
(v) निर्यात―भारत का निर्यात का सबसे बड़ा भाग सूती वस्त्र उद्योग से
आता है।
प्रश्न 3. पटसन वस्त्र उद्योग मुख्यतः हुगली नदी के तट पर स्थित है।
इसके चार कारण लिखें।
अथवा, भारत की अधिकांश पटसन मिलें पश्चिम बंगाल में ही क्यों
स्थित हैं?
उत्तर―पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के तट पर पटसन के उद्योगों के स्थित
होने के मुख्य कारण हैं-
(i) पश्चिम बंगाल पटसन की जन्मभूमि है। यहाँ पटसन के रेशों की
अधिकतम गाँठों का उत्पादन होता है।
(ii) इस उद्योग में बड़ी मात्रा में पानी का उपयोग होता है जो कि हुगली नदी
से आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
(iii) बिहार, पश्चिम बंगाल तथा उड़ीसा के निकटवर्ती राज्यों के सस्ते
मजदूर मिल जाते हैं।
(iv) आवश्यकता पड़ने पर बांग्लादेश से भी जूट का आयात हो सकता है।
(v) परिवहन की सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं।
प्रश्न 4. भारत में पटसन उद्योग के विकास और वितरण की चर्चा करें।
[JAC 2010 (C)]
उत्तर : भारत में पटसन उद्योग प्रमुखतः प० बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में
केन्द्रित है। जूट (पटसन) की खेती इन राज्यों में होने के कारण अधिकांश
जूट-मिले यहाँ स्थापित हैं। अन्य कारण―(i) सस्ते मजदूर, (ii) परिवहन की सुविधाएँ,
(iii) जल की उपलब्धता आदि हैं।
पटसन उद्योग के समुचित विकास तथा वितरण के लिए सन् 2005 में
सरकार ने राष्ट्रीय पटसन नीति बनायी, जिसका उद्देश्य (i) प्रति हेक्टेयर उत्पादकता
बढ़ाना, (ii) किसानों को अच्छा मूल्य दिलाना, (iii) मिलों में तैयार माल का
उत्पादन बढ़ाना, (iv) गुणवत्ता तथा (v) वितरण की समुचित व्यवस्था करना ।
इस प्रकार पटसन उद्योग का समुचित विकास तथा वितरण सुनिश्चित किया गया ।
प्रश्न 5. लोहा तथा इस्पात उद्योग को आधारभूत तथा भारी उद्योग वयों
कहा जाता है?
उत्तर―लोहा तथा इस्पात उद्योग को आधारभूत तथा भारी उद्योग इसलिए
कहा जाता है क्योंकि―
(i) यह वह उद्योग है, जो अन्य उद्योगों के तीव्र विकास का आधार है जैसे
भारी इंजीनियरिंग सामान, रक्षा उपकरण, मोटरगाड़ी, हवाई जहाज आदि।
(ii) ये उद्योग रोजगार प्रदान करने में सहायक होते हैं।
(iii) ये कृषि के विकास में सहायक होते हैं।
(iv) ये भारी उद्योग हैं क्योंकि सभी कच्चे माल तथा तैयार माल भारा तथा
अधिक परिमाण वाले होते हैं।
प्रश्न 6. भारत में लोहा तथा इस्पात उद्योग छोटा नागपुर पठार के
आस-पास ही क्यों केन्द्रित है?
उत्तर―अधिकांश लोहा तथा इस्पात उद्योग छोटानागपुर पठार में ही स्थित है,
क्योंकि―
(i) छोटा नागपुर पठार लौह अयस्क के लिए प्रसिद्ध है। बिहार, बंगाल तथा
झारखंड कच्चा माल प्रदान करते हैं।
(ii) कोयला एक अन्य महत्त्वपूर्ण सामग्री है, जो ईंधन के रूप में प्रयोग होता
है और इस क्षेत्र में विपुल मात्रा में उपलब्ध है।
(iii) इस क्षेत्र में अधिक जनसंख्या होने के कारण सस्ते श्रमिक आसानी से
मिल जाते हैं।
(iv) दामोदर घाटी निगम इन कारखानों के लिए ऊर्जा आपूर्ति करता है।
(v) कोलकाता बंदरगाह द्वारा निर्यात तथा आयात की सुविधाएँ उपलब्ध है।
(vi) सरकार ने भी प्रमुख भूमिका निभाई है। विदेशी सहायता से इस क्षेत्र
में दुर्गापुर, बोकारो, राऊरकेला इस्पात के कारखाने स्थापित किए हैं।
प्रश्न 7. भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए रासायनिक उद्योग द्वारा किए
गए योगदान का वर्णन करें।
उत्तर―(i) रोजगार-रसायन उद्योग कुशल तथा अकुशल श्रमिकों के लिए
रोजगार का एक प्रमुख साधन है।
(ii) विदेशी मुद्रा-रसायन तथा रसायन उत्पाद के निर्यात से भारत में
विदेशी मुद्रा आती है।
(iii) भूमि पर दबाव की कमी-रसायन उद्योग श्रमिकों को रोजगार देकर
भूमि पर दबाव को कम करता है।
(iv) कृषि का विकास-रसायन उद्योग कृषि के लिए कीटनाशकों की
आपूर्ति कराता है। इससे कृषि के विकास को मदद मिली है क्योंकि इससे
नुकसानदायक कीड़े तथा जड़ी-बूटी नष्ट हो जाती है।
प्रश्न 8. भारत में उद्योगों के तेजी से केन्द्रित होने के लिए उत्तरदायी
सभी तथ्यों पर विचार करें।
उत्तर―(i) कच्चा माल―किसी उद्योग को स्थापित करने के लिए सबसे
पहली आवश्यकता कच्चे माल की होती है। छोटा नागपुर पठार में लौह-अयस्क
तथा कोयले की विपुल मात्रा में उपलब्धि के कारण ही यहाँ लोहा तथा इस्पात
उद्योग स्थापित किया गया।
(ii) श्रमिक―भारत के उत्तरी भाग में उपलब्ध सस्ते श्रमिक, चीनी उद्योग
के विकास के लिए उत्तरदायी हैं।
(iii) परिवहन तथा संचार के साधन और निर्यात सुविधाएँ―ये सुविधाएँ
महाराष्ट्र में उद्योग के विकास के लिए उत्तरदायी है।
प्रश्न 9. उर्वरक उद्योग से संबंधित किन्हीं चार तथ्यों का वर्णन करें।
उत्तर―(i) यहाँ 57 उर्वरक इकाइयाँ हैं, जो नाइट्रोजन तथा मिश्रित नाइट्रोजनी
उर्वरक निर्मित करती हैं, 29 इकाइयाँ यूरिया उत्पादन तथा 9 इकाइयाँ उप-उत्पाद
के रूप में अधिनियम सल्फेट का उत्पादन करती हैं तथा 68 अन्य लघु इकाइयाँ
मात्र सुपरफॉस्फेट का उत्पादन करती हैं।
(ii) वर्तमान समय में सार्वजनिक क्षेत्र में दस उपक्रम तथा भारतीय उर्वरक
निगम गुजरात के हजीरा में सहकारी क्षेत्र के अंतर्गत एक उपक्रम कार्यरत हैं।
(iii) गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा केवल मुख्य उत्पादक
राज्य हैं।
(iv) उर्वरक उद्योग नाइट्रोजनी उर्वरक (मुख्यत: यूरिया), फास्फेटिक उर्वरक
अमोनियम फास्फेट और मिश्रित उर्वरक जिसमें तीन मुख्य पोषण
उर्वरक–नाइट्रोजन, फास्फेट व पोटाश शामिल हैं, के उत्पादन क्षेत्रों के इर्द-गिर्द
केन्द्रित हैं।
प्रश्न 10. उद्योगों द्वारा फैलाए जाने वाले प्रदूषण से बचने के कुछ
उपाय बताएँ।
उत्तर―(i) ईंधन के रूप में उस ऊर्जा संसाधन का प्रयोग करना चाहिए, जो
निम्नतम प्रदूषण फैलाता है। उदाहरण कोयले के स्थान पर खनिज तेल का प्रयोग
करना चाहिए।
(ii) उत्सर्जित प्रदूषिकों को नियंत्रित करने वाले आधुनिक उपकरण लगवाने
चाहिए।
(iii) अपशिष्टों तथा रसायनों को जल में डालने से पहले उपचरित कर लेना
चाहिए।
(iv) मशीनों की कार्य कुशलता की नियमित रूप से जाँच कर लेनी
चाहिए।
प्रश्न 11. कृषि आधारित उद्योगों से आप क्या समझते हैं ? कुछ के
नाम बताएँ तथा भारतीय अर्थव्यवस्था में इनका क्या महत्त्व है ?
उत्तर―कृषि आधारित उद्योग वे हैं जो कृषि उत्पादों को औद्योगिक उत्पादों
में परिवर्तित कर देते हैं। जैसे-वस्त्र, चीनी, पटसन, वनस्पति तेल, कागज तथा
रोपण उद्योग।
महत्त्व―
(i) ये उद्योग बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देते हैं।
(ii) ये उद्योग लोगों के लिए उपभोग की वस्तुएँ प्रदान करते हैं तथा विदेशी
मुद्रा अर्जित करते हैं।
प्रश्न 12. विभिन्न आयामों के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण किस
प्रकार किया जाता है?
उत्तर―उद्योगों को पाँच विभिन आयामों के आधार पर वर्गीकृत किया जा
सकता है―
(क) मजदूरों के रोजगार पर आधारित―
(i) बड़े पैमाने के उद्योग,
(ii) मध्यम पैमाने के उद्योग,
(iii) छोटे पैमाने के उद्योग,
(iv) ग्रामीण पैमाने के उद्योग,
(v) कुटीर पैमाने के उद्योग ।
(ख) उत्पादों की किस्म पर आधारित―
(i) प्राथमिक उद्योग
(ii) द्वितीयक उद्योग तथा
(iii) तृतीयक उद्योग ।
(ग) निर्मित वस्तुओं की किस्म पर आधारित―
(i) आधारभूत उद्योग
(ii) उपभोक्ता उद्योग।
(घ) स्वामित्व के आधार पर―
(i) सार्वजनिक क्षेत्र,
(ii) निजी क्षेत्र,
(iii) संयुक्त क्षेत्र तथा
(iv) सहकारी क्षेत्र ।
(ङ) कच्चे माल तथा तैयार माल पर आधारित―
(i) भारी उद्योग तथा
(ii) हल्के उद्योग।
प्रश्न 13. हल्के तथा भारी उद्योग में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर―कच्चे माल तथा तैयार माल के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण
किया जा सकता है।
(i) भारी उद्योग―जो उद्योग भारी तथा अधिक परिमाण में कच्चे माल का
उपयोग करते हैं और जिनके उत्पाद भी भारी तथा अधिक परिमाण वाले होते हैं
तथा जिनमें परिवहन की लागत अधिक आती है, इस वर्ग में आते हैं। उदाहरणः
लोहा और इस्पात उद्योग, चीनी उद्योग तथा सीमेंट उद्योग ।
(ii) हल्के उद्योग―इस वर्ग के अंतर्गत वे उद्योग आते हैं, जिनके कच्चे माल
तथा तैयार माल हल्के होते हैं तथा जिनमें महिला श्रमिकों को भी नौकरी पर रखा
जा सकता है, जैसे–घड़ियाँ, पेन, सिलाई मशीन, रेडियो तथा टेलीविजन बनाना ।
प्रश्न 14. बड़े पैमाने तथा छोटे पैमाने के उद्योगों में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर―
बड़े पैमाने के उद्योग छोटे पैमाने के उद्योग
(1) ये उद्योग बड़ी मात्रा में तैयार माल (1) ये उद्योग थोड़ी मात्रा में तैयार
बनाते हैं। माल बनाते हैं।
(2) कच्चे माल तथा पूँजी निवेश की (2) इनमें बड़ी मात्रा में कच्चे माल
मात्रा भी बहुत अधिक होती है। तथा पूँजी की आवश्यकता नहीं
होती।
(3) इन उद्योगों में साधारणतः महिला (3) बड़ी संख्या में महिला श्रमिकों
श्रमिकों को काम नहीं दिया जाता। को रोजगार दिए जाते हैं।
(4) उदाहरणतः लोहा तथा इस्पात उद्योग, (4) उदाहरणत:–सिले-सिलाए वस्त्र
सूती वस्त्र तथा सीमेंट उद्योग आदि । उद्योग, साबुन, टेलीविजन, रेडियो
उद्योग आदि।
प्रश्न 15. सहकारी तथा निजी क्षेत्र के उद्योगों में अंतर उदाहरण सहित
स्पष्ट करें।
उत्तर―
सहकारी क्षेत्र के उद्योग निजी क्षेत्र के उद्योग
(1) ये उद्योग कुछ लोगों के समूह द्वारा (1) इन उद्योगों का स्वामित्व किसी
सहकारिता के आधार पर चलाए व्यक्ति या फर्म के पास होता है।
जाते हैं।
(2) हिस्सेदार (Share holders) पूँजी (2) व्यक्ति या फर्म पूँजी का निवेश
का निवेश करते हैं। करते हैं।
(3) उदाहरण―गुजरात का आनन्द डेयरी (3) उदाहरण–टाटा लोहा तथा इस्पात
फार्म, उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र में उद्योग, डी० सी० एम० मोदी धागे,
चीनी उद्योग। सूती वस्त्र कारखाने।
प्रश्न 16. कृषि तथा खनिजों पर आधारित उद्योगों में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर―
कृषि पर आधारित उद्योग खनिज पर आधारित उद्योग
(1) इन उद्योगों को कच्चा माल कृषि से (1) इन उद्योगों को कच्चा माल खनिजों
मिलता है। से मिलता है।
(2) ये उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के (2) ये ग्रामीण तथा शहरी दोनों क्षेत्रों
अवसर प्रदान करते हैं। में रोजगार प्रदान करते हैं।
(3) ये अधिकतर उपभोग्य वस्तुओं का (3) ये उपभोग्य तथा मूल्य पर आधारित
ही उत्पादन करते हैं। दोनों प्रकार की वस्तुओं का
उत्पादन करते हैं।
(4) उदाहरण-चीनी, पटसन, वस्त्र तथा (4) उदाहरण-लोहा इस्पात, इन्जीनियरिंग
वनस्पति तेल। उद्योग, पोत-निर्माण, मशीनी
उपकरण आदि।
प्रश्न 17. उद्योग पर्यावरण को किस प्रकार प्रदूषित करता है ?
[HAC 2011 (A); JAC 2014 (A); 2016 (A)]
उत्तर―(i) वायु प्रदूषण–उद्योग चार प्रकार के प्रदूषण के लिए उत्तरदायी
हैं―वायु, जल, भूमि तथा ध्वनि । उद्योगों द्वारा छोड़ा गया धुआँ वायु तथा जल को
बुरी तरह प्रभावित करता है। अधिक अनुपात में अनचाही गैसों की उपस्थिति जैसे
सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड वायु प्रदूषण का कारण है। वायु
में निलंबित कणनुमा पदार्थों में ठोस व द्रवीय दोनों ही प्रकार के कण होते हैं, जैसे
धूलि, स्प्रे, कुहासा तथा धुआँ। मानव-निर्मित प्रदूषण के साधन सामान्यतः
औद्योगिक तथा ठोस अपशिष्ट होते हैं। वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य, पशुओं,
पौधों, इमारतों तथा पूरे पर्यावरण पर दूष्प्रभाव डालते हैं।
(ii) जल प्रदूषण―जल प्रदूषण के अनेक साधन हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण
औद्योगिक अपशिष्ट हैं। जिन्हें नदियों में छोड़ा जाता है। ये कार्बनिक तथा
अकार्बनिक दोनों होते हैं। कोयला, रंजक साबुन, कीटनाशक, उर्वरक, प्लास्टिक
तथा रबड़ जल के सामान्य प्रदूषक हैं । जल को प्रदूषित करने वाले प्रमुख उद्योग
हैं–लुग्दी, वस्त्र, रसायन, तेल शोधनशालाएँ, इलेक्ट्रोप्लेटिंग उद्योग आदि । औद्योगिक
अपशिष्ट भूमि तथा मृदा को भी प्रदूषित करते हैं।
(iii) ध्वनि प्रदूषण―अवांछित ध्वनि भी प्रदूषण है। औद्योगिक तथा निर्माण
कार्य, कारखानों के उपकरण, जेनरेटर, लकड़ी चीरने के कारखाने, गैस यात्रिकी
तथा विद्युत ड्रिल भी अधिक ध्वनि उत्पन्न करते हैं। ध्वनि प्रदूषण से श्रवण
असक्षमता बढ़ती है।
प्रश्न 18. उद्योगों के कारण जल प्रदूषण किस प्रकार होता है ? चार
सूत्र देकर समझाएँ [JAC 2011 (A)]
उत्तर―(i) उद्योग रंग, अपमार्जक, अम्ल, लवण तथा भारी धातुएँ जैसे सीसा,
पारा, कीटनाशक, उर्वरक, कार्बन, प्लास्टिक और रबड़ जल में वाहित करते हैं।
(ii) उद्योग फ्लाई ऐश, फोस्फो-जिप्सम तथा लोहा-इस्पात की अशुद्धियों
को जल में फेंकते हैं।
(iii) उद्योगों द्वारा अत्यधिक भूमिगत जल निकालने से जल प्रदूषण होता है।
(iv) उद्योगों के कारण भूमि निम्नीकरण होता है। मृदा तथा जल प्रदूषण का
निकट का संबंध है। मलबे का ढेर विशेषकर काँच, हानिकारक रसायन,
औद्योगिक बहाव, पैकिंग, लवण तथा कूड़ा-कर्कट मृदा को अनुपजाऊ बनाता है।
वर्षा जल के साथ ये प्रदूषक जमीन से रिसते हुए भूमिगत जल तक पहुँचकर उसे
भी प्रदूषित कर देते हैं।
प्रश्न 19. सूती वस्त्र उद्योगों के सम्बन्ध में नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दें―
(i) किन दो राज्यों में सूती वस्त्र उद्योगों की अधिकतम संख्या है?
(ii) इन राज्यों में सूती वस्त्र उद्योग के विकास के लिए दो कारण दें।
उत्तर―(i) (क) महाराष्ट्र (ख) गुजरात
(ii) सूती वस्त्र उद्योग मुम्बई (महाराष्ट्र) तथा अहमदाबाद (गुजरात) में तथा
इर्द-गिर्द केन्द्रित है क्योंकि―
कारण―(a) कच्चे पदार्थों की उपलब्धता―इस क्षेत्र में कपास का उत्पादन
बड़े पैमाने पर होता है। इसलिए कच्चे पदार्थ की नियमित आपूर्ति होती है।
(b) अनुकूल जलवायु―इस क्षेत्र की सम जलवायु है जो कपास के
उत्पादन को सुनिश्चित करती है।
प्रश्न 20. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें―
(i) उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन भौतिक कारक बताएँ।
[NCERT]
(ii) औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक बताएँ ।
[NCERT]
(iii) आधारभूत उद्योग क्या है ? उदाहरण देकर बताएँ । सीमेंट के विनिर्माण
के लिए प्रयुक्त होने वाले महत्त्वपूर्ण कच्चे पदार्थों के नाम बताएँ । [NCERT]
उत्तर―(i) कच्चा पदार्थ, ऊर्जा तथा जलवायु ।
(ii) पूँजी, सरकार नीतियाँ तथा बाजार ।
(iii) वे उद्योग, जिनके उत्पादन या कच्चे माल पर दूसरे उद्योग निर्भर करते
हैं, जैसे―लोहा तथा इस्पात उद्योग । सीमेंट के निर्माण में प्रयुक्त होने वाले कच्चे
पदार्थ निम्न है ― चूना पत्थर, सिलिका, एल्यूमिना, कोयला, जिप्सम ।
प्रश्न 21. उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के लिए
उठाए गए विभिन्न उपायों की चर्चा करें। [JAC 2012 (A) 2017(A)]
उत्तर–(1) विभिन्न प्रक्रियाओं में जल का न्यूनतम उपयोग तथा जल का दो
या दो से अधिक उत्तरोत्तर अवस्थाओं में पुनर्चक्रण द्वारा पुन: उपयोग ।
(2) जल की आवश्यकता पूर्ति हेतु वर्षा जल संग्रहण ।
(3) नदियों व तालाबों में गर्म जल तथा अपशिष्ट पदार्थों को प्रवाहित करने
से पहले उनका शोधन करना । औद्योगिक अपशिष्ट का शोधन तीन चरणों में
किया जा सकता है―
(क) यांत्रिक साधनों द्वारा प्राथमिक शोधन-इसमें अपशिष्ट पदार्थों की
छटाई, उनके छोटे-छोटे टुकड़े करना, ढकना तथा तलछट जमाव आदि सम्मिलित हैं।
(ख) जैविक प्रक्रियाओं द्वारा द्वितीयक शोधन ।
(ग) जैविक, रासायनिक तथा भौतिक प्रक्रियाओं द्वारा तृतीयक संशोधन।
इसमें अपशिष्ट जल को पुनर्चक्रण द्वारा पुनः प्रयोग योग्य बनाया जाता है।
(4) जहाँ भूमिगत जल का स्तर कम हो, वहाँ उद्योगों द्वारा इसके अधिक
निष्कासन पर कानूनी प्रतिबंध होना चाहिए।
(5) वायु में निलवित प्रदूषण को कम करने लिए कारखानों में ऊँची
चिमनियाँ, चिमनियों में एलेक्ट्रोस्टैटिक अवक्षेपण, स्क्रबर उपकरण तथा गैसीय
प्रदूषक पदार्थों को जड़त्वीय रूप से पृथक करने के लिए उपकरण होना चाहिए।
(6) कारखानों में कोयले की अपेक्षा तेल व गैस के प्रयोग से धुएँ से
निष्कासन में कमी लाई जा सकती है।
(7) ध्वनि प्रदूषण कम करने के लिए मशीनों व उपकरणों का उपयोग किया
जा सकता है तथा जेनरेटरों में साइलेंसर लगाया जा सकता है। ऐसी मशीनरी का
प्रयोग किया जाए जो ऊर्जा सक्षम हों तथा कम ध्वनि प्रदूषण करे। ध्वनी
अवशोषित करने वाले उपकरणों के इस्तेमाल के साथ कानों पर शोर नियंत्रण
उपकरण भी पहनने चाहिए।
प्रश्न 22. समवित इस्पात उद्योग मिनी इस्पात उद्योगों से कैसे भिन है।
इस उद्योग की क्या समस्याएँ है ? किन सुधारों के अंतर्गत इसकी उत्पादन
क्षमता बढ़ी है। [JAC 2009; 2009 (A)]
उत्तर―
समन्वित इस्पात संयंत्र मिनी इस्पात संयंत्र
(Integrated steel plants) (Ministeel plants)
(1) इनमें कच्चे माल को एक स्थान पर (1) ये विकेन्द्रित द्वितीयक इकाइयाँ
एकत्रित करने से लेकर इस्पात बनाने, हैं, जिनमें एक या दो क्रियाएँ ही
उसे ढ़ालने और उसे आकार देने तक होती हैं।
की प्रत्येक क्रिया की जाती है।
(2) इन केन्द्रों में बड़े निवेश की (2) इनमें कम निवेश की आवश्यकता
आवश्यकता होती है। होती है।
(3) ये स्थानीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मांग भी (3) ये केवल स्थानीय मांग को पूरा
पूरी करते हैं। करते हैं।
(4) भारत में 10 मुख्य समवित उद्योग (4) भारत में 400 से अधिक मिनी
हैं। इस्पात संयंत्र है।
उद्योग की समस्याएँ―
(1) पूँजी―लोहा तथा इस्पात को अधिक पूंजी निवेश की आवश्यकता होती
है जो कि भारत जैसे विकसशील देश के सामर्थ्य में नहीं है। विदेशी सहायता से
अनेक सार्वजनिक समवित इस्पात केन्द्रों की स्थापना की गई है।
(2) आधुनिकीकरण―सार्वजनिक उपक्रम 35 वर्ष पुराने हैं। उनकी मशीनें
असक्षम हो चुकी हैं, इसीलिए उनकी उत्पादकता विकसित देशों की अपेक्षा बहुत
कम है।
(3) कम उत्पादकता―भारत में प्रति व्यक्ति श्रम उत्पादकता 90-100 टन
है, जो कि विश्व में सबसे कम है। जापान, कोरिया तथा कुछ अन्य प्रमुख इस्पात
उत्पादक देशों की प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष श्रम उत्पादकता लगभग 600-700 टन है।
(4) निम्न संभाव्य उपयोग―लोहा तथा इस्पात का संभाव्य उपयोग बहुत
कम है। बहुत कम संभाव्य उपयोग 80% को पार करता है।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम―(क) सरकार इस क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष
निवेश की नीति अपना रही है।
(ख) इस क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है।
प्रश्न 23. उद्योगों के वर्गीकरण के चार प्रमुख आधार कौन-से हैं ?
प्रत्येक वर्गीकरण के आधार पर उपयुक्त उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर―उद्योगों का वर्गीकरण आधार :
(i) कच्चे माल के स्रोत के आधार पर―इस आधार पर उद्योगों को दो वर्गों
में विभजित किया जाता है।
(क) कृषि आधारित उद्योग―सुती वस्त्र, ऊनी वस्त्र, पटसन, रेशमी वस्त्र,
रबड़, चीनी, कगज, लाख तथा वनस्पति तेल आदि ।
(ख) खनिज आधारित उद्योग-लौह इस्पात, सीमेंट, मोटर गाड़ी, मशीन,
पेट्रोरसायन, इलेक्ट्रिकल्स तथा इलैक्ट्रोनिक्स आदि ।
(ii) प्रमुख भूमिका के आधार पर―
(क) आधारभूत उद्योग–लौह इस्पात उद्योग, सीमेंअ उद्योग।
(ख) उपभोक्ता उद्योग–चीनी, कागज, पंखे तथा लाई मशीन आदि ।
(iii) पूँजी निवेश के आधार पर–इस आधार पर उद्योगों को दो वर्गों में
विभाजित किया जाता है―
(क) लघु उद्योग
(ख) वृहत् उद्योग।
(iv) स्वामित्व के आधार पर : इस आधार पर इसे चार वर्गों में विभाजित
किया जा सकता है―
(क) सार्वजनिक क्षेत्र,
(ख) निजी क्षेत्र,
(ग) संयुक्त उद्योग तथा
(घ) सहकारी उद्योग।
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