Jharkhand Board Class 10 Economics Notes | भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
JAC Board Solution For Class 10TH ( Social science ) Economics Chapter 2
(Sectors of the Indian Economy)
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. मध्यवर्ती वस्तुएँ (Intermediate goods) क्या हैं ? एक
उदाहरण दें।
उत्तर―मध्यवर्ती वस्तुएँ वे उत्पादित वस्तुएँ हैं जिनका प्रयोग उत्पादक कच्चे
माल के रूप में उत्पादन की प्रक्रिया में करता है अथवा उन्हें फिर से बेचने के
लिए खरीदा जाता है। उदाहरण के लिए सोफा सेट बनाने के लिए एक बढ़ई
लकड़ी, फोम, कपड़ा, स्प्रिंग आदि का प्रयोग करता है । ये सभी वस्तुएँ मध्यवर्ती
वस्तुएँ कहलाती हैं।
प्रश्न 2. अंतिम वस्तुएँ (Final goods) क्या है ? एक उदाहरण दें।
उत्तर―अंतिम वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिनका प्रयोग अंतिम उपभोग अथवा पूँजी
निर्माण में होता है। इन्हें फिर से बेचा नहीं जाता । संक्षेप में अंतिम वस्तुएँ उत्पादन
की सीमा रेखा पार कर चुकी होती हैं तथा उपभोक्ताओं के प्रयोग के लिए तैयार
होती हैं। कपड़ा, एयर कंडीशनर तथा रेफ्रीजरेटर अंतिम वस्तुओं के उदाहरण हैं।
प्रश्न 3. भारत में सकल घरेलू उत्पाद (G.D.P.) के लिए आँकड़ों को
एकत्र करने का दायित्व किस पर है ?
उत्तर―भारत में जी०डी०पी० मापन जैसा कठिन कार्य केन्द्र सरकार के
मंत्रालय द्वारा किया जाता है। यह मंत्रालय राज्यों एवं केन्द्र शासित क्षेत्रों के
विभिन्न सरकारी विभागों की सहायता से वस्तुओं और सेवाओं की कुल संख्या
और उनके मूल्य से संबंधित सूचनाएँ एकत्र करता है और तब जी०डी०पी० का
अनुमान करता है।
प्रश्न 4. बुनियादी सेवाएँ क्या हैं ?
उत्तर―किसी भी देश में अनेक सेवाओं, जैसे-अस्पताल, शैक्षिक संस्थाएँ,
डाक एवं तार सेवा, थाना, कचहरी, ग्रामीण प्रशासनिक कार्यालय, नगर निगम,
रक्षा, परिवहन, बैंक, बीमा कंपनी इत्यादि की आवश्यकता होती है। इन्हें बुनियादी
सेवाएँ माना जाता है।
प्रश्न 5. प्रछन्न बेरोजगारी (Disguished unemployment) क्या
है ? उदाहरण देकर व्याख्या करें। [JAC 2015 (A)]
उत्तर―यह एक परिस्थिति है जिसमें एक प्रक्रिया में आवश्यकता से अधिक
श्रमिक काम कर रहे होते हैं। इसमें प्रत्येक व्यक्ति कुछ काम कर रहा है परन्तु
किसी को भी पूर्ण रोजगार नहीं प्राप्त है। उदाहरण के लिए एक हैक्टेयर भूमि
को जोतने के लिए 10 मजदूरों की आवश्यकता है, परन्तु 10 की अपेक्षा वहाँ 15
मजदूर काम कर रहे हैं। इस परिस्थिति में 5 मजदूर छिपे हुए बेरोजगार हैं । ऐसी.
अवस्था में यदि अतिरिक्त मजदूरों को हटा भी दिया जाता है तो उत्पादन प्रभावित
नहीं होता।
प्रश्न 6. संगठित क्षेत्रक (Organised sector) क्या है ?
उत्तर―संगठित क्षेत्रक में वे उद्यम अथवा कार्य स्थान आते हैं जहाँ रोजगार
की अवधि नियमित होती है और इसलिए लोगों के पास सुनिश्चित काम होता है ।
वे क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं और उन्हें सरकारी नियमों एवं विनियमों
का अनुपालन करना होता है। इन नियमों व विनियमों का अनेक विधियों,
जैसे-कारखाना अधिनियम, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, सेवानुदान अधिनियम
इत्यादि में उल्लेख किया गया है।
प्रश्न 7. असंगठित क्षेत्रक (Unorganised sector) क्या है ?
उत्तर―ये वे क्षेत्र हैं जो सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं होते। ये छोटी-छोटी और
बिखरी इकाइयों जो अधिकांशत: सरकारी नियंत्रण से बाहर होती हैं, ये निर्मित हाते
हैं। इस क्षेत्रक के नियम तथा विनियम होते हैं परन्तु उनका अनुपालन नहीं होता ।
प्रश्न- 8. प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधियाँ क्या हैं ? उदाहरण भी दें।
उत्तर―प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधियों में वे सभी व्यवसाय सम्मिलित हैं,
जो कि मनुष्य के प्राकृतिक पर्यावरण से जुड़े हुए हैं। शिकार, मत्स्यन, डेयरी,
कृषि, खनन आदि प्राथमिक क्षेत्र की गतिविधियाँ हैं। आइए, इस तथ्य को एक
उदाहरण के माध्यम से समझें―
पशु पालन अथवा डेयरी प्राथमिक क्षेत्र की एक गतिविधि है । इस गतिविधि
में किसान पशुओं की जैविक प्रक्रिया एवं चारा आदि की उपलब्धता पर निर्भर
करते हैं। इसका उत्पादन दूध भी एक प्राकृतिक उत्पाद है
प्राथमिक क्षेत्र की एक सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है कि यह अन्य सब
गतिविधियों के लिए आधार बनाती है ।
प्रश्न 9.द्वितीयक क्षेत्र की गतिविधियाँ क्या हैं ? उदाहरण भी दें।
उत्तर―द्वितीयक क्षेत्र की गतिविधियों के अंतर्गत प्राकृतिक उत्पादों को
विनिर्माण प्रणाली के जरिए अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। यह प्राथमिक
क्षेत्र का अगला कदम है । कपास से कपड़ा, गन्ने चीनी तथा लौह अयस्क से
इस्पात बनाना इस गतिविधि के कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं।
ये सब द्वितीयक क्षेत्र की गतिविधियाँ हैं क्योंकि तेयार माल सीधे प्रकृति से
उत्पादित नहीं होता, वरन् उसे बनाना पड़ता है, इसलिए विनिर्माण की कोई प्रक्रिया
आवश्यक है।
आइए कपड़े का उदाहरण लें। जैसे-कपास का उत्पादन प्रकृति द्वारा होता
है, परन्तु हम इसका सीधा प्रयोग नहीं कर सकते । कपास को प्रयोग रूप में
परिवर्तित करने के लिए विनिर्माण की कोई प्रक्रिया आवश्यक है। यह प्रक्रिया
किसी कारखाने या घर में सामान्य उपकरणों से हो सकती है।
प्रश्न 10. तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियाँ क्या हैं ? उदाहरण भी दें।
उत्तर―तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियों में सभी सेवाओं वाले व्यवसाय सम्मिलित
हैं। परिवहन, संचार, व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा तथा प्रबंधन तृतीयक क्षेत्र के कुछ
महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं।
ये गतिविधियाँ प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में मदद करती हैं।
ये गतिविधियाँ स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करतीं बल्कि उत्पादन-प्रक्रिया में
सहयोग या मदद करती हैं। इसीलिए इन्हें सेवा क्षेत्रक भी कहते हैं।
प्रश्न 11. वे कौन-से लोग हैं, जो असंगठित क्षेत्रक में काम करते हैं ?
उत्तर―(i) ग्रामीण क्षेत्रों में, असंगठित क्षेत्रक मुख्यतः भूमिहीन कृषि श्रमिकों,
छोटे और सीमांत किसानों, फसल बंटाईदारों और कारीगरों (जैसे बुनकरों, लुहारों,
बढ़ई और सुनार) से रचित होता है ।
(ii) शहरी क्षेत्रों में असंगठित क्षेत्रक मुख्यतः लघु उद्योगों के श्रमिकों,
निर्माण, व्यापार व परिवहन में कार्यरत आकस्मिक श्रमिकों और सड़कों पर
विक्रेता काकाम करने बालों, सिर पर बोझा ढोने वाले श्रमिकों, वस्त्र-निर्माण करने
वालों और कबाड़ उठाने वालों से रचित हैं ।
(iii) बहुसंख्यक श्रमिक अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ी जातियों से
होते हैं, जो असंगठित क्षेत्रकों में रोजगार करते हैं।
प्रश्न 12. अंतिम वस्तुओं तथा मध्यवर्ती वस्तुओं में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर―
अंतिम वस्तुएँ मध्यवर्ती वस्तुएँ
(1) वे वस्तुएँ जिनका प्रयोग या तो अतिम (1) वे वस्तुएँ जिनका प्रयोग अंतिम
उपभोग के अथवा पूँजी निर्माण के वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादित
लिए होता है। करने में होता है।
(2) अतिम वस्तुओं का मूल्य राष्ट्रीय आय (2) मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य राष्ट्रीय
में सम्मिलित होता है। आय में सम्मिलित नहीं होता।
(3) उदाहरण : टेलीविजन, ब्रैड आदि। (3) उदाहरण : कपास, आटा आदि ।
प्रश्न 13. संगठित तथा असंगठित क्षेत्रक की रोजगार परिस्थितियों की
तुलना कीजिए। [NCERT]
उत्तर―
संगठित असंगठित
(1) ये क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत होते (1) ये क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं
हैं। होते हैं।
(2) राजगार की अवधि नियमित होती है। (2) रोजगार की अवधि नियमित नहीं
(3) इस क्षेत्रक को अनेक सरकारी नियमों होती है।
एवं विनियमों का पालन करना होता (3) इस क्षेत्रक को किसी अधिनियम
है। का पालन नहीं करना होता।
जैसे―कारखाना अधिनियम, न्यूनतम
मजदूरी अधिनियम आदि।
प्रश्न 14. सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्रक में तुलना का अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर―
सार्वजनिक क्षेत्रक निजी क्षेत्रक
(1) इसका नियंत्रण तथा प्रबंधन सरकार (1) इसका नियंत्रण तथा प्रबंधन एकल
द्वारा होता है। व्यक्ति या कंपनी के हाथों में होता है।
(2) इस क्षेत्र का मुख्य उद्देश्य जन (2) इसका मुख्य उद्देश्य अधिकतम लाभ
कल्याण होता है। कमाना होता है।
(3) यह क्षेत्रक लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य (3) यह क्षेत्रक लोगों को उपभोक्ता वस्तुएँ
खाद्य सुरक्षा आदि मूलभूत सुविधाएँ प्रदान करता है।
प्रदान करता है।
(4) उदाहरण-भारतीय रेलवे, डाकघर (4) उदाहरणत: रिलायंस, टिस्को आदि ।
तथा बी०एस०एन०एल०।
प्रश्न 15.आर्थिक गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर
कैसे वर्गीकृत की जाती है? [JAC 2013 (A)]
उत्तर―आर्थिक गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर दो वर्गों
में वर्गीकृत की जाती है―
(i) संगठित क्षेत्रक तथा
(ii) असंगठित क्षेत्रक।
प्रश्न 16. राग्रा०रो०, ग्रा०अ०-2005 अधिनियम क्या है ? [NCERTI]
उत्तर―(i) रा० ग्रा० रो० ग्राम, अ०-2005 के अंतर्गत उन सभी लोगों, जो
काम करने में सक्षम हैं और जिन्हें काम की जरूरत है, को सरकार द्वारा वर्ष में
100 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई है।
(ii) यदि सरकार रोजगार उपलब्ध कराने में असफल रहती है तो वह लोगों
को बेरोजगारी भत्ता देती है।
(iii) इस अधिनियम के अन्तर्गत उस तरह के कामों को वरीयता दी जाएगी,
जिनसे भविष्य में भूमि का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न- 1. राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाते समय केवल अंतिम वस्तुओं
तथा सेवाओं के मूल्य की गणना ही क्यों की जाती है? उदाहरण सहित
समझाएँ।
उत्तर―किसी क्षेत्रक की उपलब्धि का अनुमान लगाते समय केवल अंतिम
वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य की गणना की जाती है ताकि बार-बार गणना न
हो जाए। किसी उत्पाद के मूल्य की एक बार से अधिक गणना दोहरी गणना
(Double counting) कहलाती है। इससे उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के
मूल्य में वृद्धि हो जाती है। आइए इस तथ्य को एक उदाहरण से समझें―
एक किसान एक टन गेहूँ का उत्पादन करता है तथा एक आटा मिल की
उसे 100 रुपए में बेच देता है। जहाँ तक किसान का संबंध है, उसने गेहूँ को
अंतिम बार बेच दिया । परन्तु आटा मिल द्वारा गेहूँ की खरीद एक मध्यवर्ती वस्तु
है। वह गेहूँ को पीसता है और उसे 150 रुपए में बिस्कुट कंपनी को बेच देता
है। आटा मिल उस आटे को अंतिम उत्पादन मानती है परन्तु बिस्कुट कंपनी के
लिए यह मध्यवर्ती वस्तु है। बिस्कुट कंपनी दुकानदार को ब्रेड 200 रुपए में
बेचती है तथा दुकानदार उपभोक्ताओं को 250 रुपए में।
उत्पादन का मूल्य = किसान (100 रुपए) + आटा मिल (150 रु०) +
बिस्कुट कंपनी (200 रु०) + दुकानदार (250 रु०) = 700 रु० ।
इस प्रकार राष्ट्रीय आय की गणना करते समय वस्तु के अंतिम मूल्य अर्थात्
250 रुपए की ही गणना की जानी चाहिए न कि 700 रुपए।
प्रश्न 2. 'भारत में तृतीयक क्षेत्रक इतना अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों हो
गया है?' कम-से-कम चार कारण दें।
उत्तर―(i) बुनियादी सेवाएँ―किसी भी देश में अनेक सेवाओं, जैसे―अस्पताल,
शैक्षिक संस्थाएँ, डाक व तार सेवा, थाना, कचहरी, ग्रामीण प्रशासनिक कार्यालय,
नगर निगम, रक्षा, परिहवन, बैंक, बीमा कंपनी इत्यादि की आवश्यकता होती है।
इन्हें बुनियादी सेवाएँ कहते हैं। किसी विकासशील देश में इन सेवाओं के प्रबंध
न की जिम्मेदारी सरकार उठाती है।
जैसे कि अधिक-से-अधिक लोगों को बुनियादी सेवाएं प्रदान कराने में लगाया
जाता है, इसलिए जी०डी०पी० में तृतीयक क्षेत्रक की भागीदारी बढ़ रही है।
(ii) परिवहन तथा संचार के साधनों का विकास―कृषि तथा उद्योगों के
विकास के कारण परिवहन, संचार, व्यापार आदि सेवाओं का विकास होता है।
ये सभी तृतीयक क्षेत्रक के अंतर्गत आते हैं।
(iii) अधिक आय अधिक सेवाएँ―हमारे देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़
रही है। जैसे आय बढ़ती है तो लोग पर्यटन, शॉपिंग, स्कूल, व्यावसायिक
प्रशिक्षण केन्द्रों बैंकों आदि की माँग करने लगते हैं।
(iv) नई सेवाएँ―आधुनिकीकरण तथा वैश्वीकरण के कारण सूचना और
संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित कुछ नवीन सेवाएँ महत्त्वपूर्ण तथा आवश्यक हो गई
हैं। इन सेवाओं के उत्पादन में तीव्र वृद्धि हो रही है।
प्रश्न 3. कुछ तरीके सुझाएँ जो ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने में
सहायक हों।
उत्तर―(i) कृषि में विविधता–60% से भी अधिक हमारे श्रमिक कृषि में
लगे हुए हैं, परन्तु हमारे किसान कुछ सीमित फसलें ही उगाते हैं। इसलिए कृषि
में भिन्नता होना आवश्यक है। किसानों को फसलें उपजाने के साथ मत्स्यन,
बागवानी, पशु-पालन अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ।
(ii) सस्ते ऋण―अधिकांश किसान ऋण के अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर
करते हैं, जैसे-साहुकार, संबंधी, व्यापारी आदि, जो कि ब्याज की ऊँची दर वसूल
करते हैं। सरकार को किसानों को सस्ती दर पर ऋण प्रदान करने के लिए
प्रोत्साहित करना चाहिए।
(iii) मूलभूत सुविधाओं का प्रावधान―हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों,
परिवहन, बैंकों, गोदामों, बाजारों आदि मूलभूत सुविधाओं की कमी है। सरकार
को इन क्षेत्रों में कुछ धन निवेश करना चाहिए ताकि भारतीय गाँवों को बाजारों से
जोड़ा जा सके। इस प्रकार की गतिविधि न केवल किसानों को बल्कि परिवहन
अथवा व्यापार जैसी सेवाओं में लोगों को रोजगार प्रदान कर सकती है।
(iv) स्थानीय उद्योगों तथा अन्य प्रक्रियाओं को प्रोत्साहन―उस समस्या
से निपटने के लिए एक और तरीका है कि अर्ध ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर उद्योगों तथा
छोटे पैमाने के उद्योगों को स्थापित तथा प्रोत्साहित किया जाए, जहाँ बहुत से लोगों
को रोजगार मिल सके। इसमें दाल, आटा तथा चावल की मिल स्थापित करना
भी सम्मिलित हो सकता है, जिनकी पिसाई कर शहरों में बेचा जाए। गाँवों के
पास वन क्षेत्रों में शहद संग्रह केन्द्र खोले जा सकते हैं, जहाँ किसान आकर वनों
से प्राप्त शहद बेच सकते हैं।
प्रश्न 4. एक संगठित क्षेत्रक में काम करने के लाभ क्या हैं ?
उत्तर―(i) संगठित क्षेत्रक के कर्मचारियों को रोजगार-सुरक्षा के लाभ मिलते हैं।
(ii) उनसे एक निश्चित समय तक ही काम करने की आशा की जाती है
यदि वे अधिक काम करते हैं तो नियोक्ता द्वारा उन्हें अतिरिक्त वेतन दिया जाता है।
(iii) वे नियोक्ता से कई दूसरे लाभ भी प्राप्त करते हैं, जैसे सवेतन छुट्टी,
अवकाश काल में भुगतान, भविष्य निधि, सेवानुदान आदि ।
(iv) ये चिकित्सीय लाभ पाने के हकदार होते हैं और नियमों के अनुसार
कारखाना मालिक को पेयजल और सुरक्षित कार्य-पर्यावरण जैसी सुविधाओं को
सुनिश्चित करना होता है।
प्रश्न 5. "असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है।
क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन के कारण
दीजिए।
अथवा, असंगठित क्षेत्रक में काम करने के नुकसान क्या हैं ?
उत्तर―(i) इन क्षेत्रकों में काम करने वालों को कम वेतन मिलता है।
(ii) यहाँ अतिरिक्त समय में काम करने, सवेतन छुट्टी, अवकाश, बीमारी
कारण छुट्टी इत्यादि का कोई प्रावधान नहीं होता ।
(iii) ये रोजगार सुरक्षित नहीं हैं। श्रमिकों को बिना किसी कारण काम से
हटाया जा सकता है।
(iv) कम क्षेत्रक में काफी संख्या में लोग अपने-अपने छोटे कार्यों,
जैसे―सड़कों पर विक्रय अथवा मुरम्मत कार्य में स्वतः नियोजित हैं।
प्रश्न 6. सार्वजनिक क्षेत्रक में सरकार की भूमिका का वर्णन करें।
[NCERT]
उत्तर―सार्वजनिक क्षेत्रक में सरकार की भूमिका महत्त्वपूर्ण है । इसके
निम्नलिखित कारण हैं।
(i) अधिसंरचना का विकास―अधिसंरचना के विकास के बिना औद्योगिक
विकास संभव नहीं है । इसके विकास के लिए पर्याप्त पूँजी निवेश की आवश्यकता
होती है, जिसकी पूर्ति निजी क्षेत्रक नहीं कर पाता । इन परियोजनाओं से अधिक लाभ
की आशा नहीं होती। इसलिए निजी उद्यमी इन्हें हाथ में लेने से हिचकिचाते हैं।
(ii) पिछड़े क्षेत्रों का विकास―यदि पिछड़े क्षेत्रों में उद्योग लगा दिए जाएँ
तो विभिन्न क्षेत्रों के बीच आर्थिक असमानता के लक्ष्य को प्राप्त करना आसान हो
जाता है। परन्तु लाभ का लक्ष्य रखने वाले निजी उद्यमी पिछड़े क्षेत्रों में उद्योग
लगाना पसंद नहीं करते। इसीलिए सरकार स्वयं इन क्षेत्रों में औद्योगिक उत्पादन
करना आवश्यक समझती है।
(iii) मूलभूत आवश्यकताएँ―अधिकतर आर्थिक गतिविधियाँ ऐसी हैं,
जिनकी प्राथमिक जिम्मेदारी सरकार पर है। इन पर व्यय करना सरकार की
अनिवार्यता है। जैसे―सभी के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएँ उपलब्ध कराना,
समुचित ढंग से विद्यालय चलाना और गुणात्मक शिक्षा विशेषकर प्राथमिक शिक्षा
उपलब्ध कराना सरकार का कर्त्तव्य है। भारत में निरक्षरों की संख्या विश्व में
सबसे अधिक है।
अन्य समस्याएँ―कई अन्य समस्याएँ भी हैं, जैसे-कुपोषण, उच्च शिशु
मृत्यु दर, असुरक्षित पेयजल, आवासीय सुविधाओं की कमी आदि, जिनकी तरफ
विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इन समस्याओं का समाधान केवल सरकार की
सहायता से हो सकता है।
प्रश्न 7.संगठित और असंगठित क्षेत्रकों की रोजगार परिस्थितियाँ की
तुलना कीजिए। [NCERT]
उत्तर―
संगठन क्षेत्रक असंगठित क्षेत्रक
(1) रोजगार सुरक्षा होती है। (1) रोजगार सुरक्षा नहीं होती है।
(2) औपचारिक प्रक्रिया और कार्यविधि (2) औपचारिक प्रक्रिया और कार्य विधि
होती है। निश्चित नियमों का पालन नहीं होती है। मालिक या स्वामी
करना पड़ता अपनी इच्छा के अनुसार जो चाहे
कर सकता या करवा सकता है।
(3) काम करने का समय निश्चित होता (3) काम करने या समय निश्चित नहीं
है। होता।
(4) अधिक समय तक कार्य करने पर (4) अधिक समय तक कार्य करने पर
अतिरिक्त वेतन दिया जाता है। अतिरिक्त वेतन या पारिश्रमिक नहीं
दिया जाता।
(5) श्रमिकों को कोई लाभ जैसे- सवेतन (5) इस प्रकार के अतिरिक्त लाभ इन
छुट्टी, अवकाश काल में भुगतान, श्रमिकों को नहीं मिलते ।
भविष्य निधि, सेवानुदान आदि
मिलते हैं।
(6) सेवानिवृत्त होने पर पेंशन दी जाती (6) सेवानिवृत्त होने पर पेंशन नहीं दी
है। जाती।
प्रश्न 8. असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण
की आवश्यकता है-मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य । उदाहरण सहित व्याख्या
कीजिए। [NCERT]
उत्तर―(i) मजदूरी―साधारणतया असंगठित क्षेत्रक में मालिक श्रमिकों को
कम वेतन देते हैं। नियमों का पालन नहीं किया जाता है। अतिरिक्त समय पर
कार्य करने का अतिरिक्त वेतन नहीं दिया जाता है। इसीलिए सरकार समय-समय
पर कम-से-कम मजदूरी निश्चित करती है परन्तु बेरोजगारी अधिक होने के
कारण व्यक्ति कम मजदूरी पर कार्य करने के लिए तैयार हैं और निजी क्षेत्रक के
स्वामी इस स्थिति का लाभ उठाकर श्रमिकों का शोषण कर रहे हैं।
(ii) सुरक्षा और स्वास्थ्य―असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की सुरक्षा और
स्वास्थ्य की ओर ध्यान नहीं दिया जाता जैसे-संगठित क्षेत्र में उनको डॉक्टरी
सहायता आदि प्रदान की जाती है पर असंगठित क्षेत्र में उनको किसी प्रकार की
डॉक्टरी सहायता नहीं दी जाती तथा बीमारी के कारण अवकाश लेने पर वेतन भी
नहीं दिया जाता। यद्यपि इस विषय पर नियम हैं परन्तु साधारणतया उन नियमों
का पालन नहीं होता है।
प्रश्न 9. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA 2005)7
के उद्देश्य क्या है? [JAC 2014 (A)]
उत्तर―(i) इस योजना के लक्ष्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन-जाति तथा
गरीब महिलाओं तक पहुँचना है, जो अत्यधिक गरीब हैं।
(ii) उन सभी लोगों, जो काम करने में सक्षम हैं और जिन्हें काम की जरूरत
है, को सरकार द्वारा वर्ष में 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई है।
(iii) इस योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत सही प्रमाणों के बाद कुछ घरों को
पंजीकृत करती है तथा पंजीकृत घरों को रोजगार कार्ड जारी किए गए हैं। यह
रोजगार कार्ड एक कानूनी दस्तावेज है, जिससे व्यक्ति को 15 दिन के अंदर
रोजगार पाने का अधिकार है। यदि सरकार रोजगार उपलब्ध कराने में असफल
रहती है, तो वह लोगों को रोजगार भत्ता देगी।
प्रश्न 10. क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों को प्राथमिक,
द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है ? व्याख्या कीजिए
कि कैसे? [NCERT]
उत्तर―(i) आर्थिक गतिविधियों को प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक
क्षेत्रकों में विभाजित करना बहुत लाभदायक है । (ii) हम ज्ञात कर सकते हैं कि
विभिन्न क्षेत्रों में कितने श्रमिक काम कर रहे हैं। (iii) हम यह ज्ञात कर सकते
है कि जी०डी०पी० में हर क्षेत्र में कितना भाग है । (iv) हम यह भी ज्ञात कर
सकते हैं कि कौन-सा क्षेत्रक विकास कर रहा है तथा कौन-सा क्षेत्रक पीछे रह
गया है। (v) हम प्रत्येक क्षेत्रक की परस्पर निर्भरता भी ज्ञात कर सकते हैं।
प्रश्न 11. इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रक को रोजगार और सकल
घरेलू उत्पाद (जी०डी०पी०) पर ही क्यों केन्द्रित करना चाहिए? चर्चा
करें।
उत्तर―रोजगार–रोजगार बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह गरीबी जैसी अनेक
आर्थिक समस्याओं का समाधान देती है।
जी०डी०पी०–सकल घरेलू उत्पादन राष्ट्रीय आय में प्रत्येक क्षेत्रक के भाग
को ज्ञात करने में मदद करता है।
प्रश्न 12. तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से भिन्न कैसे है ? सोदाहरण
व्याख्या करें। [NCERT; JAC 2016 (A)]
उत्तर―ये गतिविधियाँ प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में मदद
करती हैं। ये गतिविधियाँ स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करतीं, बल्कि
उत्पादन-प्रक्रिया में सहयोग या मदद करती हैं। जैसे-प्राथमिक और द्वितीयक
क्षेत्रक द्वारा उत्पादित वस्तुओं को थोक एवं खुदरा विक्रेताओं को बेचने के लिए
ट्रकों और ट्रेनों द्वारा परिवहन करने की जरूरत पड़ती है। कभी-कभी वस्तुओं को
गोदामों में भंडारित करने की आवश्यकता होती है। हमें उत्पादन और व्यापार में
सहूलियत के लिए टेलीफोन पर दूसरों से वार्तालाप करने या पत्राचार या बैंकों से
कर्ज लेने की भी आवश्यकता होती है। परिवहन, भंडारण, संचार, बैंक सेवाएँ
और व्यापार तृतीयक गतिविधियों के कुछ उदाहरण हैं।
प्रश्न 13. "भारत में सेवा क्षेत्रक दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित
करता है।" ये लोग कौन हैं ? [NCERT]
उत्तर―(i) कुशल तथा शिक्षित लोग (ii) अकुशल, तथा अशिक्षित लोग
कुशल तथा शिक्षित लोगों में इंजीनियर, डॉक्टर, अध्यापक, सैन्य कर्मी,
पुलिस आदि सम्मिलित हैं, जबकि अकुशल तथा अशिक्षित लोगों में दुकानदार,
व्यापारी, कृषि मजदूर आदि शामिल हैं।
प्रश्न 14. खुली बेरोजगारी व प्रछन्न बेरोजगारी में विभेद करें। [JAC 2017(A)]
उत्तर―
खुली बेरोजगारी प्रच्छन्न बेरोजगारी
(1) इसके अंतर्गत एक श्रमिक काम (1) इसके अंतर्गत श्रमिक काम करता
करने के लिए तैयार होता है, है, परन्तु यदि उसे हटा दिया जाए
परन्तु उसे काम नहीं मिलता । तो उत्पादन में कमी नहीं आती।
(2) ऐसा किसी भी क्षेत्रक में हो सकता (2) ऐसा मुख्यतः कृषि में ही होता है।
है।
प्रश्न 15. व्याख्या करें कि किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक
क्षेत्रक कैसे योगदान देता है ?
उत्तर―अधिसंरचना―भारत जैसे विकासशील देश में तेजी से बढ़ता
औद्योगीकरण अधिसंरचना पर ही निर्भर करता है, जैसे ऊर्जा, परिवहन, संचार,
सिंचाई, शिक्षा, प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण आदि ।
इन उद्योगों में अधिकांश सार्वजनिक उद्यम ही स्थापित किए गए।
अधिसंरचनात्मक क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश ने देश के कृषि तथा
औद्योगिक विकास का मार्ग खोल दिया। देश के सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा विकसित
अधिसंरचनात्मक सुविधाओं पर ही निजी क्षेत्र का निवेश निर्भर करता है।
सुदृढ़ औद्योगिक आधार―लोहा तथा इस्पात, कोयला, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल
मशीनरी, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, उर्वरक आदि के क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के
विकास ने भावी औद्योगीकरण के लिए एक सुदृढ़ औद्योगिक आधार तैयार कर
दिया है।
निर्यात को प्रोत्साहन―भारत के निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक
सार्वजनिक उद्यम स्थापित किए गए हैं। राज्य व्यापार निगम तथा खनिज और
धातु व्यापार निगम ने विशेष रूप से पूर्व यूरोपीय देशों में निर्यात को प्रोत्साहन देने
के लिए सराहनीय कार्य किया है।
संतुलित क्षेत्रीय विकास―औद्योगिक विकास में क्षेत्रीय असमानताओं को
कम करने तथा दूर करने के लिए सरकार अविकसित तथा अल्प विकसित क्षेत्रों
में संसाधनों का प्रयोग कर उद्योगों को स्थापित करती है। स्वाधीनता से पहले
औद्योगिकरण प्रमुखत: पत्तन शहरों के इर्द-गिर्द ही विकसित था जैसे कोलकाता,
मुम्बई तथा चेन्नई तथा इन स्थानों को निजी इकाइयों ने ही विकसित किया था।
प्रश्न 16. असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर
संरक्षण की आवश्यकता है–मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य । उदाहरण सहित
व्याख्या कीजिए। [NCERT]
उत्तर―(i) मजदूरी–साधारणतया असंगठित क्षेत्रक में मालिक श्रमिकों को
कम वेतन देते हैं। नियमों का पालन नहीं किया जाता है। अतिरिक्त समय पर
कार्य करने का अतिरिक्त वेतन नहीं दिया जाता है। इसीलिए सरकार समय-सद
पर कम-से-कम मजदूरी निश्चित करती है परन्तु बेरोजगारी अधिक होने
कारण व्यक्ति कम मजदूरी पर कार्य करने के लिए तैयार है और निजी क्षेत्रक
स्वामी इस स्थिति का लाभ उठाकर श्रमिकों का शोषण कर रहे हैं।
(ii) सुरक्षा और स्वास्थ्य―असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की सुरक्षा और
स्वास्थ्य की ओर ध्यान नहीं दिया जाता । जैसे-संगठित क्षेत्र में उनको डॉक्टरी
सहायता आदि प्रदान की जाती है पर असंगठित क्षेत्र में उनको किसी प्रकार की
डॉक्टरी सहायता नहीं दी जाती और बीमारी के कारण अवकाश लेने पर वेतन में
नहीं दिया जाता। यद्यपि इस विषय पर नियम हैं परन्तु साधारणतया उन नियमों
का पालन नहीं होता है।
प्रश्न 17. जीविका के लिए काम करने वाले अपने आसपास के
वयस्कों के सभी कार्यों की लंबी सूची बनाइए । उन्हें आप किस तरीके से
वर्गीकृत कर सकते हैं ? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए। [NCERT]
उत्तर―(क) जीविका के लिए कार्य करने वाले वयस्क निम्नलिखित कार्य
करते हैं―
सरकारी नौकरी, इंजीनियर, कारखाने का मालिक, निजी कंपनी का बीमा
कर्मचारी, अध्यापक, फोटोग्राफर, दुकानदार, मजदूर, कपड़ा उद्योग का मालिक,
डेयरी मालिक।
(ख) उपर्युक्त वयस्कों को निम्नलिखित तरीके से वर्गीकृत किया जा सकता है―
(1) संगठित क्षेत्र–सरकारी कर्मचारी, इंजीनियर ।
असंगठित क्षेत्र–मजदूर।
(2) प्राथमिक क्षेत्रक – डेयरी मालिक
द्वितीयक क्षेत्रक– कारखाने का मालिक
तृतीयक क्षेत्रक–सरकारी कर्मचारी, इंजीनियर, निजी कंपनी का बीमा
कर्मचारी, अध्यापक, फोटोग्राफर, दुकानदार।
(3) सार्वजनिक क्षेत्रक–सरकारी कर्मचारी
निजी क्षेत्रक – इंजीनियर, कारखाने का मालिक, निजी कंपनी का
बीमा कर्मचारी, अध्यापक, फोटोग्राफर, दुकानदार
डेयरी मालिक।
इस प्रकार उपर्युक्त वयस्कों को संगठित, असंगठित, प्राथमिक, द्वितीयक,
तृतीयक, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रकों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
प्रश्न 18. अपने क्षेत्र में एक-एक उदाहरण देकर सार्वजनिक और निजी
क्षेत्रक के गतिविधियों एवं कार्यों की तुलना कीजिए। [NCERT]
उत्तर―(i) सार्वजनिक क्षेत्रक–सफाई विभाग (नगर निगम)
सड़क विभग–(नगर निगम)
(ii) निजी क्षेत्रक–एन०डी०पी०एल० एयरटेल
(i) सार्वजनिक क्षेत्र में–सफाई विभाग (नगर निगम) सुव्यवस्थित है।
क्योंकि प्रात:काल सफाई कर्मचारी विभिन्न स्थानों पर सफाई करते हैं। इसके
विपरीत नगर में अधिकांश स्थानों पर सड़कों की हालत खराब है।
(ii) निजी क्षेत्रक में–एन०डी०पी०एल० द्वारा बिजली का प्रबंध सराहनीय है
परन्तु एयरटेल की फोन सेवा खराब है। कभी-कभी शिकायत करने पर भी ठीक
समय पर सुनवाई नहीं देती।
प्रश्न 19. भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई
महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है । क्या आप इससे सहमत हैं ? अपने
उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए। [JAC 2012 (A)]
उत्तर―तृतीयक क्षेत्रक महत्त्वपूर्ण हैं। मैं उपयुक्त कथन से सहमत नहीं हूँ
क्योंकि ये गतिविधियाँ प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में मदद करती
हैं। ये गतिविधियाँ स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करतीं, बल्कि उत्पादन-प्रक्रिया
में सहयोग या मदद करती हैं। जैसे-प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित
वस्तुओं को थोक एवं खुदरा विक्रेताओं को बेचने के लिए ट्रकों और ट्रेनों द्वारा
परिवहन करने की जरूरत पड़ती है। कभी-कभी वस्तुओं को गोदामों में भंडारित
करने की आवश्यकता होती है। हमें उत्पादन और व्यापार में सहूलियत के लिए
टेलीफोन पर दूसरों से वार्तालाप करने या पत्राचार या बैंकों से कर्ज लेने की भी
आवश्यकता होती है। परिवहन, भंडारण, संचार ।
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