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 Jharkhand Board Class 10  Economics  Notes |  वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था 

 JAC Board Solution For Class 10TH ( Social science ) Economics Chapter 4

                      (Globalisation and Indian Economy)

                               लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ क्या हैं ? उदाहरण की सहायता से
समझाएँ।
उत्तर―एक बहुराष्ट्रीय कंपनी वह है, जो एक से अधिक देशों में उत्पादन
पर नियंत्रण अथवा स्वामित्व रखती है। उदाहरण के लिए-पेप्सी, सैमसंग,
ओनिडा, ग्लैक्सो, पाँडस, एल० जी० आदि ।
    बहुराष्ट्रीय कंपनियों की प्रक्रियाएँ अनेक देशों में फैली हुई हैं। उनकी मूल
कंपनी एक देश में स्थित होती है तथा सहायक कंपनियाँ विश्व के अनेक देशों
में फैली होती हैं। उदाहरण के लिए आई. टी. टी., औद्योगिक उपकरण बनाने
वाली एक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी संयुक्त राज्य अमेरिका के अनुसंधान केंद्र में
अपने उत्पादों का डिजाडन तैयार करती है । उसके पुर्जे चीन में विनिर्मित होते हैं।
फिर जहाज में लादकर मेक्सिको और पूर्वी यूरोप ले जाया जाता है और तैयार
उत्पाद को विश्व भर में बेचा जाता है। इस बीच कंपनी की ग्राहक सेवा का
भारत में स्थित कॉल सेंटरों के माध्यम से संचालन किया जाता ।

प्रश्न 2. विदेशी व्यापार तथा विदेशी निवेश में अंतर स्पष्ट करें।
                                           [JAC 2009 (S); 2014(A)]
उत्तर―    
विदेशी व्यापार                                                  विदेशी निवेश
(1) विदेशी व्यापार में वस्तुएँ तथा सेवाएँ      (1) विदेशी निवेश में बहुराष्ट्रीय कंपनी
एक देश से दूसरे में जाती हैं।                           अथवा एक देश दूसरे देश में
                                                                  निवेश करता है।
(2) इसके फलस्वरूप विभिन्न देशों             (2) यह औद्योगीकरण की प्रक्रिया को
के बाजारों का एकीकरण होता                         बढ़ावा देता है।

प्रश्न 3. बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विश्व की अर्थव्यवस्था में किस प्रकार
परिवर्तन ला दिया है ?
उत्तर―(i) बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आने से पहले उत्पादन एक देश के अंदर
तक ही सीमित था।

(ii) देश केवल कच्चा माल, खाद्य पदार्थ और तैयार उत्पादों में ही व्यापार
करते थे।

(iii) परंतु बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आने से कंपनियों की आर्थिक गतिविधि
याँ अनेक देशों में फैल गई।

(iv) वस्तुओं और सेवाओं उत्पादन विश्वस्तर पर होने लगा।

प्रश्न 4. 'बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अधीन उत्पादन प्रक्रिया क्रमशः
जटिल ढंग से संगठित हुई है।' व्याख्या करें।
उत्तर―(i) उत्पादन प्रक्रिया छोटे भागों में विभाजित है और विश्व-भर में
फैली हुई है।

(ii) अधिकतर अनुसंधान कार्य अमेरिका, जापान, इंग्लैंड आदि विकसित
देशों में होता है।

(iii) वस्तुओं का विनिर्माण तथा उन्हें जोड़ने का कार्य उन देशों में होता है
जहाँ लागत कम हो।

(iv) कंपनियाँ ग्राहक सेवा केंद्र उन देशों में स्थापित करती हैं, जहाँ सस्ते
तथा कुशल श्रमिक उपलब्ध होते हैं।

प्रश्न 5. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ स्थानीय कंपनियों के विकास में कैसे
मदद करती हैं?
उत्तर―(i) आधुनिक प्रौद्योगिकी तथा प्रबंधन की उपलब्धता : स्थानीय
कंपनियों को आधुनिक प्रौद्योगिकी तथा प्रबंधन सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
परिणामस्वरूप स्थानीय उद्यमियों की उत्पादकता बढ़ती है तथा संसाधनों का
उपयोग हो जाता है।

(ii) धन : बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अतिरिक्त निवेश के लिए धन प्रदान कर
सकती हैं, जैसे-तेजी से उत्पादन करने के लिए मशीनें तथा माल खरीदना ।

प्रश्न 6. "भारतीय सरकार ने स्वतंत्रता के बाद विदेश व्यापार तथा
विदेशी निवेश पर प्रतिबंध लगा रखा है।" इसे आवश्यक क्यों समझा
गया?
उत्तर―(i) देश के उत्पादकों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से संरक्षण प्रदान
करना : 1950 और 1960 के दशकों में उद्योगों का उदय हो रहा था और इस
अवस्था में आयात से प्रतिस्पर्धा इन उद्योगों को बढ़ने नहीं देती। इसलिए भारत ने
केवल अनिवार्य चीजों जैसे मशीनरी, उर्वरक आदि के आयात को ही अनुमति दी।

(ii) मूलभूत उद्योगों की स्थापना― लोहा तथा इस्पात, कोयला जैसे
मूलभूत उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए कुछ प्रतिबंध लगाए गए थे

प्रश्न 7. विश्व व्यापार संगठन के नकारात्मक प्रभाव क्या हैं ?
उत्तर―(i) ऐसा माना जाता है कि विकसित देशों द्वारा विश्व व्यापार
संगठन का प्रयोग उन क्षेत्रों में वैश्वीकरण का समर्थन देने के लिए किया जा रहा
है, जिनका व्यापार से सीधा संबंध है। जबकि वे देश की घरेलू अर्थव्यवस्था के
प्रबंधन में हस्तक्षेप करते हैं, जैसे-विश्व व्यापार संगठन की कुछ धाराओं ने
आर्थिक सहायता पर प्रतिबंध लगाए थे। ऐसा करना भारतीय किसानों के विरोध
में हो सकता है।

(ii) इस बात की शंका है कि अनेक आवश्यक वस्तुओं तथा जीवनसेवी
दवाओं की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।

(iii) जबकि विश्व व्यापार संगठन सभी देशों को मुक्त व्यापार की सुविधा
देता है, परंतु व्यवहार में यह देखा गया है कि विकसित देशों ने अनुचित ढंग से
व्यापार अवरोधकों को बरकरार रखा है। दूसरी ओर विश्व व्यापार संगठन के
नियमों ने विकासशील देशों के व्यापार अवरोधों को हटाने के लिए विवश
किया है।

(iv) विश्व व्यापार संगठन पर विकसित देशों का बहुत अधिक प्रभाव है।

प्रश्न 8. वैश्वीकरण के नकारात्मक सूत्र (कुप्रभाव) क्या हैं ? किन्हीं
चार का वर्णन करें।
अथवा, वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है। इस कथन की
व्याख्या करें।                                   [JAC 2013 (A)]
उत्तर―(i) वैश्वीकरण गरीबी की समस्या का समाधान करने में असफल रहा।

(ii) वैश्वीकरण तथा प्रतिस्पर्धा के दबाव ने श्रमिकों के जीवन में बहुत
परिवर्तन ला दिया है। बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा का सामना करने के कारण अधिकतर
नियोक्ता आजकल श्रमिकों को रोजगार देने में लचीलापन पसंद करते हैं। इसका
अर्थ है कि श्रमिकों के रोजगार सुरक्षित नहीं है।

(iii) केवल संपन्न तथा शिक्षित लोगों ने ही वैश्वीकरण से लाभ उठाया है।

(iv) वैश्वीकरण ने अमीर तथा गरीब के अंतर को बढ़ा दिया है।

प्रश्न 9. बहुराष्ट्रीय कंपनियों की किन्हीं चार विशेषताओं का वर्णन
करें।
उत्तर―(i) ये कंपनियाँ एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण अथवा
स्वामित्व रखती हैं। (ii) उत्पादन प्रक्रिया पेचीदा ढंग से संगठित होती है। (iii)
उत्पादन-प्रक्रिया छोटे भागों में विभाजित हुई है और विश्व भर में फैली हुई है।
(iv) कंपनियों का आकार बढ़ा है।

प्रश्न 10. बहुराष्ट्रीय कंपनियों के किन्हीं चार अवस्थितीय कारकों का
वर्णन करें
उत्तर―(i) बाजार के नजदीक हो । (ii) कम लागत पर कुशल और अकुशल
श्रम उपलब्ध हों। (iii) उत्पादन के अन्य कारक उपलब्ध हों। (iv) अनुकूल
सरकारी नीतियाँ।

प्रश्न 11. कुछ तरीकों का वर्णन करे जो बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अपने
उत्पादन के प्रसार के लिए प्रयोग करती हैं ?
उत्तर―(i) विश्व भर के विभिन्न देशों में स्थानीय उत्पादकों से संबंध बनाना।
(ii) स्थानीय कंपनियों के साथ साझेदारी रखना । (iii) आपूर्ति के लिए स्थानीय
कंपनियों का प्रयोग करना । (iv) स्थानीय कंपनियों को खरीदना ।

प्रश्न 12. व्यापार का क्या महत्व है?
उत्तर―(i) यह उत्पादकों को घरेलू बाजार से परे पहुँचने के अवसर प्रदान
करता है। (ii) वस्तुएँ तथा सेवाएँ एक देश से दूसरे दों में पहुँचती हैं। (iii)
बाजार में वस्तुओं के विकल्पों में वृद्धि होती है। (iv) विभिन्न बाजारों में एक ही
प्रकार की वस्तुओं के मूल्य समान हो जाते हैं। (v) विभिन्न उत्पादकों में परस्पर
प्रतिस्पर्धा होती है।

प्रश्न 13. विदेशी व्यापार का बुनियादी कार्य क्या है ?
उत्तर―(i) विदेश व्यापार घरेलू बाजारों से बाहर के बाजारों में पहुँचने के
लिए अवसर प्रदान करता है ताकि वह अपने उत्पाद अन्य देशों में बेच सकें।
(ii) यह खरीददारों को वस्तुओं के विभिन्न विकल्प प्रदान करता है
(iii) विदेश व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों को जोड़ने या एकीकरण में
सहायक होता है।

प्रश्न 14. वैश्वीकरण को संभव बनाने वाले कारकों का उल्लेख
कीजिए।
उत्तर―(i) परिवहन प्रौद्योगिकी में उन्नति-पिछले पचास वर्षों में परिवहन
प्रौद्योगिकी में उन्नति के परिणामस्वरूप लंबी दूरियों तक वस्तुओं की तीव्रतर
आपूर्ति से लागत कम आने लगी है। जैसे-कंटेनरों द्वारा सामान भेजने से माल
जल्दी और कम लागत में पहुँचता है।

(ii) सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का विकास―दूरसंचार, कंप्यूटर, और
इंटरनेट आदि से विश्व में एक-दूसरे से संपर्क करने, सूचनाएँ भेजने में सुविधाओं
के परिणामस्वरूप वैश्वीकरण को अत्यधिक सहायता मिली है। उदाहरणतया
लंदन के पाठकों के लिए प्रकाशित समाचार-पत्र की डिजाइनिंग और छपाई
दिल्ली में होने के पश्चात् पत्रिकाएँ वायुमार्ग से लंदन जाती है । पैसे का भुगतान
ई-बैंकिंग द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 15. व्यापार अवरोधक क्या होता है ? इसका प्रयोग क्यों किया
जाता है ?
उत्तर―(क) व्यापार अवरोधक आयात पर प्रतिबंध होता है, जैसे आयात पर
कर लगाना।
(ख) (i) व्यापार अवरोधक का प्रयोग विदेश व्यापार को नियमित करने के
लिए किया जाता है ताकि विदेशों से आयात आवश्यकता के अनुसार किया जा
सके। (ii) यह देश के उद्योगों को प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए भी प्रयोग किए
जाते हैं।

प्रश्न 16. उदारीकरण से क्या अभिप्राय है ? इससे व्यापारियों को क्या
लाभ पहुँचा?
उत्तर―(क) सरकार द्वारा अवरोधों अथवा प्रतिबंधों को हटाने की प्रक्रिया
को उदारीकरण कहा जाता है।
(ख) (i) उदारीकरण के पश्चात् व्यापारी मुक्त रूप से निर्णय ले सकते हैं
कि उन्हें क्या आयात या निर्यात करना है । (ii) व्यापार पर सरकार का नियंत्रण
कम हो गया । (iii) विदेशी कंपनियां अपने कार्यालय और कारखाने भारत में
स्थापित कर सकती हैं।

प्रश्न 17. विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए भारत सरकार ने
क्या कदम उठाए हैं ? उल्लेख कीजिए।
उत्तर―विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए भारत की केंद्र एवं राज्य
सरकारों ने निम्नलिखित कदम उठाए है―
(i) औद्योगिक क्षेत्र या विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना की है। इन क्षेत्रों
में विश्व स्तरीय सुविधाएँ-बिजली, पानी, सड़क, परिवहन, भंडारण, मनोरंजन और
शैक्षिक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
(ii) इन क्षेत्रों में उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने वाली कंपनियों को पहले
के पाँच वर्षों तक कोई कर नहीं देना पड़ता।
(iii) श्रम कानूनों को लचीला बनाया गया है। कंपनियाँ श्रमिकों को छोटी
अवधि के लिए नियुक्त कर सकती है।

प्रश्न 18. प्रतिस्पर्धा से लोगों को क्या लाभ हुआ है ?
उत्तर―प्रतिस्पर्धा हर क्षेत्र में गुणवत्ता में सुधार लाती है । व्यापार या वस्तुओं
के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के परिणामस्वरूप हर उत्पादक अपने उत्पाद को सुधारने व
लोगों की आवश्यकता के अनुकूल बनाने का प्रयत्न करता है। उत्पादक
उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए कम कीमत, गुणवत्ता में सुधार तथा
बाजार में उत्पाद की उपलब्धता का ध्यान रखेगा। इससे उपभोक्ताओं या लोगों
को न केवल विकल्प मिलेगा बल्कि अच्छे उत्पादों की प्राप्ति भी होगी।

प्रश्न 19. वैश्वीकरण को न्यायसंगत बनाने के लिए सुझाव दीजिए।
उत्तर―(i) सरकार को सब लोगों के हितों का संरक्षण करने के लिए उचित
कदम उठाने चाहिए, जैसे श्रमिक कानूनों को श्रमिकों के हितों में लागू करना ।
(ii) छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा के उपाय करने चाहिए, जैसे उचित
अवरोधकों का प्रयोग करना।
(iii) न्यायसंगत नियमों के लिए विश्व व्यापार संगठन से समझौता करना
चाहिए।
(iv) विश्व व्यापार संगठन में विकसित देशों के वर्चस्व के विरुद्ध समान
हितों वाले विकासशील देशों को मिलकर संघर्ष करना चाहिए।
(v) विभिन्न देशों की जनता को भी इस संघर्ष में भाग लेना आवश्यक है।

प्रश्न 20. भारत सरकार द्वारा विदेश व्यापार एवं विदेशी निवेश पर
अवरोधक लगाने के क्या कारण थे? इन अवरोधकों को सरकार क्यों
हटाना चाहती है?                        [JAC 2012 (A); 2017 (A)]
उत्तर―सरकार ने विदेशी प्रतिस्पर्धा से देश में उत्पादकों की रक्षा करने के
लिए प्रतिबंध लगाए । इस समय उद्योगों का उदय हो रहा था और इस अवस्था
में आयात से प्रतिस्पर्धा इन उद्योगों को बढ़ने नहीं देती।
(i) भारतीय कंपनियों को और अधिक कुशल बनाने के लिए प्रतिबंध हटा
लिया गए।
(ii) भारतीय कंपनियों का प्रतिस्पर्धा में आना होगा ।
(iii) अब कंपनियाँ नई प्रौद्योगिकी आयात करने के लिए स्वतंत्र हैं।

प्रश्न 21. श्रम कानूनों में लचीलापन कंपनियों में कैसे मदद करेगा?
                                                                         [NCERT]
उत्तर―संगठित क्षेत्र की कपिनयों को कुछ नियमों का अनुपालन करना
पड़ता है। जिसका उद्देश्य श्रमिक अधिकारों का संरक्षण करना है। हाल के वर्षों
में सरकार ने कंपनियों को अनेक नियमों से छूट लेने की अनुमति दे दी है। अब
नियमित आधार पर श्रमिकों को रोजगार देने के बजाए कंपनियों में जब काम का
अधिक दबाव होता है तो लोचदार ढंग से छोटी अवधि के लिए श्रमिकों को कार्य
पर रखती हैं। कंपनी में श्रम की लागत में कटौती करने के लिए ऐसा किया जाता
है। फिर भी विदेशी कंपनियाँ अभी भी संतुष्ट नहीं है और श्रम कानूनों में और
अधिक लचीलेपन की माँग कर रही हैं।

                          दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. "वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं ? अपने शब्दों में स्पष्ट
कीजिए । (उत्तर 100-125 शब्दों में दीजिए।) [JAC 2010 (C)]
उत्तर : वैश्वीकरण से तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा विभिन्न देशों
के बीच परस्पर संबंध की भावना का संचार हो। वैश्वीकरण की भावना से
वैश्विक आधार पर तीब्र एकीकरण का वातावरण निर्मित होता है। विभिन्न देशों
के बीच वस्तुओं, सेवाओं, निवेश और प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान वैश्वीकरण के
परिणामस्वरूप ही सम्भव हुआ। आज सम्पूर्ण विश्व परस्पर काफी निकटता अनुभव
सभी देश विश्व-परिवार के सदस्य के समान हो गए हैं।
            वैश्वीकरण द्वारा मुख्य रूप से निम्नांकित उपलब्धियाँ विश्व स्तर पर
परिलक्षित हुई हैं―
(i) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का विकास
(ii) प्रौद्योगिकी का विकास
(iii) संचार तथा परिवहन के साधनों का विकास।

प्रश्न 2. बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नुकसान क्या हैं ?
उत्तर―(i) मेजबान देश के लिए नुकसानदायक―बहुराष्ट्रीय कंपनी का
प्रमुख उद्देश्य लाभ कमाना होता है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए वे
अविकसित और अल्पविकसित देशों में धन निवेश करती हैं। ये कंपनियाँ मेजबान
देश के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण करती हैं। अल्प विकसित देशों में से कमाया
हुआ लाभ का एक बड़ा हिस्सा बहुराष्ट्रीय कंपनी के मुख्यालय में पहुँच जाता है।

(ii) स्थानीय उत्पादकों के लिए नुकसानदायक―बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ छोटे
उत्पादकों को उत्पादन का आर्डर देती हैं। उत्पादित किए गए उत्पादों को
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अपने ब्रांड नाम से बेचती हैं। इन बड़ी कंपनियों में दूरस्थ
उत्पादकों के मूल्य, गुणवत्ता, आपूर्ति आदि का निर्धारण करने की प्रबल क्षमता
होती है। इतिहास ने हमें दिखाया है कि अधिकांश स्थानीय उत्पादक बहुराष्ट्रीय
कंपनियों के सामने असफल हो गए, इसलिए या तो उन्होंने अपनी इकाइयाँ इन
कंपनियों को बेच दी अथवा समाप्त हो गए ।

(iii) आर्थिक असमानता के लिए नुकसानदायक―आर्थिक असमानता के
लक्ष्य के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अनेक ढंग से हानिकारक सिद्ध हुई हैं―
(a) इनके कारण क्षेत्रीय असमानता अधिक बढ़ गई है। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ
कुछ विशेष क्षेत्रों में ही उद्योग स्थापित करने में रुचिकर होती हैं , इसलिए वे क्षेत्र
बहुत तेजी से विकास करते हैं, जबकि अन्य क्षेत्र अविकसित रह जाते हैं।

(b) बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को अन्य कर्मचारियों की अपेक्षा
अधिक तनख्वाह तथा सुविधा-लाभ देते हैं । इससे श्रमिकों की आमदनी में अंतर
और अधिक बढ़ जाता है, जिससे आर्थिक असमानता होती है।

(iv) स्वतंत्रता के लिए हानिकारक- बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ मेजबान देशों
की आर्थिक तथा राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए हानिकारक सिद्ध हुई हैं । वे देश
की राजनीति में हस्तक्षेप करती हैं। अनेक सैन्य विद्रोह के पीछे बहुराष्ट्रीय
कंपनियों का हाथ था। ये कंपनियाँ मेजबान देश में उस राजनीतिक दल को सत्ता
में लाने का प्रयत्न करती हैं, जिसका रुझान उनके प्रति अनुकूल हो । इस प्रकार
मेजबान देश के शासकों के लिए राष्ट्रीय, आर्थिक तथा राजनीतिक नीतियों को
आगे बढ़ाना असंभव हो जाता है।

प्रश्न 3. विदेश व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों को जोड़ने अथवा
बाजारों के एकीकरण में किस प्रकार सहायक होता है । वर्णन करें।
                                                                          [NCERT]
उत्तर―(i) यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो विदेश व्यापार घरेलू बाजारों
अर्थात् अपने देश के बाजारों से बाहर के बाजारों में पहुँचने के लिए एक अवसर
प्रदान करता है। उत्पादक केवल अपने देश के बाजारों में ही अपने उत्पाद नहीं बेच
सकते हैं बल्कि विश्व के अन्य देशों के बाजारों में भी प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।

(ii) इसी प्रकार दूसरे देशों में उत्पादित वस्तुओं के आयात से खरीददारों के
पक्ष उन वस्तुओं के घरेलू उत्पादन के अन्य विकल्पों का विस्तार होता है।

(iii) समान्यत: व्यापार के खुलने से वस्तुओं का एक बाजार से दूसरे बाजार
में आवागमन होता है। बाजार में वस्तुओं के विकल्प बढ़ जाते हैं। दो बाजारों में
एक ही वस्तु का मूल्य एक समान होने लगता है।

(iv) अब दो देशों के उत्पादक एक दूसरे से हजारों मील दूर होकर भी एक
दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। 

प्रश्न 4. उदारीकरण क्या है ? भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के
लिए सरकार ने कौन-से कदम उठाए ?
उत्तर―“सरकार द्वारा अवरोधों अथवा प्रतिबंधों को हटाने की प्रक्रिया
उदारीकरण के नाम से जानी जाती है।" 1991 से पूर्व भारत सरकार ने भारतीय
अर्थव्यवस्था पर औद्योगिक लाइसेंस प्रणाली, मूल्य नियंत्रण, आयात लाइसेंस
आदि अनेक प्रतिबंध लगा रखे थे। ये सभी प्रतिबंध भारतीय उद्योगों के विकास
में बाधा डाल रहे थे। इसलिए 1991 में इनमें से अवांछित नियंत्रणों को हटाने का
निश्चय किया गया। इसके लिए निम्नलिखित कदम उड़ाए गए―
(i) तीन उद्योगों के अतिरिक्त सभी उद्योगों को सब प्रकार के औद्योगिक
लाइसेंस से मुक्त कर दिया गया । (ii) उदारीकरण नीति के अंतर्गत उद्योगों के
बाजार की जरूरतों के अनुसार उत्पादन करने तथा विस्तार करने की छूट होती है।
(iii) अब उत्पादक विदेशों से मशीनरी तथा कच्चा माल आयात करने के लिए
स्वतंत्र हैं । (iv) अब उद्योग विदेशों की आधुनिक तकनीक आयात करने के लिए
भी स्वतंत्र हैं।

प्रश्न 5. विश्व व्यापार संगठन (WTO) क्या है ? इसके मुख्य उद्देश्य
क्या हैं?
उत्तर―यह एक संस्था है जो विभिन्न देशों के बीच व्यापार के नियमों को
उदार बनाती है। इसे बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली भी कहते हैं। विश्व व्यापार
संगठन का प्रमुख उद्देश्य विश्व को बढ़ावा देना है। इसकी स्थापना 1 जनवरी,
1995 को हुई थी। 1947 से 1994 तक जी०ए०टी०टी० (GATT) व्यापार
समझौते करने की एक जनसभा था। 1995 के बाद जी०ए०टी०टी० ही विश्व
व्यापार संगठन बना।
विश्व व्यापार के संगठन के उद्देश्य―
(i) इसका मुख्य उद्देश्य विश्व के देशों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को इस प्रकार
संचालित करना है कि उसमें समानता हो, खुलापन हो और वह बिना किसी
भेदभाव के हो। (ii) विश्व व्यापार संगठन व्यापार के झगड़ों को निपटाता है।
(iii) विश्व व्यापार संगठन विकसित तथा अल्पविकसित देशों को प्रशिक्षण तथा
तकनीकी सहायता प्रदान करता है। (iv) यह कुछ नियम व शर्त बनाता है, जिन्हें
सभी सदस्यों को अपनाना पड़ता है।

प्रश्न 6. उदारीकरण तथा वैश्वीकरण की नीति अपनाने के फलस्वारूप
भारत में आए परिवर्तनों का वर्णन करें।
उत्तर―(i) उत्पादों की विभिन्नता―नई आर्थिक नीति के कारण अनेक
बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में अपना धन निवेश किया है इसलिए भारतीय
उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर विभिन्न किस्मों तथा गुणवत्ता के उत्पाद मिल
रहे हैं।

(ii) अधिसंरचना में विकास―वैश्वीकरण तथा निजीकरण की नीति के
कारण अधिसंरचना की स्थिति में बहुत सुधार आया है। संचार क्षेत्र में भी बाहुत
विकास देखा जा सकता है। इस प्रकार कई निजी कंपनियाँ उपभोक्ताओं को
बेहतर सेवाएँ दे रही हैं।

(iii) निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन―वैश्वीकरण तथा उदारीकरण की नीति के
फलस्वरूप निजी क्षेत्र को बहुत प्रोत्साहन मिला। अब निजी क्षेत्र को अन्य देशों
से कच्चा माल तथा तकनीक मँगवाने की छूट है। आयात तथा निर्यात पर से
अनेक प्रतिबंधों को हटा लिया गया है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा से अनेक भारतीय
कंपनियों ने फायदा उठाया है। वैश्वीकरण के कारण कुछ बड़ी भारतीय कंपनियाँ
स्वयं बहुराष्ट्रीय कंपनी के रूप में उभर कर सामने आई। टाटा मोटर (मोटरगाड़ी),
इन्फोसिस (आइ० टी०) आदि ।

(iv) सेवा क्षेत्र को प्रोत्साहन―वैश्वीकरण ने सेवा प्रदान करने, विशेष रूप
से सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकी से संबंधित कंपनियों के लिए नए अवसर पैदा
किए हैं। इसके अतिरिक्त आंकड़ा प्रविष्टि (डाटा एंट्री) लेखाकरण, प्रशासनिक
कार्य, इंजीनियरिंग जैसी कई सेवाए भारत जैसे देशों में अब सस्ते में उपलब्ध हैं।
और विकसित देशों को निर्यात की जाती हैं।

प्रश्न 7.वैश्वीकरण को सफल बनाने के लिए सरकार क्या भूमिका
निभा सकती है?
उत्तर―(i) सरकार को ऐसी नीतियाँ बनानी चाहिए, जो न केवल संपन्न तथा
शक्तिशाली लोगों, बल्कि देश के सभी लोगों के हितों की सुरक्षा करें। (ii)
सरकार सुनिश्चित कर सकती है कि श्रम कानून सही ढंग से अपनाए जाएँ और
श्रमिकों को उनके अधिकार मिलें । (ii) सरकार केवल छोटे पैमाने तथा स्थानीय
उत्पादकों के लिए कुछ उद्योग सुरक्षित रख सकती है। (iv) यदि आवश्यक हो
तो सरकार कोटा प्रणाली, आयात कर आदि व्यापार तथा निवेश प्रतिबंधों का
प्रयोग कर सकती है । (v) यह न्यायोचित शर्तों के लिए विश्व व्यापार संगठन से
समझौता कर सकती है। (vi) यह समान हितों वाले विकासशील देशों के साथ
मिलकर विश्व व्यापार संगठन में विकसित देशों के प्रभाव का विरोध कर सकती है।

प्रश्न 8. श्रमिकों पर वैश्वीकरण तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रभाव
का उल्लेख करें।
उत्तर―(i) वैश्वीकरण तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कारण केवल कुशल
तथा शिक्षित श्रमिकों को लाभ हुआ है। जहाँ पहले कारखाने श्रमिकों को स्थायी
आधार पर रोजगार देते थे, वहीं वे अब स्थायी रोजगार देते हैं।

(ii) श्रमिकों को बहुत लंबे कार्य-घंटों तक काम करना पड़ता है और
अत्यधिक माँग की अवधि में नियमित रूप से रात में भी काम करना पड़ता है।

(iii) हालांकि वस्त्र निर्यातकों के बीच प्रतिस्पर्धा से बहुराष्ट्रीय कंपनियों को
अधिक लाभ कमाने में मदद मिली है, परन्तु वैश्वीकरण के कारण मिले लाभ में
श्रमिकों को न्यायसंगत हिस्सा नहीं दिया गया है।

(iv) यही नहीं, संगठित क्षेत्र में क्रमशः कार्य परिस्थितियाँ असंगठित क्षेत्र के
समान होती जा रही हैं। संगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को अब कोई संरक्षण और
लाभ नहीं मिलता है, जिसका वे पहले उपभोग करते थे।

प्रश्न 9. विकसित देश विकासशील देशों से उनके व्यापार और
निवेश का उदारीकरण क्यों चाहते हैं? क्या आप मानते हैं कि विकासशील
देशों को भी बदले में ऐसी माँग करनी चाहिए?                    [NCERT]
उत्तर―(i) विकसित देश ऊँची दर का लाभ अर्जित करने के लिए विकासशील
देशों में निवेश करते हैं।
(i) विकसित देशों के अनुसार व्यापार अवरोधक हानिकारक होते हैं क्योंकि
ये व्यापार तथा निवेश में रुकावट डालते हैं।
   विकसित देश चाहते हैं कि सभी विकासशील देश अपने व्यापार की नीतियों
को उदार बनाएँ परंतु विकसित देशों ने अनुचित ढंग से व्यापार अवरोधकों को
बरकरार रखा है। विकासशील देश समान हितों वाले अन्य विकासशील देशों के
साथ मिलकर विकसित देशों के प्रभाव का विरोध कर सकते हैं। उचित तथा
सही नियमों के लिए वे विश्व व्यापार संगठन तथा अन्य संगठनों से बातचीत कर
सकते हैं।

प्रश्न 10. व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण वैश्वीकरण
प्रक्रिया में कैसे सहायता पहुंचाता है ?
उत्तर―उदारीकरण का अर्थ है-उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में उदारीकरण
नीति को अपनाना। व्यापार और निवेश नीतियों के उदारीकरण ने वैश्वीकरण
प्रक्रिया में अनेक प्रकार से सहायता पहुँचाई है―
      (i) 1991 से, भारत सरकार ने विदेश व्यापार तथा विदेश निवेश के प्रति
उदारीकरण की नीति को अपनाया है। विदेश निवेश तथा विदेश व्यापार पर से
प्रतिबंधों को हटा लेने से विदेशी कंपनियाँ यहाँ अपने कारखाने तथा कार्यालय
स्थापित कर रही हैं। इसी प्रकार भारतीय कंपनियाँ भी अपने कारखाने तथा
कार्यालय अन्य देशों में स्थापित कर रही हैं।

    (ii) उदारीकरण के परिणामस्वरूप भारत तथा विदेश के व्यवसायी यह
निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं कि उन्हें क्या उत्पादित करना है, क्या आयात
अथवा निर्यात करना है।

(iii) व्यापार के उदारीकरण तथा निवेश के परिणामस्वरूप भारत सरकार ने
अनेक विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) की स्थापना की जहाँ विदेशी कंपनियों के
लिए सब प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध कराई तथा आरंभिक पाँच वर्षों के लिए
करों में छूट दी गई।

(iv) विदेशी कंपनियों को श्रम-कानूनों में लचीलापन लाने की अनुमति दे दी
ताकि वे छोटी अवधि के लिए श्रमिकों को काम पर रख सकें तथा अपने
उत्पादन की लागत में कटौती कर सकें।
व्यापार के उदारीकरण तथा निवेश नीतियों के सभी उपरलिखित कदमों ने
वैश्वीकरण की प्रक्रिया की बहुत मदद की है।

प्रश्न 11. दूसरे देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किस प्रकार उत्पादन या
उत्पादन पर नियंत्रण स्थापित करती है।  [JAC 2015 (A); 2016 (A)]
उत्तर―दूसरे देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ निम्न प्रकार से उत्पादन या उत्पादन
पर नियंत्रण स्थापित करती है―
(i) बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ दूसरे देशों में उत्पादन इकाई स्थापित करती हैं।
विशेष रूप से जहाँ पर बाजार नजदीक हो और कम लागत पर कुशल और
अकुशल श्रम आदि उपलब्ध हो । (ii) बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उत्पादन के लिए
कार्यालयों और कारखानों की स्थापना करती है। (iii) बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ
विभिन्न देशों की स्थानीय कंपनियों के साथ संयुक्त रूप से उत्पादन करती है।
कई बार वह स्थानीय कंपनियों को खरीदकर उत्पादन का प्रसार करती हैं।
(iv) बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ छोटे उत्पादकों को उत्पादन का ऑर्डर देती हैं और जिन्हें
अपने ब्रांड के नाम से बेचती हैं।

प्रश्न 12. वैश्वीकरण भविष्य में जारी रहेगा। क्या आप कल्पना कर
सकते हैं कि आज से बीस वर्ष बाद विश्व कैसा होगा? अपने उत्तर का
कारण दीजिए।
उत्तर―वैश्वीकरण के भविष्य में जारी रहने से आज से बीस वर्ष पश्चात्
सारा विश्व एक बड़े परिवार की तरह रहेगा क्योंकि हर व्यक्ति, नेता और
राजनीतिज्ञ, छोटे कमजोर देश और शक्तिशाली देश जानते हैं कि हर कोई किसी
न किस अवस्था में दूसरे पर निर्भर है। कोई भी व्यक्ति या समाज अपनी सारी
आवश्यकताएँ अकेला पूरी नहीं कर सकता है। यह भी स्पष्ट है कि अगर तीसरा
विश्व युद्ध हुआ तो हारने वालों को अपार जनक्षति होगी तो जीतने वालों को भी
अपार कष्टदायक जीवन व्यतीत करना पड़ेगा। हिरोशिमा और नागासाकी पर बम
गिराने के परिणाम सबके सामने हैं, अतः कोई भी तीसरा विश्व युद्ध या परमाणु
युद्ध नहीं चाहता। वैश्वीकरण या यूरोपियन संध या बेल्जियम की सरकार की
साझेदारी आदि इसका प्रमाण हैं कि मानव धीरे-धीरे सहयोग की कामना करता
है। इस प्रकार आज चाहे कैसी भी स्थिति है, बीस वर्ष पश्चात् विश्व में सहयोग
बढ़ेगा और वैश्वीकरण की जड़ें मजबूत होंगी। अधिकतर विकसित देश अन्य देशों
के साथ उनका शोषण करने के स्थान पर सहयोग से रहेंगे।

प्रश्न 13. मान लीजिए कि आप दो लोगों को तर्क करते हुए पाते
हैं-एक कह रहा है कि वैश्वीकरण ने हमारे देश के विकास को क्षति
पहुँचाई है, दूसरा कह रहा है कि वैश्वीकरण ने भारत के विकास में
सहायता की है। इन लोगों को आप कैसे जवाब देंगे? [NCERT]
उत्तर―वैश्वीकरण ने भारत को लाभ और क्षति दोनों पहुँचाई है। धनी वर्ग
के उपभोक्ता को लाभ पहुंचा है। बड़ी-बड़ी कंपनियों को लाभ हुआ है और
रैनबैक्सी जैसी कुछ कंपनियाँ अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में पर्दापण कर चुकी हैं। नए रोजगार
उत्पन्न हुए हैं। सूचना व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशेष उन्नति हुई है। परंतु हानियाँ
भी हुई हैं। छोटे उत्पादक इस प्रतिस्पर्धा का मुकाबला न कर सकने के कारण नष्ट
हुए हैं। विश्व व्यापार संगठन की स्थापना के बावजूद विकासशील देशों के साथ
भेदभावपूर्ण व्यवहार हुआ है परंतु यहाँ यह उल्लेखनीय है कि भविष्य में
वैश्वीकरण के अंतर्गत न्यायसंगत व्यवहार होगा। विकसित देशों को यह महसूस
करना पड़ेगा कि भेदभावपूर्ण व्यवहार का स्थान वैश्वीकरण में नहीं है। आज
सूचना व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उन्नति के कारण विकसित देश भी भारत जैसे देश
पर निर्भर हैं। यहाँ पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कॉल सेंटरों का जाल बिछा हुआ
है। भविष्य में इस निर्भरता और सहयोग में वृद्धि होने की पूरी संभावना है।

प्रश्न 14. "वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है । इस कथन की
अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
उत्तर―वैश्वीकरण में धनी उपभोक्ता और कुशल, शिक्षित एवं धनी उत्पादकों
को ही लाभ पहुँचा है। अब इन उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से अधिक विकल्प
हैं। धनी उपभोक्ता अब अनेक उत्पादों की उत्कृष्ट गुणवत्ता और कम कीमत का
लाभ उठा रहे हैं। उनका जीवन स्तर अपेक्षाकृत ऊँचा हुआ है। परन्तु उत्पादकों
और श्रमिकों पर वैश्वीकरण का एक समान प्रभाव नहीं पड़ा है जैसा कि
निम्नलिखित वर्णन से स्पष्ट होता है―
अच्छे प्रभाव―(i) बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए वैश्वीकरण लाभप्रद रहा है
क्योंकि उनके उत्पादों को संपन्न वर्ग खरीद रहा है।

(ii) सेलफोन खाद्य पदार्थों आदि के उद्योगों से शहरों में नए रोजगारों में वृद्धि
हुई है।

(iii) भारतीय कंपनियों को भी नवीनतम प्रौद्योगिक से लाभ हुआ है।

(iv) कई भारतीय कंपनियाँ जैसे टाटा मोटर्स, इंफोसिस विश्वस्तर पर अपना
प्रसार करने में सफल हुई हैं।

(v) वैश्वीकरण से सेवा प्रदाता कंपनियाँ विशेष रूप से सूचना और संचार
प्रौद्योगिकी कंपनियाँ रोजगार के नए अवसरों का सृजन करने में सफल हुई हैं।

बुरे प्रभाव―इसके बुरे प्रभाव भी हैं जैसाकि निम्नलिखित हैं―
(i) छोटे उत्पादकों के लिए 'प्रतिस्पर्धा करो या नष्ट हो जाओ' की स्थिति
है जिसके फलस्वरूप काफी व्यवसाय बंद हो गए हैं।
(ii) वैश्वीकरण के अंतर्गत प्रतिस्पर्धा के परिणामस्वरूप श्रमिकों के लिए
अनिश्चित रोजगार की स्थिति आ गई है जबकि अधिकांश नियोक्ता श्रम कानूनों
के लचीलेपन के परिणामस्वरूप श्रमिकों को स्थायी रोजगार प्रदान नहीं करते ।
मजदूरी भी काफी कम होती है और श्रमिकों को अतिरिक्त समय में काम भी
करना पड़ता है।
उपर्युक्त वर्णन से स्पष्ट हो जाता है कि वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान
नहीं है।

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