Jharkhand Board Class 10 Civics Notes | लोकतंत्र और विविधता
JAC Board Solution For Class 10TH ( Social science ) Civics Chapter 3
(Democracy and Diversity)
प्रश्न 1. 'सामाजिक विभाजन अधिकांशतः जन्म पर आधारित होता
है'। व्याख्या करें। [JAC 2015 (A)]
उत्तर―सामाजिक विभाजन अधिकांशतः जन्म पर आधारित होता है। सामान्य
तौर पर अपना समुदाय चुनना हमारे वश में नहीं होता । हम सिर्फ इस आधार पर
किसी खास समुदाय के सदस्य हो जाते हैं कि हमारा जन्म उस समुदाय के एक
परिवार में हुआ होता है। पर जन्म पर आधारित सामाजिक विभाजन का अनुभव
हम अपने दैनिक जीवन में लगभग रोज करते हैं। हम अपने आस-पास देखते हैं
कि चाहे कोई स्त्री हो या पुरुष, लंबा हो या छोटा-सबकी चमड़ी का रंग
अलग-अलग है–उनकी शारीरिक क्षमताएँ या अक्षमताएँ अलग-अलग है।
प्रश्न 2. सामाजिक विभाजन राजनीति को किस प्रकार प्रभावित करते
हैं? दो उदाहरण दें। [JAC 2013 (A); 2016 (A)]
उत्तर―(i) राजनीतिक दल सामाजिक विभाजन की बात करते है, विभिन्न
समुदायों से अलग-अलग वायदे करते हैं, विभिन्न समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व
देने का प्रयास करते हैं और विभिन्न समुदायों की उचित माँगों और जरूरतों
को पूरा करने वाली नीतियाँ भी बनाते हैं।
(ii) अधिकांश देशों में सामाजिक विभाजन मतदान को प्रभावित करता है।
समुदाय के लोग आमतौर पर किसी एक दल को दूसरों के मुकाबले ज्यादा पसंद
करते हैं। कई देशों में ऐसी पार्टियाँ हैं, जो सिर्फ एक ही समुदाय पर ध्यान देती हैं।
प्रश्न 3. सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप कब ले
लेती है? [JAC 2010; 2014 (A)]
उत्तर―सामाजिक विभिन्नता का अर्थ है―जाति, धर्म, भाषा अथवा संस्कृति
के कारण लोगों के समूहों में अंतर होना । यह सामाजिक विभाजन तब बन जाती
है जब कुछ सामाजिक विभिन्नताएँ किसी अन्य सामाजिक विभिन्नताओं से मिल
जाती हैं। दूसरे शब्दों में, जब दो या दो से अधिक सामाजिक विभिन्नताएँ मिल
जाती हैं तो एक सामाजिक विभाजन बन जाता है। उदाहरण के लिए अमरीका
में अश्वेतों तथा श्वेतों में अंतर उनकी भिन्न जाति के कारण है, जो कि सामाजिक
विभिन्नता है । यह सामाजिक विभाजन तब बनता है, जब आय संबंधी कारकों को
भी देखा जाने लगता है। अश्वेत गरीब तथा बेघर होते हैं, जबकि श्वेत अमीर
तथा शिक्षित होते हैं। यह लोगों को विभाजित कर देता है तथा उन्हें महसूस होने
लगता है कि वे भिन्न समुदाय से संबंधित हैं।
प्रश्न 4. 'जब सामाजिक विभिन्नताएँ एक दूसरे से गुंथ जाती हैं तो एक
गहरे सामाजिक विभाजन तथा तनाव की संभावना बन जाती है। व्याख्या
करें।
उत्तर―जब सामाजिक विभिन्नताएं एक-दूसरे से गुंध जाती हैं तो सामाजिक
विभाजन बन जाता है। अमरीका में श्वेत और अश्वेत का अंतर एक सामाजिक
विभाजन बन जाता है क्योंकि ऐतिहासिक तौर पर अधिकांश अश्वेत गरीब है,
बेघर हैं और भेद-भाव का शिकार हैं। हमारे देश में भी दलित आमतौर पर गरीब
और भूमिहीन हैं। उन्हें भी अक्सर भेद-भाव और अन्याय का शिकार होना पड़ता
है। इस प्रकार की परिस्थितियाँ सामाजिक विभाजन पैदा करती हैं, जो कि
लोकतंत्र के लिए नुकसानदायक है तथा लोकतंत्र की नींव को कमजोर करता है।
जब एक तरह का सामाजिक अंतर अन्य अंतरों से अधिक महत्त्वपूर्ण बन जाता
है और लोगों को यह महसूस होने लगता है कि वे दूसरे समुदाय के हैं तो इससे
एक सामाजिक विभाजन की स्थिति पैदा होती है।
प्रश्न 5. 'अधिकांश देशों में किसी न किसी प्रकार का सामाजिक
विभाजन दिखाई देता है। व्याख्या करें।
उत्तर―आज अधिकतर समाजों में कई किस्म के विभाजन दिखाई देते हैं।
देश बड़ा हो या छोटा, इससे कोई विशेष अंतर नहीं होता। भारत काफी बड़ा देश
है और वहाँ अनेक समुदायों के लोग हैं। जर्मनी और स्वीडन जैसे समरूप
समाज में भी, जहाँ मोटे तौर पर अधिकतर लोग एक ही नस्ल और संस्कृति के
हैं, दुनिया के दूसरे हिस्सों से पहुंचने वाले लोगों के कारण तेजी से बदलाव आ
रहा है। ऐसे लोग अपने साथ अपनी संस्कृति लेकर पहुँचते हैं। उनमें अपना
अलग समुदाय बनाने की प्रवृत्ति होती है।
प्रश्न 6. 'राजनीति और सामाजिक विभाजनों का मेल बहुत खतरनाक
और विस्फोटक लगता है ।' व्याख्या करें।
उत्तर―इस तथ्य को समझने के लिए आयरलैंड का ही उदाहरण लें। 20वीं
शताब्दी के दौरान आयरलैंड में हिंसा के दौर को समस्याओं का नाम दिया गया।
लगभग 30 वर्ष तक, उत्तरी आयरलैंड के नेशनलिस्ट पार्टियों प्रमुखतः रोमन
कैथोलिक तथा युनियनिस्ट पार्टियों (प्रमुखतः प्रोटेस्टेंट) के बीच, हिंसा तथा
जातीय कटुता चलती रही। उनकी मांग है कि उत्तरी आयरलैंड को आयरलैंड
गणराज्य के साथ मिलाया जाए,जोकि मुख्यतः कैथोलिक बहुल है।यूनियनिस्ट
पार्टियाँ ग्रेट ब्रिटेन के साथ ही रहने के पक्ष में हैं। तीन वर्षों में ब्रिटेन के सुरक्षा
बलों सहित सैकड़ों लोग और सेना के जवान मारे जा चुके हैं। 1998 में ब्रिटेन
की सरकार और नेशनलिस्टों के बीच शांति समझौता हुआ, जिसमें दोनों पक्षों ने
हिंसक आंदोलन बंद करने की बात स्वीकार की। परन्तु यूगोस्लाविया में कहानी
का अंत इतना सुखद नहीं हुआ। वहाँ धार्मिक और जातीय विभाजन के आधार
पर शुरू हुई राजनीतिक होड़ में यूगोस्वालिया छः स्वतंत्र देशों में बंट गया ।
प्रश्न 7. 'लोकतंत्र में, सामाजिक विभाजन की राजनीतिक अभिव्यक्ति
बहुत सामान्य तथा स्वस्थ भी हो सकती है ।' व्याख्या करें।
उत्तर―(i) इससे विभिन्न छोटे सामाजिक समूह, हाशिए पर पड़ी जरूरतों
और परेशानियों को जाहिर करते हैं और सरकार का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं।
(ii) राजनीति में विभिन्न तरह के सामाजिक विभाजनों की अभिव्यक्ति ऐसे
विभाजनों के बीच संतुलन पैदा करने का काम भी करती है। इनके चलते कोई
भी सामाजिक विभाजन एक हद से ज्यादा उग्र नहीं हो पाता । इस स्थिति में
लोकतंत्र भी मजबूत होता है।
प्रश्न 8. "सिर्फ भारत जैसे बड़े देशों में ही सामाजिक विभाजन होते
हैं।" व्याख्या करें। [JAC 2010 (A)]
उत्तर―भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है। अत: यहाँ सभी काम संविधान
की रूपरेखा के आधार पर होते हैं। भारत जैसे बड़े देश में ही सामाजिक
विभाजन होता है। यहाँ की संस्कृति वर्गवत् होते हुए भी देशत्व की भावना से
जुड़ी है।
प्रश्न 9. "भारत एक संघ है क्योंकि केन्द्र और राज्य सरकारों के
अधिकार संविधान में स्पष्ट रूप से दर्ज हैं और अपने-अपने विषयों पर
उनका स्पष्ट अधिकार है।" विवेचना करें। [JAC 2010 (A)]
उत्तर―भारत में सरकार की शक्तियों का बँटवारा केन्द्र और राज्यों में स्पष्ट
रूप से विभाजित है। दोनों के क्षेत्र स्वतंत्र हैं। संघीय राज्यों में कार्यपालिका,
विधान सभा का अंग नहीं होती और न ही कार्यपालिका के सदस्य विधान मंडल में
सदस्य होते हैं।
प्रश्न 10. रिक्त स्थान को भरें― [NCERT]
...............सामाजिक विभाजन और तनावों की स्थिति पैदा करती हैं।
सामाजिक अंतर सामान्य तौर पर टकराव की स्थिति तक नहीं जाते।
उत्तर―जब सामाजिक विभिन्नताएँ एक-दूसरे से गुँथ जाती हैं
(Overlapping social differences) सामाजिक विभाजन और तनावों की
स्थिति पैदा करते हैं। जब सामाजिक विभिन्नताएँ एक साथ कई समूहों में विद्यमान
होती हैं तो सामाजिक अंतर सामान्य तौर पर टकराव की स्थिति तक नहीं जाते।
प्रश्न 11. सामाजिक विभाजनों को संभालने के संदर्भ में इनमें से
कौन-सा बयान लोकतांत्रिक व्यवस्था पर लागू नहीं होता? [NCERT]
(क) लोकतंत्र में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते सामाजिक विभाजनों की
छाया राजनीति पर भी पड़ती है।
(ख) लोकतंत्र में विभिन्न समुदायों के लिए शांतिपूर्ण ढंग से अपनी
शिकायतें जाहिर करना संभव है।
(ग) लकतंत्र सामाजिक विभाजनों को हल करने का सबसे अच्छा तरीका है।
(घ) लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखंडन की
ओर ले जाता है।
उत्तर―(घ)
प्रश्न 12. सामाजिक विभिन्नताओं के कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर―(i) जन्म―जन्म सामाजिक विभिन्नताओं के लिए उत्तरदायी एक
महत्त्वपूर्ण कारक है। भारत में एक व्यक्ति को निम्न जाति का माना जाता है
क्योंकि उसका जन्म निम्न वर्ग के परिवार में हुआ था । श्वेत अश्वेतों से भेद-भाव
उनके रंग के कारण करते हैं और रंग भी जन्म से ही नियंत्रित होता है।
(ii) पसंद या चुनाव पर आधारित विभिन्नताएँ―कुछ चीजें हमारी पसंद
या चुनाव के आधार पर भी होती हैं। उदाहरण के लिए, कुछ लोग नास्तिक होते
हैं। वे ईश्वर पर अथवा किसी धर्म में विश्वास नहीं करते । पेशे के चुनाव के
कारण भी विभिन्नताएं पैदा होती हैं। विभिन्न पेशों तथा आर्थिक गतिविधियों के
कारण भी लोगों में विभिन्नताएँ पैदा होती हैं।
(iii) धर्म पर आधारित विभिन्नताएँ-कभी―कभी सामाजिक विभिन्नता
का कारण धर्म भी हो सकता है। यह बड़ी सामान्य बात है कि एक ही धर्म से
सम्बन्ध रखने वाले लोग महसूस करने लगते हैं कि वे एक ही समुदाय से संबंध
नहीं रखते क्योंकि उनकी जाति या पंथ भिन्न है।
(iv) आर्थिक स्थिति पर आधारित विभिन्नताएँ―आर्थिक स्थिति भी
सामाजिक विभिन्नताओं के लिए उत्तरदायी एक कारण हो सकती है। एक ही
समुदाय अथवा धर्म अथवा पंथ से संबंध रखने वाले अमीर तथा गरीब लोग
एक-दूसरे के साथ ज्यादा घनिष्ठ संबंध नहीं रख पाते क्योंकि वे सोचने लगते हैं
कि उनमें विभिन्नता है।
प्रश्न 13. 'सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम निश्चित
करने वाले तीन कारणों की चर्चा करें। [JAC 2010 (C); 2012 (A)]
उत्तर―(i) लोगों में अपनी पहचान के प्रति आग्रह की भावना―सामाजिक
विभाजनों की राजनीति के परिणाम निश्चित करने में इस कारक का महत्त्वपूर्ण
हाथ है। अगर लोग खुद को सबसे अलग और विशिष्ट मानने लगते हैं, तो उनके
लिए दूसरों के साथ तालमेल बैठाना बहुत मुश्किल हो जाता है। जब तक उत्तरी
आयरलैंड के लोग खुद को सिर्फ प्रोटेस्टेंट या कैथोलिक के तौर पर देखते रहेंगे,
तब उनका शांत हो पाना संभव नहीं। अगर लोग अपनी बहु-स्तरीय पहचान के
प्रति सचेत हैं और उन्हें राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा या सहयोगी मानते हैं, तब कोई
समस्या नहीं होती । जैसे, बेल्जियम के अधिकतर लोग खुद को बेल्जियाई ही
मानते हैं, भले ही वे डच या जर्मन बोलते हों । इस नजरिए से उन्हें साथ-साक्ष
रहने में मदद मिलती है। जबकि भारत मिश्रित संस्कृतियों का देश है, परन्तु
राष्ट्रवाद की भावना हमें आपस में जोड़े रखती है।
(ii) राजनीतिक दलों द्वारा माँगों को उठाना―सामाजिक विभाजनों की
राजनीति का परिणाम इस बात पर निर्भर करता है कि किसी समुदाय की माँगों
को राजनीतिक दल कैसे उठा रहे हैं । संविधान के दायरे में आने वाली और दूसरे
समुदाय को नुकसान न पहुंचाने वाली माँगों को मान लेना आसान है। श्रीलंका में
'श्रीलंका केवल सिंहलियों के लिए' की माँग तमिल समुदाय की पहचान और
हितों के खिलाफ थी। यूगोस्लाविया में विभिन्न समुदायों के नेताओं ने अपने
जातीय समूहों की तरफ से ऐसी माँगें रख दीं, जिन्हें एक देश की सीमा के भीतर
पूरा करना असंभव था।
(iii) सरकार का रूख―यह भी महत्त्वपूर्ण है कि सरकार इन माँगों पर क्या
प्रतिक्रिया व्यक्त करती है। अगर शासन सत्ता में साझेदारी करने को तैयार हो और
अल्पसंख्यक समुदाय की उचित माँगों को पूरा करने का प्रयास ईमानदारी से किया
जाए तो सामाजिक विभाजन मुल्क के लिए खतरा नहीं बनते । अगर शासन राष्ट्रीय
एकता के नाम पर किसी ऐसी माँग को दबाना शुरू कर देता है तो अक्सर उल्टे और
नुकसानदायक परिणाम ही निकलते हैं। ताकत के दम पर एकता बनाए रखने की
कोशिश अक्सर विभाजन की ओर ले जाती है और ऐसा ही श्रीलंका में हुआ ।
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