Jharkhand Board Class 10 Biology Notes | आनुवंशिकता एवं जैव विकास
JAC Board Solution For Class 10TH (Science) Biology Chapter 4
1. गुणसूत्र XY और XX किन नामों से जाने जाते हैं? [JAC 2017(A)]
उत्तर : XY पुरुषों (नर) के लिंग गुणसूत्र।
XX स्त्रियों (मादा) के लिंग गुणसूत्र।
2. जीन कहाँ पाये जाते हैं? [2019(A)]
उत्तर : D.N.A.
3. वह कौन-सा कारक है जो वंशागत लक्षणों का नियंत्रण करता है?
उत्तर : जीना
4. मनुष्यों में गुणसूत्रों की कितनी संख्या होती है?
उत्तर : 23 जोड़ी (कूल 46)।
5. गुणसूत्र XY और XX किन नामों से जाने जाते हैं?
उत्तर : लिंग गुणसूत्र।
6. अंडाणु या शुक्राणु में से कौन बच्चे के लिंग का निर्धारण करता है?
उत्तर : शुक्राणु (स्पर्म)।
7. विकास की आधारभूत घटना क्या है?
उत्तर : DNA प्रतिकृतिकरण।
8. जैव-विकास का सिद्धांत किसके द्वारा प्रतिपादित किया गया?
उत्तर : चार्ल्स डार्बिन।
9. ब्रोकोली का विकास किस विधि द्वारा किया जाता है?
उत्तर : कृत्रिम चयन द्वारा।
10. विकास संबंध स्थापित करने में किस विधि का प्रयोग व्यापक स्तर पर
किया जाता है?
उत्तर : DNA की संरचना का तुलनात्मक अध्ययन।
11. DNA का विस्तृत नाम क्या है?
उत्तर : Deoxyribonucleic acid.
12. "ऑन दि ऑरिजिन ऑफ स्पीशीज" नामक पुस्तक किसने लिखी?
उत्तर : चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन ने।
13. 'आनुवंशिकी के जनक' कौन हैं?
उत्तर : ग्रेगर जॉन मेंडल।
14. मेंडल के प्रयोग में एक संकरण से प्राप्त समलक्षणी एवं समजीनी
अनुपात क्या है?
उत्तर : समलक्षणी अनुपात 3: | तथा समजीनी अनुपात 1: 2 :1
15. एक ऐसे जंतु का नाम बताएँ जिसमें लिंग-निर्धारण आनुवंशिक नहीं
होता है।
उत्तर : घोघा (Pila)।
16. पक्षी एवं चमगादड़ के पंख किस प्रकार के अंग की श्रेणी में आते हैं?
उत्तर : असमजात अंग की श्रेणी में।
17. विश्व का कौन-सा महादेश मानव जाति का मूल उद्भव-स्थल माना
जाता है?
उत्तर : अफ्रीका।
18. किसी प्रजाति विशेष के एक आबादी में स्थित समस्त जीन क्या
कहलाता है?
उत्तर : जीन कोश।
19. पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंशागत होकर संचित होनेवाली विभिन्नता क्या
कहलाती है।
उत्तर : आनुवंशिक विभिन्नता।
3 अंक स्तरीय प्रश्न
1. बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता के दृष्टिकोण से चिंता का विषय
क्यों है? [JAC 2010 (S)]
उत्तर : बाघों में आनुवंशिक विभिन्नता लगभग नहीं के बराबर है। यदि
अत्यंत तेजी से बदलती पर्यावरणीय स्थितियों में परिवर्तन नहीं आया तो वे सब
बाटकीय रूप से समाप्त हो जाएँगे। उदाहरण के लिएयदि किसी बाघ में किसी
भयानक रोग का संक्रमण हो जाए तो सभी बाघ उसी से मर जाएँगे क्योंकि
संक्रमण उनकी जीन की आवृत्ति को प्रभावित करेगा। बाघों की निरंतर घटती
संख्या भी यही संकेत कर रही है कि पर्यावरण में आया परिवर्तन उनके लिए
अनुकूल नहीं रहा है और वे शायद शीघ्र ही समाप्त हो जाएँ।
2. विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज का अस्तित्व किस प्रकार
बढ़ जाता है? [JAC 2011 (A), 2013 (A)]
उत्तर : विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज की उत्तरजीविता
की संभावना बढ़ जाती है। प्राकृतिक चयन ही किसी स्पीशीज की उत्तरजीविता
का आधार बनता है जो वातावरण में घटित होता है। समय के साथ उनमें जो
प्रगति की प्रवृत्ति दिखाई देती है उसके साथ उनके शारीरिक अधिकल्प में
जटिलता की वृद्धि भी हो जाती है। ऊष्णता को सहन करने की क्षमतावाले
जीवाणुओं की अधिक गर्मी में बचने की संभावना अधिक होती है।
3. जीन क्या है? [JAC 2010(A), 2011(A)]
उत्तर : जीन गुणसूत्र के महत्त्वपूर्ण भाग डी.एन.ए. के अणु का एक खंड है।
शुक्राणु (नर गैमीट) तथा अंडाणु (मादा गैमीट) एक नई व्यष्टि तथा
जनकों के मध्य की एक मात्र कड़ी होती है। इनमें उपस्थित लक्षण जिन चीजों पर
उपस्थित होते है उन्हें जीन कहते हैं। जीन को मेंडल ने कारक कहा था।
4. मेंडल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा
अप्रभावी होते हैं? [JAC 2010 (S), 2013 (S)]
उत्तर : जब मेंडल ने मटर के लंबे पौधे और बौने पौधे का संकरण कराया
तो उसे प्रथम संतति पीढ़ी F में सभी पौधे लंबे प्राप्त हुए थे। इसका अर्थ था कि
दो लक्षणों में से केवल एक पैतृक लक्षण ही दिखाई दिया। उन दोनों का मिश्रित
प्रमाण दिखाई नहीं दिया। उसने पैतृक पौधों और न पीढ़ी के पौधों को स्वपरागण
से उगाया। इस दूसरी पीढ़ी 5 में सभी पौधे लंबे नहीं थे। इसमें एक-चौथाई पौधे
बौने थे। मेंडल ने लंबे पौधों के लक्षण को प्रभावी और बौने पौधों के लक्षण को
अप्रभावी कहा।
5. डार्विन के विकास के सिद्धांत की व्याख्या करें। [JAC 2010 (A)]
उत्तर : डार्विन के जैव विकास सिद्धान्त को प्राकृतिक वरण कहते हैं।
उन्होंने "प्राकृतिक चयन द्वारा जातियों का विकास' नामक पुस्तक 1869 में
लिखी। यह अन तथ्यों पर आधारित है―(i) जीवों में संतान उत्पत्ति की प्रचुर
क्षमता, (ii) जीवन संघर्ष, (iii) प्राकृतिक वरण, (iv) योग्यतम की
उत्तरजीविता, (v) वातावरण के प्रति अनुकूलन, (vi) नई जातियों की उत्पत्ति।
डार्विन ने बताया कि सभी जीवों में जनन की प्रचुर क्षमता होती है परन्तु जीवों
की संख्या सीमित रहती है। इसका कारण है उनमें जीवन संघर्ष। यह संघर्ष
वातावरणीय अथवा अन्तरजातीय होता है। जीवों में लाभदायक विभिन्नताएँ
वंशागत होती हैं। योग्यतम लक्षणों वाले जीव स्वस्थ संतान उत्पन्न करके वंश
चलाते हैं।
6. मेंडल के प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतंत्र रूप से
वंशानुगत होते हैं? [JAC 2013(A)]
उत्तर : मेडल ने दो विभिन्न विकल्पों, लक्षणों वाले मटर के पौधों का
चयन कर उनसे पौधे उगाए थे। लंबे पौधे तथा बौने पौधे का संकरण करा कर
प्राप्त संतति में लंबे एवं बौने पौधों की गणना की। प्रथम संतति पीदी (F) में
कोई पौधा बीच की ऊँचाई का नहीं था। सभी पौधे लंबे थे। दो लक्षणों में से केवल
एक पैतृक लक्षण ही दिखाई दिया था लेकिन दूसरी पीढ़ी (F) में सभी पौधे लंबे
नहीं थे बल्कि उनमें से एक चौथाई बौने पौधे थे। इससे स्पष्ट हुआ कि किसी भी
लक्षण के दो विकल्प लीगक जनन द्वारा उत्पन्न होने वाले जीवों में किसी भी
लक्षण के दो विकल्प की स्वतंत्र रूप से वंशानुगति होती है।
7. विकास की परिभाषा लिखिए। इसके सम्बन्ध में लैमार्क के योगदान का
वर्णन कीजिए। [JAC 2014 (A)]
उत्तर : परिवर्तन के साथ अवतरण हो जैव विकास है। लैमार्क ने उपार्जित
लक्षणों की वंशागति का मत प्रस्तुत किया। लैमार्कवाद आकार में वृद्धि की
प्रवृत्ति, वातावरण का सीधा प्रभाव, अंगों का उपयोग तथा अनुप्रयोग तथा
उपार्जित लक्षणों की वंशागति पर आधारित है। उपार्जित लक्षण पीढ़ी दर पीढ़ी
वंशागत होकर नई जातियों की उत्पत्ति करते है। लैमार्कवाद का अच्छा उदाहरण
है―जिर्राफ की गर्दन का लम्बा होना।
8. आनुवंशिकता में मेंडल का क्या योगदान है? [JAC 2015 (A)]
उत्तर : मेडल ने दो विभिन्न विकल्पों, लक्षणों वाले मटर के पौधों का
चयन कर उनसे पौधे उगाए थे। लंबे पौधे तथा बौने पौधे का संकरण करा कर
प्राप्त संतति में लंबे एवं बौने पौधों की गणना की। प्रथम संतति पीढ़ी (F) में
कोई पौधा बीच की ऊँचाई का नहीं था। सभी पौधे लंबे थे। दो लक्षणों में से केवल
एक पैतृक लक्षण ही दिखाई दिया था लेकिन दूसरी पीढ़ी (F) में सभी पौधे लंबे
नहीं थे बल्कि उनमें से एक चौथाई बौने पौधे थे। इससे स्पष्ट हुआ कि किसी भी
लक्षण के दो विकल्प लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न होने वाले जीवों में किसी भी
लक्षण के दो विकल्प की स्वतंत्र रूप से वंशानुगति होती है।
9. जीनों की किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। [JAC 2016 (A)]
उत्तर : जीनों के गुणों का निर्धारण उनके जीन प्रारूपों के कारण होता है।
जीन प्रारूप के कारण होने वाले गुणों का निर्धारण जनकों (माता-पिता) के
युग्मकों के संयोजन के समय ही हो जाता है। जीन के कारण ही एकरूपता होती
है। जीन के पैतृक गुण पीढ़ी-दर-पीढी संतानों में संचरित होते रहते हैं।
10. समजात अंग की परिभाषा एवं उदाहरण लिखिए। ये विकास के समर्थन
में किस प्रकार प्रमाण प्रस्तुत करते हैं? [JAC 2010 (A), 2016(A)]
उत्तर : वे अंग जो संरचना तथा उद्भव में तो समान होते हैं, लेकिन वे
अलग रूप से दिखाई देते हैं और भिन्न कार्य करते हैं, समजात अंग कहलाते हैं।
उदाहरण―जैसे कशेरुकियों के अप्रपाद है। ये एक समान योजना पर
बने हुए होते हैं। चिड़िया, हेल, बिल्ली, घोड़ा तथा आदमी में समजातता
दिखाई देती है। इन सभी कशेरुकी के अम्रपादों की समानता यह प्रदर्शित करती
है कि ये सभी एक ही पूर्वज से विकसित हुए है।
11. विकासीय सम्बन्ध स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्त्व है?
[JAC 2017(A)]
उत्तर : जीवाश्मों के अध्ययन से जैव विकास के प्रमाण मिलते हैं।
आर्कियोप्टेरिक्स एक ऐसा ही जीवाश्म है जिसमें रेप्टीलिया तथा एवीज (पक्षी)
दोनों के गुण पाए जाते हैं। इसमें रेप्टीलिया की तरह जबड़ों में दाँत तथा अँगुलियों
में नख थे तथा पक्षियों की तरह इसमें डैने (पंख) थे। इसके अध्ययन से इस बात
की पुष्टि होती है कि रेप्टीलिया तथा एवीज का विकास एक ही पूर्वज से हुआ है।
12. जीन प्रवाह क्या है? यह कैसे होता है? समझाइए। [JAC 2019(A)]
उत्तर : जीन प्रवाह : अप्रवासी जीव के जीनों का किसी नयी समष्टि में
प्रवेश करना जीन प्रवाह कहलाता है।
इसमें विभिन्न प्रकार की घटनाएं सम्मिलित होती है जैसे परागकणों का दूर
तक उड़कर जाना, मनुष्यों का दूसरे देशों में जाना, लाल रंगवाले भंगों का काले
रंग वाले भूगों के समूह में निवास करना आदि। इससे जनन द्वारा नई-नई
विभिन्नताएँ उत्पन्न होती है। जीन प्रवाह किसी स्थान के जीन पूल में परिवर्तन
कर देता है। यह कार्य किसी आबादी से किसी जीव को दूसरी आबादी में शामिल
कर देने से भी होता है।
13. निम्नलिखित को समझाइए―
(i) जीन प्रवाह (ii) जीन पूल। [JAC 2020 (A)]
उत्तर : (i) जीन प्रवाह : एक आबादी से दूसरे जनन परिवर्तन के अंतरण
को जीन प्रवाह कहते हैं। इसकी दर अधिक हो तो जनसंख्या को आनुवांशिक
विविधता के सदृश माना जाता है।
(ii) जीन पूल : किसी भी जनसंख्या के सभी जीवों का समुच्चय या जीवों
से संबंधित संपूर्ण सूचना को जीन पूल कहते हैं।
14. यदि एक 'लक्षण-A' अलैंगिक प्रजनन वाली समष्टि के 10 प्रतिशत
सदस्यों में पाया जाता है तथा 'लक्षण-B' उसी समष्टि में 60 प्रतिशत
जीवों में पाया जाता है, तो कौन-सा लक्षण पहले उतपन्न हुआ होगा।
उत्तर : 'लक्षण-B'अलैगिक प्रजनन वाली समष्टि में 60 प्रतिशत जीवों में
पाया जाता है जो 'लक्षण-A'प्रजनन वाली समष्टि से 50% अधिक है इसलिए
'लक्षण-B' पहले उत्पन्न हुआ होगा।
15. क्या तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता
है? क्यों और क्यों नहीं?
उत्तर : तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग नहीं कहा जा
सकता, क्योंकि इनकी मूल संरचना और उत्पत्ति एक-दूसरे से भिन्न होती हैं,
परंतु दोनों एक ही प्रकार के कार्य करते हैं।
16. जीवाश्म क्या हैं? उदाहरणसहित लिखें।
उत्तर : सामान्यतः जीवों की मृत्यु के बाद उनके शरीर का अपघटन हो
जाता है, परंतु कुछ जीव या जीवों के भाग ऐसे वातावरण में चले जाते हैं कि
इनका अपघटन पूरी तरह नहीं हो पाता। इनके अवशेष चिह्न पृथ्वी के भीतर या
चट्टानों पर पाए जाते हैं। पत्थरों पर जीवों के ऐसे चिह्नों को जीवाश्म कहते हैं।
जीवाश्मों के अध्ययन से जैव विकास के प्रमाण मिलते हैं। उदाहरण के तौर
पर, ऑर्कियोप्टेरिक्स एक ऐसा जीवाश्म है, जिसमें रेप्टीलिया तथा एवीज दोनों
के गुण पाए जाते हैं। इसके अध्ययन से इस बात की पुष्टि होती है कि रेप्टीलिया
तथा एवीज का विकास एक ही पूर्वज से हुआ है।
17. वे कौन-से कारक हैं, जो नई स्पीशीज के उद्भव में सहायक हैं?
उत्तर : नई स्पीशीज के उद्भव में निम्नलिखित कारक सहायक होते हैं―
(i) भौगोलिक पृथक्करण
(ii) आनुवंशिक विचलन
(iii) उत्पन्न भिन्नता का प्राकृतिक चयन
18. समजात एवं समरूप अंग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : विभिन्न वातावरण में रहनेवाले जंतुओं के ऐसे अंग जो संरचना
एवं उत्पत्ति के दृष्टिकोण से एकसमान होते हुए भी कार्य में भिन्न-भिन्न होते हैं,
उन्हें समजात अंग कहते हैं, जैसे मेढक एवं पक्षी के अग्रपाद रचना एवं उत्पत्ति
में समान होते हुए भी मेढक में कूदने एवं पक्षियों में उड़ने का कार्य होता है।
इसके विपरीत जंतुओं के ऐसे अंग जो रचना एवं उत्पत्ति के दृष्टिकोण में
एक दूसरे से भिन्न होते हुए भी एकसमान कार्य करते हैं, उन्हें समरूप अंग
कहते हैं, जैसे तितली तथा पक्षी के पंख।
19. एक अध्ययन से पता चला कि हल्के रंग की आँखों वाले बच्चे के जनक
(माता-पिता) की आँखें भी हल्के रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या
हम कह सकते हैं कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा
अप्रभावी? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर : सभी बच्चों में अपने माता-पिता के लक्षण प्रकट होते हैं।
माता-पिता से हल्के रंग की आँखों का बच्चों में आ जाना सहज स्वाभाविक है।
इस अवस्था में तो आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है पर इसे हर बच्चे की
अवस्था में प्रभावी नहीं कह सकते। यह अप्रभावी भी हो सकता है।
20. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ
अधिक स्थायी होती हैं? व्याख्या कीजिए। यह लैंगिक प्रजनन करने
वाले जीवों के विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है।
उत्तर : जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ लैंगिक जनन में अलैगिक जनन
की अपेक्षा अधिक स्पष्ट और स्थायी होती है। अलैंगिक जनन एकल जीवों में
होता है। अतः उसकी संतति में सिफ उसी के गुण आते हैं जबकि विभिन्नताएँ
कम होती है। इसके विपरीत लैंगिक जनन में नर-युग्मक तथा मादा-युग्मक के
मिलने से नये जीव का जन्म होता है। उसमें नर तथा मादा दोनों के गुण
स्थानांतरित होते हैं। अतः उसमें विभिन्नताएँ अधिक होती है।
21. सिद्ध करें कि बच्चे का लिंग निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है
कि उन्हें अपने पिता से किस प्रकार का गुणसूत्र प्राप्त हुआ है।
उत्तर किसी शिशु के जन्म से पूर्व उसके अथवा मादा होने की
भविष्यवाणी करना लिंग निर्धारण कहलाता है। जिस बच्चे में पिता-पक्ष से
X-गुणसूत्र सम्मिलित होता है, वह लड़की होती है तथा जिस बच्चे में पितापक्ष
से Y गुणसूत्र सम्मिलित होता है वह लड़का होता है। पिता में XY परन्तु माता में
केवल XX गुणसूत्र होते हैं। इस प्रकार Y गुणसूत्र बच्चे का लिंग निर्धारण करता है।
22. संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की
भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है?
उत्तर : मनुष्य में 23 जोड़े अर्थात् 46 गुणसूत्र पाए जाते है। इनमें से 22
जोड़े अलिंगी गुणसूत्र और 23वां जोड़ा लिंगी गुणसूत्र कहलाता है। नर में XY
गुणसत्र और मादा मेंXX गुणसूत्र होते हैं। प्रजनन कोशिका के निरंतर विभाजन
से ही जनन संभव हो पाता है। जब लैगिक जनन की प्रक्रिया में संतति की रचना
होती है तब नर और मादा उसे समान रूप से आनुवंशिक पदार्थ प्रदान करते हैं।
इसी कारण संतति में नर और मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर
की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है।
23. 'योग्यतम की उत्तरजीविता' पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर : जिन जीवधारियों में परिस्थितियों के साथ अनुकूलित होने की
क्षमता अधिक होती है, वे ही जीवन के संघर्ष में जीवित बचते है। डार्विन के
मतानुसार प्रकृति स्वयं ही योग्यतम जीवधारी को जीवित रहने और अपनी
आबादी को कायम रखने के लिए चुन लेती है। इसीलिए डार्विन के इस सिद्धांत
को प्राकृतिक चयन भी कहते हैं। हर्बर्ट स्पेन्सर ने इस स्थिति को योग्यतम की
उत्तरजीविता कहा है।
24. क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज के पौधों के जाति
उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है? क्यों या क्यों नहीं?
उत्तर : नहीं। क्योंकि ऐसे पौधों को परागण के लिए अलग पौधों की
आवश्यकता नहीं होगी।
25. एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यत: अगली पीढ़ी में
वंशानुगत नहीं होते हैं। क्यों?
उत्तर : एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः आनुवंशिक नहीं होते
क्योंकि―
(i) ऐसे लक्षण प्रायः अस्थायी तौर पर उत्पन्न होते हैं।
(ii) उपार्जित लक्षण प्रायः आनुवंशिक नहीं होते हैं क्योंकि आनुवंशिक
लक्षण लैगिक जनन के समय DNA में होनेवाले परिवर्तनों से
उत्पन्न होते है।
26. उपार्जित लक्षण से आप क्या समझते हैं? क्या उपार्जित लक्षणों की
वंशागति होती है? समझाएँ।
उत्तर : ऐसे लक्षण जो किसी जीव द्वारा अपने पर्यावरण से प्राप्त किये जाते
है, उपार्जित लक्षण कहलाते हैं। पर्यावरण के साथ अनुकूलन स्थापित करने के
क्रम में ऐसे लक्षण अर्जित हो जाते हैं।
डार्विन के अनुसार उपार्जित लक्षण आनुवंशिक हो जाते हैं और अगली
पीढ़ी में जाकर विभिन्नताएँ उत्पन्न करते है और इस प्रकार नयी जाति की
उत्पत्ति होती है।
27. किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति
अजैविक पदार्थों से हुई है?
उत्तर : स्टैनली मिलर (Stanley Miller) और हेरॉल्ड सी. उरे (HaroldC
Urey) ने सन् 1953 में अपने प्रयोग द्वारा साबित किया कि जीव की उत्पत्ति
अजैविक पदार्थों से हुई है। उन्होंने जल के ऊपर एक ऐसे वातावरण की रचना
की जिसकी कल्पना पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति से पूर्व की गई थी। उस
वातावरण में मिथेन, अमोनिया तथा हाइड्रोजन सल्फाइड के अणु थे परन्तु
ऑक्सीजन के नहीं। वातावरण का ताप 100°C रखा गया और गैसों मिश्रण से
होकर स्मुर्लिंग प्रवाहित किये गये ताकि विद्युत उत्पन्न हो। एक सप्ताह के बाद
देखा गया कि मिथेन का 15% कार्बन अमीनो अम्ल में बदल चुका था जिनसे
प्रोटीन बनती है। इस प्रकार प्रोटीन से क्रमशः जीवन की उत्पत्ति हुई होगी।
28. "विकास को प्रगति नहीं समझा जा सकता है।" व्याख्या कीजिए।
उत्तर : परिवर्तन के साथ अवतरण ही जैव विकास है। लैमार्क ने उपार्जित
लक्षणों की वंशागति का मत प्रस्तुत किया। लैमार्कवाद आकार में वृद्धि की
प्रवृत्ति, वातावरण का सीधा प्रभाव, अंगों का उपयोग तथा अनुप्रयोग तथा
उपार्जित लक्षणों की वंशागति पर आधारित है। उपार्जित लक्षण पीढ़ी-दर-पीढ़ी
वंशागत होकर नई जातियों की उत्पत्ति करते हैं। लैमार्कवाद का अच्छा उदाहरण
है―जिर्राफ की गर्दन का लम्बा होना।
29. जीन-प्ररूप या जीनोटाइप किसे कहते हैं?
उत्तर : जीन-प्ररूप किसी जीव की जीनी संरचना को कहते हैं, अर्थात किसी
जीव का जीन-प्ररूप इनमें उपस्थित जीन का विवरण है। जैसे―बौने मटर के
पौधों का जीन-प्ररूप TT,Tt एवं बौने पौधों का जीन प्ररूप tt होता है।
(a) I और II किन जंतुओं के कौन-से अंग हैं?
(b) ये किस प्रकार के अंग हैं? परिभाषित कीजिए।
उत्तर : (a) पक्षी का अग्र पाद तथा चमगादड़ का अग्रपाद है।
(b) ये समरूप अंग है। भिन्न-भिन्न जीवधारियों के ऐसे अंग जो कार्य में
तो मसान होते हैं परंतु उत्पत्ति में एक-दूसरे से भिन्न होते हैं, समरूप अंग
कहलाते हैं।
(a) A और B किस प्रकार के अंग हैं?
(b) A और B में कौन-कौन सी समानताएँ और विषमताएँ हैं?
उत्तर : (a) A और B समजात अंग हैं।
(b) ये उत्पत्ति के आधार पर समान किन्तु कार्य के आधार पर भिन्न हैं।
5 अंक स्तरीय प्रश्न
1. मानव में बच्चों के लिंग-निर्धारण की अभिक्रिया को समझाएँ।
उत्तर : मानव में बच्चों का लिंग-निर्धारण हेटरोगेमेसिस के सिद्धांत के
आधार पर लिंग-क्रोमोसोम के द्वारा होता है, जिसे आनुवंशिक विधि भी कहते
हैं। मनुष्य में 23 जोड़े गुणसूत्र में 22 जोड़े (44) क्रोमोसोम को ऑटोसोम कहते
हैं, जबकि 23वाँ जोड़ा लिंग क्रोमोसोम कहलाता है। ये दो प्रकार के होते हैं―X
एवं Y। X-क्रोमोसोम लंबा एवं छड़ के आकार का होता है, जबकि Y- क्रोमोसोम
अपेक्षाकृत बहुत छोटे आकार का होता है।
मनुष्य में नर में जोड़े लिंग-क्रोमोसोम X एवं Y प्रकार के होते हैं, एवं मादा
में XX प्रकार के होते हैं। अतः, नर दो प्रकार के गैमेट बनाते है―X एवं Y,
जबकि मादा केवल एक प्रकार की गैमेट, जिसमें केवल X- क्रोमोसोम होते हैं,
बनाती है। इस प्रकार मानव नर हेटरोगैमेटिक एवं मादा होमोगैमेटिक कहलाती
है। चित्रानुसार X-क्रोमोसोम वाले नर युग्मक के मादा युग्मक से निषेचन के बाद
बना युग्मनज (zygote) मादा बच्चे में विकसित होता है, और Y- क्रोमोसोम
2. विभिन्नता क्या है? जननिक विभिन्नता एवं कायिक विभिन्नता का
वर्णन करें।
उत्तर : विभिन्नता जीव के ऐसे गुण हैं, जो उसे अपने जनकों अथवा अपनी
ही जाति के अन्य सदस्यों के उसी गुण के मूल स्वरूप से भिन्नता को दर्शाते हैं।
(i) जननिक विभिन्नता―ऐसी विभिन्नताएँ जो जनन-कोशिकाओं में
होनेवाले परिवर्तनों के कारण उत्पन्न होती हैं, उन्हें जननिक विभिन्नता कहते हैं।
ऐसी भिन्नताएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में वंशागत होती है। इसलिए उन्हें
आनुवंशिक विभिन्नता भी कहते हैं, जिनकी जैव विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका
होती है। ऐसी विभिन्नताओं में से कुछ जन्म से प्रकट हो जाती है। जैसे―आँख
एवं बालों का रंग तथा कुछ बाद में प्रकट होती है। जैसे―शारीरिक गठन एवं
शरीर की लंबाई इत्यादि।
(ii) कायिक विभिन्नता―ऐसी विभिन्नताएँ जिनकी वंशागति एक पीढ़ी
से दूसरी पीढ़ी में नहीं होती है, उन्हें कायिक विभिन्नता कहते हैं। ये सामान्यतः
जलवायु एवं वातावरण, उपलब्ध भोजन के प्रकार, अन्य उपस्थित जीवों के
साथ परस्पर व्यवहार इत्यादि के कारण उत्पन्न होती है। ऐसी विभिन्नताओं की
जैव विकास में कोई भूमिका नहीं होती है।
3. (a) जीवाश्म क्या हैं? वे विकास के बारे में हमें क्या बताते हैं?
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज का अस्तित्व
किस प्रकार बढ़ जाता है? [JAC 2013 (A)]
उत्तर : (a) सामान्यतः जीवों की मृत्यु के बाद उनके शरीर का अपघटन
हो जाता है, परंतु कुछ जीव या जीवों के भाग ऐसे वातावरण में चले जाते हैं कि
इनका अपघटन पूरी तरह नहीं हो पाता। इनके अवशेष चिह्न पृथ्वी के भीतर या
चट्टानों पर पाए जाते हैं। पत्थरों पर जीवों के ऐसे चिह्नों को जीवाश्म कहते है।
जीवाश्मों के अध्ययन से जैव विकास के प्रमाण मिलते हैं। उदाहरण के तौर
पर, ऑर्कियोप्टेरिक्स एक ऐसा जीवाश्म है, जिसमें रेप्टीलिया तथा एवीज दोनों
के गुण पाए जाते हैं। इसके अध्ययन से इस बात की पुष्टि होती है कि रेप्टीलिया
तथा एवीज का विकास एक ही पूर्वज से हुआ है।
(b) विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज की उत्तरजीविता की
संभावना बढ़ जाती है। प्राकृतिक चयन ही किसी स्पीशीज की उत्तरजीविता का
आधार बनता है जो वातावरण में घटित होता है। समय के साथ उनमें जो प्रगति
की प्रवृत्ति दिखाई देती है उसके साथ उनके शारीरिक अधिकल्प में जटिलता की
वृद्धि भी हो जाती है। ऊष्णता को सहन करने की क्षमतावाले जीवाणुओं की
अधिक गर्मी में बचने की संभावना अधिक होती है। पर्यावरण द्वारा उत्तम
परिवर्तन का चयन जैव विकास प्रक्रम का आधार बनता है।
4.(a) वे कौन-से विभिन्न तरीके हैं जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण
वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है?
(b) समजात अंग की परिभाषा लिखिए। [JAC 2016 (A)]
उत्तर : (a) यदि जनसंख्या में परिवर्तन उत्पन्न होते हैं और वे परिवर्तन
व्यष्टि की सुरक्षा एवं पोषण के प्रति अनुकूल प्राकृतिक अवस्थाएँ उपस्थित
करते हैं तो विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है।
प्राकृतिक प्रभेद चयन और आनुवांशिक अनुकूलता इस कार्य में विशेष सहयोग
प्रदान करते हैं।
(b) वे अंग जो संरचना तथा उद्भव में तो समान होते हैं, लेकिन वे अलग
रूप से दिखाई देते हैं और भिन्न कार्य करते हैं, समजात अंग कहलाते हैं।
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